शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

हाय ! हाय ! यह ब्‍यूरोक्रेसी और भ्रष्‍टाचार की फूंसी

हाय ! हाय ! यह ब्‍यूरोक्रेसी और भ्रष्‍टाचार की फूंसी

हाल ही में जापान सुर्खियों में छाया रहा कारण से हम सभी अनभिज्ञ नहीं हैं । जापान के लिए भूकम्‍प कोई नई बात नहीं है। वस्‍तुत: जापान में भुकम्‍प आना साधारण बात है। इसे साधारण और विचारणीय बनाया उस देश के निष्‍ठावान, कर्मठ तथा परम अनुशासित नागरिकों ने ।

उधर जापान में भूकम्‍प आया इधर भारत में भ्रष्‍टाचार विरोधी सुनामी ने अन्‍ना हजारे के नेतृत्‍व में संपूर्ण भारत में अपना प्रभाव दिखाना आरम्‍भ किया। आप भी सोच रहे होंगे की लेखक को क्‍या पड़ी कि वह जापान के भूकम्‍प और भारत के भ्रष्‍टाचार विरोधी मुहिम में साम्‍य देखने लगा।

दरअसल बात यह है कि संकट की घड़ी में जापनियों द्वारा दर्शाई गई काविल-ए-तारिफ सहिष्‍णुता एवं अनुशासन । राहत सामग्री के वितरण के दौरान जिस तरह लोगों ने असाधारण धैर्य एवं मानवता का परिचय दिया वह मात्र सराहनीय ही नहीं वरन अनुकरणीय भी है। राहत सामग्री के वितरण के दौरान भी पीडि़तों ने कोई भगदड़ नहीं मचाई। लागों ने बच्‍चों, बूढ़ों तथा घायलों को स्‍वैच्‍छा से राहत सामग्री का वितरण होने दिया । यहॉं उनके देश के नागरिकों ने उच्‍च राष्‍ट्रीय चरित्र का परिचय दिया।

भूकम्‍प, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा और साम्‍प्रदायिक दंगों जैसी मानवीय विपदा के दंश को इस देश ने भी झेला है पर एक-दो अपवाद को छोड़कर हमने कभी-कभार ही अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। सामाचार पत्र में छपे एक खबर को पढ़कर मेरा दिल रो पड़ा। खबर थी कि ‘’गुजरात दंगों के पश्‍चात एक दंगा पीडि़त के घर से मूल्‍यवान वस्‍तुओं को चुराते हुए केन्‍द्रीय रिर्जव पुलिस बल के जवानों ने एक 07 माह की गर्भवती महिला को रंगे हाथ गिरफ्तार किया।’’ क्‍या यही हमारा राष्‍ट्रीय चरित्र है ? अलबत्‍ता हमारे रक्षा, पुलिस, चिकित्‍सा सहायता बल तथा अर्ध सैनिक बलों ने पूर्ण निष्‍ठा एवं उनके संगठनों के उच्‍चतम मूल्‍यों के अनुरूप कार्य किया है।
जहॉं तक मैं समझता हूँ हमारे देश में प्राय: अधिकांश आम व्‍य‍क्ति भ्रष्‍ट नहीं हैं पर सिस्‍टम अर्थात ब्‍यूरोक्रेसी के दबाव में भ्रष्‍ट बन जाते हैं अथवा उसके प्रति अपनी ऑंखें मूंद लेते हैं। इस संबंध में मेरे जीवन में घटित वाकये का उदाहरण प्रस्‍तुत करना चाहूँगा।

हुआ यों कि मैंने एक बिल्‍डर से घर खरीदा था तथा पूर्ण भूगतान करने के पश्‍चात बिल्‍डर ने घर सौंपा था । एक साल तक बिल्‍डर उक्‍त आवासीय परिसर के लोगों से मेंटेनेस वसुलता रहा तथा सोसायटी बनाने का कोरा आश्‍वासन देता रहा किन्‍तु उसने सोसायटी नहीं बनाई। इस पूरे वाकये के अन्‍दर वह हमें मात्र जल आपूर्ति रोक देने की धमकी देकर मनमाने तरिके से हमारा शोषण करता रहा और चूँकि सोसायटी नहीं बनी हुई थी इसलिए नगर परिषद एवं अन्‍य शासकीय प्राधिकारी मदद नहीं करने पर तूले हुए थे। मूलत: मदद न करने के एवज में बिल्‍डर द्वारा उन्‍हें काफी रकम भी मिल रही थी। इस दौरान परिसर के लोगों ने एकजूट होकर सोसायटी फीज बिल्‍डर के पास जमा कर दिया तथा सोसायटी बनाने का अनुरोध किया किन्‍तु बिल्‍डर कुत्‍ते की दुम की भॉंति सोसायटी न देने पर अड़ा रहा। इसकी शिकायत हमारे द्वारा सभी संबंधित कार्यालयों में की गई पर कोई आशानुकूल परिणाम नहीं निकला।
अंतत: एक विचौलिये के माध्‍यम से हम लोगों को मजबूरन व्‍यक्तिगत जल कनेक्‍शन के लिए आवेदन भरना पड़ा। इस मार्ग में भी बिल्‍डर ने नगर परिषद एवं जल आपूर्ति बोर्ड के अधिकारियों को पैसे देकर अवरोध खड़े करना आरम्‍भ कर दिया। परिणामत: आवेदन करने के 02 माह तक नगर परिषद से अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं मिल पाया । किसी तरह सभी लोगों ने मिलकर एक सप्‍ताह तक नगर परिषद में डेरा डाला तब जाकर आनापत्ति प्रमाण पत्र हम लोगों को प्राप्‍त हुआ। अब इस प्रमाण पत्र के साथ जल आपूर्ति विभाग में हमने आवेदन किया, यहॉं भी आशानुरूप बिल्‍डर हम पर भारी पड़ा। जल आपूर्ति विभाग के अधिकारियों ने बिचौलियों के माध्‍यम से पैसे तो ले लिए पर जल कनेक्‍शन के नाम पर करीबन 04 माह तक कोरे आश्‍वासन ही देते रहे। थक- हार कर मैंने क्रमश: संबंधित अधिकारी, मंत्रालय, मंत्री को नियमित अंतराल पर पत्र लिखने आरम्‍भ किया । इस दिशा में महामहिम प्रधानमंत्री तथा राष्‍ट्रपति महोदय को भी पत्र लिखा गया । सौभाग्‍यवश महामहिम प्रधानमंत्री द्वारा जल आपूर्ति बोर्ड के कार्यालय को हम सभी आवेदकों को अविलम्‍ब जल कनेक्‍शन देने का निदेश दिया गया।

इस पर जल आपूर्ति बोर्ड के अधिकारियों ने हमें नल कनेक्‍श्‍न जोड़ने संबंधी पावती उपलब्‍ध करवा दिए तथा महामहिम प्रधानमंत्री कार्यालय को नल जोड़ने के प्रमाण स्‍वरूप उक्‍त की कार्यालय प्रति अग्रेषित कर दिया किन्‍तु वास्‍तविकता में हमें जल कनेक्‍शन नहीं दिया। जब जल विभाग के अधिकारियों की इस चालाकी का हमें पता चला तो हम लोगों अविलम्‍ब सभी अधिकारियों द्वारा की गई कारगुजारियों व जालसाजियों का प्रमाण सहित प्रधानमंत्री तथा राष्‍ट्रपति महोदय व संबंधित कार्यालयों को शिकायत की। अब तक दोषी अधिकारियों को हमारे पत्र के संबंध ज्ञात हो चुका था उन्‍होंने अपनी नौकरी की सलामती की खैर मानाते हुए तत्‍काल हम सभी आवेदकों को नल कनेक्‍शन जोड़ कर दिया।

ज्ञातव्‍य तथ्‍य यह है कि जिस नल कनेक्‍शन को लेने के लिए मात्र रू.3000/- की लागत तथा 15 दिनों की समयावधि लगती है उसी को लेने के लिए हमें रू. 25000/- तथा 08 माह का समय लगा। इस रू. 25000/- में से रू.3000/- की राशि को छोड़कर शेष 22000/- की राशि जल आपूर्ति विभाग, नगर परिषद तथा विचौलियों द्वारा अकारण ही हजम कर ली गई।


कुल मिलाकर मेरे देश को आजाद हुए 06 दशक से अधिक हो गए हैं और मुझ जैसे उच्‍च शिक्षित व्‍यक्ति को स्‍वच्‍छ जल कनेकशन लेने के लिए मेरे देश के ही शासकीय अधिकारियों को घूस देना पड़ा, तो हम समझ सकते हैं कि अल्‍प शिक्षित आम नागरिकों की क्‍या हालत यह भ्रष्‍ट शासकीय अधिकारी करते होंगे।

इसके विपरित जापान का उदाहरण प्रस्‍तुत है:- कुछ वर्ष पूर्व जापान में भूकम्‍प आया था तब एक बहुमंजिले इमारत में एक गर्भवती महिला और जल आपूर्ति विभाग का युवा इंजिनीयर फँस गया। महिला घायल थी और पानी की मॉंग करने लगी। । इंजिनीयर ने अपनी जान जौखिम में डालकर उस ढहे हुए इमारत में जल तलाशने का जौखिमपूर्ण कार्य किया पर कहीं से भी पानी नहीं ला सका। इस बीच वह गर्भवती औरत पानी के अभाव में मर गई। यह देखकर वह बहुत दुखी हुआ और ढहे हुए इमारत के भग्‍नावेश से कूद कर उस इंजीनियर ने अपनी जान दे दी।

जब राहत कर्मियों ने उसके शव की जॉंच-पड़ताल की तो उन्‍हें उनकी जेब से एक पर्ची मिली जिसमें उसने लिखा था :-

‘’मुझ पर मेरे देश के लोगों को जल आपूर्ति करवाने का दायित्‍व सौंपा गया था । मैंने इसीलिए अपने जीवन के बहुमूल्‍य 23 वर्ष तक शिक्षा ली और इंजीनियर बना किन्‍तु आज मैं अपने देश के नागरिक को पानी नहीं दे सका। मेरी पूरी शिक्षा और अनुभव किसी काम के नहीं निकले, ऐसी शिक्षा और अनुभव का क्‍या लाभ, ऐसे जीवन से क्‍या लाभ कि मैं अपने देश की गर्भवती महिला को पानी नहीं पिला सका। मेरी अक्षमता के कारण ही उसकी मृत्‍यु हो गई। मेरे ऐसे जीवन से अच्‍छी तो मौत है।

मेरे प्रिय देशवासियों इस अक्षम्‍य अपराध के लिए मुझे क्षमा करना।’’

मुझे इसी चारित्रिक गुणों की हर भारतीय नागरिक व ब्‍यूरोक्रेट्स से आशा व अपेक्षा है। क्‍या हम में यह चारित्रिक गुण हैं................ ? क्‍या हम पूर्वोक्‍त चारित्रिक गुण अपने बच्‍चों में विकसित कर पाएं हैं ? यदि नहीं तो क्‍या भारत लालफिताशाही व भ्रष्‍टाचार से कभी मूक्‍त हो पाएगा ......... ? यह प्रश्‍न हमें सदैव हमारे सामने मुँह बॉये खड़ा रहेगा।                                                                             
       

1 टिप्पणी:

  1. संतोष जी!
    भारत लालफ़ीताशाही व भ्रष्‍टाचार से मुक्‍त हो पाएगा यदि आप जैसे, नवयुवक संकल्प ले लें कि भ्रष्‍टाचार में किसी भी प्रकार से सहयोग नहीं करेंगे। संकल्प मुश्किल ज़रूर है असंभव नहीं। आर.टी.आई. का सहारा लें और लोगों को आर.टी.आई. का उपयोग करने के लिए जागरूक करें। कहीं आवेदन करें तो 30 दिन बाद आर.टी. आई. के अंतर्गत एक आवेदन डालकर पूछें कि मेरे आवेदन का स्थिति क्या है? निर्धारित फ़ीस के अलावा एक पैसा भी अतिरिक्त न दें। शुभाकामना।

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