सोमवार, 22 अप्रैल 2013

गज़ल



                                                                                 श्री राजेश प्रेमचंदराय
बस यूँही तुम मेरे पास रहो
चाहूँ यही सदा मेरे साथ रहो
बस यूँही तुम मेरे पास रहो
विरां चमन में इस मन के
आओ तुम बहार बन के
प्रेम पुष्‍प खिला गुलजार करो 


बस यूँही तुम मेरे पास रहो
मरु है ये मेरा जीवन
तपती गर्मी से झुलसा तन
करो शीतल, बन बयार बहो।
बस यूँही तुम मेरे पास रहो
दूर होना ना तुम इक पल
पाये कल ना ये  दिल बेकल
लेकर हाथों मे मेरा हाथ रहो।
बस यूँही तुम मेरे पास रहो।
व्‍योंम मै तो तुम हो वसुधा
मै चकोर तो तुम हो चन्‍द्रमा
चातक मै तुम स्‍वाति जलधार हो
बस यूँही तुम मेरे पास रहो।
अपने प्रेम से भर दो मन को
मेरे नैनो में डाल अपने नयन को
जगाये दिल में प्‍यार का अहसास रहो
बस यूँही तुम मेरे पास रहो।
सॉंसो में मेरी तुम समा के
सुगंध से अपनी मन महका दे।
तन मनको, बनके तुम सॉंस रहो
बस यूँही तुम मेरे पास रहो
रुह तुम हो मै हूँ बदन
मै दिल तो तुम धडकन
हमदम दम  तुम्‍ही, तुम्‍ही जान हो
बस यूँही तुम मेरे पास रहो।
चाहूँ यही सदा मेरे साथ रहो।


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