कंगाली में आटा गीला, कहावत एक मुसीबत पर दूसरी मुसीबत आ पड़ना। ककड़ी के चोर को फॉंसी नहीं दी जाती , कहावत छोटे अपराध के लिए इतना कड़ा दंड उचित नहीं। कचहरी का दरवाजा खुला है, कहावत न्याीय चाहते हो तो न्याउयालय में जाओ। कड़ाही सें गिरा चूल्हेह में पड़ा, कहावत छोटी विपत्ति से छूटकर बड़ी विपत्ति में पड़ जाना। कबीर दास की उलटी बानी, बरसे कंबल भीगे पानी, कहावत उलटी बात करना। कब्र में पॉंव लटकाए बैठा है , कहावत मरणासन्न । कभी के दिन बड़े कभी की रात , कहावत सब दिन एक समान नहीं होते। कभी नाव गाड़ी पर , कभी गाड़ी नाव पर , कहावत हालात बदलते रहते हैं। कमली ओढ़ने सेफकीर नहीं होता, कहावत ऊपरी वेशभूषा से किसी के अवगुण नहीं छिप जाते । कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात वापस नहीं आती, कहावत बात सोच- समझकर करनी चाहिए। करत-करत अभ्यामस के जड़मति होत सुजान, कहावत प्रयत्ना करते रहना चाहिए, सफलता मिलेगी। करम के बलिया, पकाई खीर हो गया दलिया, कहावत पकाई खीर हो गया दलिया करमहीन खेती करे,बैल मरे या सूखा पड़े, कहावत दुर्भाग्यत हो तो कोई न कोई काम खराब होता रहता है। कर ले सो काम ,भज ले सो राम, कहावत कर्म करने और पूजापाठ करने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए। कर सेवा तो खा मेवा , कहावत सेवा करने वाले को अच्छान मेवा मिलता है। करे कोई भरे कोई, कहावत किसकी करनी का फल कोई और भोगे। करे दाढ़ीवाला, पकड़ा जाए जाए मुँछोंवाला, कहावत बड़ों के अपराध के लिए छोटे को दोषी ठहराया जाता है। कल किसने देखा है, कहावत भविष्यन में क्याछ होगा , कौन जानता है। कलाल की दुकान पर पानी पियो तो भी शराब का शक होता है, कहावत बरी संगत में कलंक लगता है। कहने से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता, कहावत मनामनी करनेवाला दूसरों की बात नहीं मानता। कहाँ राम – राम, कहॉं टॉंय-टॉंय, कहावत उच्च कोटि की वस्तुा से किसी निम्न- कोटि की वस्तुव की तुलना नहीं हो सकती है। कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानमती ने कुनबा जोड़ा, कहावत बेमेल चीजें जोड़-जोड़कर कुछ बना लेना। कहीं गधा भी घोड़ा बनसकता है, कहावत बुरा या छोटा आदमी कभी भला/बड़ा नहीं बन सकता। सकता।कहें खेत की, सुने खलिहान की, कहावत कहा कुछ गया और समझा कुछ गया। कागज़ कीनाव नहीं चलती, कहावत बेईमानी या धोखेबाज़ी ज्यायदा दिन नहीं चल सकती। काजल की कौठरी में कैसो हू सयानो जाय एक लीक काजल की लगिहै सो लागिहै, कहावत बुरी संगत में कभी न कभी कलंक अवश्यय लगेगा। काज़ी जी दुबले क्यों शहर के अंदेशे से, कहावत अपनी चिन्ताब न करके दूसरों की चिन्तास में घुलना। काठ की हॉंडी एक बार ही चढ़ती है, कहावत धोखेबाजी हर बार नहीं चल सकती है। कान में तेल डाले बैठे हैं, कहावत कुछ सुनते ही नहीं , दुनिया की खबर ही नहीं। काबुल में क्याह गधे नहीं होते, कहावत कुछ न कुछ बुराई सब जगह होती है। काम का नकाज का , दुश्मोन अनाज का , कहावत निकम्मा आदमी, खाने के लिए होशियार। काम को काम सिखाता है , कहावत काम करते-करते आदमी होशियार हो जाता है। काल के हाथ कमान,बूढ़ा बचे न जवान: काल न छोड़े राजा, न छोड़े रंक, कहावत मृत्युछ सब को मस लेती है। काला अक्षर भैंस बराबर , कहावत न पढ़ा न लिखा। काली के ब्यााह को सौ जोखिम, कहावत एक दोष होने पर लोग अनेक दोष निकाल देते हैं। किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान, कहावत स्वातभिमान की रक्षा नौकरी में नहीं हो सकती। किस खेत का बथुआ है, किस खेत की मूली है, कहावत अरे ,वह तो नग्य्व है। किसी का घर जले कोई तापे, कहावत किसी के दु:ख पर खुश होना। कुंजड़ा अपने बेरों को खट्टा नहीं बताता, कहावत कोई अपने माल को खराब नहीं कहता। कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है, कहावत लाभ जहरॉं से होता है वहीं खर्च हो जाता है। दाल में कुछ काला होना, कहावत कुछ न कुछ गड़बड़ अवश्यह होना। कुतिया चोरों से मिल जाए तो पहरा कौन दे, कहावत तब रक्षक ही बेईमान हो जाए तो क्याौ चारा ? कुत्ताष भी दुम हिलाकर बैठता है, कहावत सफ़ाई सब को पसंद होनी चाहिए। कुत्तेस की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी, कहावत लाख प्रयत्न करो, कुटिल व्य क्ति अपनी कुटिलता नहीं छोड़ता। कुत्तेर को घी नहीं पचता, कहावत नीच आदमी उच्चे पद पाकर इतराने लगता है। कुत्तेम कमे चौकने से हाथी नहीं डरते , कहावत महापुरूष नीचों की निंदा से नहीं घबराते। कुम्हाूर अपना ही घड़ा सराहता है, कहावत हर कोई अपनी वस्तुप की प्रशंसा करता है। कै हंसा मोती चुगे कै भूखा मर जाय, कहावत प्रतिष्ठित व्युक्ति अपनी मर्यादा में रहता है। कोई मरे कोई जीवे सुथरा घोल बताशा गावे, कहावत सबको अपने सुख-दु:ख से मतलब होता है। कोई माल मस्तख, कोई हाल मस्तत, कहावत कोई अमीरी से संतुष्टत, कोई गरीबी में भी संतुष्टकहै। कोठी वाला रोवें, डप्प,र वाला सोवे, कहावत धनवान चिंतित रहता है, गरीब निश्चिंत है। कोयल होय न उजली सौमन साबुन लाइ, कहावत स्ववभाव नहीं बदलता। कोयलों की दालाली में मुँह काला, कहावत बुरों के संगत से कलंक लगता है। कौड़ी नहीं गॉंठ चले बाग की सैर, कहावत साधन नहीं तो काम क्योंग करने लगे। कौन कहे राजाजी नंगे हैं, कहावत बड़े लोगों की बुराईनहीं होती। कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल, कहावत दूसरों की नकल करने से अपनापन खो जाता है। क्याो पिद्दी और क्याख पिद्दी का शोरबा, कहावत तुच्छं वस्तुद या व्याक्ति से बड़ा काम नहीं हो सकता है।
यह ब्लॉग समर्पित है उन लोगों को जिन्हें अपनी राजभाषा हिन्दी से प्रेम है तथा तमाम कठिनाइयों के बावजूद भी उसकी प्रगति के लिए प्रयासरत है। जय हिन्द , जय भारत।
शनिवार, 27 फ़रवरी 2010
हिन्दी लोकोक्तियॉं ( कहावत) क तक
हिन्दी लोकोक्तियॉं ( कहावत) क तक
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें