बाहर टेड़ा फिरत है बॉंबी सूधो सॉंप, कहावत अपने घर में सब सीधे होते हैं बाहर अकड़ दिखाते हैं। बिंध गया सो मोती , रह गया सो सीप, कहावत जो वस्तु काम आ जाए वही अच्छी । बिच्छूत का मंतर न जाने , सॉंप के बिल में हाथ डाले, कहावत अनाड़ी होकर बड़े काम में हाथ डाले। बिना रोए तो मॉं भी दूध नहीं पिलाती, कहावत बिना यत्नत किए कुछ भी नहीं मिलता। बिल्लीत और दूध की रखवाली, कहावत भक्षक रक्षक नहीं हो सकता। बिल्लीर के सपने में चूहा, कहावत जिसकी जैसी भावना होती है, वही सामने रहता है। बिल्लीज गई चूहों की बन आयी, कहावत दुश्मीन या मलिक हटा और इनकी मौज हो गई। बीमार की रात पहाड़ बराबर, कहावत कष्टर का समय काटना मुश्किल होता है। बुड्ढी घोड़ी लाल लगाम, कहावत उम्र के हिसाब से चीज़ अच्छीम लगती है। बुढ़ापे में मिट्अी खराब, कहावत बुढ़ापा में अनेक कष्टा। बुढि़या मरी तो आगरा तो देखा, कहावत हर घटना के दो पहलू हैं- अच्छाह और बुरा। बूँद-बूँद से तलाब भरता है, कहावत थोड़ा-थोड़ा जमा करने से धन का संचय होता है। बूँढे तोते भी कही पढ़ते हैं, कहावत बुढ़ापे में कुछ सीखना मुश्किल होता है। बोए पेड़ बबूल के आम कहॉं से होय, कहावत जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा। भरी गगरिया चुपके जाय, कहावत ज्ञानी आदमी गंभीर होता है। भरे पेट शक्करर खारी, कहावत जब आवश्यपकता नहीं होती तब अच्छीय चीज़ भी महत्व हीन या बुरी लगती है। भले का भला, कहावत भलाई का बदला भलाई में मिलता है। भलो भयो मेरी मटकी फूटी मैं दही बेचने से छूटी , भलो भयो मेरी माला टूटी राम जपन से छूट गए, कहावत काम न करने का बहाना मिल गया। भीख मॉंगे और ऑंख दिखाए, कहावत भिखारी होकर अकड़ता है। भूख में किवाड़ पापड़, कहावत भूख लगने पर कोई चीज़ भी खाने को मिल जाए अच्छाम है। भूख लगी तो घर की सूझी, कहावत जरूरत पड़ने पर अपनों की याद आती है। भूखे भजन न होय गोपाला, कहावत भूख लगी हो तो भोजन के अतिरिक्त कोई अन्य् कार्य नहीं सूझता है। भूल गए राग रंग भूल गई छकड़ी, तीन चीज़ याद रहीं नून तेल तिकड़ी, कहावत गृहस्थीद के जंजाल में कुछ और नहीं सुध –बुध रहता है। भेड़ पै ऊन किसने छोड़ी, कहावत अच्छीप चीज़ को सब लेना चाहते हैं। भैंस के आगे बीन बजाए, भैंस खड़ी पगुराय, कहावत मूर्ख के आगे ज्ञान की बात करना बेकार है। भोंकते कुत्तेज को रोटी का टुकड़ा, कहावत जो तंग करे उसको कुछ दे –दिला के चुप करा दो। मछली के बच्चेक को तैरना कौन सिखाता है, कहावत कुछ गुण जन्म जात होते हैं। मजनू को लैला का कुत्ताे भी प्याारा, कहावत प्रेयसी की हर चीज प्रेमी को प्यारी लगती है। मतलबी यार किसके, दम लगाया खिसके, कहावत स्वातर्थी व्यमक्ति को अपना स्वागर्थ साधने से काम रहता है। मन के लड्ड़ओं से भूख नहीं मिटती , कहावत मन में सोचन मात्र से इच्छाम पूरी नहीं होती है। मन चंगा तो कठौती में गंगा, कहावत मन की शुद्धता ही वास्तंविक शुद्धता है। मन भावे मूँड़ हिलावे, कहावत मन से तो चाहना पर ऊपर से इन्कािर करना। मरज़ बढ़ता गया ज्यों - ज्योंह इलाज करता गया, कहावत सुधार के बजाय बिगाड़ होता गया। मरता क्याब न करता , कहावत मजबूरी में आदमी सब कुछ करता है। मरी बछिया बाभन के सिर, कहावत व्य र्थ दान मरे को मारे शाह मदार, कहावत दु:खी को दु:खी करना बहादुरी नहीं है। मलयगिरि की भीलनी चंदन देत जलाय, कहावत बहुत ज्याीदा मात्रा में चीज़ हो तो उसका कद्र नहीं होता है। मॉं का पेट कुम्हा र का आवां, कहावत संताने सभी एक – सी नहीं होती। मॉंगे हरड़, दे बेहड़ा, कहावत कुछ का कुछ और करना। मानो तो देव नहीं तो पत्थ र , कहावत माने तो आदर , नहीं तो उपेक्षा। माया से माया मिले कर-कर लंबे हाथ, कहावत जहॉं धन हो वहॉं धन आता रहता है। माया बादल की छाया, कहावत धन-दौलत का कोई भरोसा नहीं । मार के आगे भूत भागे, कहावत मार से सब डरते हैं। मियॉं की जूती मियॉं के सिर, कहावत अपने ही से हानि उठाना। मिस्सों से पेट भरता है किस्सोा से नहीं, कहावत पेट को खाना चाहिए, केवल बातों से पेट नहीं भरता। मीठा-मीठा गप, कड़वा-कड़वा थू , कहावत अच्छाो माल चुन लेना। मुँह में रात बगल में छुरी, कहावत ऊपर से मित्र , भीतर से शत्रु। मुँह चिकना, पेट खाली, कहावत केवल ऊपरी दिखाव। मुँह मॉंगी मौत नहीं मिलती, कहावत अपनी इच्छा से कुछ नहीं होता। मुए बैल की बड़ी-बड़ी ऑंखे, कहावत जो चीज़ नहीं रहा उसकी प्रशंसा। मुफ्त की शराब काज़ी को भी हलाल, कहावत मुफ्त का माल सभी ले लेते हैं। मुर्गी को तकवे का घाव भी बहुत है, कहावत कमज़ोर आदमी थोड़ा सा भी घाव नहीं सह सकता। मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक, कहावत धूम – फिरकर एकमात्र ठिकाना। मेरी तेरी आगे, तेरी मेरी आगे, कहावत चुगलखोरी। मेरी बिल्लीग मुझसे ही म्याऊँ , कहावत नौकर को मालिक के सामने अकड़ना नहीं चाहिए। मैं की गरदन पर छुरी, कहावत अहंकार का नाश। मोरी कीईंट चौबारे पर, कहावत छोटी चीज़का बड़े काम में लाना। म्या ऊँ के ठोर को कौन पकड़े, कहावत कठिन काम में कोई हाथ नहीं बँटाता। यह मुँह और मसूर की दाल, कहावत अपनी औकात से बढ़कर होना या करना। योगी था सो उठ गया आसन रही भभूत, कहावत पुराना गौरव समाप्तआ। रंग लाती है हिना पत्थ र पै घिस जाने के बाद, कहावत दु:ख झेलते –झेलते आदमी का अनुभव और सम्माान बढ़ता है। रघुकुल रीति सदा चली आई प्राण जायँ पर वचन न जाई, कहावत अपने वचन का पालन करना चाहिए। रविहू की एक दिवस में तीन अवस्थाय होय, कहावत समय एक जैसा नहीं रहता। रस्सीक का सॉंप बन गया, कहावत बात का बतंगड़ बन जाना। रस्सीा जल गई पर ऐंठन न गई, कहावत सर्वनाश हो गया पर घमंड नहीं गया। रहे अंत मोची के मोची, कहावत कोई परिवर्तन नहीं हुआ। राजहंस बिन को करे छीर नीर अलगाय, कहावत न्यातय करना बहुत कठिन काम है। राजा के घर मोतियों का काल , कहावत यहॉं किसी वस्तुय का अभाव नहीं है। रातों रोई एक ही मुआ, कहावत थोड़ी चीज़ के लिए कष्ट अधिक। राम की माया कहीं धूप कहीं छाया , कहावत भगवान कहीं खुख कहीं दु:ख , कहीं धन कहीं निर्धनता देता रहता है। राम नाम के आलसी भोजन को तैयार , कहावत केवल खाने-पीने का उत्सा ह है। राम मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी, कहावत बराबर का मेल हो जाना। राम राम जपना पराया माल अपना, कहावत ऊपर से भक्तन, उसल में ठग। रोज कुऑं खोदना, रोज पानी पीना, कहावत रोज़ कमाना और तब खाना। रोगी से वैद, कहावत भुक्तसभोगी अनुभवी होता है। लंका में सब बावन गज के , कहावत एक से एक बढ़कर । लड़े सिपाही नाम सरदार के, कहावत काम किसी का , नाम किसी और का । लड्डू कहे मुँह मीठा नहीं होता, कहावत केवल कहने से काम नहीं बन जाता। लहू लगाकर शहीदों में मिलने चले, कहावत झूठी प्रशंसा चाहना। लातों के भूत बातों से नहीं मानते, कहावत किन्हींे लोगों से कड़ाई से पेश आना चाहिए। लाल गुदड़ी में नहीं छिपते, कहावत उत्तगम प्रकृति के लोगों का पता चल ही जाता है। लिखे ईसा पढ़े मूसा, कहावत गंदी लिखावट ले दही, दे दही, कहावत गरज़ का सौदा। लेना एक न देना दो, कहावत कुछ मतलब न रखना। लोहा लोहे को काटता है, कहावत बराबर के लोग आपस में निपट सकते हैं। बहम की दवा लुकमान (हकीम) के पास भी नहीं है, कहावत बहम सबसे बुरा रोग है। वही मन वही चालीस सेर, कहावत बात एक ही है। बही मियॉं दरबार में वही चूल्हेी के पास , कहावत एक आदमी को कई काम करने पड़ते हैं। वा सोन को जरिए जिससे फाटे कान किमती चीज़ भी यदि दु:ख देती है तो त्या ज्यह है। पिष सोने के बरतन में रखने से अमृत नहीं हो जाता, कहावत किसी चीज़ का प्रभाव बदल नहीं जाता। शर्म की बहू नित भूखी मरे, कहावत शर्म करने से कष्टू उठाना पड़ता है। शेखी सेठ की धोती भाड़े की , कहावत कुछ न होने पर भी बड़प्पकन दिखाना। शेरों का मुँह किसने धयो, कहावत सामर्थ्य वान के लिए कोई उपाय नहीं। शैकीन बुढि़या मलमल का लहँगा, कहावत अजीब शौक (फैशन) करना। शक्ल चुड़ैल की , मिजाज परियों का , कहावत बेकार नखरा। शक्करर खेर को शक्कार मिल ही जाती है, कहावत कभी इष्ट वस्तुक मिल ही जाती है। सइयॉं भए कोतवाल अब डर काहे का , कहावत अपने अधिकारियों से अनुचितलाभ उठाना। सईयों का काल मुंशियों की बहुतायत , कहावत पढ़े –लिखों में बेकारी है। सकल तीर्थ कर आई तुमडि़या तौ भी न गयी तिताई, कहावत स्व भाव नहीं बदलता। सखी न सहेली, भली अकेली, कहावत अकेले रहना अच्छा, । सख़ी से सूम भला जो तुरन्ता देय जवाब, कहावत आशा में लटकाए रखनेवाले से तुरन्तत इंकार कर देने वाला अच्छाे। सच्चाे जायेगा रोता आये, झूठा जाय हँसता आये, कहावत सचा दुखी , झूठा सुखी। सबेरे का भूला सांझ को घर आ जाए तो भूला नहीं कहलाता , कहावत गलती करके सुधार लेनेवाला दोषी नहीं कहलाता। समय चुकि पुनि का पछताने, कहावत अवसर खोकर पछताने से कोई लाभ नहीं। समय पाइ तरूवर फले केतिक सीखे नीर, कहावत चाहे कोई उपाय कर लो , काम अपने समय पर ही होगा। समरथ को नहिं दोष गोसाई, कहावत बड़े आदमी पर कौन दोष लगाए। ससुराल सुख की सार जो रहे दिना दो चार, कहावत रिश्ते दारी में दो चार दिन ठहरना अच्छाप होता है। सहज पके सो मीठा होय, कहावत आराम से किया गया काम सुखकर होता है। सॉंच को ऑंच नहीं, कहावत सच्चेक आदमी को कोई खतरा नहीं। सॉंप का काटा पानी नहीं मॉंगता , कहावत कुटिल व्याक्ति की चाल मेंफँसा व्य क्ति बच नहीं पाता। सॉंप के मुँह में छछूँदर , निगले अंधा , उगले तो कोढ़ी, कहावत दुविधा में पड़ जाना। सॉंप निकल गया लकीर पीटो, कहावत अवसर बीत जाने पर प्रयास व्यलर्थ है। सॉंप मरे न लाठी टूटे, कहावत बिना बल प्रयोग के काम हो जाए। सारी उम्र भाड़़ ही झोका, कहावत कुछ सीखा पाया नहीं। सारी देग में एक ही चावल टटोला जाता है, कहावत जॉच के लिए थोड़ा सा नमूना ले लिया जाता है। सारी रात मितियानी और एक ही बच्चाा बियानी, कहावत शोर ज्या दा , प्राप्ति बहुत कम। सावन के अंधे को हरा ही हरा दिखाई देता है, कहावत पक्षपात में दूसरे पक्ष की नहीं सूझती। सावन हरे न भादों सूखे, कहावत सदा एक सी दशा। सिंह के वंश मेंउपजा स्या,र, कहावत बहादुरों की कायर संतान। सिर तो नहीं खुजला रहा, कहावत (तुम्हांरा) जी मार खाने को हो रहा है। सिर तो नहीं फिरा है, कहावत अलटी –सीधी बातें करते हो। सीधे का मुँह कुत्ताे चाटे, कहावत सीधेपन का लोग अनुचित लाभ उठाते हैं। सुनते –सुनते कान बहरे हो गए, कहावत बार-बार सुनते –सुनते तंग आ गए हैं। सूखे धान पड़ा क्यान पानी, कहावत समय पर सहायता न मिली तो बेकार । सूत न कपास, जुलाहे से लट्ठमलट्ठा, कहावत अकारण विवाद। सूरज धूल डालने से नहीं छिपता, कहावत गुणी व्य क्ति का गुण प्रकट हो ही जाएगा। सूरदास की काली कमरी चढ़े न दूजो रंग, कहावत आदते पक्कीक होती है, बदलती नहीं। सेर को सवा सेर, कहावत एक से बढ़कर दूसरा। सौ दिन चोर के, एक दिन साह का, कहावत सौ अपराध करे पर एक दिन फँस ही जाएगा। सौ सुनार की एक लोहार की, कहावत क्रिया को फैनाने की अपेक्षा एकदम कर डालना अच्छाह होता है। हँसता जायेगा रोता आये, रोता जायेगा हँसता आये , कहावत स्थिति बड़ी अनिश्चित है। हंसाथे से उड़ गए कागा भए दिवान, कहावत भले लोगों के स्थाकन पर बुरे लोगों के हाथ में अधिकार। हज़ारों टॉंकी सहकर महादेव होते हैं, कहावत कठिनाइयॉं झेलते5झेलते आदमी ऊँचा पद पाता है। हज्ज़ायम के आगे सबका सिर झुकता है, कहावत गरज़ पर सबको झुकना पड़ता है। हड्डी खाना आसान पर पखना मुश्किल , कहावत धूस पानेवाला कभी न कभी पकड़ा जाता है। हथेली पर सरसो नहीं जमती, कहावत काम इतनी जल्दीन नहीं होता। हम सॉंप नहीं हवा पीकर जियें, कहावत भर पेट भोजन चाहिए। हमारे घर आओगे तो क्या नाओगे, तुम्हाारे घर जायेंगे तो क्या् दोगे, कहावत हमें हर हालत में लाभ हो। हर मर्ज की दवा, कहावत हर बात का उपाय है। हराम की कमाई हराम में गँवाई, कहावत बेईमानी का पैसा बुरे कामों में लग जाता है। हर्र लगे न फिटकरी,रंग भी खेखा होय, कहावत बिना कुछ खर्च किए काम बन जाये। हाथ का दिया आड़े आए, कहावत अपना कर्म ही फल देता है । हाथ सुमरनी पेट कतरनी, कहावत ऊपर से अच्छाे , मन से बुरा, दिखावटी साधु। हाथी के दॉंत खाने के और दिखाने के और, कहावत किसी के भीतर और बाहर में अंतर होना। हाथी के पॉंव में सबका पॉंव, कहावत बड़ों के रहते छोटों को क्या पूछना। हाथ निकल गया दुम रह गई, कहावत थेड़ा सा काम अब शेष है। हिसाब जौ-जौ बखशीश सौ सौ , कहावत हिसाब करने में कड़ा, दान देने में उदार। हिजड़े के घर बेटा हुआ, कहावत असंभव बात। होठों किली कोठों चढ़ी, कहावत मुँह से निकली बात सब जगह फैल जाती है। होनहार फिरती नहीं होवे बिस्वेज बीस, कहावत भागय की रेखा नहीं मिटती। होनहार बिरवान के होत चीकने पात, कहावत होनहार बालक के गुण बचपन से दिखाई देने लगते हैं।
यह ब्लॉग समर्पित है उन लोगों को जिन्हें अपनी राजभाषा हिन्दी से प्रेम है तथा तमाम कठिनाइयों के बावजूद भी उसकी प्रगति के लिए प्रयासरत है। जय हिन्द , जय भारत।
सोमवार, 1 मार्च 2010
हिन्दी लोकोक्तियॉं (कहावतें) संगह ब से ह तक
हिन्दी लोकोक्तियॉं (कहावतें) संगह ब से ह तक
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