खग जाने खग ही की भाषा, कहावत अपने वर्ग के लोग ही एक दूसरे को समझ सकते हैं। ख्या ली पुलाव से पेट नहीं भरता, कहावत केवल सोचने से काम पूरा नहीं हो जाता। खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग पकड़ता है, कहावत देखादेखी काम करना। खई खोजे और को ताको खुब तैयार, कहावत जो दूसरों का बुरा चाहता है उसका अपना बूरा होता है। खाक डाले चॉंद नहीं छिपता, कहावत अच्छेा आदमी की निंदा करने से उसका कुछ नहीं बिगड़ता। खाल ओढ़ाए सिंह की, स्याेर सिंह नहीं होय, कहावत ऊपरी रूप बदलने से गुण अवगुण नहीं बदलता। खाली बनिया क्यास करे, इस कोठी का धान उस कोठी में धरे, कहावत बेकाम आदमी उल्टे –सीधे काम करता रहता है। खुदा की लाठी में आवाज़ नहीं , कहावत कोई नहीं जानता की भगवान कब , कैसे, क्यों दंड देता है। खुदा गंजें को नाखून न दे, कहावत औछा और बेसमझ आदमी अधिकार पाकर उपनी ही हानि कर बैठता है। खुदा देता है तो छप्पिर फाड़ कर देता है, कहावत ईश्वतर जिसको चाहे मालामाल कर दे। खुशामद से ही आमद है, कहावत खुशामद से ही धन आता है। खूंटें के बल बछड़ा कूदे, कहावत किसी की शह पाकर ही आदमी अकड़ दिखाता है। खेत खाए गदहा, मार खाए जुलहा, कहावत दोष किसी का दंड किसी को। खेती,खसम लेती , कहावत कोई काम अपने हाथ से करने पर ही ठीक होता है। खेल –खिलाड़ी का,पैसा मदारी का, कहावत मेहनत किसी की लाभ दूसरे का खोदा पहाड़ निकली ख्ुहिया, कहावत परिश्रम बहुत पर लाभ बहुत ही कम। गंगा गए तो गंगादास,यमुना गए तो यमुनादास, कहावत अपना सिद्धांत बदलनेवाला। गंजेडी यार किसके दम लगाया खिसके, कहावत स्वातर्थी आदमी स्वासर्थ सिद्ध होते ही मुँह फेर लेता है। गँवार गन्नाक न दे, भेली दे, कहावत मूर्ख सिधाई से मामूली चीज़ नहीं देता, धमकाने से अधिक मूल्यत की वस्तुध भी दे देता है। गधा धोने से बछड़ा नहीं हो जाता, कहावत किसी उपाय से भी स्वहभाव नहीं बदलता। गई मॉंगने पूत, खो आई भरतार, कहावत थोड़े लाभ के चक्क्र में भारी नुकसान हो जाना। गर्व का सिर नीचा, कहावत घमंडी आदमी का घमंड चूर इहो ही जाता है। गरीब की जोरू, सबकी भाभी, कहावत गरीब आदमी से सब लाभ उठाना चाहते हैं। गरीबी तेरे तीन नाम- झूठा, पाजी, बेईमान, कहावत गरीब का सवर्त्र अपमान होता रहता है। गरीबों ने रोज़े रखे तो दिन ही बड़े हो गए, कहावत गरीब की किस्म़त ही बुरी होती है। गवाह चुस्तस,मुद्दई सुस्तह, , कहावत जिसका काम है वह तो आलस से करे, दूसरे फुर्ती दिखाएं। गॉंठ का पूरा, ऑंख का अंधा, कहावत पैसे वाला तो है, पर है मूर्ख। गाडर पाली ऊन को लागी, चरन कपास, कहावत रखा गया काम आने को, पर करता है नुकसान। गिरहकट का भाई गठकट, कहावत सब बदमाश एक से होते हैं। गीदड़ की शामत आए तों गॉं0व की ओर भागे, कहावत विपत्ति में बुद्धि काम नहीं करती। गुड़ खाए, गुलगुलों से परहेज, कहावत झूठ और ढोंग रचना। गुड़ दिए मरे तो जहर क्योंल दें, कहावत काम प्रेम से निकल सके तो सख्तीे न करें। गुड़ न दें, पर गुड़ सी बात तो करें, कहावत कुछ न दें पर मीठा बोल तो बोलें। गुड़ –गुड़ ही रहे, चेले शक्कंर हो गए, कहावत छोटे – बड़ों से आगे बढ़ जाते हैं। गुरूजी, चेले बहुत हो गए। भूखों मरेंगे तो आप ही चले जाएंगे, कहावत लोग अधिक हो तो, उपेक्षा होती है। गूदड़ में लाल नहीं छिपता, कहावत बढिया चीज़ अपने आप पहचानी जाती है। गोद में बैठकर ऑंख में उँगली/ गोदी में बैठकर दाढ़ी नोचे, कहावत भला करने पर दुष्टोता। गोद में लड़का, शहर में ढिंढोरा, कहावत वस्तुे पास में और खोज दूर तक। घड़ी में घर जले, अढ़ाई घड़ी भद्रा, कहावत संकट को होशियारी से दूर करें। घड़ी में तोला, घड़ी में माशा, कहावत चंचल मन वाला। घर आए कुत्ते। को भी नहीं निकालते, कहावत घर में आने वाले का सत्काोर करना चाहिए। घर का जोगी जोगड़ा, आन गॉंव का सिद्ध, कहावत अपने लोगों में आदर नहीं होता। घर का भेदी लंका ढाए, कहावत घर की फूट का परिणाम बुरा होता है। घर की खांड़ किरकिरी, लगे पड़ोसी का गुड़ मीठा, कहावत अपनी वस्तु़ खराब लगती है, दूसरे की अच्छीा। घर की मुर्गी दाल बराबर, कहावत अपनी चीज़ या अपने आदमी की कदर नहीं। घर खीर तो, बाहर खीर, कहावत अपने पास कुछहो तो, बाहर आदर होता है। घर का घोड़ा, नखास मोल, कहावत चीज़ घर में पड़ी है और चले हैं मंडी में बेचने। घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने, कहावत न होने पर ढोंग करना। घायल की गति घायल जाने, कहावत जो कष्ट भोगता है वही दूसरों का कष्ट समझता है। घी कहॉं गया ? खिचड़ी में , कहावत वस्तुॉ का प्रयोग ठीक जगह हो गया। घी सँवारे काम बड़ी बहू का नाम , कहावत काम तो साधन से हुआ, यश करने वाले का हो गया। घोड़ा घास से यारी करे तो खाए क्याश, कहावत पेशेवर को किसी की रू- रियायत नहीं करनी चाहिए। घोड़े की दुम बढ़ेगी तो अपने ही मक्खियॉं उड़ाएगा कहावत उन्नएति करके आदमी अपना ही भला करता है। घोड़े को लात, आदमी को बात कहावत उत्तेम वस्तु थोड़ी भी हो तो अच्छा। है। चक्की में कौर डालोगे तो चून पाओगे कहावत कुछ करोगे तो फल मिलेगा। चट मँगनी पट ब्यामह कहावत तत्कागल कार्य होना। चढ़ जा बेटा सूली पर, भगवान भला करेंगे कहावत किसी के कहने पर विपत्तीो में पड़ना। चने के साथ कहीं घुन न पिस जाए कहावत दोषी के साथ कहीं निर्दोष न मारा जाए। चमगादड़ों के घर मेहमान आए, हम भी लटके तुम भी लटको कहावत गरीब आदमी क्याक आवभगत करेगा। चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए कहावत बहुत कंजूसी। चमार चमड़े का यार कहावत स्वा र्थी व्याक्ति। चरसी यार किसके दम लगाया खिसके, कहावत स्वातर्थी आदमी स्वा,र्थ सिद्ध होते ही मुँह फेर लेता है। चलती का नाम गाड़ी है, कहावत जिसका काम चल निकले, उसी का बोलबाला है। चॉंद को भी ग्रहण लगता है, कहावत कभी भले आदमी की भी बदनामी हो जाती है। चाकरी में न करी क्याद, कहावत नौकरी में स्वाीमी की आज्ञा माननी पड़ती है। चार दिन की चॉंदनी फिर अँधेरी रात, कहावत सुख थोड़े ही दिन का होता है। चिकना मुँह पेट खाली, कहावत देखने में अच्छाख –भला भीतर से दु:खी। चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता, कहावत लिर्लज्ज़ आदमी पर कोठ्र असर नहीं पड़ता है। चिकने मुँह को सब चूमते हैं, कहावत ऊँचे आदमी के सब यार हैं। चिडिया अपने जान से गई, खाने वाले को स्वायद न आया, कहावत इतना भारी काम किया फिर भी सराहना नहीं हुई। चित भी मेरी पट भी मेरी, कहावत हर हालत में मेरा ही लाभ। चिराग तले अँधेरा, कहावत पास की चीज़ दिखाई न पड़ना। चिराग में बत्तीा और ऑंख में पट्टी, कहावत शाम होते ही सोने लगना। चींटी की मौत आती है तो पर निकलते हैं, कहावत घमंड करने से नाश होता है। चील के घोसले में मांस कहॉं, कहावत यहॉं कुछ भी नहीं बचा रह सकता। चुड़ैल पर दिल आ जाए तो वह भी परी है, कहावत जो चीज़ पसंद हो वह सब से अच्छीर मान लेना। चुल्लू़ भर पानी में डूब मरना, कहावत शर्म आना। चुल्लून –चुल्लू साधेगा, दुआरे हाथी बॉंधेगा, कहावत थोड़ा-थोड़ा जमा करके अमीर हो जाओगे। चूल्हेन की न चक्कीे की, कहावत घर का कोई काम न करना। चूहे का बच्चा बिल ही खोदता है , कहावत जन्मतजात कार्य, स्वेभाव नहीं बदलता। चूहे के नाम से कहीं नगाड़े मढ़े जाते हैं, कहावत थोड़ी वस्तु से बड़ा काम नहीं हो सकता। चूहों की मौंत बिल्लीे का खेल, कहावत किसी को कष्टत देकर मौज करना। चोट्टी कुतिया जलेबियों की रखवाली, कहावत चोर को रक्षा करने के कार्य पर लगाना। चोर के पैर नहीं होते, कहावत दोषी व्य क्ति अपने आप फँसता है। चोर-चोर मौसेरे भाई, कहावत एक जैसे बदमाश का मेल हो जाता है। चोर –चोरी से गया तो क्या। हेरा-फेरी से भी गया/ चोर –चोरी से जाए, हेरा-फेरी न जाए , कहावत दुष्टा आदमी कोई न कोई न कोई खराबी करेगा ही। चो लाठी दो जने और हम बाप पूत अकेले , कहावत जबरदस्त आदमी से दो व्यअक्ति हार जाते हैं। चोर को कहे चारी कर और साह से कहे जागते रहो, कहावत दो पक्षों को लड़ाने वाला। चोरी और सीनाजोरी , कहावत एक तो अपराध उस पर अकड़ दिखाना। चारी का धन मोरी में, कहावत हराम की कमाई बेकार जाती है। चौबे गए छब्बेर बनने, दूबे ही रह गए, कहावत अधिक पाने के लालच में अपना सब कुछ गवा बैठे। छछूँदर के सिर में चमेली का तेल, कहावत अयोग्य व्य क्ति को अच्छीब चीज़ देना। छाज (सूप) बोले तो बोले, छलनी क्याी बोले जिसमें हजार छेद/ छलनी कहे सूई से तेरे पेट में छेद, कहावत अपने अवगुणों को न देखकर दूसरों की आलोचना करने वाला। छटांक चून चौबारे रसोई, कहावत मिथ्याच आडंबर। छीके कोई,नाक कटावे कोई, कहावत किसी के दोष का फल दूसरा भोगे। छुरी खरबूजे पर गिरे या खरबूजा छुरी पर एक ही बात है, कहावत दोनों तरु से हानि। छोटा मुँह बड़ी बात, कहावत अपनी योग्यबता से बढ़कर बात करना। छोटे मियॉं तो छोटे मियॉं,बड़े मियॉं सुभानअल्ला ह, कहावत छोटे से बड़ा अवगुणों में भारी। ज़गल में मोर नाचा किसने देखा, कहावत ऐसे स्था न पर गुण प्रदर्शन न करें जहॉं कद्र न हों। जड़ काटते जाएं, पानी देते जाएं, कहावत भीतर से शत्रु ऊपर से मित्र। जने –जने की लकड़ी, एक जने का बोझ, कहावत सबसे थोड़ा-थोड़ा मिले तो काम पूरा हो जाता है। जब चने थे दॉंत न थे, जब दॉंत भये तब चने नहीं , कहावत कभी वस्तु है तो उसका भोग करने वाला नहीं और कभी भोग करने वाला है तो वस्तु नहीं। जब तक जीना तब तक सीना, कहावत जीते-जी कोई न कोई काम करना पड़ता है। जब तक सॉंस तब तक आस, कहावत अंत समय तक आशा बनी रहती है। जबरदस्तीत का ठेंगा सिर पर, कहावत जबरदस्ती आदमी दबाव डाल कर काम लेता है । जबरा मारे रोने न दे, कहावत जवरदस्तर आदमी का अज्यामचार चुपचाप सहना पड़ता है। जबान को लगाम चाहिए, कहावत सोच-समझकर बोलना चाहिए। ज़बान ही हाथी चढ़ाए, ज़बान ही सिर कटाए, कहावत मीठी बोली से आदर और कड़वी बोली से निरादर होता है। ज़र का ज़ोर पूरा है, और सब अधूरा है, कहावत धन सबसे बलवान है। ज़र है तो नर नहीं तो खंडहर, कहावत पैसे से ही आदमी का सम्माखन है। जल में रहकर मगर से बैर, कहावत जहॉं रहना हो वहॉं के मुखिया से बैर ठीक नहीं होता । जस दूल्हा तस बनी बराता, कहावत जैसे आप वैसे साथी। जहं जहं चरण पड़े संतन के, तहं तहं बंटाधार करे, कहावत अभागा व्यरक्ति जहॉं जाता है बुरा होता है। जहॉं गुण होगा, वहीं मक्खियॉं होंगी, कहावत आकर्षक जगह पर लोग जमा होते हैं। जहॉं चार बासन होंगे, वहॉं खटकेंगे भी, कहावत जहाँ कुछ व्यनक्ति होते है वहॉं कभी-कभी झगड़ा हो ही जाता है। जहॉं चाह वहॉं राह, कहावत इच्छाच हो तो काम करने का रास्ताग निकल ही आता है। जहॉं देखे तवा परात, वहॉं गुजारे सारी रात, कहावत जहॉं कुछ प्राप्ति होती हो, वहॉं लालची आदमी जम जाता है। जहॉं न पहुँचे रवि वहॉं पहुँचे कवि, कहावत कवि की कल्पचना सब जगह पहुँचती है। जहॉं फूल वहॉं कॉंटा, कहावत अच्छाफई के साथ बुराई लगी होती है। जहॉं मुर्गा नहीं होता क्याा वहॉं सवेरा नहीं होता , कहावत किसी के बिना काम रूकतानहीं है। जाके पैर न फटी बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई, कहावत दु:ख को भुक्ता भोगी ही जानता है उसे अन्य कोई नहीं जान सकता है। जागेगा सो पावेगा,सोवेगा सो खोएगा, कहावत लाभ इसमें है कि आदमी सतर्क रहे। जादू वह जो सिर पर चढ़कर बोले, कहावत जोरदार आदमी की बात माननी ही पड़ती है। जान मारे बनिया पहचान मारे चोर, कहावत बनियाऔर चोर जान पहचान वालों को ठगते हैं। जाएं लाख, रहे साख, कहावत धन भले ही चला जाए, इज्ज,त बचनी चाहिए। जितना गुड़ डालों, उतनाही मीठा, कहावत जितना खर्चा करोगे चीज़ उतनी ही अच्छीह मिलेगी। जितनी चादर देखो, उतने ही पैर पसारो, कहावत आमदनी के हिसाब से खर्च करो। जितने मुँह उतनी बातें, कहावत अनेक प्रकार की आफवाहें जिन खोजा तिन पाइयॉं, गहरे पानी पैंठ, कहावत जितना कठिन परिश्रम उतना लाभ जिस तन लगे वहीं तन जाने, कहावत जिसको कष्ट होता है वहीं उसका अनुभव कर सकता है। जिस थाली में खाना, उसी में छेद करना, कहावत जो उपकार करे, उसका ही अहित करना। जिसका काम उसी को साजै, कहावत जो काम जिसका है वहीं उसे ठीक तरह से कर सकता है। जिसका खाइए उसका गाइए, कहावत जिससे लाभ हो उसी का पक्ष लो। जिसकी जूती उसी के सिर , कहावत जिसकी करनी उसी को फल। जिसकी लाठी उसी की भैंस, कहावत शक्ति संपन्नस आदमी अपना काम बना लेता है। जिसके हाथ डोई,उसका सब कोई, कहावत धनी आदमी के सब मित्र हैं। जिसको पिया चाहे, वहीं सुहागिन, कहावत जिसको अफ़सर माने,वहीं योग्यी है। जी का बैरी जी , कहावत मनुष्यब ही मनुष्यं का शत्रु है। जर जाए, घी न जाए, कहावत महाकृपण। जरती मक्खी नहीं निगली जाती, कहावत जो गलत है उसे जानते हुए स्वीीकार नहीं किया जा सकता। जीभ भी जली और स्वाेद भी न आया, कहावत कष्टत सहकर भी सुख न मिला। जूँ के डर से गुदड़ी नहीं फंकी जाती, कहावत थोड़ी सी कठिनाई के कारण कोई काम छोड़ा नहीं जाता। जुठा खाए, मीठे के लालच, कहावत लाभ के लालच में नीच काम करना। तैसा करोगे वैसा भरोगे,जैसा बोवोगे वैसा काटोगे , कहावत अपनी करनी का फल मिलता है। जैसा मुँह वैसा थप्प ड़, कहावत जो जिसके योग्य हो उसको वही मिलता है। जैसा रजा वैसी प्रजा, कहावत जैसा मालिक वैसे ही कर्मचारी। जैसे तेरी कामरी, वैसे मेरे गीत, कहावत जैसा दोगे वैसा पाओगे। जैसे कंता घीर रहे वैसे रहे परदेश, कहावत निकम्मा आदमी घर में रहे या बाहर कोई अंतर नहीं। जैसे नागनाथ वैसे सॉंपनाथ, कहावत दोनों एक से। जैसे मियॉं काइ का वैसे सन की दाढ़ी, कहावत ठीक मेल है। जो गरजते हैं सो बरसते नहीं, कहावत बहुत डींग हॉंकनेवाले काम के नहीं होते हैं। जोगी का बेटा खेलेगा तो सॉंप से , कहावत बाप का प्रभाव बेटे पर पड़ता है। जो गुड़ खाए सो कान छिदाए, कहावत लाभ पाने वाले को कष्टद सहना ही पड़ता है। जो तोको कॉंटा बुवे ताहि बोइ तू फूल, कहावत बुराई का बदला भी भलाई से दो। जो बोले सों घी को जाए , कहावत ज्याोदा बोलना अच्छा, नहीं होता। जो हॉंडी में होगा वह थाली में आएगा, कहावत जो मन है वह प्रकट होगा ही। ज्यों -ज्योंम भीजे कामरी त्यों -त्योंन भारी होय, कहावत जैसे-जैसे समय बीतता है जिम्मेयदारियॉं बढ़ती जाती हैं। ज्यों नकटे को आरसी होत दिखाई क्रोध, कहावत दोषी को अपना दोष बताया जाए तो क्रुद्ध होता है। झूठ के पॉंव नहीं होते, कहावत झूठा आदमी एक बात पर पक्काए नहीं रह पाता। झोपड़ी में रहें, महलों के ख्वाहब देखें, कहावत अपनी सामर्थ्ये से बढ़कर चाहना। टके का सब खेल है, कहावत पैसा सब कुछ करता है। ठंडा करके खाओ, कहावत धीरज से काम करो। ठंडा लोहागरम लोहे को काट देता है, कहावत शांत व्य क्ति क्रोधी को झुका देता है। ठोक बजा ले चीज़, ठोक बजा दे दाम, कहावत अच्छीज चीज़ का दाम। ठोकर लगे तब ऑंख खुले, कहावत कुछ खोकर ही अक्लख आती है। डंडा सब का पीर, कहावत सख्तीस करने से लोग काबू में आते हैं। डायन को दामाद प्यारा, कहावत अपना सब को प्या्रा। डूबते को तिनके का सहारा, कहावत विपत्तिमें थेड़ी सी सहायता भी उबार देती है। ढाक के तीन पात, कहावत फिर-फिर वही बात या दशा। ढोल के भीतर पोल, कहावत केवल दिखावटी शान। तख्त या तख्तात, कहावत शान से रहना/या भूखों मरना। तन को कपड़ा न पेट को रोटी, कहावत अत्योधिक दरिद्र। तलवार का खेत हरा नहीं होता, कहावत अत्या चार का फल अच्छाी नहीं होता। तिरिया बिन तो नर है ऐसा, राह बटाऊ होवे जैसा, कहावत बिना स्त्री के पुरूष का कोई ठिकाना नहीं। तीन कनौजिया तेरह चूल्हे , कहावत छुआछुत और अलगाव की दशा। तीन बुलाए तेरह आए, दे दाल में पानी, कहावत समय आ पड़े तो साधन निकाल लेना पड़ता है। तीन में न तेरह में , कहावत कुछ भी महत्वर नहीं है। तेरी करनी तेरे आगे, मेरी करनी मेरे आगे, कहावत सबको अपने – अपने कर्म का फल भोगना पड़ता है। तुम्हापरे मुँह में घी शक्क र , कहावत तुम्हापरी बात सच हो। तुरन्तप दान महाकल्या।न, कहावत जो करना हो चटपट करें, शुभ कार्य में देर कैसी ? तू डाल-डाल मैं पात -पात, कहावत एक से बढ़कर दूसरा चालाक। तेल तिलों से ही निकलता है, कहावत जो व्यलक्ति कुछ देने लायक हो उसी से प्राप्ति होती है। तेल देखो तेल की धार देखो, कहावत सावधानी और धैर्य से काम लो। तेल न मिठाई, चूल्हेक धरी कड़ाही, कहावत बिना सामान के काम नहीं होता। तेली का तेल जले, मशालची का दिल जले, कहावत दान कोई करे कुढ़न दूसरे को हो। तेली के बैल को घर ही पचास कोस, कहावत घर में ही बहुत अधिक काम हो जाता है। तेली खसम किया, हिफर भी रूखा खाया, कहावत किसी सामर्थ्योवान की शरण में रहकर भी दु:ख उठाना। थका ऊँट सराय ताकता , कहावत थकने पर विश्राम चाहिए। थूक से सत्तूर नहीं सनते, कहावत कम सामग्री से काम पूरा नहीं हो पाता। दबी बिल्ली चूहोंसे कान कतराती है, कहावत दोषी व्य क्ति छोटों के सामने भी सिर नहीं उठा सकता। दबाने पर चींटी भी चोट करती है, कहावत जिस किसी को दु:ख दिया जाए वह बदला लेता है। दमड़ी की हॉंड़ी गई, कुत्तेब की जात पहचानी गई, कहावत थोड़ी सी हानी उठाई पर किसी की असलियत तो जान ली गई। दर्जी की सुई, कभी तागे में कभी टाट में, कहावत हर परिस्थिति में सहनशीलता बनाये रखना। दलाल का दिवाला क्यान , मस्जिद में ताला क्या , कहावत जिसके पास कुछ है ही नहीं ,उसे हानि का क्याे डर। दाग लगाए लँगोटिया यार, कहावत आदमी अपनों से ही धोखा खाता है। दाता दे भंडारी पेट फटे, कहावत दान कोई करे कुढ़न दूसरे को हो। दादा कहने से बनिया गुड़ देता है, कहावत मधुर वाणी से काम बन जाता है। दान के बछिया के दॉंत नहीं देखे जाते, कहावत मुफ्त में मिली वस्तु के गुण-अवगुण नहीं परखे जाते। दाने-दाने पर मुहर, कहावत हर व्यमक्ति का अपना भाग्या। दाम सँवारे सबर्ठ काम, कहावत पैसा सब काम करता है। दाल-भात में मसूरचंद, कहावत बीच में दखल देनेवाला। दाल में नमक,सच में झूठ, कहावत थोड़ा झूठ तो चल सकता है। दिनन के फेर से सुमेरू होत माटी को, कहावत जब बुरे दिन आते हैं तो सोना भी मिट्टी हो जाता है। दिन भर चले अढ़ाई कोस, कहावत समय बहुत लगा और काम बहुत थोड़ा हुआ। दिल्लीु अभी दूर है, कहावत अभी सफलता में देरी है। दीपक की रवि के उदय बात न पूछे कोय, कहावत बड़ों की उपस्थिति में छोटे की उपेक्षा होती है। दीवार के भी कान होते हैं, कहावत रहस्य की बात गुप-चुप करनी चाहिए। दुधारू गाय की लात सहनी पड़ती है, कहावत जिससे कुछ पाना हांेता है , उसकी धौंस डपट सहनी पड़ती है। दुनिया का मुँह किसने रोका है, कहावत लोग निंदा – स्तु,ति करते रहते हैं कोई रोक - टोक नहीं। दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम, कहावत दुविधा में पड़ने से कुछ नहीं मिलता। दूलहा को पत्तमल नहीं,बजनिये को थाल, कहावत जिसका जो हक है वह उसे नहीं मिलता। दूध का दूध पानी का पानी, कहावत ठीक-ठीक न्यााय हो जाना। दूध पिलाकर सॉंप पोसना, कहावत शत्रु का उपकार करना। दूर के ढोल सुहावने, कहावत दूर से चीज़ अच्छीं लगती है। दूसरे की पत्तहल लंबा-लंबा भात , कहावत दूसरे की वस्तुा अच्छी लगती है। देसी कुतिया विलायती बोली, कहावत किसी की नकल में अपनापन छोड़ना। देह धरे के दंड हैं, कहावत शरीर है तो कष्टह भी रहेगा। दोनों हाथों से ताली बजती है, कहावत लड़ाई झगड़े के जिम्मेहदार दोनों पक्ष हैं। दोनों हाथों में लड्डू , कहावत हर तरु लाभ ही लाभ। दो मुल्लों में मुर्गी हलाल, कहावत दो को दिया गया काम बिगड़ जाता है। दो लड़े तीसरा ले उड़े, कहावत दो की लड़ाई में तीसरे की बन आती है। धन का धन गया, मीत की मीत गई, कहावत अधार में पैसा तो जाता ही है, मित्रता भी नहीं रहती। धनवंती को कांटा लगा दौड़े लोग हजार, कहावत धनी आदमी को थोड़ा सा कष्ट हो तो भी बहुत लोग उनकी सहायता को आ जाते हैं। धन्नाा सेठ के नाती बने हैं, कहावत अपने को अमीर समझते हैं। धर्म छोड़ धन कोर्ठ खाए, कहावत धर्मविरूद्ध कमाई सुख नहीं देती। धूप में बाल सफ़ेद नहीं किए हैं, कहावत सांसारिक अनुभव बहुत है। धोबी पर बस न चला तो गधे के कान उमेठे, कहावत बलवान हार खाकर निर्बल पर गुस्साउ निकालें। धोबी के घर पड़े चोर , वह न लुटे और, कहावत नुकसान दूसरे का हो गया। धोबी रोवे धुलाई को,मियॉं रोवे कपड़े को, कहावत सब अपने-अपने नुकसान की बात करते हैं। नंगा बड़ा परमेश्वपर से , कहावत निर्लज्जा से सब डरते हैं। नंगा क्या नहाएगा क्याै निचोड़ेगा, कहावत निर्धन के पास है ही क्याा । न अंधे को न्योहता देते न दो जने आते, कहावत गलत आदमी को बुलावा देना। न इधर के रहे, न उधर के रहे, कहावत दुविधा में हानि हो जाती है। नकटा बूचा सबसे ऊँचा, कहावत निर्लज्जा आदमी सब से बड़ा है (व्यंकग्यह)। नक्काजरखाने में तूती की आवाज़ कौन सुने, कहावत बड़ों के रहते छोटों की बात नहीं मानी जाती। नटनी जब बॉंस पर चढ़ी तो घूँघट क्या।, कहावत नीच कम्र करने वाले को शर्म नहीं होती। नदी किनारे रूखड़ा जब –तब होय विनाश, कहावत बूढ़ा आदमी बहुत दिन नहीं जियेगा। नदी नाव संयोग, कहावत संयोग से मिलाप हो जाना। नदी में रहना,मगर से बैर, कहावत जहॉं रहना हो वहॉं के मुखिया से बैर ठीक नहीं होता । न नौमन तेल होगा न राधा नाचेगी, कहावत न पूरी होनेवाली शर्त। नमाज़ छुड़ाने गए थे, रोज़े गले पड़े, कहावत एक मुसीबत से छुटकारा पाना चाहा था, एसे भारी मुसीबत आ पड़ी। नया नौदिन पुराना सौ दिन, कहावत पुरानी चीज़े ज्यासदा दिन चलती हैं। न रहेगा बॉंस,न बजेगा बॉंसुरी, कहावत मूल कारण को रफ़ा-दफ़ा करें तो झगड़ा –फसाद ही न हो। न सॉंप मरे न लाठी टूटे, कहावत बिना किसी हानि के काम पूरा हो जाए। नाई की बरात में सब ही ठाकुर, कहावत सभी बड़े बन बैठें तो काम कैसे हो, एक अगुआ नहीं है। नाई नाई, बाल कितने ? जिजमान, अभी सामने आ जाऍंगे, कहावत प्रश्नआ का उत्तार अपने –आप मिल जाएगा। नाक कटी पर घी तो चाटा, कहावत निर्लज्जप होकर कुछ पाना। नाक दबाने से मुँह खुलता है, कहावत कठोरता से कार्य सिद्ध होता है। नाच न जाने ऑंगन टेढ़ा, कहावत अपना दोष बहाना करके टालना। नानी के आगे ननिहाल की बातें, कहावत जिसको सब कुछ मालूम है, एसको जानकारी देना। नानी के टुकड़े खावे, दादी का पोता कहावे, कहावत खाना किसी का, एहसान किसी का। नानी क्वॉंकरी मर गई , नाती के नौ-नौ ब्या ह, कहावत झूठी बड़ाई। नाम बड़े दर्शन खोटे/छोटे, कहावत प्रसि8 बहुत होना पर वास्त व में गुण न होना। नाम बढ़ावे दाम, कहावत किसी चीज़ का नाम हो जाने से उसकी कीमत बढ़ जाती है। नामी चोर मारा जाए, नामी शाह कमा खाए, कहावत बदनामी से बुरा,नेकनामी से भला होता है। नारियल में पानी,क्याा पता खट्टा कि मीठा, कहावत इस बात में संशय है। नीचे की सॉंस नीचे, ऊपर की सॉंस ऊपर, कहावत डर या दु:ख से घबरा जाना। नीचे से जड़ काटना,ऊपर से पानी देना, कहावत ऊपर से मित्र, भीतर से शत्रु। नीम हकीम खतरा-ए-जान, कहावत अनुभवहीन व्याक्ति के हाथों काम बिगड़ सकता है। नेकी और पूछ-पूछ , कहावत भलाई का काम करके फल की आशा मत करो। नौ दिन चले अढ़ाई कोस, कहावत बहुत ही मंद गति से कार्य होना। नौ नकद , न तेरह उधार, कहावत नकद का काम उधार के काम से अच्छाथ। नौ सो चूहे खा के बिल्लीस हज को चली, कहावत जीवन भर कुकर्म करते रहे अन्तल में भले बन बैठे। पंच कहे बिल्ली तो बिल्ली ही सही, कहावत सर्वसम्म ति से जो काम हो जाए, वही ठीक। पंचों का कहना सिर माथे, पर परनाला वहीं रहेगा, कहावत दूसरों की सुनकर भी अपने मन की करना। पकाई खीर पर हो गया दलिया, कहावत दुर्भाग्यप। पगड़ी रख,घी चख, कहावत मान–सम्माीन से ही जीवन का आनंद है। पढ़े तो हैं गुने नहीं, कहावत पढ़- लिखकर भी अनुभवहीन। पढ़े फारसी बेचे तेल,यह देखो करमों का खेल, कहावत गुणवान होने पर भी दुर्भाग्यु से छोटा काम मिला है। पत्थार को जोंक नहीं लगती,पत्थार मोम नहीं होता, कहावत निर्मम आदमी पर कोई असर नहीं पड़ता, उसमें दया नहीं होती। पराया धर थूकने का भी डर, कहावत दूसरे के घर में संकोच रहता है। पराये धन पर लक्ष्मीो नारायण, कहावत दूसरे के धन पर गुलछर्रें उड़ाना। पहले तोलो, पीछे बोलो, कहावत बात समझ-सोचकर करनी चाहिए। पॉंच पंच मिल कीजे काजा, हार-जीते कुछ नहीं लाजा, कहावत मिलकर काम करने पर हार-जीत की जिम्मेीदारी एक पर नहीं आती। पॉंचों पंच मिल कीजे काजा, हारे –जीते कुछ नहीं लाजा, कहावत मिलकर काम करने पर हार-जीत की जिम्मेीदारी एक पर नहीं आती। पॉंचों उँगलियॉं घी में, कहावत सब लाभ ही लाभ। पॉंचों उँगलियॉं बराबर नहीं होतीं, कहावत सब आदमी एक जैसे नहीं होते। पॉंचों उँगलियॉं बराबर नहीं होती, कहावत सब आदमी एक जैसे नहीं होते। पॉंचों सवारों में मिलना, कहावत अपने को बड़े व्यंक्तियों में गिनना। पागलों के क्या् सींग होते हैं, कहावत पागल भी साधारण लोगों में होते हैं। पानी पीकर जात पूछते हो, कहावत काम करने के बाद उसके अच्छेो-बुरे पहलुओं पर विचार क्योंन। पाप का घड़ा भरकर डूबता है, कहावत पाप जब बढ़ जाता है तब विनाश होता है। पिया गए परदेश, अब डर काहे का, कहावत जब कोई निगरानी करने वाला न हो , तो मौज उड़ाना। पीर बावर्ची भिस्तीे खर, कहावत सब तरह का काम एक को करना पड़ता है। पूत के पॉंव पालने में पहचाने जाते हैं, कहावत भविष्य क्याम होगा, उसे वर्तमान के लक्षणों से जाना जा सकता है। त सपूत तो काहे धन संचै,पूत कपूत तो काहेधन संचै, कहावत धन का संचय अच्छा, नहीं। पूरब जाओ या पच्छिम,वही करम के लच्छ न , कहावत भाग्यज और स्व,भाव सब स्थाचन साथ्ळा रहता है। पेड़ फल से जाना जाता है, कहावत कर्म का महत्वन उसके परिणाम से होता है। पैसा गॉंठ का, जोरू साथ की, कहावत अपने पास पैसा और पत्नीउ हो तो जीवन सुखी रहता है। प्या सा कुऍं के पास जाता है , कहावत जिसे गरज़ होती है वही दूसरों के पास जाता है। फलूदा खाते दॉंत टूट तो टूटें, कहावत स्वााद के लिए नुकसान भी मंजूर है। फिसल पड़े तो हर गंगा, कहावत काम बिगड़ जाने पर कहना कि मैंने स्ववयं चाहा था1 फुई-फुई करके तालाब भरता है, कहावत थेड़ा-थोड़ा जमा करते –करते ढेर हो जाता है। बंदर क्याा जोन अदरक का स्वारद, कहावत वस्तुि का महत्वर नहीं समझना। बकरी की जान गई खाने वाले को मज़ा नह आया, कहावत इतना भारी काम किया फिर भी सराहना नहीं हुई। बकरी ने दूध दिया पर मेंगनी भरकर, कहावत काम किया तो अवश्यप पर सद्भाव से नहीं। बड़ी मछली छोटी मछली को खती है, कहावत निर्बल सबल द्वारा सताया जाता है। बड़े बरतन का खुरचन भी बहुत है, कहावत जहॉं बहुत होता है वहॉं घपब्तेह-घटते भी काफी रह जाता है। बड़े बोल का सिर नीचा, कहावत जो घ्मंलड करता है उसको नीचा देख्ाना पड़ता है। बड़ो के कान होतजे हैं,ख् ऑंखे नहीं , कहावत बड़े लोग सुनी-सुनाई बातों पर विश्वाहस कर लेते हैं। बकनक पुत्र जाने कहा गढ़ लेवे की बात, कहावत छोटा आदमी बड़ा काम नहीं कर सकता। बनी के सब यार हैं, कहावत अच्छेे दिनों में सब दोस्ता बनते हैं। बरतन से बरतन खटकता ही है, कहावत जहॉं चार लोग होते हैं वहॉं कभी अनबन हो सकती है। बहती गंगा में हाथ धो लो, कहावत मौका मिले तोतुरन्तध लाभ उठाओ। बहरा सो गहरा, कहावत चुप्पाो बहुत चालाक होता है। बहुत जोगी मठ उजाड़, कहावत बहुत लोग हो जाएं तो काम खराब हो जाता है। बॉंझ का जाने प्रसव की पीड़ा, कहावत दु:ख को दु:खी ही समझता है। बॉंह गहे की लाज, कहावत शरण में आए की रक्षा करनी चाहिए। बाड़ ही जब खेत को खए तो रखवाली कौन करे, कहावत रक्षक ही भद्वक्षक हो जाए तो कोई चारा नहीं। बाप भला न भइया, सब से भला रूपइया, कहावत नाते रिश्ते बेकार, पैसा सब कुछ है। बाप न मारे मेढ़की, बेटा तीरंदाज़, कहावत बड़े से छोटा बढ़ गया। बाप से बैर, पूत से सगाई, कहावत बड़ों की परस्पढर शत्रुता, छोटों की आपस में मित्रता। बापै पूत पिता पर थोड़ा, बहुत नहीं तो थोड़ा -थोड़ा, कहावत पुत्र पर पिता का थोड़ा –बहुत प्रभाव अवश्यथ रहता है। बारह गॉंव का चौधरी अस्सी गॉंव का राव, अपने काम न आवे तो ऐसी – तैसी में जाव, कहावत बड़ा होकर यदि किसी के काम न आए , तो उसका बड़प्पेन व्यैर्थ है। बारह बरस पीछे धूरे के भी दिन फिरते हैं, कहावत एक न एक दिन अच्छेह दिन आ ही जाते हैं। बावरे गॉंव में ऊँट आया किसी ने देखा किसी से नहीं देखा, कहावत नयी चीज़ की कद्र सब लोग करते हैं। बासी कढ़ी में उबाल आया, कहावत उम्र बढ़ जाने पर शौक चर्राया। बासी बचे न कुत्ताढ खाए, कहावत जरूरत भी की चीज़।
यह ब्लॉग समर्पित है उन लोगों को जिन्हें अपनी राजभाषा हिन्दी से प्रेम है तथा तमाम कठिनाइयों के बावजूद भी उसकी प्रगति के लिए प्रयासरत है। जय हिन्द , जय भारत।
रविवार, 28 फ़रवरी 2010
हिन्दी लोकोक्तियॉं (कहावतें) संगह ख से ब तक
हिन्दी लोकोक्तियॉं (कहावतें) संगह ख से ब तक
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