शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

हिन्‍दी लोकोक्तियॉं ( कहावत) अ से ओ तक

हिन्‍दी लोकोक्तियॉं ( कहावत) अ से ओ तक

ऊँची दुकान फीका पकवान, कहावत बाहरी दिखावा अधिक ,गुणकर्म कम--बहुत सूना था की ताज पैलेस का खाना स्व दिष्टण है पर यहॉं भी ऊँची दुकान फीकी पकवान वाली बात ही सही निकली है।
अंधा बॉंटे रेवड़ी(शीरनी), फिर-फिर अपनों को दे, कहावत अपने अधिकार का लाभ अपनों को ही पहुँचाना--यह तो अंधा बॉंटे रेवड़ी, फिर-फिर अपनों को दे वाली बात हो गई । मुख्यट मंत्री बनते ही उसने अपने पूरे मंत्रीमंडल में सभी रिश्तेवदारों को को मंत्री बना दिया।
अधजल गगरी छलकत जाए, कहावत ओछा आदमी थोड़ा गुण या धन होने पर इतराने लगता है--चार अक्षर अंग्रेजी के क्याे पढ़ गया । सब पर अपनीटूटी-फॅटी अंग्रेजी का रोब झाड़ता रहता है । ठीक ही कहा गया है कि अधजल गगरी छलकत जाए।
अब पछताए होत क्याा जब चिडिया चुग गई खेत, कहावत नुकसान हो जाने के बाद पछताना बेकार है।--परीक्षा के दिनों में तुमने पढ़ाई नहीं की ,फ़ेल होना ही था। अब पछताए होत क्यां जब चिडिया चुग गई खेत।
ऑंख के अंधे नाम नैनसुख, कहावत नाम बड़ा और गुण उसके विपरीत--नाम है धनीराम औरखाने को दो वक्ता की रोटी नहीं।इसी को कहते है ऑख के अंधे, नाम नैनसुख।
आटे के साथ घुन भी पिसता है, कहावत  दोषी के साथ निदोर्ष भी मारा जाता है--उसके साथ नहीं रहना, वह अपराधी प्रवृत्ति का आदमी है अन्य,था तुम परेशानी में आ जाओगे। याद रखना आटे के साथ घुन भी पिसता है।
आदमी –आदमी अंतर कोई हीरा कोंई कंकर , कहावत हर आदमी का गुण स्वाभाव दूसरे से भिन्न  होता है--एक ही बाप के दो बंटेहैं- एक अमीर और दूसरा गरीब या एक योग्यै दूसरा अयोग्यब। आदमी –आदमी अंतर कोई हीरा कोंई कंकर 
आम के आम गुठलियों के दाम, कहावत दोहरा लाभ--तुम गनने का रस बेचते हो और छीलन गौशाला वाले खरीद ले तोते हैं। यही है आम के आम गुठलियों के दाम का उदाहरण।
उल्टाण चोर कोतवाल को डॉंटे, कहावत दोषी होन पर धौंस जमाना--मनोहर एक तो तुमने गलती की और गलती के लिए मुझे जिम्मेादार मान रहे हो । वाह। यह तो उल्टार चोर कोतवाल को डॉंटे वाली बात हुई।
का वर्षा  जब कृषी सुखाने, कहावत अवसर निकलने जाने पर सहायता व्युर्थ होती है--कहते रहे कि दवा लो, अपना इलाज करोओ। सख्त  बीमार पड़े तो कहीं डाक्टोर को बुलाया गया। पर अब मो दम तोड़ दिया था। का वर्षा जब कृषी सुखाने।
खिसियानी बिल्लीप खंभा नोचे , कहावत शर्म के मारे क्रोध करना--अपनी हार होते देख वह श्याडम से बेवजह ही लड़ने लगा। इसी को कहते हैं खिसियानी बिलली खंभा नोचे। 
तबेले की बला बंदर के सिर, कहावत अपराध कोई करे और पकड़ा कोई और जाए--उस बेचारे को इस मामले में क्योंर घसीटते हो ? इसने नहीं मारा। मारनेवाला तो भाग गया । अब तबेले की बला बंदर के सिर डाल रहे हो।
थेथ चना बाजे घना, कहावत कम ज्ञान या गुण रखने वाला बातें बढ़-बढ़कर करता है--वह केवल मिडिल तक पढ़ा है, परकुछ कहानियॉं याद रखी हैं। यहीं सुनाकर गॉंव वालों पर रोब जमाता है। थोथा चना बाजे घना।
दमड़ी की बुढिया टका सिर मुँड़ाई, कहावत मामूली चीज़ के रखरखाव या मरम्मईत पर ज्याादा खर्चा --दो सौ रूपये की साइकिल है, अब जीन ट्यूब, टायर और मरम्मवत के तीन सौ मॉंग रहे हो । कुछ तो सोचो , दमड़ी की बुढिया टका सिर मुँड़ाई।
नाचने निकली तो घूँघट क्यात कोई काम करने में शर्म कैसी
बिल्लीम के भागों छींका टूटा, कहावत जैसा चाहा, वैसा हो गया।--मैंने गृह कार्य नहीं किया था जिससे मास्टचरजी का डर लग था परन्तु  ज्ञात हुआ कि मास्टकरजी 03 दिनों की छुट्टी पर चले गए हैं। अच्छात हुआ, बिल्लीथ के भागों छींका टूटा। 
भागते भूत की लँगोटी ही सही, कहावत कुछ भी मिलने की आशा न हो और कुछ मिल ही जाए--मनोहर ने कभी 50 रूपया चंदा नहीं दिया पर इस बार उसने बहुत आग्रह करने पर उसने 5 रूपये चंदा दिया है । चलो ठीक ही है, भागते भूत की लंगोटी ही सही। 
मान न मान मैं तेरा मेहमान, कहावत ज़बरदस्ती  का मेहमान--हमने उसे न्योहता नहीं दिया पर वह भी प्रीतिभोज में आ गया। मान न मान मैं तेरा मेहमान।
रानी रूठेगी तो अपना सुहाग लेगी, कहावत रूठने से अपना ही नुकसान होता है।--शादी पर जाता तो कुछ पा लेता, पर नहीं आया तो उसी ने कुछ खोया । रानी रूठेगी तो अपना सुहाग लेगी।
सॉंझे की हॉंड़ी चौराहे फूटी, कहावत जिम्मेकदारी एक व्यटक्ति की होनी नहीं तो काम खराब हो जाता है--दुकान में दोनों साझीदार थे । एक समझता था मैं क्योंा ज्यातदा काम करूँ, दूसरा समझता था मैं क्यों  ? उसी में व्यायपार ठप हो गया और सॉंझे की हॉंड़ी चौराहे पर फूट गई। 
अंडा सिखावे बच्चेॉ को चीं-चीं मत कर , कहावत छोटा बड़े को उपदेश देता है
अंडे सेवे कोई, बच्चे  लेवे कोई, कहावत परिश्रम किसी का , लाभ किसी और को
अंडे होंगे तो बच्चेक बहुतेरे हो जाएंगे, कहावत मूल वस्तुे रहेगी तो उससे बनने वाली वस्तु,ऍं तो प्राप्त  होंगी ही
अंत भला सो सब भला, कहावत परिणाम अच्छाब हो जाए तो सब कुछ अच्छा् माना जाता है।
अंत भले का भला, कहावत करभला, तेरा भी होगा भला
अंधा क्याा चाहे, दो ऑंखें, कहावत आवश्यकक वस्तुा की चाह सब को होती है
अंधा क्याा जाने बसंत बहार, कहावत जिसने जो वस्तु  नहीं देखी , वह उसका आनंद क्याा जाने।
अंधा पीसे कुत्ता‍ खाए, कहावत एक की मजबूरी से देसरे को लाभ हो जाता है
अंधा बगुला कीचड़ खाए, कहावत अभागा सुख से वंचित रहा जाता है
अंधा राजा चौपट नगरी, कहावत मुखिया ही मूर्ख और लापरवाह हो तो घरउजड़ जाता है
अंधा सिपाही कानी घोड़ी,विधि ने खूब मिलाई जोड़ी, कहावत दोनों साथियों में एक से अवगुण हैं
अंधे अंधा ठेलिया दोनों कूप पडंत, कहावत दो मूर्ख परस्पयर  सहायता करें तो भी किसी को लाभ नहीं होता
अंधे की लकड़ी, कहावत बेसहारे का सहारा
अंधे के आगे रोना, अपना दीदाखोना, कहावत जिसको अपने से सहानुभूति नहीं उसके सामने अपना दुखड़ा रोना बेकार है।
अंधे के हाथ बटेर, कहावत अनायासही कोई वस्तुु मिल जाना
अंधे को अंधा कहने से बुरा लगता है, कहावत कटु वचन सत्य  होने पर भी बुरा लगता है
अंधे को अँधेर में बड़े दूर की सूझी , कहावत जब कोई मूर्ख दूरदर्शी बात कहे (व्यं ग्यब)
अंधेर नगरी चौपट राजा , टके सेर भाजी टके सेर खाजा, कहावत जहॉं मुखिया मूर्ख हो, वहॉं अन्याजय होता है
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता, कहावत अकेला व्याक्ति कोई बड़ा काम नहीं कर सकता
अकेला हँसता भला न रोता भला, कहावत सुख दु:ख में साथी होने चाहिए।
अक्लद बड़ी सा भैंस, कहावत शारीरिक शक्ति का महत्वभ कम है, बुद्धि का अधिक।
अच्छीि मति जो चाहों, बूढ़े पूछन जाओ, कहावत बड़े –बूढ़ों की सलाह से कार्य सित्र हो सकते हैं।
अब्काि बनिया देय उधार, कहावत गरज़ आ पड़े तो आदमी सब कुछ मान जाता है।
अटकेगा सो भटकेगा, कहावत दुविधा या सोच –विचार में पड़ोगे तो काम नहीं होगा।
अढ़ाई हाथ की ककड़ी, नौ हाथ का बीज, कहावत अनहोनी बात।
अनजान सुजान, सदा कल्याथण, कहावत मूर्ख और ज्ञानी सदा सुखी रहते हैं।
अनमॉंगे मोती मिलें, मॉंगे मिले न भीख, कहावत सौभाग्य  से कोई बढिया चीज़ अपने –आप मिल जाती है और दुर्भाग्यो से घटिया चीज़ प्रत्यनत्नआ करने पर भी नहीं मिलती।
अपना-अपना कमाना,अपना-अपना खाना, कहावत किसी का साझा अच्छाम नहीं।
अपना घर दूर से सूझता है, कहावत जो सुख चौबारे न बखल न बुखारे।
अपना ढेंढर देखे नहीं, दूसरे की फुल्लीा निहारे, कहावत अपने ढेर सो दुर्गण न देखना, दूसरे के थोड़े से अवगुण की चर्चा करना।
अपना मकान कोट समान, कहावत अपने घर में जो सुख होता है वह कहीं नहीं।
अपना रख पराया चख, कहावत अपनी नहीं,दूसरों की चीज़ का इस्तेकमाल करना।
अपना लाल गँवाय के दर-दर मॉंगे भीख, कहावत अपनी चीज़ बहुमूल्यद होती है, उसे खोकर आदमी दूसरों का माहताज हो जाता है।
अपना ही पैसा खोआ तो परखने वाले का क्या  दोष, कहावत अपनी ही चीज़ खराब हो तो दूसरों को दोष देना उचित नहीं है।
अपनी – अपनी खाल में सब मस्तष, कहावत अपनी परिस्थिति से सतुष्ट  रहना।
अपनी-अपनी तुनतुनी (ढफली), अपना -अपना राग, कहावत सब अलग-अलग मनामाना काम करते हैं।
अपनी करनी पार उतरनी, कहावत अपना किया काम ही फलदायक होता है।
अपनी गरज से लोग गधे को भी बाप बनाते हैं, कहावत स्वाेर्थ के लिए छोटे आदमी की खुशामद करनी पड़ती है।
अपनी गरज बावली, कहावत स्वा र्थी आदमी दूसरों की चिंता नहीं करता।
अपनी गली में कुत्ताी शेर, कहावत अपने घर में सबका ज़ोर होता है।
अपनी गॉंठ पैसा तो, पराया आसरा कैसा, कहावत आदमी स्व यं समर्थ हो तो दूसरे का भरोसा क्योंव करेगा।
अपनी चिलम भरने को मेरा झोपड़ा जलाते हो, कहावत अपने अल्प  लाभ के लिए दूसरे की भारी हानि करते हो।
अपनी छाछ को कोई खट्टा नहीं कहता, कहावत अपनी चीज़ को कोई बुरा नहीं बताता।
अपनी टॉंग उघारिए आपहि मरिए लाज, कहावत अपने घर की बात दूसरों से कहते पर बदनामी होती है।
अपनी नींद सोना, अपनी नींद जागना, कहावत पूर्ण स्व तंत्र होना।
अपनी नाक कटे तो कटे दूसरों का सगुन तो बिगड़े , कहावत दुष्टग लोग दूसरों का नुकसान करेंगे ही, भले ही अपना भी नुकसान हो जाए।
अपनी पगड़ी अपने हाथ, कहावत अपनी इज्जीत अपने हाथ।
अपने किए का क्याज इलाज, कहावत अपने कर्म का फल भोगना ही पड़ता है।
अपने झोपड़े की खैर मनाओ, कहावत अपनी कुशल देखो।
अपने पूत को कोई काना नहीं कहता, कहावत अपी खराब चीज़ को कोई खराब नहीं कहता।
अपने मुँह मिया मिट्ठू बनाना, कहावत अपनी बड़ाई आप करना।
अब की अब के साथ, जब की जब के साथ, कहावत सदा वर्तमान की ही चिंता करनी चाहिए।
अब सतवंती होकर बैठी लूट लिया सारा संसार, कहावत सो उम्र बुरे कर्म किए अब संत बन बैठे हैं।
अभी तो तुम्हाकरे दूध के दॉंत भी नहीं टूटे, कहावत अभी तुम बच्चेक हो, अनजान हो।
अभी दिल्ली् दूर है, कहावत अभी कसर बाकी है।
अमरी की जान प्यालरी, गरीब को दम भारी, कहावत गरीब को जान के लाले हैं।
अरहर की टट्टी गुजराती ताला, कहावत मामूली वस्तुी की रक्षा के लिए इतना खर्च ।
अलख पुरूष की माया, कहीं धूप कहीं छाया, कहावत ईश्वपर की लीला देखिए- कोठ्र सुखी है कोई दु:खी है।
अशर्फियॉं लुटें और कोयलों पर मोहर, कहावत मूल्यिवान वस्तुल भले ही दे दें, छोटी-छोटी चीज़ों को बचा-बचा कर रखना।
ऑंख एक नहीं कजरौटा दस-दस, कहावत व्य र्थ आडंबर।
ऑंख ओट पहाड़ ओट, कहावत ऑंख से ओझल हुए तो समझो कि बहुत दूर हो गए।
ऑंख ओर कान में चार अंगुल का फर्क, कहावत ऑंखों देखी बात का विश्वा स करना, कानों सुनी का नहीं।
ऑंख के आगे नाक, सूझे क्यार खाक, कहावत ऑंख के आगे परदा पड़ा है तो क्याे सूझे।
ऑंख बची माल दोस्तोंा का , कहावत पलक चूकने से माल गायब हो सकता है।
ऑंख सुख कलेजे ठंडक, कहावत परम शान्ति।
ऑंख एक नहीं केलजा टुक-टुक, कहावत बनावटी दु:ख प्रकट करना।
आई तो ईद, न आई तो जुम्मेारात, आई तो रोज़ी नहीं तो राज़ा, कहावत आमदनी हुई तो मौज, नहीं तो फॉंका ही सही।
आई मौज फकीर की, दिया झोपड़ा फूँक , कहावत मौजी और विरक्तौ आदमी किसी चीज़ की परवाह नहीं करता।
आई है जान के साथ, जाएगी जनाज़े के साथ, कहावत लाइलाज बीमारी।
आओ-जाओ घर तुम्हाीरा, खाना मॉंगे दुश्मजन हमारा, कहावत झूठ-मूठ का सत्का,र।
आग, कहते मुँह नहीं जलता, कहावत  केवल नाम लेने से कोई हानि-लाभ नहीं होता।
आग का जला आग ही से अच्छाह होता है, कहावत कष्टत देने वाली वस्तुि कष्ट  का निवारण भी कर देती है।
आग खाएगा तो अंगार उगलेगा, कहावत बुरे काम का बुरा फल।
आग बिना धुऑं नहीं , कहावत हर चीज़ का कारण अवश्ये होता है।
आग लेगने पर कुऑं खोदना, कहावत आवश्यगकता पड़ने से पहले कुछ न करना।
आगे जाए घुटने टूट, पीडे देखे ऑंख फूटे, कहावत जिधर जाऍं उधर ही मुसीबत।
आगे नाथ न पीछे पगहा, कहावत पूर्णत: बंधनरहित।
आज का बनिया कल का सेठ, कहावत काम करते रहने से आदमी बड़ा हो जात है।
आज मेंरी मँगनी, कल मेरा ब्या ह, टूट गई टंगड़ी, रह गया ब्यामह, कहावत आशाऍं कभी विफल हो जाती हैं।
आटे का चिराग, घर रखूँ तो चूहा खाए,बाहर रखूँ तो कोआ ले जाए, कहावत ऐसी वस्तुर जिसे बचाने में कठिनाई हो।
आठ कनौजिया नौ चूल्हेि, कहावत अलगाव की स्थिति।
आठ बार नौ त्यौिहार, कहावत मौज मस्ती  का जीवन।
आदमी का दवा आदमी है, कहावत मनुष्या ही मनुष्या की सहायता करते हैं।
आदमी को ढाई गज कफन काफी है, कहावत आदमी बेकार सुख-साधन जुटाने में लगा रहता है।
आदमी जाने बसे सोना जाने कसे, कहावत आदमी व्य वहार से और सोना कसौटी पर कसने से हानि होती है।
आदमी पानी का बुलबुला है, कहावत मनुष्या जीवन नाशवान है।
आधा तीतर आधा बटेर, कहावत बेमेल चीज़ों का सम्मिश्रण ।
आधी छोड़ सारी को धावे, आधी रह न सारी जावे, कहावत अधिक लालच करने से हानि होती है।
आप काज़ महा काज़, कहावत अपना काम स्वकयं करना अच्छाी होता है।
आप न जावे सासुरे औरों को सिख देय, कहावत आप तो ऐसा करते नहीं दूसरे को सीख देते हैं।
आप पड़ोसन लड़े, कहावत ख़ाहमख़ाह झगड़ा करना।
आप भला तो जग भला, कहावत भले आदमी को सब भले ही मिलते हैं।
आप मरे जग परलय, कहावत अपने मरने के बाददुनिया में कुछ भी हुआ करे।
आप मरे बिन स्वार्ग न जावे, कहावत बिना स्वियं किए काम ठीक नहीं होता।
आप मियॉं जी मँगते द्वार खड़े दरवेश, कहावत  अपने पास कुछ है नहीं दूसरों की सहायमता क्याह करेंगे।
आपा तेजे तो हरि को भजे, कहावत स्वातर्थ को छोड़ने से ही परमार्थ सिद्ध होता है।
आब –आब कर मर गया सिरहाने रखा पानी, कहावत वस्तुे के सुलभ होने पर भी भाषा आड़े आती है।
आ बला गले लग, आ बैल मुझे मार, कहावत ख़ाहमख़ाह मुसीबत मोल लेना।
आम खाने से काम, पेड गिनने से क्यात काम , कहावत अपने मतलब की बात करो।
आए की खुशी न गए का गम, कहावत हर हालात में एक जैसा विरक्तै।
आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास, कहावत उच्चत लक्ष्यो लेकर चलना पर कोई घटिया काम करने लगना।
आस-पास बरसे दिलली पड़ी तरसे, कहावत जिसकी आवश्यहकता है उसे न मिले।
आसमान का थूका मुँह पर आता है, कहावत बड़े लोगों की निंदा करने से अपनी ही बदनामी होती है।
आसमान से गिरा खजूर पर अटका, कहावत कोइ्र काम पूरा होते-होते रह गया। एक मुसीबत से निकले तो दूसरी आ पड़ी।
इक नागिन अरू पंख लगाई, कहावत
एक करेला/गिलोय, दूसरे नीम चढ़ा , कहावत एक के साथ दूसरा दोष।
इतना खाए जितना पवे, कहावत सीमा के अंदर कार्य करना चाहिए।
इतनी सी जान, गज भर की ज़बान, कहावत अपनी उम्र के हिसाब से बहुत बोलना।
इधर कुऑं उधर खाई, कहावत हर हालत में मुसीबत।
इध्‍ार न उधर, यह बला किधर, कहावत अचानक विपत्तीर आ पड़ना।
इन तिलों में तेल नहीं, कहावत यहॉं से कुछ भी मिलने को नहीं।
इसके पेट में दाढ़ी है, कहावत उम्र कम और बुद्धि अधिक।
इस धर का बाबा आदम ही निराला है, कहावत यहॉं सब कुछ विचित्र है।
इस हाथ ले उस हाथ दे, कहावत कर्मफल तुरंत मिलता है।
ईंट की देवी, मॉंगे प्रसाद, कहावत जैसा व्येक्ति वैसा आवभगत।
ईंट की लेनी, पत्थवर की देना, कहावत दुष्टीता के बदले अधिक दुष्टाता।
ईद का चॉद , कहावत बहुत दिनों बाद दिखाई देने वाला (व्य।क्ति)
ईट के पीछे टर्र , कहावत समय बीत जाने पर काम करना।
उँगली पकड़ते पहुँचा पकड़ना, कहावत थोड़ा आसरा पाकर पूर्ण अधिकार पाने की हिम्मात बढ़ना।
उगले तो अंधा, खए तो कोढ़ी, कहावत दुविधा में पड़ना।
उतर गई लोई तो क्या  करेगा कोई, कहावत इज्ज़ात न रहने पर आदमी निर्लज्ज़, हो जाता है।
उत्त़र जाए कि दक्खिन, वही करम के लक्ख़न, कहावत भागय दुर्भाग्य  हर जगह साथ देता है।
उपजतिं एक संग जल माहीं, जलज जोंक जिमि गुण विलगाहीं, कहावत एक पिता के बेटे भी एक जैसे नहीं होते।
उलटी गंगा पहाड़ चली, कहावत असंभव या विपरीत बात होना।
उलटे बॉंस बरेली को, कहावत विपरीत कार्य करना।
एसीकी जूती एसी का सिर, कहावत जिसकी करनी, उसी को फल मिलता है।
ऊँट किस करवट बैठता है, कहावत निर्णय किसके पक्ष में होता है।
ऊँट की चोरी झुके-झुके, कहावत कोई बड़ा काम चोरी- छिपे नहीं किया जा सकता।
ऊँट के गले में बिल्ली ‍, कहावत विपरीत वस्तुेओं का मेल।
ऊँट के मुँ‍ह में जीरा, कहावत खाने को बहुत कम प्राप्ते होना।
ऊधो का लेना न माधो का देना, कहावत निश्चिन्तन और बेलाग रहना।
एक अंडा वह भी गंदा, कहावत चीज़ भी थोड़ी है और जो है वह भी बेकार ।
एक ऑंख से रोवे, एक ऑंख से हँसे, कहावत दिखावटी रोना।
एक अनार सौ बीमार , कहावत चीज़ कम और चाहने वाले ज्या दा।
एक आवे के बर्तन , कहावत यब एक जैसे।
एक और एक ग्यातरह होते हैं, कहावत एकता में बल है। 
एक के दूने से सौ के सवये भले, कहावत
 अधिक लाभ पर कम माल बेचने के अपेक्षा कम लाभ पर अधिक माल बेचना अच्छाम होता है।
एक गंदी मछली सारे तलाब को गंदा कर देती है, कहावत एक बुरा आदमी सारी बिरादरी की बदनामी कराता है।
एक टकसाल के ढले , कहावत
  सब एक जैसे हैं।
एक तवे की रोटी, क्यात छोटी क्याक मोटी, कहावत कोई भेदभाव नहीं होना/ समानता होना।
एक तो चोरी दूसरे सीना-जोरी , कहावत अपराध करके उलटे रोब गॉंठना।
एक (ही) थैली के चट्टे-बट्टे , कहावत एक जैसे दुर्गुण वाले।
एक मुँह दो बात, कहावत अपनी बात से पलट जाना।
एम म्यातन में दो तलवारें नहीं समा सकती, कहावत समान अधिकार वाले दो च्यतक्ति ण्कन क्षेत्र में नहीं रह सकते हैं।
एक हाथ से ताली नहीं बजती, कहावत झगड़े के लिए दोनों पक्ष जिम्मे दार होते हैं।
एक ही लकड़ी से सबको हॉंकना, कहावत छोटे-बड़े का ध्यानन न रखकर सबके साथ एक जैसा व्यहवहार करना।
एकै साधे सब सधे, सब साधे सब जाय, कहावत यक समय में एक ही काम हाथ में लेना चाहिए।
ऐसे बूढ़े बैल को कोन बॉंध भुस देय, कहावत एक समय एक ही काम हाथ में लेना चाहिए।
ओखली में सिरा दिया तो मूसल का क्याए डर, कहावत कठिन कार्य हाथ में लेने पर कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए।
ओस चाटे प्याास नहीं बुझती, कहावत बहुत थोड़ी वस्तु‍ से आचवश्य कता की पूर्ति नहीं होती है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें