गुरुवार, 16 अगस्त 2012

एक था टाइगर बनाम ‘’ब्‍लैक टाइगर’’


एक था टाइगर बनाम ‘’ब्‍लैक टाइगर’’ 


रविन्‍द्र कौशिक (1952-2001)  ‘’ब्‍लैक टाइगर’’ पूर्व रॉ एजेन्‍ट



वर्ष 11952  में श्री गंगानगर में रविन्‍द्र कौशिक का जन्‍म हुआ था। वे उम्‍दा कलाकार थे । राष्‍ट्रीय स्‍तर के नाट्य प्रतियोगिता में वे भारत की खुफिया एजेंसी के संपर्क में आए । उन्‍होंने 23 वर्ष की आयु में स्‍नातक की शिक्षा पूर्ण की। तदुपरान्‍त वे भारतीय खुफिया एजेंसी से जुड़  गए । 

वर्ष 1983 में वे पकड़ लिए गए तथा उन्‍हें मृत्‍यु दंड की सजा सुनाई गई किन्‍तु बाद में उसे बदलकर आजीवन कारावास में बदल दिया गया । भारत अपने बचाव में पाकिस्‍तान एवं चीन से युद्ध लड़ चुका था । इस बीच भारतीय एजेंसियों का ज्ञात हुआ कि पाकिस्‍तान भारत के खिलाफ पुन: युद्ध की तैयारी कर रहा है। ऐसे में रविन्‍द्र कौशिक को भारतीय सेना ने रॉ की मदद से जासूस बनाकर पाकिस्‍तान पहुँचा दिया।

वहॉं रविन्‍द्र कौशिक ने लॉ कॉलेज में एडमिशन ले लिया तथा विधि शास्‍त्र में स्‍नातक की शिक्षा पूर्ण करने के उपरान्‍त उर्दू का अध्‍ययन किया । शिक्षा पूर्ण करने के उपरान्‍त वे पाकिस्‍तानी सेना में अफसर के रूप में जुड़ गए और उन्‍हें ‘’मेजर’’ रैंक तक पदोन्‍नति मिली। पाकिस्‍तान में उन्‍हें एक स्‍थानीय लड़की से प्‍यार हुआ और उन्‍होंने उससे शादी कर ली । पाकिस्‍तान में वे ‘’नबी अहमद’’ नाम से जासूसी करते थे। उन्‍हें रॉ में ‘’ब्‍लैक टाइगर’’ के नाम से जाना जाता था। कुछ लोग कहते हैं कि उन्‍हें यह नाम तत्‍कालिन गृह मंत्री एस.बी. चव्‍हान द्वारा दिया गया था जबकि कुछ लोगों का कहना था कि यह सम्‍मान उन्‍हें भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गॉंधी ने दिया था।

वर्ष 1979 से 1983 के दौरान वे पाकिस्‍तानी फौज़ में रहे तथा उपने कार्यकाल के दौरान उन्‍होंने रॉ के द्वारा बहुत सारे महत्‍वपूर्ण खुफिया सूचनाएं पहुँचाई जो कि भारतीय रक्षा एजेंसियों के लिए काफी लाभप्रद रहीं। इस जोखिमपूर्ण कार्य के दौरान दुर्भाग्‍यवश वे पाकिस्‍तानियों द्वारा पकड़ लिए गए । पाकिस्‍तानियों ने उन्‍हें जेल में डालकर बर्बर यातनाएं दी । वर्ष 1985 में उन्‍हें मौत की सजा सुनाई गई जिसे बाद में बदलकर आजिवन कारावास कर दिया गया। कौशिक  को पाकिस्‍तान के कई जेलों में रखा गया जहॉं उन्‍हें अमानवीय यातनाएं दी गई जिसके बारे में उन्‍होंने किसी तरह पत्र भेजकर यहॉं के लोगों बताया। राविन्‍द्र कौशिक ने 18 वर्ष पाकिस्‍तानी जेल में सजा भोगी जहॉं उन्‍हें अस्‍थमा तथा क्षय रोग ने जकड़ लिया । 21 नवम्‍बर, 2001 को  मियावली जेल में उनकी मृत्‍यु हो गई । जेल के पीछे ही उन्‍हें दफना दिया गया।  

प्रतिकूल परिस्थितियों में 30 वर्ष तक पाकिस्‍तान में अपने देश व घर बार  से दूर मात्र अपने राष्‍ट्र अर्थात भारत के लिए रहे। उनकी खुफिया रिपोर्ट के आधार पर बनाए गए रणनीति के आधार पर भारतीय सेना पहलगाम में 50 से अधिक पा‍किस्‍तानी सेना के लोगों को मारने में सफल रहीं ।

वर्तमान में बालीबुड की बहुचर्चित फिल्‍म ‘’ एक था टाइगर’’ रविन्‍द्र कौशिक पर ही आधारित है ऐसा लोगों का कहना है। सत्‍य चाहे जो भी हो किन्‍तु हमें ज्ञात है कि असली टाइगर कोन था । ऐसे भारत माता के वीर सपूत को मेरा शत-शत नमन । रविन्‍द्र एक सच्‍चे देश भक्‍त थे जिन्‍होंने राष्‍ट्र की सेवा के लिए अपने अस्त्तिव को मिटा दिया और गुमनामी के अंधेरे में खो गए।
सादर एवं मेना कोटि –कोटि प्रणाम ।


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