बुधवार, 26 मई 2010

कम्प्यूटर एक परिचय


कम्प्यूटर एक परिचय
 
वर्तमान विश्‍व में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो कम्प्यूटर तथा उसकी महत्ता से अनभिज्ञ हो । अधिकांश  लोग कम्प्यूटर को एक ऐसी चमत्कारी मशीन मानते हैं जो सब कुछ करने में सक्षम है जबकि वास्तविकता इससे पूर्णतः भिन्न है ।
     वस्तुतः कम्प्यूटर भी कैलकुलेटर की तरह ही एक इलेक्ट्रानिक मशीन है किन्तु कैलकुलेटर की भॉंति इसकी क्षमता मात्र गणितीय क्रियाएं करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि इन क्रियाओं के अतिरिक्त यह डेटा प्रोसेसिंग संबंधी कार्य बड़ी कुशलता से निष्‍पादित  करने में सक्षम होता है।


डेटा एवं डेटा प्रोसेसिंगः-
किसी वस्तु से संबंधित जानकारी को ''डेटा'' कहा जाता है । डेटा क्रमश:  दो प्रकार के होते हैं संख्‍यात्मक तथा चिह्नात्‍मक  । अंक जनित डेटा संख्‍यात्मक तथा अक्षर एवं चिह्न  निर्मित डेटा चिह्नात्‍मक  कहलाते हैं । जिस प्रकार हम कागज पर अंकों के जोड़, घटाव,तथा गुणा निकाल लेते हैं उसी प्रकार कम्प्यूटर विद्युतीय (इलेक्ट्रानिक) रूप से इन सारी क्रियाओं को पूर्ण कर परिणाम  निकालता है । इसे ही ''इलेक्ट्रानिक डेटा प्रोसेसिंग'' अर्थात (ई़.डी.पी.) कहा जाता है ।
     कम्प्यूटर की अपनी कोई बुद्धि नहीं होती ,वह तो मात्र ऑपरेटर  द्वारा दिए गए निदेश  (कमाण्ड) के आधार पर कार्य कार्य करता है । जिस प्रकार मनुष्‍य  कोई दृश्‍य देख तथा आवाज सुनकर अपने मस्तिष्‍क में त्वरित विचार करता है और उक्तानुरूप शरीर  के विभिन्न अवयवों से प्रतिक्रिया व्यक्त करता है उसी प्रकार कम्प्यूटर भी क्रमश:  इन पुट यूनिट के माध्यम से प्रेषित  डेटा ,मैमोरी में संचित (स्टोर) ,प्रोसेस करने के उपरान्त आउट पुट यूनिट पर प्रतिक्रिया स्वरूप प्रदर्शित कर देता है ।
 
     कुछ लोग कम्प्यूटर को कैलकुलेटर ही मानते है परन्तु यह सत्य नहीं है क्योंकि कैलकुलेटर से केवल जोड़ना,घटाना,गुणा तथा भाग देना आदि गणितीय क्रियाएं ही सम्भव है ,परन्तु कम्प्यूटर से इससे कहीं ज्यादा कार्य किया जा सकता है तथा (डेटा) को हार्ड डिस्क पर भविष्‍य  के उपयोग हेतु संचित रखा जा सकता है।

 
कम्प्यूटर की कार्यप्रणाली :-

      ऑपरेटर  द्वारा कुंजी पटल (की-बोर्ड ),माउस तथा स्कैनर आदि इन पुट उपकरणों के माध्यम से निर्देश  कम्प्यूटर स्थित डेटा प्रोसेसर को भेजे जाते है । सी.पी.यू. स्थित प्रोसेसर प्रेषित  डेटा को प्रोसेस कर आउट पुट उपकरण अर्थात मॉनिटर पर प्रदर्शित कर देता है । प्रदर्शित  डेटा /सूचनाओं को अब ऑपरेटर  अपनी आवश्‍यकतानुसार भविष्‍य में प्रयोग करने के लिए फ्लॉपी डिस्क, पेन ड्राइव अथवा सी.डी. में संचित कर सकता है । 
कुंजी पटल (की-बोर्ड) एक परिचय

     मुख्‍यत: बाजार में दो प्रकार के की - बोर्ड उपलब्ध हैं । प्रथम 101 कुंजियों वाला तथा दूसरा 104 कुंजियों वाला । इन कुंजियों को कार्य के अनुसार समूहों में वर्गीकृत किया गया है। कुंजी पटल के प्रमुख कुंजियों की जानकारियॉं निम्नलिखित हैं :-

     फंक्‍शन कुंजियॉं:- एफ 1 से एफ 12 तक की कुंजियों को फंक्‍शन कुंजी कहा जाता है। कुछ विशेष  प्रकार के कुंजी पटल में तो 20 फंक्‍शन कुंजियॉं भी होती हैं । इनमें निश्‍चित आदेश होते हैं जिनकी हमें बार - बार आवश्‍यकता पड़ती रहती है। अतः इनके प्रयोग से समय की बचतं होती है।
     संख्‍यात्मक की - बोर्ड :- कुंजी पटल की दॉंयी  ओर कैलकुलेटर जैसा एक कुंजी समूह होता है । इसमें 0 से 9 तक सभी अंक ,दश्‍मलव  बिन्दु धन (+) तथा ऋण (-) के बटन होते हैं । कुछ बटनों पर अंकों के नीचे कुछ ओर भी छपा होता है उदाहरण के लिए 1 वाले बटन पर End
     इन कुंजियों से संख्‍यात्मक डेटा भरने का कार्य किया जाता है । इसके द्वारा संख्‍यात्मक डेटा टाइप करने हेतु (NUMLOCK) बटन दबाना पड़ता है इसके विपरीत जब यह बटन दबे नहीं होते हैं तो इनसे बटन पर चिह्नि‍त अन्य कार्य निष्‍पादित होते हैं।

     कर्सर कन्ट्रोल कुंजियॉं :- इन बटनों पर Žतथा चिह्न  उकेरे गए होते हैं जिससे कर्सर को क्रमश:  दाऍं,बाऍं,ऊपर और नीचे ले जाया जा सकता है । इसके अतिरिक्त इसे नियंत्रित करने हेतु 04 अन्य कुंजी भी हैं जो इस प्रकार है Home] End ]Pg Up  तथा Pg Down। 

     कैपिटल  लॉक कुंजी :- अंग्रेजी टाइपिंग के दौरान स्माल लेटर अक्षरों के टंकण हेतु कैपिटल  लाक बटन को दबाने तथा इसके विपरीत दबे हुए कैपिटल लाक बटन को यथा स्थिति में लाने पर ऑपरेटर  कैपिटल अक्षरों में टाइप करने में सक्षम हो पाता है।
 
     शिफ्ट  कुंजी :- इस कुंजी का प्रयोग देवनागरी फॉन्ट्‌स के उपयोग में सहायक सिद्ध होता है जहॉं ऑपरेटर  हिन्दी के अर्धाक्षरों के टंकण हेतु करता है । इसे दबाने के उपरान्त अर्ध अक्षर टाइप होता है।

     टैब कुंजी :- इस कुंजी के माध्यम से ऑपरेटर कर्सर को किसी सीधी रेखा में निर्धारित स्थान पर सीधे ले जा सकता है परिणाम स्वरूप पैराग्राफ,कॉलम आदि बनाने में आसानी होती है।
     बैक स्पेस :- इसे दबाने से कर्सर की बांयीं ओर का चिह्न  गायब हो जाता है और कर्सर एक स्थान पीछे चला जाता है । स्पेलिंग (मात्रा दोष ) जॉंचने हेतु इसका प्रयोग किया जाता है ।
     रिर्टन या एण्टर कुंजी :- यह कुंजी तैयार डेटा को अनुपालन हेतु कम्प्यूटर में भेजने का कार्य करता है तथा इसे दबाने से नई लाइन भी आरम्भ होता है।
     डीलीट कुंजी :- इसका प्रयोग मूलतः टाइप किए गए डेटा को गायब या मिटाने के लिए किया जाता है ।
     प्रिन्ट स्क्रिन कुंजी :- टाइप डेटा का प्रिंट लेने के लिए इस कुंजी का प्रयोग किया जाता है ।
     स्क्राल लॉक कुंजी तथा पॉज कुंजी  :- इन दोनों ही कुंजियों से स्क्रीन पर तीव्रता से आ रहीं सूचना को रोका जा सकता है । पुनः इसे दबाने से सूचनाऍं फिर से आने लगती हैं।
     एस्केप,कन्ट्रोल तथा आल्ट कुंजी :- इनका प्रयोग कुछ बटनों के साथ किया जाता है विशेष  प्रकार के आदेशों के कार्यान्वयन में होता है।
रिसेटः- कभी -कभी प्रोग्राम की त्रुटि से कम्प्यूटर हैंग हो जाता हैऐसी स्थिति में एस्केप,कन्ट्रोल तथा आल्ट कुंजी को एक साथ दबाने से कम्प्यूटर के सभी प्रोग्राम बन्द हो जाते हैं तथा कम्प्यूटर नए सिरे से आरम्भ हो जाता है ।
 

क्रमश:........ 
(शेष अगले पोस् में)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें