रविवार, 28 फ़रवरी 2010

हिन्‍दी लोकोक्तियॉं (कहावतें) संगह ख से ब तक

हिन्‍दी लोकोक्तियॉं (कहावतें) संगह ख से ब तक

खग जाने खग ही की भाषा, कहावत अपने वर्ग के लोग ही एक दूसरे को समझ सकते हैं।
ख्या ली पुलाव से पेट नहीं भरता, कहावत केवल सोचने से काम पूरा नहीं हो जाता।
खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग पकड़ता है, कहावत देखादेखी काम करना।
खई खोजे और को ताको खुब तैयार, कहावत जो दूसरों का बुरा चाहता है उसका अपना बूरा होता है।
खाक डाले चॉंद नहीं छिपता, कहावत अच्छेा आदमी की निंदा करने से उसका कुछ नहीं बिगड़ता।
खाल ओढ़ाए सिंह की, स्याेर सिंह नहीं होय, कहावत ऊपरी रूप बदलने से गुण अवगुण नहीं बदलता।
खाली बनिया क्यास करे, इस कोठी का धान उस कोठी में धरे, कहावत बेकाम आदमी उल्टे‍ –सीधे काम करता रहता है।
खुदा की लाठी में आवाज़ नहीं , कहावत कोई नहीं जानता की भगवान कब , कैसे, क्यों दंड देता है।
खुदा गंजें को नाखून न दे, कहावत औछा और बेसमझ आदमी अधिकार पाकर उपनी ही हानि कर बैठता है।
खुदा देता है तो छप्पिर फाड़ कर देता है, कहावत ईश्वतर जिसको चाहे मालामाल कर दे।
खुशामद से ही आमद है, कहावत खुशामद से ही धन आता है।
खूंटें के बल बछड़ा कूदे, कहावत किसी की शह पाकर ही आदमी अकड़ दिखाता है।
खेत खाए गदहा, मार खाए जुलहा, कहावत दोष किसी का दंड किसी को।
खेती,खसम लेती , कहावत कोई काम अपने हाथ से करने पर ही ठीक होता है।
खेल –खिलाड़ी का,पैसा मदारी का, कहावत  मेहनत किसी की लाभ दूसरे का 
खोदा पहाड़ निकली ख्‍ुहिया, कहावत परिश्रम बहुत पर लाभ बहुत ही कम।
गंगा गए तो गंगादास,यमुना गए तो यमुनादास, कहावत अपना सिद्धांत बदलनेवाला।
गंजेडी यार किसके दम लगाया खिसके, कहावत स्वातर्थी आदमी स्वासर्थ सिद्ध होते ही मुँह फेर लेता है।
गँवार गन्नाक न दे, भेली दे, कहावत मूर्ख सिधाई से मामूली चीज़ नहीं देता, धमकाने से अधिक मूल्यत की वस्तुध भी दे देता है।
गधा धोने से बछड़ा नहीं हो जाता, कहावत किसी उपाय से भी स्वहभाव नहीं बदलता।
गई मॉंगने पूत, खो आई भरतार, कहावत थोड़े लाभ के चक्क्र में भारी नुकसान हो जाना।
गर्व का सिर नीचा, कहावत घमंडी आदमी का घमंड चूर इहो ही जाता है।
गरीब की जोरू, सबकी भाभी, कहावत गरीब आदमी से सब लाभ उठाना चाहते हैं।
गरीबी तेरे तीन नाम- झूठा, पाजी, बेईमान, कहावत गरीब का सवर्त्र अपमान होता रहता है।
गरीबों ने रोज़े रखे तो दिन ही बड़े हो गए, कहावत गरीब की किस्म़त ही बुरी होती है।
गवाह चुस्तस,मुद्दई सुस्तह, , कहावत जिसका काम है वह तो आलस से करे, दूसरे फुर्ती दिखाएं।
गॉंठ का पूरा, ऑंख का अंधा, कहावत पैसे वाला तो है, पर है मूर्ख।
गाडर पाली ऊन को लागी, चरन कपास, कहावत रखा गया काम आने को, पर करता है नुकसान।
गिरहकट का भाई गठकट, कहावत सब बदमाश एक से होते हैं।
गीदड़ की शामत आए तों गॉं0व की ओर भागे, कहावत विपत्ति में बुद्धि काम नहीं करती।
गुड़ खाए, गुलगुलों से परहेज, कहावत झूठ और ढोंग रचना।
गुड़ दिए मरे तो जहर क्योंल दें, कहावत काम प्रेम से निकल सके तो सख्तीे न करें।
गुड़ न दें, पर गुड़ सी बात तो करें, कहावत कुछ न दें पर मीठा बोल तो बोलें।
गुड़ –गुड़ ही रहे, चेले शक्कंर हो गए, कहावत छोटे – बड़ों से आगे बढ़ जाते हैं।
गुरूजी, चेले बहुत हो गए। भूखों मरेंगे तो आप ही चले जाएंगे, कहावत  लोग अधिक हो तो, उपेक्षा होती है।
गूदड़ में लाल नहीं छिपता, कहावत बढिया चीज़ अपने आप पहचानी जाती है।
गोद में बैठकर ऑंख में उँगली/ गोदी में बैठकर दाढ़ी नोचे, कहावत भला करने पर दुष्टोता।
गोद में लड़का, शहर में ढिंढोरा, कहावत वस्तुे पास में और खोज दूर तक।
घड़ी में घर जले, अढ़ाई घड़ी भद्रा, कहावत संकट को होशियारी से दूर करें।
घड़ी में तोला, घड़ी में माशा, कहावत चंचल मन वाला।
घर आए कुत्ते। को भी नहीं निकालते, कहावत घर में आने वाले का सत्काोर करना चाहिए।
घर का जोगी जोगड़ा, आन गॉंव का सिद्ध, कहावत  अपने लोगों में आदर नहीं होता।
घर का भेदी लंका ढाए, कहावत घर की फूट का परिणाम बुरा होता है।
घर की खांड़ किरकिरी, लगे पड़ोसी का गुड़ मीठा, कहावत अपनी वस्तु़ खराब लगती है, दूसरे की अच्छीा।
घर की मुर्गी दाल बराबर, कहावत अपनी चीज़ या अपने आदमी की कदर नहीं।
घर खीर तो, बाहर खीर, कहावत अपने पास कुछहो तो, बाहर आदर होता है। 
घर का घोड़ा, नखास मोल, कहावत चीज़ घर में पड़ी है और चले हैं मंडी में बेचने।
घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने, कहावत न होने पर ढोंग करना।
घायल की गति घायल जाने, कहावत जो कष्ट  भोगता है वही दूसरों का कष्ट  समझता है।
घी कहॉं गया ? खिचड़ी में , कहावत वस्तुॉ का प्रयोग ठीक जगह हो गया।
घी सँवारे काम बड़ी बहू का नाम , कहावत काम तो साधन से हुआ, यश करने वाले का हो गया।
घोड़ा घास से यारी करे तो खाए क्याश, कहावत पेशेवर को किसी की रू- रियायत नहीं करनी चाहिए।
घोड़े की दुम बढ़ेगी तो अपने ही मक्खियॉं उड़ाएगा कहावत उन्नएति करके आदमी अपना ही भला करता है।
घोड़े को लात, आदमी को बात कहावत उत्तेम वस्तु  थोड़ी भी हो तो अच्छा। है।
चक्की  में कौर डालोगे तो चून पाओगे कहावत कुछ करोगे तो फल मिलेगा।
चट मँगनी पट ब्यामह कहावत तत्कागल कार्य होना।
चढ़ जा बेटा सूली पर, भगवान भला करेंगे कहावत किसी के कहने पर विपत्तीो में पड़ना।
चने के साथ कहीं घुन न पिस जाए कहावत दोषी के साथ कहीं निर्दोष न मारा जाए।
चमगादड़ों के घर मेहमान आए, हम भी लटके तुम भी लटको कहावत गरीब आदमी क्याक आवभगत करेगा।
चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए कहावत बहुत कंजूसी।
चमार चमड़े का यार कहावत स्वा र्थी व्याक्ति।
चरसी यार किसके दम लगाया खिसके, कहावत स्वातर्थी आदमी स्वा,र्थ सिद्ध होते ही मुँह फेर लेता है।
चलती का नाम गाड़ी है, कहावत जिसका काम चल निकले, उसी का बोलबाला है।
चॉंद को भी ग्रहण लगता है, कहावत कभी भले आदमी की भी बदनामी हो जाती है।
चाकरी में न करी क्याद, कहावत नौकरी में स्वाीमी की आज्ञा माननी पड़ती है।
चार दिन की चॉंदनी फिर अँधेरी रात, कहावत सुख थोड़े ही दिन का होता है।
चिकना मुँह पेट खाली, कहावत देखने में अच्छाख –भला भीतर से दु:खी।
चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता, कहावत लिर्लज्ज़ आदमी पर कोठ्र असर नहीं पड़ता है।
चिकने मुँह को सब चूमते हैं, कहावत ऊँचे आदमी के सब यार हैं।
चिडिया अपने जान से गई, खाने वाले को स्वायद न आया, कहावत  इतना भारी काम किया फिर भी सराहना नहीं हुई।
चित भी मेरी पट भी मेरी, कहावत हर हालत में मेरा ही लाभ।
चिराग तले अँधेरा, कहावत पास की चीज़ दिखाई न पड़ना।
चिराग में बत्तीा और ऑंख में पट्टी, कहावत  शाम होते ही सोने लगना।
चींटी की मौत आती है तो पर निकलते हैं, कहावत घमंड करने से नाश होता है।
चील के घोसले में मांस कहॉं, कहावत यहॉं कुछ भी नहीं बचा रह सकता।
चुड़ैल पर दिल आ जाए तो वह भी परी है, कहावत जो चीज़ पसंद हो वह सब से अच्छीर मान लेना।
चुल्लू़ भर पानी में डूब मरना, कहावत शर्म आना।
चुल्लून –चुल्लू  साधेगा, दुआरे हाथी बॉंधेगा, कहावत थोड़ा-थोड़ा जमा करके अमीर हो जाओगे।
चूल्हेन की न चक्कीे की, कहावत घर का कोई काम न करना।
चूहे का बच्चा  बिल ही खोदता है , कहावत जन्मतजात कार्य, स्वेभाव नहीं बदलता।
चूहे के नाम से कहीं नगाड़े मढ़े जाते हैं, कहावत थोड़ी वस्तु  से बड़ा काम नहीं हो सकता।
चूहों की मौंत बिल्लीे का खेल, कहावत किसी को कष्टत देकर मौज करना।
चोट्टी कुतिया जलेबियों की रखवाली, कहावत चोर को रक्षा करने के कार्य पर लगाना। 
चोर के पैर नहीं होते, कहावत दोषी व्य क्ति अपने आप फँसता है।
चोर-चोर मौसेरे भाई, कहावत एक जैसे बदमाश का मेल हो जाता है।
चोर –चोरी से गया तो क्या। हेरा-फेरी से भी गया/ चोर –चोरी से जाए, हेरा-फेरी न जाए , कहावत दुष्टा आदमी कोई न कोई न कोई खराबी करेगा ही।
चो लाठी दो जने और हम बाप पूत अकेले , कहावत जबरदस्त  आदमी से दो व्यअक्ति हार जाते हैं।
चोर को कहे चारी कर और साह से कहे जागते रहो, कहावत दो पक्षों को लड़ाने वाला।
चोरी और सीनाजोरी , कहावत एक तो अपराध उस पर अकड़ दिखाना।
चारी का धन मोरी में, कहावत हराम की कमाई बेकार जाती है।
चौबे गए छब्बेर बनने, दूबे ही रह गए, कहावत अधिक पाने के लालच में अपना सब कुछ गवा बैठे।
छछूँदर के सिर में चमेली का तेल, कहावत अयोग्य  व्य क्ति को अच्छीब चीज़ देना।
छाज (सूप) बोले तो बोले, छलनी क्याी बोले जिसमें हजार छेद/ छलनी कहे सूई से तेरे पेट में छेद, कहावत अपने अवगुणों को न देखकर दूसरों की आलोचना करने वाला।
छटांक चून चौबारे रसोई, कहावत मिथ्याच आडंबर।
छीके कोई,नाक कटावे कोई, कहावत किसी के दोष का फल दूसरा भोगे।
छुरी खरबूजे पर गिरे या खरबूजा छुरी पर एक ही बात है, कहावत दोनों तरु से हानि।
छोटा मुँह बड़ी बात, कहावत अपनी योग्यबता से बढ़कर बात करना।
छोटे मियॉं तो छोटे मियॉं,बड़े मियॉं सुभानअल्ला ह, कहावत छोटे से बड़ा अवगुणों में भारी।
ज़गल में मोर नाचा किसने देखा, कहावत ऐसे स्था न पर गुण प्रदर्शन न करें जहॉं कद्र न हों।
जड़ काटते जाएं, पानी देते जाएं, कहावत भीतर से शत्रु ऊपर से मित्र।
जने –जने की लकड़ी, एक जने का बोझ, कहावत सबसे थोड़ा-थोड़ा मिले तो काम पूरा हो जाता है।
जब चने थे दॉंत न थे, जब दॉंत भये तब चने नहीं , कहावत कभी वस्तु  है तो उसका भोग करने वाला नहीं और कभी भोग करने वाला है तो वस्तु  नहीं।
जब तक जीना तब तक सीना, कहावत जीते-जी कोई न कोई काम करना पड़ता है।
जब तक सॉंस तब तक आस, कहावत अंत समय तक आशा बनी रहती है।
जबरदस्तीत का ठेंगा सिर पर, कहावत जबरदस्ती आदमी दबाव डाल कर काम लेता है ।
जबरा मारे रोने न दे, कहावत जवरदस्तर आदमी का अज्यामचार चुपचाप सहना पड़ता है।
जबान को लगाम चाहिए, कहावत सोच-समझकर बोलना चाहिए।
ज़बान ही हाथी चढ़ाए, ज़बान ही सिर कटाए, कहावत मीठी बोली से आदर और कड़वी बोली से निरादर होता है।
ज़र का ज़ोर पूरा है, और सब अधूरा है, कहावत धन सबसे बलवान है।
ज़र है तो नर नहीं तो खंडहर, कहावत पैसे से ही आदमी का सम्माखन है।
जल में रहकर मगर से बैर, कहावत जहॉं रहना हो वहॉं के मुखिया से बैर ठीक नहीं होता ।
जस दूल्हा  तस बनी बराता, कहावत जैसे आप वैसे साथी।
जहं जहं चरण पड़े संतन के, तहं तहं बंटाधार करे, कहावत अभागा व्यरक्ति जहॉं जाता है बुरा होता है।
जहॉं गुण होगा, वहीं मक्खियॉं होंगी, कहावत आकर्षक जगह पर लोग जमा होते हैं।
जहॉं चार बासन होंगे, वहॉं खटकेंगे भी, कहावत जहाँ कुछ व्यनक्ति होते है वहॉं कभी-कभी झगड़ा हो ही जाता है।
जहॉं चाह वहॉं राह, कहावत इच्छाच हो तो काम करने का रास्ताग निकल ही आता है।
जहॉं देखे तवा परात, वहॉं गुजारे सारी रात, कहावत जहॉं कुछ प्राप्ति होती हो, वहॉं लालची आदमी जम जाता है।
जहॉं न पहुँचे रवि वहॉं पहुँचे कवि, कहावत कवि की कल्पचना सब जगह पहुँचती है।
जहॉं फूल वहॉं कॉंटा, कहावत अच्छाफई के साथ बुराई लगी होती है।
जहॉं मुर्गा नहीं होता क्याा वहॉं सवेरा नहीं होता , कहावत किसी के बिना काम रूकतानहीं है। 
जाके पैर न फटी बिवाई, सो क्या  जाने पीर पराई, कहावत दु:ख को भुक्ता भोगी ही जानता है उसे अन्य  कोई नहीं जान सकता है।
जागेगा सो पावेगा,सोवेगा सो खोएगा, कहावत लाभ इसमें है कि आदमी सतर्क रहे।
जादू वह जो सिर पर चढ़कर बोले, कहावत जोरदार आदमी की बात माननी ही पड़ती है।
जान मारे बनिया पहचान मारे चोर, कहावत बनियाऔर चोर जान पहचान वालों को ठगते हैं।
जाएं लाख, रहे साख, कहावत धन भले ही चला जाए, इज्ज,त बचनी चाहिए।
जितना गुड़ डालों, उतनाही मीठा, कहावत जितना खर्चा करोगे चीज़ उतनी ही अच्छीह मिलेगी।
जितनी चादर देखो, उतने ही पैर पसारो, कहावत आमदनी के हिसाब से खर्च करो।
जितने मुँह उतनी बातें, कहावत अनेक प्रकार की आफवाहें
जिन खोजा तिन पाइयॉं, गहरे पानी पैंठ, कहावत जितना कठिन परिश्रम उतना लाभ 
जिस तन लगे वहीं तन जाने, कहावत जिसको कष्ट  होता है वहीं उसका अनुभव कर सकता है।
जिस थाली में खाना, उसी में छेद करना, कहावत जो उपकार करे, उसका ही अहित करना।
जिसका काम उसी को साजै, कहावत जो काम जिसका है वहीं उसे ठीक तरह से कर सकता है।
जिसका खाइए उसका गाइए, कहावत जिससे लाभ हो उसी का पक्ष लो।
जिसकी जूती उसी के सिर , कहावत जिसकी करनी उसी को फल।
जिसकी लाठी उसी की भैंस, कहावत शक्ति संपन्नस आदमी अपना काम बना लेता है।
जिसके ह‍ाथ डोई,उसका सब कोई, कहावत धनी आदमी के सब मित्र हैं।
जिसको पिया चाहे, वहीं सुहागिन, कहावत जिसको अफ़सर माने,वहीं योग्यी है।
जी का बैरी जी , कहावत मनुष्यब ही मनुष्यं का शत्रु है।
जर जाए, घी न जाए, कहावत महाकृपण।
जरती मक्खी  नहीं निगली जाती, कहावत जो गलत है उसे जानते हुए स्वीीकार नहीं किया जा सकता।
जीभ भी जली और स्वाेद भी न आया, कहावत कष्टत सहकर भी सुख न मिला।
जूँ के डर से गुदड़ी नहीं फंकी जाती, कहावत थोड़ी सी कठिनाई के कारण कोई काम छोड़ा नहीं जाता।
जुठा खाए, मीठे के लालच, कहावत लाभ के लालच में नीच काम करना।
तैसा करोगे वैसा भरोगे,जैसा बोवोगे वैसा काटोगे , कहावत अपनी करनी का फल मिलता है।
जैसा मुँह वैसा थप्प ड़, कहावत जो जिसके योग्य  हो उसको वही मिलता है।
जैसा रजा वैसी प्रजा, कहावत जैसा मालिक वैसे ही कर्मचारी।
जैसे तेरी कामरी, वैसे मेरे गीत, कहावत जैसा दोगे वैसा पाओगे।
जैसे कंता घीर रहे वैसे रहे परदेश, कहावत निकम्‍मा आदमी घर में रहे या बाहर कोई अंतर नहीं।
जैसे नागनाथ वैसे सॉंपनाथ, कहावत दोनों एक से।
जैसे मियॉं काइ का वैसे सन की दाढ़ी, कहावत ठीक मेल है।
जो गरजते हैं सो बरसते नहीं, कहावत बहुत डींग हॉंकनेवाले काम के नहीं होते हैं।
जोगी का बेटा खेलेगा तो सॉंप से , कहावत बाप का प्रभाव बेटे पर पड़ता है।
जो गुड़ खाए सो कान छिदाए, कहावत लाभ पाने वाले को कष्टद सहना ही पड़ता है।
जो तोको कॉंटा बुवे ताहि बोइ तू फूल, कहावत बुराई का बदला भी भलाई से दो।
जो बोले सों घी को जाए , कहावत ज्याोदा बोलना अच्छा, नहीं होता।
जो हॉंडी में होगा वह थाली में आएगा, कहावत जो मन है वह प्रकट होगा ही।
ज्यों -ज्योंम भीजे कामरी त्यों -त्योंन भारी होय, कहावत जैसे-जैसे समय बीतता है जिम्मेयदारियॉं बढ़ती जाती हैं।
ज्यों  नकटे को आरसी होत दिखाई क्रोध, कहावत दोषी को अपना दोष बताया जाए तो क्रुद्ध होता है।
झूठ के पॉंव नहीं होते, कहावत झूठा आदमी एक बात पर पक्काए नहीं रह पाता। 
झोपड़ी में रहें, महलों के ख्वाहब देखें, कहावत अपनी सामर्थ्ये से बढ़कर चाहना।
टके का सब खेल है, कहावत पैसा सब कुछ करता है।
ठंडा करके खाओ, कहावत धीरज से काम करो।
ठंडा लोहागरम लोहे को काट देता है, कहावत शांत व्य क्ति क्रोधी को झुका देता है।
ठोक बजा ले चीज़, ठोक बजा दे दाम, कहावत अच्छीज चीज़ का दाम।
ठोकर लगे तब ऑंख खुले, कहावत कुछ खोकर ही अक्लख आती है।
डंडा सब का पीर, कहावत सख्तीस करने से लोग काबू में आते हैं।
डायन को दामाद प्‍यारा, कहावत अपना सब को प्या्रा।
डूबते को तिनके का सहारा, कहावत विपत्तिमें थेड़ी सी सहायता भी उबार देती है।
ढाक के तीन पात, कहावत फिर-फिर वही बात या दशा।
ढोल के भीतर पोल, कहावत केवल दिखावटी शान।
तख्त  या तख्तात, कहावत शान से रहना/या भूखों मरना।
तन को कपड़ा न पेट को रोटी, कहावत अत्योधिक दरिद्र।
तलवार का खेत हरा नहीं होता, कहावत अत्या चार का फल अच्छाी नहीं होता।
तिरिया बिन तो नर है ऐसा, राह बटाऊ होवे जैसा, कहावत बिना स्त्री के पुरूष का कोई ठिकाना नहीं।
तीन कनौजिया तेरह चूल्हे , कहावत छुआछुत और अलगाव की दशा।
तीन बुलाए तेरह आए, दे दाल में पानी, कहावत समय आ पड़े तो साधन निकाल लेना पड़ता है।
तीन में न तेरह में , कहावत कुछ भी महत्वर नहीं है।
तेरी करनी तेरे आगे, मेरी करनी मेरे आगे, कहावत सबको अपने – अपने कर्म का फल भोगना पड़ता है।
तुम्हापरे मुँह में घी शक्क र , कहावत तुम्हापरी बात सच हो।
तुरन्तप दान महाकल्या।न, कहावत जो करना हो चटपट करें, शुभ कार्य में देर कैसी ?
तू डाल-डाल मैं पात -पात, कहावत एक से बढ़कर दूसरा चालाक।
तेल तिलों से ही निकलता है, कहावत जो व्यलक्ति कुछ देने लायक हो उसी से प्राप्ति होती है।
तेल देखो तेल की धार देखो, कहावत सावधानी और धैर्य से काम लो।
तेल न मिठाई, चूल्हेक धरी कड़ाही, कहावत बिना सामान के काम नहीं होता।
तेली का तेल जले, मशालची का दिल जले, कहावत दान कोई करे कुढ़न दूसरे को हो।
तेली के बैल को घर ही पचास कोस, कहावत घर में ही बहुत अधिक काम हो जाता है।
तेली खसम किया, हिफर भी रूखा खाया, कहावत किसी सामर्थ्योवान की शरण में रहकर भी दु:ख उठाना।
थका ऊँट सराय ताकता , कहावत थकने पर विश्राम चाहिए।
थूक से सत्तूर नहीं सनते, कहावत कम सामग्री से काम पूरा नहीं हो पाता।
दबी बिल्ली  चूहोंसे कान कतराती है, कहावत दोषी व्य क्ति छोटों के सामने भी सिर नहीं उठा सकता।
दबाने पर चींटी भी चोट करती है, कहावत जिस किसी को दु:ख दिया जाए वह बदला लेता है।
दमड़ी की हॉंड़ी गई, कुत्तेब की जात पहचानी गई, कहावत थोड़ी सी हानी उठाई पर किसी की असलियत तो जान ली गई।
दर्जी की सुई, कभी तागे में कभी टाट में, कहावत हर परिस्थिति में सहनशीलता बनाये रखना।
दलाल का दिवाला क्यान , मस्जिद में ताला क्या , कहावत जिसके पास कुछ है ही नहीं ,उसे हानि का क्याे डर।
दाग लगाए लँगोटिया यार, कहावत आदमी अपनों से ही धोखा खाता है।
दाता दे भंडारी पेट फटे, कहावत दान कोई करे कुढ़न दूसरे को हो।
दादा कहने से बनिया गुड़ देता है, कहावत मधुर वाणी से काम बन जाता है।
दान के बछिया के दॉंत नहीं देखे जाते, कहावत मुफ्त में मिली वस्तु  के गुण-अवगुण नहीं परखे जाते।
दाने-दाने पर मुहर, कहावत हर व्यमक्ति का अपना भाग्या। 
दाम सँवारे सबर्ठ काम, कहावत पैसा सब काम करता है।
दाल-भात में मसूरचंद, कहावत बीच में दखल देनेवाला।
दाल में नमक,सच में झूठ, कहावत थोड़ा झूठ तो चल सकता है।
दिनन के फेर से सुमेरू होत माटी को, कहावत जब बुरे दिन आते हैं तो सोना भी मिट्टी हो जाता है।
दिन भर चले अढ़ाई कोस, कहावत समय बहुत लगा और काम बहुत थोड़ा हुआ।
दिल्लीु अभी दूर है, कहावत अभी सफलता में देरी है।
दीपक की रवि के उदय बात न पूछे कोय, कहावत बड़ों की उपस्थिति में छोटे की उपेक्षा होती है।
दीवार के भी कान होते हैं, कहावत रहस्य  की बात गुप-चुप करनी चाहिए।
दुधारू गाय की लात सहनी पड़ती है, कहावत जिससे कुछ पाना हांेता है , उसकी धौंस डपट सहनी पड़ती है।
दुनिया का मुँह किसने रोका है, कहावत लोग निंदा – स्तु,ति करते रहते हैं कोई रोक - टोक नहीं। 
दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम, कहावत दुविधा में पड़ने से कुछ नहीं मिलता।
दूलहा को पत्तमल नहीं,बजनिये को थाल, कहावत जिसका जो हक है वह उसे नहीं मिलता।
दूध का दूध पानी का पानी, कहावत ठीक-ठीक न्यााय हो जाना।
दूध पिलाकर सॉंप पोसना, कहावत शत्रु का उपकार करना।
दूर के ढोल सुहावने, कहावत दूर से चीज़ अच्छीं लगती है।
दूसरे की पत्तहल लंबा-लंबा भात , कहावत दूसरे की वस्तुा अच्छी‍ लगती है।
देसी कुतिया विलायती बोली, कहावत किसी की नकल में अपनापन छोड़ना।
देह धरे के दंड हैं, कहावत शरीर है तो कष्टह भी रहेगा।
दोनों हाथों से ताली बजती है, कहावत लड़ाई झगड़े के जिम्मेहदार दोनों पक्ष हैं।
दोनों हाथों में लड्डू , कहावत हर तरु लाभ ही लाभ।
दो मुल्लों  में मुर्गी हलाल, कहावत दो को दिया गया काम बिगड़ जाता है।
दो लड़े तीसरा ले उड़े, कहावत दो की लड़ाई में तीसरे की बन आती है। 
धन का धन गया, मीत की मीत गई, कहावत अधार में पैसा तो जाता ही है, मित्रता भी नहीं रहती।
धनवंती को कांटा लगा दौड़े लोग हजार, कहावत धनी आदमी को थोड़ा सा कष्ट  हो तो भी बहुत लोग उनकी सहायता को आ जाते हैं।
धन्नाा सेठ के नाती बने हैं, कहावत अपने को अमीर समझते हैं।
धर्म छोड़ धन कोर्ठ खाए, कहावत धर्मविरूद्ध कमाई सुख नहीं देती।
धूप में बाल सफ़ेद नहीं किए हैं, कहावत सांसारिक अनुभव बहुत है।
धोबी पर बस न चला तो गधे के कान उमेठे, कहावत बलवान हार खाकर निर्बल पर गुस्साउ निकालें।
धोबी के घर पड़े चोर , वह न लुटे और, कहावत नुकसान दूसरे का हो गया।
धोबी रोवे धुलाई को,मियॉं रोवे कपड़े को, कहावत सब अपने-अपने नुकसान की बात करते हैं।
नंगा बड़ा परमेश्वपर से , कहावत निर्लज्जा से सब डरते हैं।
नंगा क्या  नहाएगा क्याै निचोड़ेगा, कहावत निर्धन के पास है ही क्याा ।
न अंधे को न्योहता देते न दो जने आते, कहावत गलत आदमी को बुलावा देना।
न इधर के रहे, न उधर के रहे, कहावत दुविधा में हानि हो जाती है।
नकटा बूचा सबसे ऊँचा, कहावत निर्लज्जा आदमी सब से बड़ा है (व्यंकग्यह)।
नक्काजरखाने में तूती की आवाज़ कौन सुने, कहावत बड़ों के रहते छोटों की बात नहीं मानी जाती।
नटनी जब बॉंस पर चढ़ी तो घूँघट क्या।, कहावत नीच कम्र करने वाले को शर्म नहीं होती।
नदी किनारे रूखड़ा जब –तब होय विनाश, कहावत बूढ़ा आदमी बहुत दिन नहीं जियेगा।
नदी नाव संयोग, कहावत संयोग से मिलाप हो जाना।
नदी में रहना,मगर से बैर, कहावत जहॉं रहना हो वहॉं के मुखिया से बैर ठीक नहीं होता ।
न नौमन तेल होगा न राधा नाचेगी, कहावत न पूरी होनेवाली शर्त।
नमाज़ छुड़ाने गए थे, रोज़े गले पड़े, कहावत एक मुसीबत से छुटकारा पाना चाहा था, एसे भारी मुसीबत आ पड़ी।
नया नौदिन पुराना सौ दिन, कहावत पुरानी चीज़े ज्यासदा दिन चलती हैं।
न रहेगा बॉंस,न बजेगा बॉंसुरी, कहावत मूल कारण को रफ़ा-दफ़ा करें तो झगड़ा –फसाद ही न हो।
न सॉंप मरे न लाठी टूटे, कहावत बिना किसी हानि के काम पूरा हो जाए।
नाई की बरात में सब ही ठाकुर, कहावत सभी बड़े बन बैठें तो काम कैसे हो, एक अगुआ नहीं है। 
नाई नाई, बाल कितने ? जि‍जमान, अभी सामने आ जाऍंगे, कहावत प्रश्नआ का उत्तार अपने –आप मिल जाएगा।
नाक कटी पर घी तो चाटा, कहावत निर्लज्जप होकर कुछ पाना।
नाक दबाने से मुँह खुलता है, कहावत कठोरता से कार्य सिद्ध होता है।
नाच न जाने ऑंगन टेढ़ा, कहावत अपना दोष बहाना करके टालना।
नानी के आगे ननिहाल की बातें, कहावत जिसको सब कुछ मालूम है, एसको जानकारी देना।
नानी के टुकड़े खावे, दादी का पोता कहावे, कहावत खाना किसी का, एहसान किसी का।
नानी क्वॉंकरी मर गई , नाती के नौ-नौ ब्या ह, कहावत झूठी बड़ाई।
नाम बड़े दर्शन खोटे/छोटे, कहावत प्रसि8 बहुत होना पर वास्त व में गुण न होना।
नाम बढ़ावे दाम, कहावत किसी चीज़ का नाम हो जाने से उसकी कीमत बढ़ जाती है।
नामी चोर मारा जाए, नामी शाह कमा खाए, कहावत बदनामी से बुरा,नेकनामी से भला होता है।
नारियल में पानी,क्याा पता खट्टा कि मीठा, कहावत इस बात में संशय है।
नीचे की सॉंस नीचे, ऊपर की सॉंस ऊपर, कहावत डर या दु:ख से घबरा जाना।
नीचे से जड़ काटना,ऊपर से पानी देना, कहावत ऊपर से मित्र, भीतर से शत्रु।
नीम हकीम खतरा-ए-जान, कहावत अनुभवहीन  व्याक्ति के हाथों काम बिगड़ सकता है।
नेकी और पूछ-पूछ , कहावत भलाई का काम करके फल की आशा मत करो।
नौ दिन चले अढ़ाई कोस, कहावत बहुत ही मंद गति से कार्य होना।
नौ नकद , न तेरह उधार, कहावत नकद का काम उधार के काम से अच्छाथ।
नौ सो चूहे खा के बिल्लीस हज को चली, कहावत जीवन भर कुकर्म करते रहे अन्तल में भले बन बैठे। 
पंच कहे बिल्ली  तो बिल्ली‍ ही सही, कहावत सर्वसम्म ति से जो काम हो जाए, वही ठीक।
पंचों का कहना सिर माथे, पर परनाला वहीं रहेगा, कहावत दूसरों की सुनकर भी अपने मन की करना।
पकाई खीर पर हो गया दलिया, कहावत दुर्भाग्यप।
पगड़ी रख,घी चख, कहावत मान–सम्माीन से ही जीवन का आनंद है।  
पढ़े तो हैं गुने नहीं, कहावत पढ़- लिखकर भी अनुभवहीन।
पढ़े फारसी बेचे तेल,यह देखो करमों का खेल, कहावत गुणवान होने पर भी दुर्भाग्यु से छोटा काम मिला है।
पत्थार को जोंक नहीं लगती,पत्थार मोम नहीं होता, कहावत निर्मम आदमी पर कोई असर नहीं पड़ता, उसमें दया नहीं होती।
पराया धर थूकने का भी डर, कहावत दूसरे के घर में संकोच रहता है।
पराये धन पर लक्ष्मीो नारायण, कहावत दूसरे के धन पर गुलछर्रें उड़ाना।
पहले तोलो, पीछे बोलो, कहावत बात समझ-सोचकर करनी चाहिए।
पॉंच पंच मिल कीजे काजा, हार-जीते कुछ नहीं लाजा, कहावत मिलकर काम करने पर हार-जीत की जिम्मेीदारी एक पर नहीं आती।
पॉंचों पंच मिल कीजे काजा, हारे –जीते कुछ नहीं लाजा, कहावत मिलकर काम करने पर हार-जीत की जिम्मेीदारी एक पर नहीं आती।
पॉंचों उँगलियॉं घी में, कहावत सब लाभ ही लाभ।
पॉंचों उँगलियॉं बराबर नहीं होतीं, कहावत सब आदमी एक जैसे नहीं होते।
पॉंचों उँगलियॉं बराबर नहीं होती, कहावत सब आदमी एक जैसे नहीं होते। 
पॉंचों सवारों में मिलना, कहावत अपने को बड़े व्यंक्तियों में गिनना।
पागलों के क्या् सींग होते हैं, कहावत पागल भी साधारण लोगों में होते हैं।
पानी पीकर जात पूछते हो, कहावत काम करने के बाद उसके अच्छेो-बुरे पहलुओं पर विचार क्योंन।
पाप का घड़ा भरकर डूबता है, कहावत पाप जब बढ़ जाता है तब विनाश होता है।
पिया गए परदेश, अब डर काहे का, कहावत जब कोई निगरानी करने वाला न हो , तो मौज उड़ाना।
पीर बावर्ची भिस्तीे खर, कहावत सब तरह का काम एक को करना पड़ता है।
पूत के पॉंव पालने में पहचाने जाते हैं, कहावत भविष्य  क्याम होगा, उसे वर्तमान के लक्षणों से जाना जा सकता है।
त सपूत तो काहे धन संचै,पूत कपूत तो काहेधन संचै, कहावत धन का संचय अच्छा, नहीं।
पूरब जाओ या पच्छिम,वही करम के लच्छ न , कहावत भाग्यज और स्व,भाव सब स्थाचन साथ्ळा  रहता है।
पेड़ फल से जाना जाता है, कहावत कर्म का महत्वन उसके परिणाम से होता है।
पैसा गॉंठ का, जोरू साथ की, कहावत अपने पास पैसा और पत्नीउ हो तो जीवन सुखी रहता है।
प्या सा कुऍं के पास जाता है , कहावत जिसे गरज़ होती है वही दूसरों के पास जाता है।
फलूदा खाते दॉंत टूट तो टूटें, कहावत स्वााद के लिए नुकसान भी मंजूर है।
फिसल पड़े तो हर गंगा, कहावत काम बिगड़ जाने पर कहना कि मैंने स्ववयं चाहा था1
फुई-फुई करके तालाब भरता है, कहावत थेड़ा-थोड़ा जमा करते –करते ढेर हो जाता है।
बंदर क्याा जोन अदरक का स्वारद, कहावत वस्तुि का महत्वर नहीं समझना।
बकरी की जान गई खाने वाले को मज़ा नह आया, कहावत इतना भारी काम किया फिर भी सराहना नहीं हुई।
बकरी ने दूध दिया पर मेंगनी भरकर, कहावत काम किया तो अवश्यप पर सद्भाव से नहीं।
बड़ी मछली छोटी मछली को खती है, कहावत निर्बल सबल द्वारा सताया जाता है।
बड़े बरतन का खुरचन भी बहुत है, कहावत जहॉं बहुत होता है वहॉं घपब्तेह-घटते भी काफी रह जाता है।
बड़े बोल का सिर नीचा, कहावत जो घ्मंलड करता है उसको नीचा देख्‍ाना पड़ता है।
बड़ो के कान होतजे हैं,ख्‍ ऑंखे नहीं , कहावत बड़े लोग सुनी-सुनाई बातों पर विश्वाहस कर लेते हैं।
बकनक पुत्र जाने कहा गढ़ लेवे की बात, कहावत छोटा आदमी बड़ा काम नहीं कर सकता।
बनी के सब यार हैं, कहावत अच्छेे दिनों में सब दोस्ता बनते हैं।
बरतन से बरतन खटकता ही है, कहावत जहॉं चार लोग होते हैं वहॉं कभी अनबन हो सकती है।
बहती गंगा में हाथ धो लो, कहावत मौका मिले तोतुरन्तध लाभ उठाओ।
बहरा सो गहरा, कहावत चुप्पाो बहुत चालाक होता है।
बहुत  जोगी मठ उजाड़, कहावत बहुत लोग हो जाएं तो काम खराब हो जाता है।
बॉंझ का जाने प्रसव की पीड़ा, कहावत दु:ख को दु:खी ही समझता है।
बॉंह गहे की लाज, कहावत शरण में आए की रक्षा करनी चाहिए।
बाड़ ही जब खेत को खए तो रखवाली कौन करे, कहावत रक्षक ही भद्वक्षक हो जाए तो कोई चारा नहीं।
बाप भला न भइया, सब से भला रूपइया, कहावत नाते रिश्ते बेकार, पैसा सब कुछ है।
बाप न मारे मेढ़की, बेटा तीरंदाज़, कहावत बड़े से छोटा बढ़ गया।
बाप से बैर, पूत से सगाई, कहावत बड़ों की परस्पढर शत्रुता, छोटों की आपस में मित्रता।
बापै पूत पिता पर थोड़ा, बहुत नहीं तो थोड़ा -थोड़ा, कहावत पुत्र पर पिता का थोड़ा –बहुत प्रभाव अवश्यथ रहता है।
बारह गॉंव का चौधरी अस्‍सी गॉंव का राव, अपने काम न आवे तो ऐसी – तैसी में जाव, कहावत बड़ा होकर यदि किसी के काम न आए , तो उसका बड़प्पेन व्यैर्थ है।
बारह बरस पीछे धूरे के भी दिन फिरते हैं, कहावत एक न एक दिन अच्छेह दिन आ ही जाते हैं।
बावरे गॉंव में ऊँट आया  किसी ने देखा किसी से नहीं देखा, कहावत नयी चीज़ की कद्र सब लोग करते हैं।
बासी कढ़ी में उबाल आया, कहावत उम्र बढ़ जाने पर शौक चर्राया।
बासी बचे न कुत्ताढ खाए, कहावत जरूरत भी की चीज़।

शनिवार, 27 फ़रवरी 2010

हिन्‍दी लोकोक्तियॉं ( कहावत) क तक

हिन्‍दी लोकोक्तियॉं ( कहावत) क तक

कंगाली में आटा गीला, कहावत एक मुसीबत पर दूसरी मुसीबत आ पड़ना।
ककड़ी के चोर को फॉंसी नहीं दी जाती , कहावत छोटे अपराध के लिए इतना कड़ा दंड उचित नहीं।
कचहरी का दरवाजा खुला है, कहावत न्याीय चाहते हो तो न्याउयालय में जाओ।
कड़ाही सें गिरा चूल्हेह में पड़ा, कहावत छोटी विपत्ति से छूटकर बड़ी विपत्ति में पड़ जाना।
कबीर दास की उलटी बानी, बरसे कंबल भीगे पानी, कहावत उलटी बात करना।
कब्र में पॉंव लटकाए बैठा है , कहावत मरणासन्न ।
कभी के दिन बड़े कभी की रात , कहावत सब दिन एक समान नहीं होते।
कभी नाव गाड़ी पर , कभी गाड़ी नाव पर , कहावत हालात बदलते रहते हैं।
कमली ओढ़ने सेफकीर नहीं होता, कहावत ऊपरी वेशभूषा से किसी के अवगुण नहीं छिप जाते ।
कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात वापस नहीं आती, कहावत बात सोच- समझकर करनी चाहिए।
करत-करत अभ्यामस के जड़मति होत सुजान, कहावत प्रयत्ना करते रहना चाहिए, सफलता मिलेगी।
करम के बलिया, पकाई खीर हो गया दलिया, कहावत पकाई खीर हो गया दलिया
करमहीन खेती करे,बैल मरे या सूखा पड़े, कहावत दुर्भाग्यत हो तो कोई न कोई काम खराब होता रहता है।
कर ले सो काम ,भज ले सो राम, कहावत कर्म करने और पूजापाठ करने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए।
कर सेवा तो खा मेवा , कहावत सेवा करने वाले को अच्छान मेवा मिलता है।
करे कोई भरे कोई, कहावत किसकी करनी का फल कोई और भोगे।
करे दाढ़ीवाला, पकड़ा जाए जाए मुँछोंवाला, कहावत बड़ों के अपराध के लिए छोटे को दोषी ठहराया जाता है।
कल किसने देखा है, कहावत भविष्यन में क्याछ होगा , कौन जानता है।
कलाल की दुकान पर पानी पियो तो भी शराब का शक होता है, कहावत बरी संगत में कलंक लगता है।
कहने से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता, कहावत मनामनी करनेवाला दूसरों की बात नहीं मानता।
कहाँ राम – राम, कहॉं टॉंय-टॉंय, कहावत   उच्च  कोटि की वस्तुा से किसी निम्न- कोटि की वस्तुव की तुलना नहीं हो सकती है।
कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानमती ने कुनबा जोड़ा, कहावत बेमेल चीजें जोड़-जोड़कर कुछ बना लेना।
कहीं गधा भी घोड़ा बनसकता है, कहावत बुरा या छोटा आदमी कभी भला/बड़ा नहीं बन सकता।
सकता।कहें खेत की, सुने खलिहान की, कहावत कहा कुछ गया और समझा कुछ गया।
कागज़ कीनाव नहीं चलती, कहावत बेईमानी या धोखेबाज़ी ज्यायदा दिन नहीं चल सकती।
काजल की कौठरी में कैसो हू सयानो जाय एक लीक काजल की लगिहै सो लागिहै, कहावत बुरी संगत में कभी न कभी कलंक अवश्यय लगेगा।
काज़ी जी दुबले क्यों  शहर के अंदेशे से, कहावत अपनी चिन्ताब न करके दूसरों की चिन्तास में घुलना।
काठ की हॉंडी एक बार ही चढ़ती है, कहावत धोखेबाजी हर बार नहीं चल सकती है।
कान में तेल डाले बैठे हैं, कहावत कुछ सुनते ही नहीं , दुनिया की खबर ही नहीं।
काबुल में क्याह गधे नहीं होते, कहावत कुछ न कुछ बुराई सब जगह होती है।
काम  का नकाज का , दुश्मोन अनाज का , कहावत निकम्मा  आदमी, खाने के लिए होशियार।
काम को काम सिखाता है , कहावत काम करते-करते आदमी होशियार हो जाता है।
काल के हाथ कमान,बूढ़ा बचे न जवान: काल न छोड़े राजा, न छोड़े रंक, कहावत मृत्युछ सब को मस लेती है।
काला अक्षर भैंस बराबर , कहावत न पढ़ा न लिखा।
काली के ब्यााह को सौ जोखिम, कहावत एक दोष होने पर लोग अनेक दोष निकाल देते हैं।
किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान, कहावत स्वातभिमान की रक्षा नौकरी में नहीं हो सकती।
किस खेत का बथुआ है, किस खेत की मूली है, कहावत अरे ,वह तो नग्य्व   है।
किसी का घर जले कोई तापे, कहावत किसी के दु:ख पर खुश होना।
कुंजड़ा अपने बेरों को खट्टा नहीं बताता, कहावत कोई अपने माल को खराब नहीं कहता।
कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है, कहावत लाभ जहरॉं से होता है वहीं खर्च हो जाता है।
दाल में कुछ काला होना, कहावत कुछ न कुछ गड़बड़ अवश्यह होना।
कुतिया चोरों से मिल जाए तो पहरा कौन दे, कहावत तब रक्षक ही बेईमान हो जाए तो क्याौ चारा ?
कुत्ताष भी दुम हिलाकर बैठता है, कहावत सफ़ाई सब को पसंद होनी चाहिए।
कुत्तेस की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी, कहावत लाख प्रयत्न  करो, कुटिल व्य क्ति अपनी कुटिलता नहीं छोड़ता।
कुत्तेर को घी नहीं पचता, कहावत नीच आदमी उच्चे पद पाकर इतराने लगता है।
कुत्तेम कमे चौकने से हाथी नहीं डरते , कहावत महापुरूष नीचों की निंदा से नहीं घबराते।
कुम्हाूर अपना ही घड़ा सराहता है, कहावत हर कोई अपनी वस्तुप की प्रशंसा करता है।
कै हंसा मोती चुगे कै भूखा मर जाय, कहावत प्रतिष्ठित व्युक्ति अपनी मर्यादा में रहता है।
कोई मरे कोई जीवे सुथरा घोल बताशा गावे, कहावत सबको अपने सुख-दु:ख से मतलब होता है।
कोई माल मस्तख, कोई हाल मस्तत, कहावत कोई अमीरी से संतुष्टत, कोई गरीबी में भी संतुष्टकहै।
कोठी वाला रोवें, डप्प,र वाला सोवे, कहावत धनवान चिंतित रहता है, गरीब निश्चिंत है। 
कोयल होय न उजली सौमन साबुन लाइ, कहावत स्ववभाव नहीं बदलता।
कोयलों की दालाली में मुँह काला, कहावत बुरों के संगत से कलंक लगता है।
कौड़ी नहीं गॉंठ चले बाग की सैर, कहावत साधन नहीं तो काम क्योंग करने लगे।
कौन कहे राजाजी नंगे हैं, कहावत बड़े लोगों की बुराईनहीं होती।
कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल, कहावत दूसरों की नकल करने से अपनापन खो जाता है।
क्याो पिद्दी और क्याख पिद्दी का शोरबा, कहावत तुच्छं वस्तुद या व्याक्ति से बड़ा काम नहीं हो सकता है।

हिन्‍दी लोकोक्तियॉं ( कहावत) अ से ओ तक

हिन्‍दी लोकोक्तियॉं ( कहावत) अ से ओ तक

ऊँची दुकान फीका पकवान, कहावत बाहरी दिखावा अधिक ,गुणकर्म कम--बहुत सूना था की ताज पैलेस का खाना स्व दिष्टण है पर यहॉं भी ऊँची दुकान फीकी पकवान वाली बात ही सही निकली है।
अंधा बॉंटे रेवड़ी(शीरनी), फिर-फिर अपनों को दे, कहावत अपने अधिकार का लाभ अपनों को ही पहुँचाना--यह तो अंधा बॉंटे रेवड़ी, फिर-फिर अपनों को दे वाली बात हो गई । मुख्यट मंत्री बनते ही उसने अपने पूरे मंत्रीमंडल में सभी रिश्तेवदारों को को मंत्री बना दिया।
अधजल गगरी छलकत जाए, कहावत ओछा आदमी थोड़ा गुण या धन होने पर इतराने लगता है--चार अक्षर अंग्रेजी के क्याे पढ़ गया । सब पर अपनीटूटी-फॅटी अंग्रेजी का रोब झाड़ता रहता है । ठीक ही कहा गया है कि अधजल गगरी छलकत जाए।
अब पछताए होत क्याा जब चिडिया चुग गई खेत, कहावत नुकसान हो जाने के बाद पछताना बेकार है।--परीक्षा के दिनों में तुमने पढ़ाई नहीं की ,फ़ेल होना ही था। अब पछताए होत क्यां जब चिडिया चुग गई खेत।
ऑंख के अंधे नाम नैनसुख, कहावत नाम बड़ा और गुण उसके विपरीत--नाम है धनीराम औरखाने को दो वक्ता की रोटी नहीं।इसी को कहते है ऑख के अंधे, नाम नैनसुख।
आटे के साथ घुन भी पिसता है, कहावत  दोषी के साथ निदोर्ष भी मारा जाता है--उसके साथ नहीं रहना, वह अपराधी प्रवृत्ति का आदमी है अन्य,था तुम परेशानी में आ जाओगे। याद रखना आटे के साथ घुन भी पिसता है।
आदमी –आदमी अंतर कोई हीरा कोंई कंकर , कहावत हर आदमी का गुण स्वाभाव दूसरे से भिन्न  होता है--एक ही बाप के दो बंटेहैं- एक अमीर और दूसरा गरीब या एक योग्यै दूसरा अयोग्यब। आदमी –आदमी अंतर कोई हीरा कोंई कंकर 
आम के आम गुठलियों के दाम, कहावत दोहरा लाभ--तुम गनने का रस बेचते हो और छीलन गौशाला वाले खरीद ले तोते हैं। यही है आम के आम गुठलियों के दाम का उदाहरण।
उल्टाण चोर कोतवाल को डॉंटे, कहावत दोषी होन पर धौंस जमाना--मनोहर एक तो तुमने गलती की और गलती के लिए मुझे जिम्मेादार मान रहे हो । वाह। यह तो उल्टार चोर कोतवाल को डॉंटे वाली बात हुई।
का वर्षा  जब कृषी सुखाने, कहावत अवसर निकलने जाने पर सहायता व्युर्थ होती है--कहते रहे कि दवा लो, अपना इलाज करोओ। सख्त  बीमार पड़े तो कहीं डाक्टोर को बुलाया गया। पर अब मो दम तोड़ दिया था। का वर्षा जब कृषी सुखाने।
खिसियानी बिल्लीप खंभा नोचे , कहावत शर्म के मारे क्रोध करना--अपनी हार होते देख वह श्याडम से बेवजह ही लड़ने लगा। इसी को कहते हैं खिसियानी बिलली खंभा नोचे। 
तबेले की बला बंदर के सिर, कहावत अपराध कोई करे और पकड़ा कोई और जाए--उस बेचारे को इस मामले में क्योंर घसीटते हो ? इसने नहीं मारा। मारनेवाला तो भाग गया । अब तबेले की बला बंदर के सिर डाल रहे हो।
थेथ चना बाजे घना, कहावत कम ज्ञान या गुण रखने वाला बातें बढ़-बढ़कर करता है--वह केवल मिडिल तक पढ़ा है, परकुछ कहानियॉं याद रखी हैं। यहीं सुनाकर गॉंव वालों पर रोब जमाता है। थोथा चना बाजे घना।
दमड़ी की बुढिया टका सिर मुँड़ाई, कहावत मामूली चीज़ के रखरखाव या मरम्मईत पर ज्याादा खर्चा --दो सौ रूपये की साइकिल है, अब जीन ट्यूब, टायर और मरम्मवत के तीन सौ मॉंग रहे हो । कुछ तो सोचो , दमड़ी की बुढिया टका सिर मुँड़ाई।
नाचने निकली तो घूँघट क्यात कोई काम करने में शर्म कैसी
बिल्लीम के भागों छींका टूटा, कहावत जैसा चाहा, वैसा हो गया।--मैंने गृह कार्य नहीं किया था जिससे मास्टचरजी का डर लग था परन्तु  ज्ञात हुआ कि मास्टकरजी 03 दिनों की छुट्टी पर चले गए हैं। अच्छात हुआ, बिल्लीथ के भागों छींका टूटा। 
भागते भूत की लँगोटी ही सही, कहावत कुछ भी मिलने की आशा न हो और कुछ मिल ही जाए--मनोहर ने कभी 50 रूपया चंदा नहीं दिया पर इस बार उसने बहुत आग्रह करने पर उसने 5 रूपये चंदा दिया है । चलो ठीक ही है, भागते भूत की लंगोटी ही सही। 
मान न मान मैं तेरा मेहमान, कहावत ज़बरदस्ती  का मेहमान--हमने उसे न्योहता नहीं दिया पर वह भी प्रीतिभोज में आ गया। मान न मान मैं तेरा मेहमान।
रानी रूठेगी तो अपना सुहाग लेगी, कहावत रूठने से अपना ही नुकसान होता है।--शादी पर जाता तो कुछ पा लेता, पर नहीं आया तो उसी ने कुछ खोया । रानी रूठेगी तो अपना सुहाग लेगी।
सॉंझे की हॉंड़ी चौराहे फूटी, कहावत जिम्मेकदारी एक व्यटक्ति की होनी नहीं तो काम खराब हो जाता है--दुकान में दोनों साझीदार थे । एक समझता था मैं क्योंा ज्यातदा काम करूँ, दूसरा समझता था मैं क्यों  ? उसी में व्यायपार ठप हो गया और सॉंझे की हॉंड़ी चौराहे पर फूट गई। 
अंडा सिखावे बच्चेॉ को चीं-चीं मत कर , कहावत छोटा बड़े को उपदेश देता है
अंडे सेवे कोई, बच्चे  लेवे कोई, कहावत परिश्रम किसी का , लाभ किसी और को
अंडे होंगे तो बच्चेक बहुतेरे हो जाएंगे, कहावत मूल वस्तुे रहेगी तो उससे बनने वाली वस्तु,ऍं तो प्राप्त  होंगी ही
अंत भला सो सब भला, कहावत परिणाम अच्छाब हो जाए तो सब कुछ अच्छा् माना जाता है।
अंत भले का भला, कहावत करभला, तेरा भी होगा भला
अंधा क्याा चाहे, दो ऑंखें, कहावत आवश्यकक वस्तुा की चाह सब को होती है
अंधा क्याा जाने बसंत बहार, कहावत जिसने जो वस्तु  नहीं देखी , वह उसका आनंद क्याा जाने।
अंधा पीसे कुत्ता‍ खाए, कहावत एक की मजबूरी से देसरे को लाभ हो जाता है
अंधा बगुला कीचड़ खाए, कहावत अभागा सुख से वंचित रहा जाता है
अंधा राजा चौपट नगरी, कहावत मुखिया ही मूर्ख और लापरवाह हो तो घरउजड़ जाता है
अंधा सिपाही कानी घोड़ी,विधि ने खूब मिलाई जोड़ी, कहावत दोनों साथियों में एक से अवगुण हैं
अंधे अंधा ठेलिया दोनों कूप पडंत, कहावत दो मूर्ख परस्पयर  सहायता करें तो भी किसी को लाभ नहीं होता
अंधे की लकड़ी, कहावत बेसहारे का सहारा
अंधे के आगे रोना, अपना दीदाखोना, कहावत जिसको अपने से सहानुभूति नहीं उसके सामने अपना दुखड़ा रोना बेकार है।
अंधे के हाथ बटेर, कहावत अनायासही कोई वस्तुु मिल जाना
अंधे को अंधा कहने से बुरा लगता है, कहावत कटु वचन सत्य  होने पर भी बुरा लगता है
अंधे को अँधेर में बड़े दूर की सूझी , कहावत जब कोई मूर्ख दूरदर्शी बात कहे (व्यं ग्यब)
अंधेर नगरी चौपट राजा , टके सेर भाजी टके सेर खाजा, कहावत जहॉं मुखिया मूर्ख हो, वहॉं अन्याजय होता है
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता, कहावत अकेला व्याक्ति कोई बड़ा काम नहीं कर सकता
अकेला हँसता भला न रोता भला, कहावत सुख दु:ख में साथी होने चाहिए।
अक्लद बड़ी सा भैंस, कहावत शारीरिक शक्ति का महत्वभ कम है, बुद्धि का अधिक।
अच्छीि मति जो चाहों, बूढ़े पूछन जाओ, कहावत बड़े –बूढ़ों की सलाह से कार्य सित्र हो सकते हैं।
अब्काि बनिया देय उधार, कहावत गरज़ आ पड़े तो आदमी सब कुछ मान जाता है।
अटकेगा सो भटकेगा, कहावत दुविधा या सोच –विचार में पड़ोगे तो काम नहीं होगा।
अढ़ाई हाथ की ककड़ी, नौ हाथ का बीज, कहावत अनहोनी बात।
अनजान सुजान, सदा कल्याथण, कहावत मूर्ख और ज्ञानी सदा सुखी रहते हैं।
अनमॉंगे मोती मिलें, मॉंगे मिले न भीख, कहावत सौभाग्य  से कोई बढिया चीज़ अपने –आप मिल जाती है और दुर्भाग्यो से घटिया चीज़ प्रत्यनत्नआ करने पर भी नहीं मिलती।
अपना-अपना कमाना,अपना-अपना खाना, कहावत किसी का साझा अच्छाम नहीं।
अपना घर दूर से सूझता है, कहावत जो सुख चौबारे न बखल न बुखारे।
अपना ढेंढर देखे नहीं, दूसरे की फुल्लीा निहारे, कहावत अपने ढेर सो दुर्गण न देखना, दूसरे के थोड़े से अवगुण की चर्चा करना।
अपना मकान कोट समान, कहावत अपने घर में जो सुख होता है वह कहीं नहीं।
अपना रख पराया चख, कहावत अपनी नहीं,दूसरों की चीज़ का इस्तेकमाल करना।
अपना लाल गँवाय के दर-दर मॉंगे भीख, कहावत अपनी चीज़ बहुमूल्यद होती है, उसे खोकर आदमी दूसरों का माहताज हो जाता है।
अपना ही पैसा खोआ तो परखने वाले का क्या  दोष, कहावत अपनी ही चीज़ खराब हो तो दूसरों को दोष देना उचित नहीं है।
अपनी – अपनी खाल में सब मस्तष, कहावत अपनी परिस्थिति से सतुष्ट  रहना।
अपनी-अपनी तुनतुनी (ढफली), अपना -अपना राग, कहावत सब अलग-अलग मनामाना काम करते हैं।
अपनी करनी पार उतरनी, कहावत अपना किया काम ही फलदायक होता है।
अपनी गरज से लोग गधे को भी बाप बनाते हैं, कहावत स्वाेर्थ के लिए छोटे आदमी की खुशामद करनी पड़ती है।
अपनी गरज बावली, कहावत स्वा र्थी आदमी दूसरों की चिंता नहीं करता।
अपनी गली में कुत्ताी शेर, कहावत अपने घर में सबका ज़ोर होता है।
अपनी गॉंठ पैसा तो, पराया आसरा कैसा, कहावत आदमी स्व यं समर्थ हो तो दूसरे का भरोसा क्योंव करेगा।
अपनी चिलम भरने को मेरा झोपड़ा जलाते हो, कहावत अपने अल्प  लाभ के लिए दूसरे की भारी हानि करते हो।
अपनी छाछ को कोई खट्टा नहीं कहता, कहावत अपनी चीज़ को कोई बुरा नहीं बताता।
अपनी टॉंग उघारिए आपहि मरिए लाज, कहावत अपने घर की बात दूसरों से कहते पर बदनामी होती है।
अपनी नींद सोना, अपनी नींद जागना, कहावत पूर्ण स्व तंत्र होना।
अपनी नाक कटे तो कटे दूसरों का सगुन तो बिगड़े , कहावत दुष्टग लोग दूसरों का नुकसान करेंगे ही, भले ही अपना भी नुकसान हो जाए।
अपनी पगड़ी अपने हाथ, कहावत अपनी इज्जीत अपने हाथ।
अपने किए का क्याज इलाज, कहावत अपने कर्म का फल भोगना ही पड़ता है।
अपने झोपड़े की खैर मनाओ, कहावत अपनी कुशल देखो।
अपने पूत को कोई काना नहीं कहता, कहावत अपी खराब चीज़ को कोई खराब नहीं कहता।
अपने मुँह मिया मिट्ठू बनाना, कहावत अपनी बड़ाई आप करना।
अब की अब के साथ, जब की जब के साथ, कहावत सदा वर्तमान की ही चिंता करनी चाहिए।
अब सतवंती होकर बैठी लूट लिया सारा संसार, कहावत सो उम्र बुरे कर्म किए अब संत बन बैठे हैं।
अभी तो तुम्हाकरे दूध के दॉंत भी नहीं टूटे, कहावत अभी तुम बच्चेक हो, अनजान हो।
अभी दिल्ली् दूर है, कहावत अभी कसर बाकी है।
अमरी की जान प्यालरी, गरीब को दम भारी, कहावत गरीब को जान के लाले हैं।
अरहर की टट्टी गुजराती ताला, कहावत मामूली वस्तुी की रक्षा के लिए इतना खर्च ।
अलख पुरूष की माया, कहीं धूप कहीं छाया, कहावत ईश्वपर की लीला देखिए- कोठ्र सुखी है कोई दु:खी है।
अशर्फियॉं लुटें और कोयलों पर मोहर, कहावत मूल्यिवान वस्तुल भले ही दे दें, छोटी-छोटी चीज़ों को बचा-बचा कर रखना।
ऑंख एक नहीं कजरौटा दस-दस, कहावत व्य र्थ आडंबर।
ऑंख ओट पहाड़ ओट, कहावत ऑंख से ओझल हुए तो समझो कि बहुत दूर हो गए।
ऑंख ओर कान में चार अंगुल का फर्क, कहावत ऑंखों देखी बात का विश्वा स करना, कानों सुनी का नहीं।
ऑंख के आगे नाक, सूझे क्यार खाक, कहावत ऑंख के आगे परदा पड़ा है तो क्याे सूझे।
ऑंख बची माल दोस्तोंा का , कहावत पलक चूकने से माल गायब हो सकता है।
ऑंख सुख कलेजे ठंडक, कहावत परम शान्ति।
ऑंख एक नहीं केलजा टुक-टुक, कहावत बनावटी दु:ख प्रकट करना।
आई तो ईद, न आई तो जुम्मेारात, आई तो रोज़ी नहीं तो राज़ा, कहावत आमदनी हुई तो मौज, नहीं तो फॉंका ही सही।
आई मौज फकीर की, दिया झोपड़ा फूँक , कहावत मौजी और विरक्तौ आदमी किसी चीज़ की परवाह नहीं करता।
आई है जान के साथ, जाएगी जनाज़े के साथ, कहावत लाइलाज बीमारी।
आओ-जाओ घर तुम्हाीरा, खाना मॉंगे दुश्मजन हमारा, कहावत झूठ-मूठ का सत्का,र।
आग, कहते मुँह नहीं जलता, कहावत  केवल नाम लेने से कोई हानि-लाभ नहीं होता।
आग का जला आग ही से अच्छाह होता है, कहावत कष्टत देने वाली वस्तुि कष्ट  का निवारण भी कर देती है।
आग खाएगा तो अंगार उगलेगा, कहावत बुरे काम का बुरा फल।
आग बिना धुऑं नहीं , कहावत हर चीज़ का कारण अवश्ये होता है।
आग लेगने पर कुऑं खोदना, कहावत आवश्यगकता पड़ने से पहले कुछ न करना।
आगे जाए घुटने टूट, पीडे देखे ऑंख फूटे, कहावत जिधर जाऍं उधर ही मुसीबत।
आगे नाथ न पीछे पगहा, कहावत पूर्णत: बंधनरहित।
आज का बनिया कल का सेठ, कहावत काम करते रहने से आदमी बड़ा हो जात है।
आज मेंरी मँगनी, कल मेरा ब्या ह, टूट गई टंगड़ी, रह गया ब्यामह, कहावत आशाऍं कभी विफल हो जाती हैं।
आटे का चिराग, घर रखूँ तो चूहा खाए,बाहर रखूँ तो कोआ ले जाए, कहावत ऐसी वस्तुर जिसे बचाने में कठिनाई हो।
आठ कनौजिया नौ चूल्हेि, कहावत अलगाव की स्थिति।
आठ बार नौ त्यौिहार, कहावत मौज मस्ती  का जीवन।
आदमी का दवा आदमी है, कहावत मनुष्या ही मनुष्या की सहायता करते हैं।
आदमी को ढाई गज कफन काफी है, कहावत आदमी बेकार सुख-साधन जुटाने में लगा रहता है।
आदमी जाने बसे सोना जाने कसे, कहावत आदमी व्य वहार से और सोना कसौटी पर कसने से हानि होती है।
आदमी पानी का बुलबुला है, कहावत मनुष्या जीवन नाशवान है।
आधा तीतर आधा बटेर, कहावत बेमेल चीज़ों का सम्मिश्रण ।
आधी छोड़ सारी को धावे, आधी रह न सारी जावे, कहावत अधिक लालच करने से हानि होती है।
आप काज़ महा काज़, कहावत अपना काम स्वकयं करना अच्छाी होता है।
आप न जावे सासुरे औरों को सिख देय, कहावत आप तो ऐसा करते नहीं दूसरे को सीख देते हैं।
आप पड़ोसन लड़े, कहावत ख़ाहमख़ाह झगड़ा करना।
आप भला तो जग भला, कहावत भले आदमी को सब भले ही मिलते हैं।
आप मरे जग परलय, कहावत अपने मरने के बाददुनिया में कुछ भी हुआ करे।
आप मरे बिन स्वार्ग न जावे, कहावत बिना स्वियं किए काम ठीक नहीं होता।
आप मियॉं जी मँगते द्वार खड़े दरवेश, कहावत  अपने पास कुछ है नहीं दूसरों की सहायमता क्याह करेंगे।
आपा तेजे तो हरि को भजे, कहावत स्वातर्थ को छोड़ने से ही परमार्थ सिद्ध होता है।
आब –आब कर मर गया सिरहाने रखा पानी, कहावत वस्तुे के सुलभ होने पर भी भाषा आड़े आती है।
आ बला गले लग, आ बैल मुझे मार, कहावत ख़ाहमख़ाह मुसीबत मोल लेना।
आम खाने से काम, पेड गिनने से क्यात काम , कहावत अपने मतलब की बात करो।
आए की खुशी न गए का गम, कहावत हर हालात में एक जैसा विरक्तै।
आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास, कहावत उच्चत लक्ष्यो लेकर चलना पर कोई घटिया काम करने लगना।
आस-पास बरसे दिलली पड़ी तरसे, कहावत जिसकी आवश्यहकता है उसे न मिले।
आसमान का थूका मुँह पर आता है, कहावत बड़े लोगों की निंदा करने से अपनी ही बदनामी होती है।
आसमान से गिरा खजूर पर अटका, कहावत कोइ्र काम पूरा होते-होते रह गया। एक मुसीबत से निकले तो दूसरी आ पड़ी।
इक नागिन अरू पंख लगाई, कहावत
एक करेला/गिलोय, दूसरे नीम चढ़ा , कहावत एक के साथ दूसरा दोष।
इतना खाए जितना पवे, कहावत सीमा के अंदर कार्य करना चाहिए।
इतनी सी जान, गज भर की ज़बान, कहावत अपनी उम्र के हिसाब से बहुत बोलना।
इधर कुऑं उधर खाई, कहावत हर हालत में मुसीबत।
इध्‍ार न उधर, यह बला किधर, कहावत अचानक विपत्तीर आ पड़ना।
इन तिलों में तेल नहीं, कहावत यहॉं से कुछ भी मिलने को नहीं।
इसके पेट में दाढ़ी है, कहावत उम्र कम और बुद्धि अधिक।
इस धर का बाबा आदम ही निराला है, कहावत यहॉं सब कुछ विचित्र है।
इस हाथ ले उस हाथ दे, कहावत कर्मफल तुरंत मिलता है।
ईंट की देवी, मॉंगे प्रसाद, कहावत जैसा व्येक्ति वैसा आवभगत।
ईंट की लेनी, पत्थवर की देना, कहावत दुष्टीता के बदले अधिक दुष्टाता।
ईद का चॉद , कहावत बहुत दिनों बाद दिखाई देने वाला (व्य।क्ति)
ईट के पीछे टर्र , कहावत समय बीत जाने पर काम करना।
उँगली पकड़ते पहुँचा पकड़ना, कहावत थोड़ा आसरा पाकर पूर्ण अधिकार पाने की हिम्मात बढ़ना।
उगले तो अंधा, खए तो कोढ़ी, कहावत दुविधा में पड़ना।
उतर गई लोई तो क्या  करेगा कोई, कहावत इज्ज़ात न रहने पर आदमी निर्लज्ज़, हो जाता है।
उत्त़र जाए कि दक्खिन, वही करम के लक्ख़न, कहावत भागय दुर्भाग्य  हर जगह साथ देता है।
उपजतिं एक संग जल माहीं, जलज जोंक जिमि गुण विलगाहीं, कहावत एक पिता के बेटे भी एक जैसे नहीं होते।
उलटी गंगा पहाड़ चली, कहावत असंभव या विपरीत बात होना।
उलटे बॉंस बरेली को, कहावत विपरीत कार्य करना।
एसीकी जूती एसी का सिर, कहावत जिसकी करनी, उसी को फल मिलता है।
ऊँट किस करवट बैठता है, कहावत निर्णय किसके पक्ष में होता है।
ऊँट की चोरी झुके-झुके, कहावत कोई बड़ा काम चोरी- छिपे नहीं किया जा सकता।
ऊँट के गले में बिल्ली ‍, कहावत विपरीत वस्तुेओं का मेल।
ऊँट के मुँ‍ह में जीरा, कहावत खाने को बहुत कम प्राप्ते होना।
ऊधो का लेना न माधो का देना, कहावत निश्चिन्तन और बेलाग रहना।
एक अंडा वह भी गंदा, कहावत चीज़ भी थोड़ी है और जो है वह भी बेकार ।
एक ऑंख से रोवे, एक ऑंख से हँसे, कहावत दिखावटी रोना।
एक अनार सौ बीमार , कहावत चीज़ कम और चाहने वाले ज्या दा।
एक आवे के बर्तन , कहावत यब एक जैसे।
एक और एक ग्यातरह होते हैं, कहावत एकता में बल है। 
एक के दूने से सौ के सवये भले, कहावत
 अधिक लाभ पर कम माल बेचने के अपेक्षा कम लाभ पर अधिक माल बेचना अच्छाम होता है।
एक गंदी मछली सारे तलाब को गंदा कर देती है, कहावत एक बुरा आदमी सारी बिरादरी की बदनामी कराता है।
एक टकसाल के ढले , कहावत
  सब एक जैसे हैं।
एक तवे की रोटी, क्यात छोटी क्याक मोटी, कहावत कोई भेदभाव नहीं होना/ समानता होना।
एक तो चोरी दूसरे सीना-जोरी , कहावत अपराध करके उलटे रोब गॉंठना।
एक (ही) थैली के चट्टे-बट्टे , कहावत एक जैसे दुर्गुण वाले।
एक मुँह दो बात, कहावत अपनी बात से पलट जाना।
एम म्यातन में दो तलवारें नहीं समा सकती, कहावत समान अधिकार वाले दो च्यतक्ति ण्कन क्षेत्र में नहीं रह सकते हैं।
एक हाथ से ताली नहीं बजती, कहावत झगड़े के लिए दोनों पक्ष जिम्मे दार होते हैं।
एक ही लकड़ी से सबको हॉंकना, कहावत छोटे-बड़े का ध्यानन न रखकर सबके साथ एक जैसा व्यहवहार करना।
एकै साधे सब सधे, सब साधे सब जाय, कहावत यक समय में एक ही काम हाथ में लेना चाहिए।
ऐसे बूढ़े बैल को कोन बॉंध भुस देय, कहावत एक समय एक ही काम हाथ में लेना चाहिए।
ओखली में सिरा दिया तो मूसल का क्याए डर, कहावत कठिन कार्य हाथ में लेने पर कठिनाइयों से नहीं डरना चाहिए।
ओस चाटे प्याास नहीं बुझती, कहावत बहुत थोड़ी वस्तु‍ से आचवश्य कता की पूर्ति नहीं होती है।

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2010

समग्र हिन्दी मुहावरे संग्रह

समग्र हिन्दी मुहावरे संग्रह
कंधे से कंधा छिलना, मुहावरा भारी भीड़ होना मेलों-ठेलों में यात्रियों के कंधे से कंधे छिलता है। 
ककड़ी-खीरा समझना, मुहावरा नगण्यभ या तुच्छय समझना मैं तुमसे निपट लूँगा, क्याम मुझे ककड़ी-खीरा समझ रखा है। 
कच्चाु चिट्ठा खोलना, मुहावरा सब भेद खोल देना मेरा हिस्साद दे दो,नहीं तो तुम्हाहरा सारा कच्चाा चिट्ठा खोल दूँगा। 
कच्चीह गोली खेलना, मुहावरा अनुभवहीन होना तुम उसे फुसला नहीं सकते । वह कच्चीी गोटी नहीं खेला है। 
कट जाना, मुहावरा शार्मिंदा होना तेरा मुहँतोड़ जवाब सुनकर वह कट गया।
कटे पर नमक छिड़कना , मुहावरा दु:खी को और दु:खी करना वह उदास बैठा है, ऊपर से उसे चिढ़ाते हो। कटे पर नमक मत छिड़को। 
कढ़ी का सा उबाल, मुहावरा मामूली जोश उत्सलवों पर हमारा उत्सााह कढ़ी का सा उबाल बनकर रह गया है।
कदम उखड़ना, मुहावरा भाग खड़े होना हमारी सेनाओं की मार से शत्रु सेना के कदम उखड़ने लगे। 
कन्नीा काटना, मुहावरा कतरा कर निकल जाना मेरा उधार देना है। जब इधर आता हे तो कन्नीद काटकर निकल जाता है। 
कमर कसना, मुहावरा तैयार हो जाना उन्होंहने कमर कस ली और हल चलाने निकल पड़े। 
कलम का धनी, मुहावरा अच्छाा लेखक निराला भी कलम के धनी थे। 
कलम तोड़ना, मुहावरा बढिया लिखना प्रसाद ने कामायनी क्याे लिखी,कलम तोड़ दी। 
कली खिलना, मुहावरा खुश होना तुम आ जाते तो मरे दिल की कली खिल जाती है।
कलेजा ठंडा होना, मुहावरा मन को शांति मिलना बेटा पास हो गया । मौं का कलेजा ठंडा हुआ। 
कलेजा धक से रह जाना, मुहावरा डर जाना रास्तेा में सॉंप देखा तो मेरा कलेजा धक से रह गया। 
कलेजा मुँह को आना, मुहावरा दु:ख होना मरीज़ की चीत्काोर का ध्याान आते ही कलेजा मुँह को आता है। 
कलेजा का टुकड़ा, मुहावरा बहुत प्याटरा बेटा मेरा प्याटरा बैटा मेरे कलेजे का टुकड़ा है। 
कलेजे पर सॉंप लोटना, मुहावरा डाह से कुढ़ना मेरी उन्नढति देखकर उसके कलेजे पर सॉंप लोटता है। 
कहा-सुनी होनी, मुहावरा झगड़ा होना मामूली –सी बात पर पड़ोसियों में कहा-सुनी हो गई। 
कॉंटा दूर होना, मुहावरा बाधा दूर होना उसका तबादला हो गया। उच्छाु हुआ कि मेरे रास्तेह का कॉंटा दूर हुआ। 
कॉंटे बिछाना, मुहावरा अड़चने पैदा करना चाहे उसने मेरी राह में जितने कॉंटे बिछाए पर मेरे लड़के का विवाह उसी घर में हुआ। 
कॉंटों पर लेटना, मुहावरा बेचैन होना रात को जब तक भाई नहीं आया मैं कॉंटों पर लोटता रहा। 
कॉंटों पर घसीटना, मुहावरा संकट में डालना भाई, तुम आपस में फैसला कर लो। मुझे कॉटों में मत घसीटो। 
कागजी घोड़े दौड़ना, मुहावरा केवल लिखा-पढ़ी करते रहना कागजी घोड़े दौड़ाने से काम नहीं बनेगा। जाकर उससे सीधे बात कर लो। 
काजल की कोठरी, मुहावरा कलंक लगने का स्था न वेश्याी मंडी काजल की कोठरी है । उधर जो जाएगा बदनामी तो होगी। 
काठ का उल्लूय, मुहावरा महामूर्ख उसे क्याल समझाए, बिनकुल काठ का उल्लूा है। 
काठ मार जाना, मुहावरा हमप्रभ हो जाना भूकंप में आहत कई लोग कुछ भी बोल नहीं पाते थे, जैसे काठ मार गया हो।
कान कतरना, मुहावरा मात करना चापलूसी में वह बड़े-बड़े खुशामदियों के कान कतरता है। 
कान खड़े होना, मुहावरा चौकन्नाे  होना डाकुओं की ललकार से उसके कान खड़े हो गए। 
कान खोलना, मुहावरा सावधान  कर देना कान खोलकर सुनो। 
कान गरम करना, मुहावरा पीटना शरारत करोगे तो तुम्हाारे कान गरम कर दूँगा। 
कान देना, मुहावरा ध्यादन से सुनना जरा इधर कान दो तो एक बात कहूँ। 
कान पकड़ना, मुहावरा गलती मान लेना मैं कान पकड़ता हूँ आइंदा ऐसी भूल नहीं करूँगा। 
कान पर जूँ तक न रेंगना, मुहावरा कुछ भी परवाह न करना बहुत समझाया पर उसके कान पर जूँ तक नहीं रेंगी। 
कान भरना, मुहावरा चुगली करना पता नहीं किसने उसका कान भर दिया है। वह मेरी सुनता ही नहीं। 
कान में डाल देना, मुहावरा सुना देना विन्ताे नहीं करों मैंने यह बात उसके कान में डाल दी है। 
कान में तेल डाले बैठना, मुहावरा सुनकर भी ध्या न न देना मैंने बहुत कहा पर वह कान में तेल डाले बैठा रहा। 
कान में फूँकना, मुहावरा चुपके से कह देना न जाने किसी ने उसके कान में क्याव फूँक दिया कि वह नाक-भौं चढ़ाता बाहर निकल गया। 
कान लगाना, मुहावरा ध्यालन देना कान लगाकर सुन लो। 
काफूर होना, मुहावरा गायब हो जाना दवा लेते ही मेरा दर्द काफूर हो गया। 
काम आना, मुहावरा शत्रु के हाथों मारा जाना देश की रक्षा करते हुए सैकड़ों जवान रण में काम आए। 
काम तमाम करना, मुहावरा मार डालना तलवार के एक ही वार में उसने शत्रु का काम तमाम कर दिया।  
काया पलट जाना, मुहावरा और ही रूप हो जाना पॉंच वर्ष में ही गॉंव का काया पलट हो गया। 
काल कवलित होना, मुहावरा मर जाना भूकंप में कई हज़ार आदमी काल कवलित हो गए। 
काल के गाल में जाना, मुहावरा मर जाना भूकंप में कई हज़ार आदमी काल के गाल में समा गए। 
काला नाग , मुहावरा खोटा या घातक व्यहक्ति ऐसे आदमी से बचकर रहना, काला नाग है। 
काला मुँह करना, मुहावरा बुरा करना उस बूढ़े ने इस उम्र में शादी करके अपना मुँह काला कर लिया। 
काले कोसों, मुहावरा बहुत दूर जवानों को कश्मीउर में काले कोसों न जाने कहॉं तैनात किया गया है। 
किताबी कीड़ा होना, मुहावरा केवल पढ़ने में लगे रहना वह तो किताबी कीड़ा है। किसी खेल कूद में रूचि नहीं रखता।
किरकिरा हो जाना, मुहावरा विघ्नर पड़ना बारिश हो जाने से पिकनिक का सारा मज़ा किरकिरा हो गया। 
किस दर्द या मर्ज़ की दवा, मुहावरा किस काम का  न यह कर सकते हो न वह कर सकते हो । आखिर किस मर्ज की दवा हो।
किस्मकत फूटना, मुहावरा बुरे दिन आना जिस काम में हाथ डालता हूँ सफलता नहीं मिलती मेरी तो किस्मात ही फूट गई है। 
कीचड़ उछालना, मुहावरा निंदा करना उसका जो काम ही है लोगों पर कीचड़ उछालना।  
कुऑं खोदना, मुहावरा किसी को हानि पहुँचाने का यत्न  करना जो दूसरों के लिए कुऑं खोदता है । वह स्व।यं उसी में गिरता है। 
कुऍं में गिरना, मुहावरा विपत्तीं में पड़ना उस दुष्ट‍ का साथ नहीं छोड़ोगे तो कुऍं में गिरोगे। 
कुऍं में भॉंग पड़ना, मुहावरा सबकी बुद्धि मारी जाना किस-किस को समझाया जाए, यहॉं तो कुऍं में भॉंग पड़ी है। 
कुछ उठा न रखना, मुहावरा कोई कसर न छोड़ना हमने दादाजी के ईलाज में कुछ उठा न रखा है। 
कुत्तेा की दुम, मुहावरा वैसे का वैसा वह कुत्तेै का दुम है कभी नहीं सुधरेगा। 
कुत्ते् की मौत मारना, मुहावरा बुरी तरह मरना हत्यातरा कुत्तेा की मौत मरा। किसी ने पानी तक नहीं पूछा। 
कूच कर जाना, मुहावरा चले जाना अंग्रेज भारत से कूच कर गए। 
कूप मंडूक, मुहावरा सीमित ज्ञान/अनुभव वाला मनोहर तो कूप मंडूक है । वह तो बस शाब्दिक अनुवाद ही जानता है। 
कोई दम भर का मेहमान होना, मुहावरा मरने के करीब होना डॉक्टकर ने कह दिया है कि वह कोई दम भर का मेहमान है।
कोढ़ में खाज होना, मुहावरा दु:ख पर और दु:ख होना लड़का खो गया। उसकी मॉं बेहोश पड़ी है।–कोढ़ पर खाज । 
कोर दबना, मुहावरा दबाव में होना बड़े भाई के सामने वह कुछ नहीं बोल सकता, उसकी कोर दवती है। 
कोल्हूा का बैल, मुहावरा कड़ी मेहनत करते जुटा रहने वाला जब देखो कुछ लिख रहा है, है ही कोल्हू  का बैल। 
कौए उड़ाना, मुहावरा घटिया काम करना कोई कमाई का धंधा करो, कब तक कौए उड़ाते रहोगे। 
कोड़ी-कौड़ी पर जान देना, मुहावरा कंजूस होना लाला कौड़ी-कौड़ी पर जान देता है, शादी पर इतना खर्च कैसे करेगा। 
खटाई पड़ना, मुहावरा टल जाना पैसे की कमी के कारण ग्राम –सुधार की योजना खटाई में पड़ गई है। 
ख्या ली पुलाव पकाना, मुहावरा व्यार्थ कल्पवना करना साधन तो है नहीं1 योजना बनाने का क्याज लाभ ? ऐसे ख्या ली पुलाव काने से क्याह होगा ?
ख़ाक छानना, मुहावरा मारा-मारा फिरना कोई काम-धंधा नहीं मिला तो ख़ाक छानते फिरते हैं। 
ख़ाक में मिलाना, मुहावरा नष्ट  करना मनोहर ने उसके पिता की इज्जमत ख़ाक में मिला दी। 
खिचड़ी पकाना, मुहावरा अंदर-अंदर षड्यंत्र रचना चुनाव में मेरे विरोधी क्यार खिचड़ी पकाते हैं। 
खुले हाथ, मुहावरा उदारता से रामू शाह ऐसे कामों के लिए खुले हाथ दान देते हैं। 
खूँटे के बल कूदना, मुहावरा कोई सहारा मिलने पर अकड़ना तुम जिस खूँटे के बल कूद रहे हो,उसे भी मैं समझ लूँगा। 
खून का घूँट पीना, मुहावरा गुस्सा  पचा जाना गुंडों की गालियॉं सुनकर भी वह खून का घँट पीकर रह गया। 
खून खुश्क  होना, मुहावरा भयभीत होना आतंकवादियों की गोलियों की आवाज़ सुनकर घरवालों का खून खुश्क। हो रहा था। 
खून खौलना/उबलना, मुहावरा जोश आना सेनापति की ललकार और उनका भाषण सुनकर जवानों का खून खौलने लगा। 
खून-पसीना एक करना, मुहावरा कड़ी मेहनत करना बाप ने खून –पसीना एक करके कमाया , बेटों ने सब नष्ट  कर दिया। 
खेत आना/रहना, मुहावरा रणभूमि में मारा जाना चीन की लड़ाई में हमारे सैकड़ों जवान खेत रहे। 
खेल खेलना, मुहावरा परेशान करना कई दिन से तुम्हा रा ही चक्कखर लगा रहा हूँ, कब तक खेल खेलाते रहोगे। 
गंगा नहाना, मुहावरा कठिन कार्य पूरा होना बेटी की शादी हो गई ,गंगा नहाए। 
गठरी मारना, मुहावरा सामान चुरा लेना स्टेनशन पर लड़के रोज एक –आध की गठरी मार लेते हैं। 
गड़े मुरदे उखाड़ना, मुहावरा पुरानी बात फिर से उजागर करना अब गड़े मुरदे उखाड़ने से क्याु लाभ। आगे की सोचो। 
गढ़ जीतना, मुहावरा बहुत कठिन काम करना मकान बन गया।समझो कि गढ़ जीत लिया। 
गले का हार होना, मुहावरा बहुत प्याररा होना  छोटा बच्चा  मौं-बाप के गले का हार है। 
गले पड़ा ढोल बजाना, मुहावरा सिर पर पड़ी जिम्मे दारी को मजबूरन पूरा करना मैं एस्कारर्ट ड्यूटी नहीं लेना चाहता था पर अब तो गले पड़ा ढोल बजाना पड़ेगा। 
गले मढ़ना, मुहावरा जबरदस्ती सौंपना इतनी भारी जिम्मे दारी मेरे गले क्योंथ मढ़ते हो। 
गहरा हाथ , मुहावरा बहुत कुछ हथिया लेना तुमने मौसी की संपत्ति पर गहरा हाथ मारा है। 
गॉंठ का पूरा, मुहावरा मालदार धन्नार है तो गांठ का पूरा, पर बिलकुल बुद्धू।  
गॉंठ में बॉंधना, मुहावरा खूब याद रखना मेरी बात गॉंठ बॉंध लो । आते वक्तव तरकारी लानी है। 
गागर में सागर भरना, मुहावरा थोड़े में बहुत कुछ कहना आचार्य ने अपने इस निबंध में गागर में सागर भर दिया है। 
गाजर मूली समझना, मुहावरा तुच्छम समझना तुमने क्यास मुझे गाजर मूली समझ रखा है। 10 साल की नौकरी कर चूका हूँ।
गाढ़े का साथी, मुहावरा संकट का साथी तुम्हाारे जैसे मेरे गाढ़े के साथी हैं तभी तो इस मुसीबत को भी सह लूँगा।  
गाल फुलाना, मुहावरा रूठना मैं क्या  करूँ, ज़रा-ज़रा सी बात पर गाल फुला लेता है। 
गाल बजाना, मुहावरा डींग हॉंकना किस बल-बूते गाल बजाते फिरते हो।
गिन-गिन कर पैर /कदम रखना, मुहावरा बहुत सावधानी से बढ़ना खबरदार रहना और जो काम करो,गिन-गिनकर कदम रखो। 
गिरगिट की तरह रंग बदलना, मुहावरा एक रंग-ढंग न रखना आज यों कहते हों, कल कुछ और कह रहे थे। परसो और तुम तो रोज़ गिरगिट की तरह रंग बदलते हो।
गीदड़ भभकी, मुहावरा दिखावटी धमकी वह तुम्हेंक जानते हैं। इसलिए तुम्हाेरी गीदड़ भभकी से नहीं डरते हैं। 
गुड़ गोबर कर देना, मुहावरा बना-बनाया काम बिगाड़ देना पिकनिक तो अच्छान चल रहीं थी लेकिन एक लड़के ने झगड़ा पैदा करके गुड़ गोबर कर दिया। 
गुदड़ी का लाल होना, मुहावरा गरीबी में भी गुणवान होना यह भिखमंगा भारी कलाकार है, यों कहो कि गुदड़ी में लाल है। 
गुल खिलाना, मुहावरा कोई बखेड़ा खड़ा करना  बड़ा फ़सदी आदमी है । रोज कोई न कोई नया गुल खिलाता रहता है।
गुस्सा़ पी जाना, मुहावरा क्रोध रोकना बात तो गुरी लगी पर मैं गुस्सा  पी गया और चुप रहा। 
गूँगे का गुड़ होना, मुहावरा अनुभव को प्रकट न कर पाना प्रेम रस गूँगे का गुड़ है, जो इसे चखता है वही जानता है। 
गूलर का फूल, मुहावरा दुर्लभ वस्तुग शुद्ध घी अब गूलर का फूल बन गया है। 
गेहूँ के साथ घुन पिस जाना, मुहावरा दोषी के साथ निर्दोष का भी अहित हो जाना किसी के झगड़े में मत पड़ो क्योंहकि गेहूँ केसाथ घुन भी पिस जाता है। 
गोटी बैठाना, मुहावरा युक्ति सफल होना इस लड़के ने मास्ट र केसाथ ऐसी गोटी बिठाई कि कक्षा में प्रथम आ गया।
गोबर गणेश , मुहावरा बिलकुल बुद्धू  कुछ भी नहीं समझ पाता है, बिलकुल गोबर गणेश है जगभाई । 
गोल कर जाना , मुहावरा गायब कर देना  इधर-उधर की बातें बहुत करता रहा, पर मेरे प्रश्नभ का उत्त र गोल कर गया। 
घडिया गिनना , मुहावरा  बेचैनी से प्रतीक्षा करना  डॉक्टीर ने जवाब दे दिया। अब घरवाले मौत की घडियॉं गिन रहे हैं।   
घड़ों पानी पड़ जाना , मुहावरा बहुत शर्मिंदा होना मैंने जब उसे रंगे हाथ पकड़ा तो उस पर घड़ों पानी पड़ गया। 
घर काटे खाना, मुहावरा अकेलापन अखरना  पत्नीे के मरने के बाद घर काटे खाता है। 
घर का न घाट का , मुहावरा कहीं का नहीं  न माया मिली न राम, रंगनाथ घर का रहा न घाट का। 
घर फूँक तमाशा देखना, मुहावरा अपनी हानि करके मौज उड़ाना मनोहर बिलकुल मुर्ख है जो अपना घर फूँक तमाशा देख रहा है।
घर में गंगा बहना, मुहावरा अच्छी  चीज पास ही में मिल जाना तुम्हाबरे ही चार –चार भैंसें हैं, दूध की इफरात है। धर मेंगंगा बहती है।
घाव पर नमक छिड़कना, मुहावरा दु:खी को और द1:खी करना गुस्सेा होते हो और व्यं ग्यन करके मनोहर के घाव पर नमक छिड़कते हो। 
घाव हरा करना, मुहावरा भूले हुए दु:ख की याद दिलाना मेरे स्व र्गीय भाई की चर्चा छेड़कर तुमने मेरा घाव हरा कर दिया। 
घास काटना, मुहावरा फूहड़ काम करना यह क्याा, घास काटते हो कि पालिश कर रहे हो। 
घास छीलना, मुहावरा व्य र्थ समय गवॉंना काम पूरा नहीं हुआ इतने दिन क्या  करते रहे ? घास छीलते रहे।
घिग्घीर बँधना, मुहावरा स्प्ष्टँ बोल न सकना वरिष्ठर अधिकारियों द्वारा स्पाष्टीहकरण मॉंगे जाने पर मनोहर की घिग्घीग बँध गई।  
घी के दिये जलना, मुहावरा आनंद मंगल होना कल तक बेचारा दाने-दाने को तरस रहा था। आज उसके घर में घी के दिए जलते हैं। 
घी खिचड़ी होना, मुहावरा खूब मिल- जुल जाना पड़ोसियों को घी खिचड़ी होकर रहना चाहिए। 
घोंघा बसंत, मुहावरा मूर्ख मनोहर को लाभ – हानि की कुछ समझ नहींहै वह बिलकुल घोंघा बसन्त  है। 
घोड़े बेचकर सोना, मुहावरा निश्चिंत हो जाना लड़के की शादी हो गई । अब वह घोड़े बेचकर सोता है। 
जंगल में मंगल होना, मुहावरा उजाड़ में चहल-पहल होना यहॉं वार्षिक मेला लगता है जोजंगल में मंगल हो जाता है। 
जड़ों में तेल/मट्ठा देना/जड़ खोदना/काटना, मुहावरा समूल नष्ट  करना चाणक्यष ने नंदवंश की जड़ खोद दी। 
ज़बान काट कर देना, मुहावरा वादा करना जब ज़बान काट कर दे दी है तो निभाएंगे अवश्य़ 
ज़बान पर चढ़ना, मुहावरा याद आना उसका नाम इस समय मेरी जबान पर नहीं चढ़ रहा है। 
ज़बान पर लगाम न होना, मुहावरा बेमतलब बोलते जाना इस तरह की बातें नहीं करनी चाहिए, तुम अपनी ज़बान में लगाम क्योंप नहीं देते। 
ज़मीन आसमान एक करना, मुहावरा सब उपाय कर डालना बाप ने लड़के को बचाने के लिए जमीन आसमान एक कर दिया। 
ज़मीन असामान का फर्क, मुहावरा बहुत भारी अंतर इस कमरे और उस कमरे में जमीन आसमान का फर्क है। 
ज़मीन पर पैर न रखना, मुहावरा  अकड़कर चलना जब से नोकरी पर लगा है तब से वह ज़मीन पर उसके पैर नहीं पड़ रहे हैं।  
ज़मीन में गड़ना, मुहावरा लज्जा  से सिर नीचा होना मनोहर की करतूतों का किस्सा  सुना तो मैं जमीन में गड़ गया ।
जलती आग में घी डालना, मुहावरा और भड़काना रूठे हुए लड़कों को डॉट-डपट कर तुमने जलती आग में तेल डाल दिया।
जली-कटी सुनाना, मुहावरा बुरा-भला कहना जब मनोहर ने व्यंकग्य  किया तो संतोष ने उसे जली-कटी सुना दी। 
ज़हर उगलना, मुहावरा कड़वी बातें कहना कट्टरपंथी सदैव दूसरों पर ज़हर उगलते रहते हैं। 
ज़हर की पुडि़या, मुहावरा झगड़ालू औरत उसे नहीं छेड़ो। वह जहर की पुडि़या है।  
ज़हाज का कौआ/पंछी, मुहावरा जिसका कोई ठिकाना नहीं हेनाथ , मेरे तो एक तुम्हीु हो, मैं इसी ज़हाज का पंछी हूँ। 
जान के लाले पड़ना, मुहावरा संकट में पड़ना इस महँगाई में गरीबों को जान के लाले पड़े हैं। 
जान पर खेलना, मुहावरा प्राणें की बाजी लगाना देश की रक्षा में हमारे जवान जान पर खेल जाते हैं। 
जान में जान आना, मुहावरा चैन मिलना खेया अुआ लड़का मिल गया तो मॉं की जान में जान आई। 
जान से हाथ धोना बैठना, मुहावरा मारा जाना दंगे में चार आदमी अपनी जान से हाथ धो बैठे। 
जान हथेली पर रखना, मुहावरा प्राणों की परवाह न करना सेना के जवान जान हथेली पर रखकर मैदान में कूद पड़े। 
जामे से बाहर होना, मुहावरा अति क्रुद्ध होना मनोहर को रंगनाथ कहो तो वह जामें से बाहर हो जाता है। 
जी का जंजाल, मुहावरा व्यकर्थ का झंझट यह ड्यूटी मेरे जी का जंजाल बन गई है। 
जी खट्टा होना, मुहावरा विरति होना घर की कलह से उसका जी खट्टा हो गया है।
जी चुराना, मुहावरा काम करने से कतराना मनोहर सौंपे गए कार्य को निष्पागदित करने से जी चुराता है। 
जीती मक्खीे निगलना, मुहावरा जानते हुए भी अशोभन कार्य करना इस निर्दोष के विरूद्ध गवाही दूँ। मुझसे यह जीती मक्खीत नहीं निगली जाएगी। 
जी पर आ बनाना, मुहावरा मुसीबत में फँस जाना अब जी पर आ बनी है और नहीं सहा जाता। 
जी भर आना, मुहावरा दु:खी होना उसकी मृत्युब का समाचार सुनकर मेरा जी भर आया। 
जूतियों में दाल बॉंटना, मुहावरा लड़ाई- झगड़ा होना पहले गाली –गलोज हुई अब जूतियों में दाल बटने शुरू हो गए हैं।
जूतियॉं/जूते चाटना, मुहावरा चापलूसी करना अपना मतलब निकालने के लिए मनोहर साहब के जूते चाटने को भी तैयार रहता है। 
जोड़-तोड़ करना, मुहावरा उपाय करना बेटे को पास कराने के लिए मनोहर जोड़-तोड़ करता रहता है। 
झाड़ू फेरना, मुहावरा नष्टू करना मनोहर ने उसकी सारी मेहनत पर झाड़ू फेर दिया। 
टका सा जवाब देना, मुहावरा साफ़ इंकार करना मैंने उधार मॉंगा उसने टका सा जवाब दे दिया। 
टका सा मुँह लेकर रह जाना, मुहावरा लज्जित हो जाना  जब मैंने मनोहर की पोल खोली तो वह टका सा मुँह लेकर रह गया। 
टट्टी की आड़ में शिकार खेलना, मुहावरा  दिपे-छिपे किसी के विरूद्ध कुछ करना टट्टी की आड़ में शिकार खेलना मनोहर की आदत है। 
टट्टू पार होना, मुहावरा काम निकल जाना मैं चाहता हूँ किसी तरह मेरा टट्टू पार हो जाए। 
टॉंग अड़ाना, मुहावरा बाधा पैदा करना हर मामले में टॉंग अड़़ाना ठीक नहीं है। 
टॉंग तले से निकलना, मुहावरा हार मनवाना तुम्हेव टॉग तले न निकालूँ तो मुझे राजपूत का बेटा न समझना। 
टॉंय-टॉंय फिस होना, मुहावरा काम बिगड़ जाना कारखाना लगाने की योजना चल रही थी । सरकार की नामूजूरी से सब टॉंय-टॉंय फिस हो गया। 
टाट उलटना, मुहावरा दिवाला निकलना सेठ जी ने टाट उलटा तो कई लोगों के ऋण के पैसे डूब गए। 
टेढ़ी खीर, मुहावरा कठिन काम  हिमालय की चोटी पर चढ़ना टेढ़ी खीर है।
ठन-ठन गोपाल, मुहावरा खोखला सब ऊपरी दिखावा है। भीतर से ठन-ठन गोपाल है । 
ठीकरा फोड़ना, मुहावरा दोष मढ़ना अपनी गलती का ठीकरा मनोहर ने अधीनस्थोंर पर फोड़ दिया।  
डंका बजना, मुहावरा ख्या ति होना भारतियों के बुद्धी का डंका पूरे विश्वर में बजता है।  
डकार जाना, मुहावरा माल पचा जाना कंपनी का पैसा मनोहर अकेले ही डकार गया।
डाढ़ी पेट में होना, मुहावरा छोटी उम्र में ही बहुत ज्ञान होना बच्चाउ है पर इसके डाढ़ी पेट में है। 
डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना, मुहावरा बहुमत से अलग रहना वह सदा अपनी डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाता है। 
डेढ़ बीता कलेजा, मुहावरा अत्य धिक साहस दिखाना भूकंप पीडि़तो की सहायता करने वाले स्व यंसेवक डेढ़ बीता कलेजा करके जाते हैं। 
डोरे डालना, मुहावरा प्रेम में फँसाना यह नड़का उस लड़की पर डोरे डाल रहा है। 
ढाई दिन की बादशाहत, मुहावरा थोड़े दिन की मौज़ बहार वह नहीं समझता कि ढाई दिन की बादशाहत है, फिर वही हालत हो जाएगी। 
ढि़ढोरा पीटना, मुहावरा सब को बताना वह अपने तक बात सीमित न रखकर ढींढोरा पीट रहा है। 
तख्तान उलटना, मुहावरा सरकार बदलना एक फौजी जनरल ने उस देश का तक्ष्ताु उलट दिया। 
तलवा खुजलाना, मुहावरा यात्रा करने को होना मेरे तलवे खुजला रहे हैं, कही जाना पड़ेगा। 
ताक पर धरना/रखना, मुहावरा हटा देना अपनी योजनाताक पर रख दो। यह नहीं चलेगी। 
तार-तार होना, मुहावरा पूरी तरह फट जाना घिसते फटते अब उसकीधोती तार-तार हो गई है। 
तारे गिनना, मुहावरा रात को नींद नहीं आना उस दुखिया ने रात तारे गिनते हुए काट दी। 
तालू से जीभ न लगना, मुहावरा बोलते रहना उस औरत की तो तालू से जीभ ही नहीं लगती । 
तिल का ताड़ करना, मुहावरा छोटी बात को बढ़ा देना मनोहर ने किताब खोने की बात को तिल का ताड़ बना दिया । 
तीन तेरह करना, मुहावरा तितर-बितर करना  नालायक बेटों ने बाप की सारी सम्पलत्ति तीन –तेरह कर दी। 
तीन –पॉंच करना , मुहावरा टाल-मटोल करना यह काम आज ही होना चाहिए, तीन –पॉंच नहीं करना। 
तूती बोलना, मुहावरा रोब जमना सत्ताम के गलियारों में युवा सांसदों की तूती बोलती है। 
तेल की कचौडि़यों पर गवाही देना, मुहावरा सस्तेी में काम करना आप कुल दो सौ रूपये में बच्चे  को ट्यूशन कराना चाहते हैं, तेल की कचौडि़यों पर गवाही कौन देगा। 
तेली का बैल होना, मुहावरा हर समय काम में लगे रहना मैं जब भी आता हूँ देखता हूँ कि तेली के बैल की तरह काम करते रहते हो। 
तेवर चढ़ाना, मुहावरा गुससा होना अजीब मिज़ाज का आदमी है, जब देखों तेवर चढ़ाए रहता है।
त्रिशंकु होना, मुहावरा अधर में लटकना इम न इधर के रहे न उधर के हुए, त्रिशुकु होकर रह गए। 
थूक कर चाटना, मुहावरा वचन से फिरना कभी तो अपनी ज़बान पूरी किया करो, सदा देखा है कि तुम थूक कर चाट लेते हो। 
दमड़ी के तीन होना, मुहावरा सस्ते  होना वह जमाना गया जब दमड़ी के तीन होते थे। 
दमड़ी के लिए चमड़ी उधेड़ना, मुहावरा मामूली से बात के लिए भारी दंड देना एक कलम तोड़ने पर 1000 रू. का जुर्माना। आप तो दमड़ी के लिए चमड़ी उधेड़ रहे हैं। 
दम ीारना, मुहावरा दावा करना वे जो मित्रता का दम भरतें थे, वक्तक पड़ने पर गायब हो गए। 
दॉंत काटी रोटी, मुहावरा घनिष्ठा मित्रता कपिल और संतोष में दॉंत काटी रोटी है। 
टॉंत खट्टे करना, मुहावरा हरा देना भारतीय सैनिकों ने तीनों युद्धों में पाकिस्ताकनियों के दॉंत खट्टे कर दिए।
दॉंत तालू में जमना, मुहावरा बुरे दिन आना करूा तुम्‍हारे दॉंत तालू में जम गए हैं । हमसे इतनी धृष्ट ता से बात करते हो। 
दाई से पेट छिपाना, मुहावरा जानकार से बात छिपाना कहते हो उसे कुछ न बताना, भला दाई से पेट कैसे डिपाऊँ। 
दॉंत पीसकर रह जाना, मुहावरा क्रोध रोक लेना मनोहर ने बहुत सताया पर मैं दॉंत पीसकर रह गया। 
दॉंतो तले उँगली दबाना, मुहावरा आर्श्चाय चकित होना ताजमहल में उत्कीकर्ण कारीगरी को दखते ही लोग दॉंतों तले उँगली दबा बैठे।
दाल जूतियों में बटना, मुहावरा अनबन होना बच्चोंो की लइ़ाई हुई पर पड़ोसियों में दाल जूतियों में बटने लगी। 
दाल न गलना, मुहावरा बस न चलना वरिष्ठग अधिकारियों के सामने मनोहर की दाल न गली। 
दाल में काला होना, मुहावरा शक –शुबह होना दाल में कुछ काला है, तभी तो वह कार्यालय नहीं आ रहा है। 
दिन –दूनी रात चौगुनी होना, मुहावरा बहुत तीव्र गति से वृद्धि हमारा देश दिन–दूनी रात-चौगुनी प्रगति करे यही मेरी ईश्व र से प्रार्थना है।
दिन पहाड़ होना, मुहावरा दिन काटे न कटना आज कुछ भी काम नहीं था, दिन पहाड़ हो गया । 
दिनों का फेर होना, मुहावरा भाग्य  का चक्क र  कल क्याा थे, आज क्या  हो गए। दिनों का फेर है। 
दिमाग आसमान पर चढ़ना, मुहावरा बहुत घमंड होना जब से लाटरी निकली है1 तब से इसका दिमाग आसमान पर चढ़ गया है। 
दिल का गुबार(बुखार) निकालना, मुहावरा दबा भाव प्रकट करना जब भाई ने रूठने का कारणपूछा तो उसने खुलकर अपने दिन का बुबार निकाल दिया। 
दिल के फफोले तोड़ना, मुहावरा कुढ़कर जली-कटी बातें कहना बेचारा रोज़-रोज़ ताने सुनता रहा।आखिर एक दिन दिल के फफोले तोड़ दिए। 
दिल भर आना, मुहावरा शोकाकुल होना मित्र की मौत का समाचार सुनकर उसका दिल भर आया। 
दिल मसोसकर रह जाना, मुहावरा मन में खीझकर रह जाना रमेश ने मेरे सामने मेरी किताब फाड़ डाली और मैं मन मसोसकर रह गया। 
दूज का चॉंद होना, मुहावरा बहुत दिनों बाद दिखाई देना अरे, कहॉं रहे इतने दिन, तुम तो दूज का चॉंद हो गए। 
दुध का धुला/धोया होना, मुहावरा निर्दोष या निष्क/लंक होना सब नेता ऐसे ही हैं, दूध का धुला कोइ्र विरला ही होगा। 
दूध का दूध और पानी का पानी करना, मुहावरा उचित निर्णय करना पंचों ने हरि के मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया। 
दूध के दॉंत न टूटना, मुहावरा ज्ञान और अनुभव न होना बिलकुल बच्चाभ है , अभी दूध के दॉंत नहीं टूटे हैं। 
दूर की कौड़ी लाना, मुहावरा दूर की सोच लेना एयसका सुझाव सब को पंसद आया। कहने लगे पह कैसे दूर की कौड़ी ले आया। 
देवता कूच कमर जाना, मुहावरा घबरा जाना मालिक ने डॉंटा-फटकारा तो नौकर के देवता कूच कर गए।
दो टूक बात कहना, मुहावरा थोड़े में साफ-साफ कहना मकान किराये के संबंध में मैंने उससे दो टूक बात कह दी। 
दो दिन का मेहमान, मुहावरा जल्दीन मरनेवाला मरीज़ की हालत खराब है, बस दो दिन का मेहमान है। 
दो नावों पर पैर रखना, मुहावरा दोनों तरफ रहना दो नावों पर पैर रख्नेल वाला कभी सफल नहीं हो सकता है। 
धज्जियॉं उड़ाना, मुहावरा दुर्गति करना सैनिकों ने दुश्म न के टैंकों की धज्जियॉं उड़ा दी। 
धूप में बाल सफेद करना, मुहावरा अनुभवहीन होना मैं यह सब कुछ कर लूँगा , कोई धूप में बाल सफेद नहीं किया हूँ। 
नकेल हाथ में होना, मुहावरा बस में होना आपका काम अवश्यो हो जाएगा। एसकी नकेल मेरे हाथों में है। 
नब्ज  पहचानाना, मुहावरा स्वजभाव जानना मैं उसकी नब्ज़न पहचानता हूँ। देख लेना वह तुम्हाकरा काम करेगा नहीं।
नमक मिर्च लगाना, मुहावरा बढ़ा-चढ़ाकर कहना ज़रा सी बात थी । लड़की ने नमक मिर्च लगकर उसकी शिकायत कर दी। 
नस-नस फड़क उठना, मुहावरा बहुत उत्सातहित होना देश गान सुनकर जवानों की नस5नस फड़क उठती है। 
नस पहचानना, मुहावरा अच्छीा तरह जानना मेरे समाने मत बनो। मैं तुम्हाुरी नस पहचानता हूँ। 
नहले पर दहला मारना, मुहावरा करारा जवाब देना क्याा याद करेगा, मैंने उसके नहले पर देहला मार दिया। 
नाक कटना, मुहावरा बदनामी होना शर्त हार गए तो नाक कट जाएगी। 
नाक का बाल होना  बहुत प्यालरा होना आजकल देल मंत्री प्रधान मंत्री की नाक का बाल बने हुए हैं। 
नाक चोटी काटकर हाथ में देना, मुहावरा दुर्दशा करना उसने गालियॉं दी तो इसने उसकी नाक चोटी काट कर हाथ में दी। 
नाक भौं चढ़ाना, मुहावरा घृणा या असंतोष प्रकट करना दहेज देख्कंर समधिन नाक –भौं चढ़ाने लगी। 
नाक में नकेल डालना, मुहावरा वश में करना पत्नीं ने उसकी नाक में नकेल डाल रखी है जो चाहती है मनवा लेती है। 
नाक रगड़ना, मुहावरा गिड़गिड़ाना उसने साहब के आगे नाक रगड़ी, मिन्नै की, पर वे नहीं माने। 
नाकों चने चबवाना, मुहावरा बहुत तंग करना उसकी पत्नीच उसे नाकों चने चबवाती है। 
नाच नचाना, मुहावरा मनचाही करवाना उसकी पत्नीा पति को खूब नाच नचाती है। 
नानी मर जाना, मुहावरा होश न रहना जब थानेदार हंटर लिए आता है तब हवालात में पड़े अपराधी की नानी मर जाती है। 
नाव में धूल उड़ाना, मुहावरा व्य र्थ बदनाम करना उसके बारे में सब जानते हैं, तुम बेकार नाव में धूल उड़ाते हो। 
निन्याानबे के फेर में पड़ना, मुहावरा पैसा जोड़ने के चक्केर में पड़ना हाय पैसा, हाय पैसा करते आम लोग आजकल निन्यावनबे के फेर में पड़े हैं। 
नीचा दिखाना, मुहावरा हराना  तुम हमारे उम्मीादवार को कभी नीचा नहीं दिखा सकते हो। 
नीला-पीला होना, मुहावरा गुस्साा होना ज़रा सी गलती पर वहनोकर पर नीला-पीला हो गया। 
नौ दो ग्यातरह होना, मुहावरा भाग जाना लोगों को देखते-देखते वह नौ दो ग्याारह हो गया। 
पंख न मारना, मुहावरा पहुँच न होना वहॉं कोई नहीं जा सकता। चिडि़या तक पंख नहीं मार सकती है। 
पगड़ी उछालना, मुहावरा बेइज्जउत करना किसी की पगड़ी उछालोगे तो पिट जाओगे। 
पगड़ी बदलना, मुहावरा पक्की  मित्रता होना देवरात और बलदेव ने पगड़ी बदली। 
पगड़ी रखना, मुहावरा इज्जीत बचाना इस समय मेरी पगड़ी रखलो नहीं तो मैं कही का भी नहीं रहूँगा ।
पटरी बैठना, मुहावरा मन मिलना/अच्छेो संबंध होना वह स्वाार्थी आदमी है। किसी से उसकी पटरी नहीं बैठती है। 
पट्टी पढ़ाना, मुहावरा बुरी सलाह देना बहू, अब मूँह पर जवाब देने लगी है , किसी ने पट्टी पढ़ा दी है। 
पत्तास काटना, मुहावरा संबंध समाप्तत कर देना इस सभा से उसका पत्तात ही काट दिया गया है। 
पत्थभर की लकीर होना, मुहावरा बात पक्की  होना मैं जो वचन दे रहा हूँ उसे पत्थ र की लकीर समझो। 
परछाई न पड़ना, मुहावरा पहुँच न हो सकना इस किले में किसी की परछाई तक नहरं पड1 सकती है। 
पनक पाँवड़े बिछाना, मुहावरा  आदर से स्वा गत करना बरात की प्रतीक्षा में वे लोग पलक पॉंवड़े बिछाए खड़े थे। 
पलक लगना, मुहावरा नींद आ जाना दोपहर में खाने के बाद थोड़ी पलक लग जाती है। 
पल्ला पकड़ना, मुहावरा सहारा लेना अब तो पल्लाा पकड़ लिया है । काम बन जाएगा। 
पसीना-पसीना होना 1 बहुत थक जाना 2 शर्मिंदा होना 1 बैठक की सफाईकरते –करते पसीना-पसीना होगया हूँ।             2 मॉं ने लड़के को मिठाई चुराते डॉंटा तो वह पसीना-पसीना हो गया।
पहाड़ टूट पड़ना, मुहावरा भारी विप्त्ति  आ जाना मिल में आग लग गई , यह सुनकर सेठजी पर मानो पहाड़ टूट पड़ा।
पहाड़ से टक्क र लेना , मुहावरा बुहत भारी आदमी से मुकाबला करना चुनाव में रामदेव सेठ घनश्याम दास के विरूद्ध खड़ा है ,पहाड़ से टक्क र लेने के लिए। 
पॉंचों उँगलियॉं घी में, मुहावरा लाभ ही लाभ होना आजकल शेयर दलालों की पॉंचों उँगलियॉं घी में हैं।
पाँव उखड़ना, मुहावरा हार कर भाग जाना 1971 के युद्ध में भारतीय सेनाओं के प्रवेश करने केसाथ ही पाकिस्ता नी सैनिकों के पैर उखड़ गए। 
पॉंव फूँक-फूँक कर रखना, मुहावरा सावधानी से कार्य करना व्याापार हो चाहे उद्योग पॉंव फूँक-फूँक कर रखना चाहिए। 
पानी का बुल –बुला होना , मुहावरा क्षणभगुर होना आदमी बुलबुला है पानी का। 
पानी –पी-पी कर कोसना, मुहावरा गालियॉं बकते जाना जरा सा बिगाड़ हो गया पर लाला पौकरों को पानी पी5पी कर कोसता रहा। 
पानी फेर देना, मुहावरा बिगाड़ देना तुम्ने  तो मेरी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। 
पापड़ बेलना, मुहावरा बेकार जीवन बीताना दो साल दिल्लीत में रहे कुछ भी नहीं सीखा। क्याि पापड़ बेलते रहे। 
पुट्टे पर हाथ न रखने देना, मुहावरा पास न फटकने देना घोड़े को कैसे सिधाया जा । यह तो पुट्टे पर हाथ ही नहीं रखने देता है। 
पेट काटना, मुहावरा अपने ऊपर थेड़ा खर्च करना अपना पेट काट कर बाप ने बेटे को बी.ए. तक शिक्षा दिलवाई।  
पेट का हल्का , मुहावरा बात को अपने तक न रख सकनेवाला उसे यह यह भेद न बताना। वह पेट का हल्काह है। 
पेट पर पट्टी वॉंधना, मुहावरा भूखा रह जाना बेचारे के पास खाने को कुछ नहीं था। पेट पर पट्टी बॉंधकर सो रहा है। 
पेट में चूहे दौड़ना, मुहावरा भूख लगना कुछ खाने को दो। पेट में चूहे दौड़ रहे हैं। 
पैरों तले जुमीन खिसकना/निकलना/सरकना , मुहावरा होश उड़ जाना रँगे हाथ पकड़े जाने पर मनोहर के पैरों तले ज़मीन खिरक गई।
पैरों पर खड़ा होना, मुहावरा स्वांवलम्बीप होना बाप को संतोष है कि बेटा पैरों पर खड़ा हो गया। 
पैरों में मेहंदी लगाकर बैठना, मुहावरा कहीं जा न सकना कहीं जाते –वाते नहीं । क्याा पैरों में मेहन्दीस लगाकर बैठे रहते हो। 
पौ बारह होना, मुहावरा खूब लाभ होना सुना है कि उसकी शादी बड़े अमीर घर में होनवाली है। अब तो उसके पौ बारह हैं।
प्राणों पर आ बनना, मुहावरा संकट में पड़ना डाकू फाटक तोड़कर अन्द र घुस रहे हैं। अब तो प्राणों पर आ बनी है।
प्राणों पर खेलना, मुहावरा प्राणों की बाजी लगा देना हमारे जवान प्राणों पर खेलकर शुत्रसेना पर टूट पड़े। 
फट पड़ना, मुहावरा एक दम गुस्से, में हो जाना बापू कई दिनों से नाराज था। आज न जाने क्याट हुआ कि फट पड़ा।
फावड़ा चलाना, मुहावरा मेहनत का काम करना थक कैसे गए । क्या  फावड़ा चलाते रहे हो। 
फूलकर कुपपा होना, मुहावरा बहुत खुश या नाराज होना वह कुछ भी कहता है जो यह फूलकर कुप्पाे हो जाती है। 
फूल झाड़ना, मुहावरा प्रिय वचन बोलना महापुरूषों के मुख से हमेशा फूल ही झड़ते हैं। 
बंदर घुड़की / भभकी, मुहावरा प्रभावहीन धमकी  तुम्ावहीरी बंदर घुड़की की हम परवाह नहीं करते हैं। 
बखिया उधेड़ना, मुहावरा भेद खोलना तुम मेरे साथ मत उलझा करो नहीं तो तुम्हापरा बखिया उधेड़ कर रख दूँगा। 
बच्चोंर का खेल , मुहावरा सरल काम दिलली जैसे शहर में बस चलना कोई बच्चोंु का खेल नहीं है। 
बछिया का ताऊ, मुहावरा मूर्ख कुछ समझते भी हो या नहीं बिलकुल बछिया के ताऊ हो। 
बट्टा लगना, मुहावरा कलंक लगना ऐसा काम मत करो जिससे बाप दादा के नाम पर बट्टा लगे। 
बड़े घर की हवा खाना, मुहावरा जेल जाना बाज आ जाओ नहीं तो बड़ेू घर की हवा खाओगे तो अक्लग आ जाएगी।
बत्ती सी खिलना, मुहावरा हँसी आना बच्चेआ की तोतली भाषा सुनकर माँ की बत्तीगसी खिल जाती है। 
बत्तीआसी बंद होना, मुहावरा चुप हो जाना मैंने दो सुनाई तो उसकी बत्तेहसी बंद हो गई। 
बरस पड़ना, मुहावरा अति क्रुद्ध होकर डॉटना चाय का प्या ला उलट गया जो साहब नौकर पर बरस पड़े। 
बल्लियों / बासों उछलना, मुहावरा बहुत खुश होना प्रतियोगिता में द्वितीय आने पर वह बल्लियों उछलने लगा। 
बाऍं हाथ का खेल , मुहावरा अति सरल कार्य  कविता करना तो उसके बाऍं हाथ का खेल है। 
बाछें खिल जाना, मुहावरा अत्यंन्तक प्रसनन होना पास होने की खबर आई तो लड़के की बाछें खिल गई। 
बाज़ार गर्म होना, मुहावरा तेजी होना आजकल अफवाहों का बाजार गर्म है।  
बात का धनी होना, मुहावरा वचन का पकका होना राजा हरिशचन्द्रा बात के धनी थे। 
बात की बाम में, मुहावरा तुरंत बात की बात में वह झगड़े पर उतर आया। 
बात तक न पूछना, मुहावरा आदर न करना मैं उसके घर गया पर उसने बात तक न पूछी। 
बाल की खाल उतारना, मुहावरा अनावश्यखक विवाद करना कुछ लोग हर बात में बाल की खाल दतारते हैं। 
बाल बॉंका न कर सकना, मुहावरा कुछ भी हानि न पहँचा सकना ईश्वभर के भक्तन का कोई बाल भी बॉंका नहीं कर सकता है। 
बालू से तेल निकालना, मुहावरा असम्भसव को सम्भनव करना उस कंजूस से दान करवाना बालू से तेल निकलवाने के सामान है। 
बासी कढी में उबाल आना, मुहावरा अचित समय पश्चाबत इच्छाे जागना बुड्ढे को शादि करने का शौक चर्राया है , यानी बासी कढ़ी में उबाल आया है। 
बिलली के गले में घंटी बॉंधना, मुहावरा अपने को संकट में डालना प्रधानाचार्य से जाकर कोई नहीं कहेगा सही है बिल्लीा के गले में घंटी कौन बॉंधेगा। 
बेपेंदी का लोटा, मुहावरा ढुलमुल कोशिश / अस्थिर विचारों वाला कुछ यूनियन लीडर बेपेंदी के लोटे होते हैं।
बेसिर पैर की हॉंकना, मुहावरा ऊल जलूल बातें करना बेसिर पैर की मत हॉंको । इस आरोप को सिद्ध करने के लिए तुम्हासरे पास क्यार प्रमाण है। 
भगीरथ प्रयत्नम , मुहावरा भारी कोशिश  उसको मनाने के लिए हमें भगीरथ प्रयत्नम करना पड़ा। 
भाड़ झोकना, मुहावरा समय व्यकर्थ खोना दो साल दिल्ली  में रहे कुछ भी नहीं सीखा। क्या़ वहॉं भाड़ झोकते रहे।
भाड़े का टट्टू , मुहावरा पैसे लेकर ही काम करनेवाला भाड़े का टट्टू है पैसा दो तो काम करेगा नहीं तो वह देखेगा भी नहीं।
भिड़ के छत्तेू को छेड़ना, मुहावरा चिड़चिड़े आदमी को चिढाना उस क्रोधी आदमी को तुमने क्या  कह दिया कि गालियॉं बके जा रहा है। अरे भिड़ के छत्तेन को नहीं छेड़ना चाहिए।   
भीगी बिल्ली़ बनना, मुहावरा सहम जाना प्रधानाचार्य के सामने बड़े –बड़े उपद्रवी लड़के भी भीगी बन जाते हैं। 
भेडि़या धसान, मुहावरा अंधानुकरण गॉंव के लोगों में भेडिया धसान के बहुत उदाहरण मिलते हैं।
भैंस के आगे बीन बजाना , मुहावरा नासमझ आदमी को उपदेश देना गँवार आदमी को उपनिषदों की बातें बताना भैंस के आगे बीन बजाना है।
मक्खियॉं मरना , मुहावरा बेकार रहना दिन भर क्यान करते रहते हो। बसृ मक्खियॉं मारते रहते हो। 
मक्खीर नाक पर न बैठने देना, मुहावरा इज्जवत खराब न होने देना वह अत्यकन्तन स्वासभिमानी व्यरक्ति है, मक्खी  नाक पर बैठने नही देता है। 
मज़ा किरकिरा  होना, मुहावरा आनन्दक में विघ्नो होना अच्छेक –भले खेल रहे थे कि बिजली गायब हो गई । सारा मज़ा किरकिरा हो गया।
मन के लड्डू (मनमोदक) खाना, मुहावरा कल्पेना करके प्रस्न्ने होना सौचता था कि काम करूँगा तो हज़ारों कमाऊँगा, शादी होगी , बाल बच्चे  होंगे- इस तरह मन के लड्डू खाता रहता था। 
मन मैला करना, मुहावरा खिन्नल होना  मैंने तुम्हानरे हित में ऐसा कहा था लेकिन तुमने बुरा मान लिया और मन मैला कर लिया। 
माथा ठनकना, मुहावरा संशय होना जब उसने बताया कि उसका लड़का भाग गया है तो मेरा माथा ठनका कि दाल में कुछ काला है। 
मिट्टी का माधो, मुहावरा बुद्धू  उसकी समझ में कुछ नहीं आयेगा । है ही वह मिट्टी का माधो। 
मिठी छुरी चलाना, मुहावरा विश्वाुसघात करना इसकी बातों में नआना, मिठी छुरी चलाकर ठग लेता है। 
मुँह उतरना, मुहावरा उदास हो जाना जब पिता ने डॉंट कर कहा कि तुम मेले में नहीं जा सकते तो उसका मुँह उतर गया। 
मुँह की खाना, मुहावरा बुरी तरह हारना तीनों युद्धों में पाकिस्ताहन को मुँह की खानी पड़ी। 
मुँह धो रखना/आना, मुहावरा आशा न रखना मुँह धो रखो, मैं तुम्हें  एक कौड़ी भी नहीं दूँगा। 
मुँह पकड़ना, मुहावरा बोलने न देना तुमने अपनी बात क्यों  नहीं कही/ मैंने कोई तुम्हागरा मुँह पकड़ लिया था। 
मुँह पर बसंत फूलना या खिलना, मुहावरा भयभीत होना जब रात में ज़रा–सी आहट सी आहट होती है, तो चोरी की आशंका से उसके मुँह पर बसंत फूलना नज़़र आता है। 
मुँह बनाना, मुहावरा खीझ प्रकट करना उसे कुछ कहते ही वह मुँह बना लेता है। 
मुँह में पानी भर आना/लार टपकाना, मुहावरा खाने को जी करना जलेबियॉं देखकर मेरे भी मुँह में पानी भर आया। 
मुट्ठी गकरना करना, मुहावरा धूस देना बाबू या अधिकारी की मुट्ठी गर्म किए बिना यह काम नहीं हो सकता है।
मैदान मारना, मुहावरा लड़ाई जीतना पानीपत की लड़ाई में पठानों ने मैदान मार लिया था। 
मुट्ठी में करना, मुहावरा वश में करना सास ने बहू को मुट्ठी में कर रखा है। 
मोटा आदमी/असामी, मुहावरा धनी व्यमक्ति व्यावपारी को मोटे आदमी/असामी से ज्या दा लगाव होता है। 
मोहर लगा देना, मुहावरा पुष्टि करना उसने अपने कथन में मेरी बात पर मोहर लगा दी। 
म्या ऊँ का ठौर पकड़ना, मुहावरा खतरे में पड़ना ज़बानी जमा खर्च तो सब कर सकते हैं लेकिन म्यामऊँ का टौर कौन पकड़ेगा। 
रंग बदलना, मुहावरा परिवर्तन होना ज़माने का रंग बदलरहा है। लोग स्वेर्थी और लालची होते जा रहे हैं।
राई का पहाड़ बनाना, मुहावरा जरा सी बात का बतंगड़ बनाना खत्मस करो इस ण्गनड़े को । तुमने तो राई का पहाड़ बना दिया है। 
रास्ता  देखना, मुहावरा प्रतीक्षा करना तुम्हा्रा रास्ताग देखते –देखते ऑंखें पथरा गईं। 
रास्ता् नापना, मुहावरा चले जाना अब माफ करो और अपना रास्ता  नापों। 
रास्ते  पर लाना , मुहावरा सुधार करना इस बिगड़े लड़के को कोई रास्ते  पर ला दे। तो अहसान मानूँगा । 
रोऍं सा रोगंटे खड़े होना, मुहावरा रोमांच होना सैनिक की आपबिती सुनकर सबके रोंगटे खड़े हो गए। 
रो धोकर दिन काटना, मुहावरा जैसे –तैसे जीवन बीताना विधवा बिचारी रो-धोकर दिन काटती है। 
लंगर –लंगौट कसना, मुहावरा लड़ने को तैयार होना मनोहर सदैव लंगर-लंगौट कसे तैयार रहता है। 
लंगोटिया यार, मुहावरा धनिष्ठय मित्र  संतोष और कपिल लंगोटिया यार हैं। 
लंगोटी में फाग खेलना, मुहावरा दरिद्रता में आनन्दग लूटना विरले ही लँगोटी में फाग खेल सकते हैं बाकी तो हमेशा चिंतित रहते हैं। 
लकीर का फकीर होना, मुहावरा पुराने रीति-रिवाजों का अनुसरण करना इस युग में भी कई शिक्षित लोग लकीर के फकीर बने हुए हैं। 
ललाट में लिखा होना, मुहावरा भाग्यम में बदा होना ललाट में लिखे को कौन मिटा सकता है।
लल्लोम-चप्पों  करना, मुहावरा चिकनी-चुपड़ी बाते करना लल्लोंे-चप्पों  करके वह बाबू साहब से अपना काम करवा लेूता है। 
लहू के ऑंसू पीना, मुहावरा दुख सह लेना वह लहू के ऑंसू पीकर रह गया । सी तक नहीं की। 
लाख का घर राख होना, मुहावरा धनी का निर्धन हो जाना जुए और शराब में उसका लाख का घर राख हो गया। 
लाल – पीला होना, मुहावरा बहुत गुस्सा  होना लाल –पीला होकर मेरा क्यार बीगाड़ोगे।अपी ही दशा खराब करोगे। 
लिफाफा खुल जाना, मुहावरा भेद खुल जाना यह बात अपने तक रखना। लिफाफा खुल गया तो तुम्हाहरा नुकसान हो जाएगा। 
लुटिया डूबोना, मुहावरा काम खराब कर देना यह क्याब किया। तुमने तो खानदान की ही लुटिया डूबो दी। 
लेने के देने पड़ना, मुहावरा लाभ की जगह नुकसान होना जो मैं देता हॅू । ले लो अन्य था लेने के देने पड़ जाऍंगे। 
लोहा मानना, मुहावरा श्रेष्ठनता स्वीमकार करना क्रिकेट में सभी लोग सचिन का लोहा मानते हैं। 
लोहा लेना, मुहावरा लड़ाई करना उस शूरवीर से लोहा लोगे तो जान गवॉं बैठोगे।  
लोहे के चने चबवाना, मुहावरा बुरी तरह हराना मेरे साथ लड़ाई की तो उसे लोहे के चने चबवा दूँगा। 
विष की गॉंठ, मुहावरा उपद्रवी,खोटा उससे बच के रहना बिष की गॉंठ है। 
विष घोलना, मुहावरा गड़बड़ पैदा करना भाइयों में अच्छेब भले संबंध थे। इस बहू ने आकर विष घोल रखा है।
शान में बट्टा लगना, मुहावरा शान घटना यह कार्य कर तुमने अपनी शान में बट्टा लगवा दिया। 
शीशे में मुँख देखो, मुहावरा अपनी योग्युता- अयोग्याता को समझो 10 वी तो पास नहीं किया और चले हैं चॉंद पर जाने- शीशे में मुँहदेख लो। 
शैतान की ऑंत, मुहावरा लम्बी  बात यह कहानी है कि शैतान की ऑंत जो खत्मह ही नहीं होती। 
शैतान के कान कतरना/काटना, मुहावरा बहुत चालाक होना वह छोटा लड़का बदमाशी में शैतान के कान काटता है। 
श्री गणेश करना, मुहावरा आरम्भग करना विवाह की रस्मोंर का श्री गणेश आज से हो रहा है। 
संसार से उठना/विदा होना, मुहावरा मर जाना बड़े-बड़े लोग संसार से उठ गए आज उनका नाम तक कोई नहीं जानता। 
सफेद झूठ, मुहावरा बिलकुल झूठ  कहीं शेर औरगाय एक साथ रह सकते हैं यह तो सफेद झूठ है। 
सब्ज़श बाग दिखाना, मुहावरा अच्छीश बातें कह कर बहकाना हम जानते हैं वहॉं कुछ भी नहीं है फिर तुम क्योझ हमें सब्ज़ी बाग दिखा रहे हो। 
सॉंचे में ढला होना, मुहावरा रूपवान होना दुल्हनन क्याु है सॉंचें में ढली गुडि़या है। 
सॉंप को दूध पीलाना, मुहावरा  बुरे के साथ नेकी करना तुम उस नीच आदमी की मदद करके सॉंप को दूध पीला रहे हो। 
सॉंप छछूंदर की गति होना, मुहावरा असमंजस की दशा होना घर की लड़ाई में किसका पक्ष लूँ । मेरी तो सॉंप छछूंदर की गति होगई है।  
सॉंप सूँघ जाना, मुहावरा गुपचुप हो जाना पुलिस के आते ही सबको सॉंप सुंघ गया । 
सात घाट का पानी पीना/ घाट –घाट का पानी पीना, मुहावरा व्याघपक अनुभव होना वह व्या पासर में सफल है । लगता है उसने घाट-घाट का पानी पिया है। 
सिंदूर चढ़ना , मुहावरा लड़की का विवाह होना पिछले हप्तेव ही मेरी छोटी लड़की की मॉंग में सिंदूर चढ़ गया।
सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाना, मुहावरा होश उड़ जाना पिताजी ने ऑख दिखाई तो सारी सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाएगी। 
सिर उठाना, मुहावरा विरोध करना सामंत सदैव बादशाह के खिलाफ सिर उठाते रहते थे। 
सिर गंजा करना, मुहावरा बुरी तरह पीटना याद रखो बहुत हेकड़ी दिखाओगे तो सर गंजा कर दूँगा।
सिर पर कफ़न बॉंधना, मुहावरा बलिदान देने के लिए तैयार होना देश के हजारों नवजवान सिर पर कफ़न बॉंधकर स्वूतंत्रता संग्राम में कूदपड़े थे। 
सिर पर खून सवार होना, मुहावरा मरने -मारने पर उतारू होना उसके सिर पर खून सवार था, तुम छिप नहीं जाते तो वइ तुम्हेा मार देता। 
सिर पर पॉंव रखकर भागना, मुहावरा तुरंत भाग जाना पुलिस को देखते ही चोर सिर पर पॉंव रखकर भाग गया। 
सिर पर भूत सवार होना, मुहावरा धुन लग जाना उसके सिर पर तो मुम्बिई जाने का भूत सवार है। 
सिर पर सवार रहना, मुहावरा पीछे पड़ना अरे भाई। कुछ अपना भी काम करो । हर वक्ते मेरे सिर पर सवार क्योभ रहते हो। 
सिर मुंड़ाते ओले पड़ना, मुहावरा काम शुरू होते ही बाधा आना राम ने मकान की नींव खुदावाई ही थी कि नगर पालिका ने काम रोक दिया। उसके तो सिर मुड़ाते ही ओले पड़ गए।  
सींग कटाकर बछड़ों में मिलना, मुहावरा बूढ़े होकर भी बच्चोा जैसा काम करना इस उम्र में उसे गुल्ली डंडा खेलने का शोक हो गया है। लगता है सींग कटाकर बछड़ों मे मिलना चाहता है। 
सुबह –शाम कटना, मुहावरा टालमटोल करना  मकान मालिकआते हैं तो सुबह शम करते हो । किराया क्यों  नहीं दे देते हो। 
सुई की नोक के बराबर, मुहावरा ज़रा सा  दुर्योधनने साफ कह दिया था कि वह पांडवों को सुईकी नोक के बराबर भी भूमि नहीं देगा। 
सूख कर कॉंटा होना , मुहावरा बहुत दुर्बल होना चार दिन के बुखार से ही वह सुखकर कॉंटा हो गया। 
सूुखी धान पर पानी पड़ना, मुहावरा दशा सुधरना बेचारे मुसीबत के दिन काट रहे थे । लड़के की नौकरी लगी तो सूखे धान पर पानी पड़ा। 
सूरज को दीपक दिखाना, मुहावरा प्रसिद्ध व्य क्ति का परिचय देना आप लोगों के सामने उनके बारे में कुछ बताना सूरज को दीपक दिखाना है। 
सेमल का फूल होना, मुहावरा दिखावटी रूप से धोखा होना ऊपर से भोली –भोली शक्लु वाले वास्तसव में सेमल के फूल हो सकते हैं। 
सोने की चिडिया हाथ से निकल जाना, मुहावरा लाभदायक वस्तु  का खो जाना अच्छीय सस्तीत एक मोटरकार मिल रही थी। किसी ने ज्याूदा रकम देकर खरीद ली और ,सें, सोने की चिडिया हमारे हाथ से निकल गई। 
हँसी खेल समझना, मुहावरा साधारण काम समझना घोड़े को साधना क्याी तुम हँसी –खेल समझते हो। 
हजामत बनाना, मुहावरा लूटना एक ठग ने गाड़ी में मेरी हजामत बना दी। 
हजामत बनाना, मुहावरा पीटना अपने को बहुत समझता था, पर मैंने उसकी खूब हजामत बनाई। 
हथियार डालना,मुहावरा हार मान लेना हमारी सेना ने शत्रु को खरों ओर से घेर लिया तो उन्हों ने हथियार डाल दिए।
हथेली खुजलाना,मुहावरा कुछ धन मिलने को होना कई दिन से मेरी हथेली खुजला रही है पर अभी तक एक भी पैसा कहीं से नहीं मिला है। 
हथेली पर सरसों उगाना/जमाना,मुहावरा शीघ्रताशीघ्र काम कर देना इस काम कें कुछ घंटे लगेंगे।यह नहीं हो सकता कि हथेली पर सरसों उगा /जमा दें। 
हथेली पर जान लिये फिरना,मुहावरा मरने की परवाह नहीं करना ये स्वीयंसेवक हथेली पर अपनी जान लिय काम करते हैं । 
हवाइयॉं छूटना,मुहावरा रंग उड़ जाना बच्चाड नत्थूम से बहुत डरता है। वह सामने आ जाता है तो इसके हवाइयॉं छूटने लगती हैं। 
हवाई किले /महल बनाना,मुहावरा मात्र कल्पटना करते रहना उसे कुछ करना-धरना नहीं आता है बस हवाई किले या महल बनाता रहता है। 
हवा के घोड़े पर सवार होना,मुहावरा आने –जाने की जल्दीन मचाना अभी आए, अभी चले जाने को कह रहे हो, हवा के घोड़े पर सवार रहते हो क्याघ। 
हवा लगना,मुहावरा प्रभाव पड़ना रोज़ नया फैशन करता है। इसे भी नए जमाने की हवा लग गई है। 
हवा से बातें करना,मुहावरा तेज चलना घोड़े की चाल देखो। हवा से बातें करता है। 
हवा हो जाना,मुहावरा भाग जाना, न रहना चोर एक मुसाफिर की गठरी मारते ही हवा हो गया। 
हाथ उठाना,मुहावरा मारने को तत्परर होना बच्चोंक और औरतों पर हाथ नहीं उठाना चाहिए। 
हाथ डालना,मुहावरा षुरू करना पहले यह काम समाप्त  करूँगा तभी नये काम में हाथ डालूँगा। 
हाथ पसारना या फैलाना,मुहावरा मॉंगना भूँखा मर जाऊँगा पर किसी के आगे हाथ नहीं पसारूँगा। 
हाथ –पॉंव फूल जाना,मुहावरा डर से घबराना जाना डाकुओं की ललकार से गॉंव के लोगों के हाथ-पॉंव फूल गए। 
हाथ पीले कर देना,मुहावरा लड़की की शादी कर देना छोंटी लड़की के हाथ पीले कर गंगा नहायेंगे। 
हाथ –पैर मारना,मुहावरा कोशिश करना बेचारे ने कई जगह ळाथ –पैर मारे पर नौकरी नहीं लगी। 
हाथ मलना या मलते रह जाना,मुहावरा कुछ प्राइज़ न होना जाल में फँसा कबूतर ताल सहित उड़ गया और बहेलिया हाथ मलता रह गया।  
हाथ मारना,मुहावरा छीन लेना चोर ने तिज़ोरी पर ऐसा हाथ मारा कि कुछ भी नहीं बच पाया। 
हाथ लगना,मुहावरा प्राप्ता होना समुद्र में गोते लगाने पर गोताखोर के हाथ बहुमुल्य  मोती लग गया। 
हाथ साफ करना,मुहावरा बेईमानी से लेना उसने सारे माल पर हाथ साफ़ कर लिया , अब रह ही क्या  गया है। 
हाथों के तोते उड़ जाना,मुहावरा  होश –हवाश जाते रहना लड़के की गिरु्तारी वारंट देखते ही बाप के हाथों के तोते उड़ गए। 
हाल पतला होना,मुहावरा दयनीय दशा होना व्यायपार में घटा पड़ता रहा । इससे आजकल उसका हाल पतला है। 
हिन्दीय की चिन्दीर निकालना,मुहावरा बात की तह् तक पहुँचना इस मामले को यहीं ठन कर दो। हिन्दीह की चिन्दी  निकालने से बिगाड1 होना। 
हीरे की कनी चाटना,मुहावरा प्राणनाशपक कार्य करना ये नौजवान जो बम बानाने में लगे हैं। हीरे की कनी चाटने का काम करते हैं। 
हुलिया तंग होना,मुहावरा पेरशान होना इस नालायक लड़के के मारे हमारा हुलिया तंग है। 
हुलिया बिगाड़ देना,मुहावरा दुर्गत करना बाज़ नहीं आओंगे । जो याद रखो, तुम्हाीरा हुलिया बिगाड़ दूँगा। 
होश सम्हा लना,मुहावरा सयाना होना  जब से होश सम्हा ला है, घर में झगड़ा ही देखता आ रहा हूँ।

हिन्दी मुहावरे संग्रह ( म से ह तक)

हिन्दी मुहावरे संग्रह ( म से ह तक)

मक्खियॉं मरना , मुहावरा बेकार रहना दिन भर क्यान करते रहते हो। बसृ मक्खियॉं मारते रहते हो। 
मक्खीर नाक पर न बैठने देना, मुहावरा इज्जवत खराब न होने देना वह अत्यकन्तन स्वासभिमानी व्यरक्ति है, मक्खीच नाक पर बैठने नही देता है। 
मज़ा किरकिरा  होना, मुहावरा आनन्दक में विघ्नो होना अच्छेक –भले खेल रहे थे कि बिजली गायब हो गई । सारा मज़ा किरकिरा हो गया।
मन के लड्डू (मनमोदक) खाना, मुहावरा कल्पेना करके प्रस्न्ने होना सौचता था कि काम करूँगा तो हज़ारों कमाऊँगा, शादी होगी , बाल बच्चे  होंगे- इस तरह मन के लड्डू खाता रहता था। 
मन मैला करना, मुहावरा खिन्नल होना  मैंने तुम्हानरे हित में ऐसा कहा था लेकिन तुमने बुरा मान लिया और मन मैला कर लिया। 
माथा ठनकना, मुहावरा संशय होना जब उसने बताया कि उसका लड़का भाग गया है तो मेरा माथा ठनका कि दाल में कुछ काला है। 
मिट्टी का माधो, मुहावरा बुद्धू  उसकी समझ में कुछ नहीं आयेगा । है ही वह मिट्टी का माधो। 
मिठी छुरी चलाना, मुहावरा विश्वाुसघात करना इसकी बातों में नआना, मिठी छुरी चलाकर ठग लेता है। 
मुँह उतरना, मुहावरा उदास हो जाना जब पिता ने डॉंट कर कहा कि तुम मेले में नहीं जा सकते तो उसका मुँह उतर गया। 
मुँह की खाना, मुहावरा बुरी तरह हारना तीनों युद्धों में पाकिस्ताहन को मुँह की खानी पड़ी। 
मुँह धो रखना/आना, मुहावरा आशा न रखना मुँह धो रखो, मैं तुम्हें  एक कौड़ी भी नहीं दूँगा। 
मुँह पकड़ना, मुहावरा बोलने न देना तुमने अपनी बात क्यों  नहीं कही/ मैंने कोई तुम्हागरा मुँह पकड़ लिया था। 
मुँह पर बसंत फूलना या खिलना, मुहावरा भयभीत होना जब रात में ज़रा–सी आहट सी आहट होती है, तो चोरी की आशंका से उसके मुँह पर बसंत फूलना नज़़र आता है। 
मुँह बनाना, मुहावरा खीझ प्रकट करना उसे कुछ कहते ही वह मुँह बना लेता है। 
मुँह में पानी भर आना/लार टपकाना, मुहावरा खाने को जी करना जलेबियॉं देखकर मेरे भी मुँह में पानी भर आया। 
मुट्ठी गकरना करना, मुहावरा धूस देना बाबू या अधिकारी की मुट्ठी गर्म किए बिना यह काम नहीं हो सकता है।
मैदान मारना, मुहावरा लड़ाई जीतना पानीपत की लड़ाई में पठानों ने मैदान मार लिया था। 
मुट्ठी में करना, मुहावरा वश में करना सास ने बहू को मुट्ठी में कर रखा है। 
मोटा आदमी/असामी, मुहावरा धनी व्यमक्ति व्यावपारी को मोटे आदमी/असामी से ज्या दा लगाव होता है। 
मोहर लगा देना, मुहावरा पुष्टि करना उसने अपने कथन में मेरी बात पर मोहर लगा दी। 
म्या ऊँ का ठौर पकड़ना, मुहावरा खतरे में पड़ना ज़बानी जमा खर्च तो सब कर सकते हैं लेकिन म्यामऊँ का टौर कौन पकड़ेगा। 
रंग बदलना, मुहावरा परिवर्तन होना ज़माने का रंग बदलरहा है। लोग स्वेर्थी और लालची होते जा रहे हैं।
राई का पहाड़ बनाना, मुहावरा जरा सी बात का बतंगड़ बनाना खत्मस करो इस ण्गनड़े को । तुमने तो राई का पहाड़ बना दिया है। 
रास्ता  देखना, मुहावरा प्रतीक्षा करना तुम्हा्रा रास्ताग देखते –देखते ऑंखें पथरा गईं। 
रास्ता् नापना, मुहावरा चले जाना अब माफ करो और अपना रास्ता  नापों। 
रास्ते  पर लाना , मुहावरा सुधार करना इस बिगड़े लड़के को कोई रास्ते  पर ला दे। तो अहसान मानूँगा । 
रोऍं सा रोगंटे खड़े होना, मुहावरा रोमांच होना सैनिक की आपबिती सुनकर सबके रोंगटे खड़े हो गए। 
रो धोकर दिन काटना, मुहावरा जैसे –तैसे जीवन बीताना विधवा बिचारी रो-धोकर दिन काटती है। 
लंगर –लंगौट कसना, मुहावरा लड़ने को तैयार होना मनोहर सदैव लंगर-लंगौट कसे तैयार रहता है। 
लंगोटिया यार, मुहावरा धनिष्ठय मित्र  संतोष और कपिल लंगोटिया यार हैं। 
लंगोटी में फाग खेलना, मुहावरा दरिद्रता में आनन्दग लूटना विरले ही लँगोटी में फाग खेल सकते हैं बाकी तो हमेशा चिंतित रहते हैं। 
लकीर का फकीर होना, मुहावरा पुराने रीति-रिवाजों का अनुसरण करना इस युग में भी कई शिक्षित लोग लकीर के फकीर बने हुए हैं। 
ललाट में लिखा होना, मुहावरा भाग्यम में बदा होना ललाट में लिखे को कौन मिटा सकता है।
लल्लोम-चप्पों  करना, मुहावरा चिकनी-चुपड़ी बाते करना लल्लोंे-चप्पों  करके वह बाबू साहब से अपना काम करवा लेूता है। 
लहू के ऑंसू पीना, मुहावरा दुख सह लेना वह लहू के ऑंसू पीकर रह गया । सी तक नहीं की। 
लाख का घर राख होना, मुहावरा धनी का निर्धन हो जाना जुए और शराब में उसका लाख का घर राख हो गया। 
लाल – पीला होना, मुहावरा बहुत गुस्सा  होना लाल –पीला होकर मेरा क्यार बीगाड़ोगे।अपी ही दशा खराब करोगे। 
लिफाफा खुल जाना, मुहावरा भेद खुल जाना यह बात अपने तक रखना। लिफाफा खुल गया तो तुम्हाहरा नुकसान हो जाएगा। 
लुटिया डूबोना, मुहावरा काम खराब कर देना यह क्याब किया। तुमने तो खानदान की ही लुटिया डूबो दी। 
लेने के देने पड़ना, मुहावरा लाभ की जगह नुकसान होना जो मैं देता हॅू । ले लो अन्य था लेने के देने पड़ जाऍंगे। 
लोहा मानना, मुहावरा श्रेष्ठनता स्वीमकार करना क्रिकेट में सभी लोग सचिन का लोहा मानते हैं। 
लोहा लेना, मुहावरा लड़ाई करना उस शूरवीर से लोहा लोगे तो जान गवॉं बैठोगे।  
लोहे के चने चबवाना, मुहावरा बुरी तरह हराना मेरे साथ लड़ाई की तो उसे लोहे के चने चबवा दूँगा। 
विष की गॉंठ, मुहावरा उपद्रवी,खोटा उससे बच के रहना बिष की गॉंठ है। 
विष घोलना, मुहावरा गड़बड़ पैदा करना भाइयों में अच्छेब भले संबंध थे। इस बहू ने आकर विष घोल रखा है।
शान में बट्टा लगना, मुहावरा शान घटना यह कार्य कर तुमने अपनी शान में बट्टा लगवा दिया। 
शीशे में मुँख देखो, मुहावरा अपनी योग्युता- अयोग्याता को समझो 10 वी तो पास नहीं किया और चले हैं चॉंद पर जाने- शीशे में मुँहदेख लो। 
शैतान की ऑंत, मुहावरा लम्बी  बात यह कहानी है कि शैतान की ऑंत जो खत्मह ही नहीं होती। 
शैतान के कान कतरना/काटना, मुहावरा बहुत चालाक होना वह छोटा लड़का बदमाशी में शैतान के कान काटता है। 
श्री गणेश करना, मुहावरा आरम्भग करना विवाह की रस्मोंर का श्री गणेश आज से हो रहा है। 
संसार से उठना/विदा होना, मुहावरा मर जाना बड़े-बड़े लोग संसार से उठ गए आज उनका नाम तक कोई नहीं जानता। 
सफेद झूठ, मुहावरा बिलकुल झूठ  कहीं शेर औरगाय एक साथ रह सकते हैं यह तो सफेद झूठ है। 
सब्ज़श बाग दिखाना, मुहावरा अच्छीश बातें कह कर बहकाना हम जानते हैं वहॉं कुछ भी नहीं है फिर तुम क्योझ हमें सब्ज़ी बाग दिखा रहे हो। 
सॉंचे में ढला होना, मुहावरा रूपवान होना दुल्हनन क्याु है सॉंचें में ढली गुडि़या है। 
सॉंप को दूध पीलाना, मुहावरा  बुरे के साथ नेकी करना तुम उस नीच आदमी की मदद करके सॉंप को दूध पीला रहे हो। 
सॉंप छछूंदर की गति होना, मुहावरा असमंजस की दशा होना घर की लड़ाई में किसका पक्ष लूँ । मेरी तो सॉंप छछूंदर की गति होगई है।  
सॉंप सूँघ जाना, मुहावरा गुपचुप हो जाना पुलिस के आते ही सबको सॉंप सुंघ गया । 
सात घाट का पानी पीना/ घाट –घाट का पानी पीना, मुहावरा व्याघपक अनुभव होना वह व्या पासर में सफल है । लगता है उसने घाट-घाट का पानी पिया है। 
सिंदूर चढ़ना , मुहावरा लड़की का विवाह होना पिछले हप्तेव ही मेरी छोटी लड़की की मॉंग में सिंदूर चढ़ गया।
सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाना, मुहावरा होश उड़ जाना पिताजी ने ऑख दिखाई तो सारी सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाएगी। 
सिर उठाना, मुहावरा विरोध करना सामंत सदैव बादशाह के खिलाफ सिर उठाते रहते थे। 
सिर गंजा करना, मुहावरा बुरी तरह पीटना याद रखो बहुत हेकड़ी दिखाओगे तो सर गंजा कर दूँगा।
सिर पर कफ़न बॉंधना, मुहावरा बलिदान देने के लिए तैयार होना देश के हजारों नवजवान सिर पर कफ़न बॉंधकर स्वूतंत्रता संग्राम में कूदपड़े थे। 
सिर पर खून सवार होना, मुहावरा मरने -मारने पर उतारू होना उसके सिर पर खून सवार था, तुम छिप नहीं जाते तो वइ तुम्हेा मार देता। 
सिर पर पॉंव रखकर भागना, मुहावरा तुरंत भाग जाना पुलिस को देखते ही चोर सिर पर पॉंव रखकर भाग गया। 
सिर पर भूत सवार होना, मुहावरा धुन लग जाना उसके सिर पर तो मुम्बिई जाने का भूत सवार है। 
सिर पर सवार रहना, मुहावरा पीछे पड़ना अरे भाई। कुछ अपना भी काम करो । हर वक्ते मेरे सिर पर सवार क्योभ रहते हो। 
सिर मुंड़ाते ओले पड़ना, मुहावरा काम शुरू होते ही बाधा आना राम ने मकान की नींव खुदावाई ही थी कि नगर पालिका ने काम रोक दिया। उसके तो सिर मुड़ाते ही ओले पड़ गए।  
सींग कटाकर बछड़ों में मिलना, मुहावरा बूढ़े होकर भी बच्चोा जैसा काम करना इस उम्र में उसे गुल्ली डंडा खेलने का शोक हो गया है। लगता है सींग कटाकर बछड़ों मे मिलना चाहता है। 
सुबह –शाम कटना, मुहावरा टालमटोल करना  मकान मालिकआते हैं तो सुबह शम करते हो । किराया क्यों  नहीं दे देते हो। 
सुई की नोक के बराबर, मुहावरा ज़रा सा  दुर्योधनने साफ कह दिया था कि वह पांडवों को सुईकी नोक के बराबर भी भूमि नहीं देगा। 
सूख कर कॉंटा होना , मुहावरा बहुत दुर्बल होना चार दिन के बुखार से ही वह सुखकर कॉंटा हो गया। 
सूुखी धान पर पानी पड़ना, मुहावरा दशा सुधरना बेचारे मुसीबत के दिन काट रहे थे । लड़के की नौकरी लगी तो सूखे धान पर पानी पड़ा। 
सूरज को दीपक दिखाना, मुहावरा प्रसिद्ध व्य क्ति का परिचय देना आप लोगों के सामने उनके बारे में कुछ बताना सूरज को दीपक दिखाना है। 
सेमल का फूल होना, मुहावरा दिखावटी रूप से धोखा होना ऊपर से भोली –भोली शक्लु वाले वास्तसव में सेमल के फूल हो सकते हैं। 
सोने की चिडिया हाथ से निकल जाना, मुहावरा लाभदायक वस्तु  का खो जाना अच्छीय सस्तीत एक मोटरकार मिल रही थी। किसी ने ज्याूदा रकम देकर खरीद ली और ,सें, सोने की चिडिया हमारे हाथ से निकल गई। 
हँसी खेल समझना, मुहावरा साधारण काम समझना घोड़े को साधना क्याी तुम हँसी –खेल समझते हो। 
हजामत बनाना, मुहावरा लूटना एक ठग ने गाड़ी में मेरी हजामत बना दी। 
हजामत बनाना, मुहावरा पीटना अपने को बहुत समझता था, पर मैंने उसकी खूब हजामत बनाई। 
हथियार डालना,मुहावरा हार मान लेना हमारी सेना ने शत्रु को खरों ओर से घेर लिया तो उन्हों ने हथियार डाल दिए।
हथेली खुजलाना,मुहावरा कुछ धन मिलने को होना कई दिन से मेरी हथेली खुजला रही है पर अभी तक एक भी पैसा कहीं से नहीं मिला है। 
हथेली पर सरसों उगाना/जमाना,मुहावरा शीघ्रताशीघ्र काम कर देना इस काम कें कुछ घंटे लगेंगे।यह नहीं हो सकता कि हथेली पर सरसों उगा /जमा दें। 
हथेली पर जान लिये फिरना,मुहावरा मरने की परवाह नहीं करना ये स्वीयंसेवक हथेली पर अपनी जान लिय काम करते हैं । 
हवाइयॉं छूटना,मुहावरा रंग उड़ जाना बच्चाड नत्थूम से बहुत डरता है। वह सामने आ जाता है तो इसके हवाइयॉं छूटने लगती हैं। 
हवाई किले /महल बनाना,मुहावरा मात्र कल्पटना करते रहना उसे कुछ करना-धरना नहीं आता है बस हवाई किले या महल बनाता रहता है। 
हवा के घोड़े पर सवार होना,मुहावरा आने –जाने की जल्दीन मचाना अभी आए, अभी चले जाने को कह रहे हो, हवा के घोड़े पर सवार रहते हो क्याघ। 
हवा लगना,मुहावरा प्रभाव पड़ना रोज़ नया फैशन करता है। इसे भी नए जमाने की हवा लग गई है। 
हवा से बातें करना,मुहावरा तेज चलना घोड़े की चाल देखो। हवा से बातें करता है। 
हवा हो जाना,मुहावरा भाग जाना, न रहना चोर एक मुसाफिर की गठरी मारते ही हवा हो गया। 
हाथ उठाना,मुहावरा मारने को तत्परर होना बच्चोंक और औरतों पर हाथ नहीं उठाना चाहिए। 
हाथ डालना,मुहावरा षुरू करना पहले यह काम समाप्त  करूँगा तभी नये काम में हाथ डालूँगा। 
हाथ पसारना या फैलाना,मुहावरा मॉंगना भूँखा मर जाऊँगा पर किसी के आगे हाथ नहीं पसारूँगा। 
हाथ –पॉंव फूल जाना,मुहावरा डर से घबराना जाना डाकुओं की ललकार से गॉंव के लोगों के हाथ-पॉंव फूल गए। 
हाथ पीले कर देना,मुहावरा लड़की की शादी कर देना छोंटी लड़की के हाथ पीले कर गंगा नहायेंगे। 
हाथ –पैर मारना,मुहावरा कोशिश करना बेचारे ने कई जगह ळाथ –पैर मारे पर नौकरी नहीं लगी। 
हाथ मलना या मलते रह जाना,मुहावरा कुछ प्राइज़ न होना जाल में फँसा कबूतर ताल सहित उड़ गया और बहेलिया हाथ मलता रह गया।  
हाथ मारना,मुहावरा छीन लेना चोर ने तिज़ोरी पर ऐसा हाथ मारा कि कुछ भी नहीं बच पाया। 
हाथ लगना,मुहावरा प्राप्ता होना समुद्र में गोते लगाने पर गोताखोर के हाथ बहुमुल्य  मोती लग गया। 
हाथ साफ करना,मुहावरा बेईमानी से लेना उसने सारे माल पर हाथ साफ़ कर लिया , अब रह ही क्या  गया है। 
हाथों के तोते उड़ जाना,मुहावरा  होश –हवाश जाते रहना लड़के की गिरु्तारी वारंट देखते ही बाप के हाथों के तोते उड़ गए। 
हाल पतला होना,मुहावरा दयनीय दशा होना व्यायपार में घटा पड़ता रहा । इससे आजकल उसका हाल पतला है। 
हिन्दीय की चिन्दीर निकालना,मुहावरा बात की तह् तक पहुँचना इस मामले को यहीं ठन कर दो। हिन्दीह की चिन्दी  निकालने से बिगाड1 होना। 
हीरे की कनी चाटना,मुहावरा प्राणनाशपक कार्य करना ये नौजवान जो बम बानाने में लगे हैं। हीरे की कनी चाटने का काम करते हैं। 
हुलिया तंग होना,मुहावरा पेरशान होना इस नालायक लड़के के मारे हमारा हुलिया तंग है। 
हुलिया बिगाड़ देना,मुहावरा दुर्गत करना बाज़ नहीं आओंगे । जो याद रखो, तुम्हाीरा हुलिया बिगाड़ दूँगा। 
होश सम्हा लना,मुहावरा सयाना होना  जब से होश सम्हा ला है, घर में झगड़ा ही देखता आ रहा हूँ।

शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

हिन्दी मुहावरा संग्रह ज से भ तक

हिन्दी मुहावरा संग्रह ज से भ तक


जंगल में मंगल होना, मुहावरा उजाड़ में चहल-पहल होना यहॉं वार्षिक मेला लगता है जोजंगल में मंगल हो जाता है। 
जड़ों में तेल/मट्ठा देना/जड़ खोदना/काटना, मुहावरा समूल नष्ट  करना चाणक्यष ने नंदवंश की जड़ खोद दी। 
ज़बान काट कर देना, मुहावरा वादा करना जब ज़बान काट कर दे दी है तो निभाएंगे अवश्य़ 
ज़बान पर चढ़ना, मुहावरा याद आना उसका नाम इस समय मेरी जबान पर नहीं चढ़ रहा है। 
ज़बान पर लगाम न होना, मुहावरा बेमतलब बोलते जाना इस तरह की बातें नहीं करनी चाहिए, तुम अपनी ज़बान में लगाम क्योंं नहीं देते। 
ज़मीन आसमान एक करना, मुहावरा सब उपाय कर डालना बाप ने लड़के को बचाने के लिए जमीन आसमान एक कर दिया। 
ज़मीन असामान का फर्क, मुहावरा बहुत भारी अंतर इस कमरे और उस कमरे में जमीन आसमान का फर्क है। 
ज़मीन पर पैर न रखना, मुहावरा  अकड़कर चलना जब से नोकरी पर लगा है तब से वह ज़मीन पर उसके पैर नहीं पड़ रहे हैं।  
ज़मीन में गड़ना, मुहावरा लज्जा  से सिर नीचा होना मनोहर की करतूतों का किस्सा  सुना तो मैं जमीन में गड़ गया ।
जलती आग में घी डालना, मुहावरा और भड़काना रूठे हुए लड़कों को डॉट-डपट कर तुमने जलती आग में तेल डाल दिया।
जली-कटी सुनाना, मुहावरा बुरा-भला कहना जब मनोहर ने व्यंकग्य  किया तो संतोष ने उसे जली-कटी सुना दी। 
ज़हर उगलना, मुहावरा कड़वी बातें कहना कट्टरपंथी सदैव दूसरों पर ज़हर उगलते रहते हैं। 
ज़हर की पुडि़या, मुहावरा झगड़ालू औरत उसे नहीं छेड़ो। वह जहर की पुडि़या है।  
ज़हाज का कौआ/पंछी, मुहावरा जिसका कोई ठिकाना नहीं हेनाथ , मेरे तो एक तुम्हीु हो, मैं इसी ज़हाज का पंछी हूँ। 
जान के लाले पड़ना, मुहावरा संकट में पड़ना इस महँगाई में गरीबों को जान के लाले पड़े हैं। 
जान पर खेलना, मुहावरा प्राणें की बाजी लगाना देश की रक्षा में हमारे जवान जान पर खेल जाते हैं। 
जान में जान आना, मुहावरा चैन मिलना खेया अुआ लड़का मिल गया तो मॉं की जान में जान आई। 
जान से हाथ धोना बैठना, मुहावरा मारा जाना दंगे में चार आदमी अपनी जान से हाथ धो बैठे। 
जान हथेली पर रखना, मुहावरा प्राणों की परवाह न करना सेना के जवान जान हथेली पर रखकर मैदान में कूद पड़े। 
जामे से बाहर होना, मुहावरा अति क्रुद्ध होना मनोहर को रंगनाथ कहो तो वह जामें से बाहर हो जाता है। 
जी का जंजाल, मुहावरा व्यकर्थ का झंझट यह ड्यूटी मेरे जी का जंजाल बन गई है। 
जी खट्टा होना, मुहावरा विरति होना घर की कलह से उसका जी खट्टा हो गया है।
जी चुराना, मुहावरा काम करने से कतराना मनोहर सौंपे गए कार्य को निष्पागदित करने से जी चुराता है। 
जीती मक्खीे निगलना, मुहावरा जानते हुए भी अशोभन कार्य करना इस निर्दोष के विरूद्ध गवाही दूँ। मुझसे यह जीती मक्खीत नहीं निगली जाएगी। 
जी पर आ बनाना, मुहावरा मुसीबत में फँस जाना अब जी पर आ बनी है और नहीं सहा जाता। 
जी भर आना, मुहावरा दु:खी होना उसकी मृत्युब का समाचार सुनकर मेरा जी भर आया। 
जूतियों में दाल बॉंटना, मुहावरा लड़ाई- झगड़ा होना पहले गाली –गलोज हुई अब जूतियों में दाल बटने शुरू हो गए हैं।
जूतियॉं/जूते चाटना, मुहावरा चापलूसी करना अपना मतलब निकालने के लिए मनोहर साहब के जूते चाटने को भी तैयार रहता है। 
जोड़-तोड़ करना, मुहावरा उपाय करना बेटे को पास कराने के लिए मनोहर जोड़-तोड़ करता रहता है। 
झाड़ू फेरना, मुहावरा नष्टू करना मनोहर ने उसकी सारी मेहनत पर झाड़ू फेर दिया। 
टका सा जवाब देना, मुहावरा साफ़ इंकार करना मैंने उधार मॉंगा उसने टका सा जवाब दे दिया। 
टका सा मुँह लेकर रह जाना, मुहावरा लज्जित हो जाना  जब मैंने मनोहर की पोल खोली तो वह टका सा मुँह लेकर रह गया। 
टट्टी की आड़ में शिकार खेलना, मुहावरा  दिपे-छिपे किसी के विरूद्ध कुछ करना टट्टी की आड़ में शिकार खेलना मनोहर की आदत है। 
टट्टू पार होना, मुहावरा काम निकल जाना मैं चाहता हूँ किसी तरह मेरा टट्टू पार हो जाए। 
टॉंग अड़ाना, मुहावरा बाधा पैदा करना हर मामले में टॉंग अड़़ाना ठीक नहीं है। 
टॉंग तले से निकलना, मुहावरा हार मनवाना तुम्हेव टॉग तले न निकालूँ तो मुझे राजपूत का बेटा न समझना। 
टॉंय-टॉंय फिस होना, मुहावरा काम बिगड़ जाना कारखाना लगाने की योजना चल रही थी । सरकार की नामूजूरी से सब टॉंय-टॉंय फिस हो गया। 
टाट उलटना, मुहावरा दिवाला निकलना सेठ जी ने टाट उलटा तो कई लोगों के ऋण के पैसे डूब गए। 
टेढ़ी खीर, मुहावरा कठिन काम  हिमालय की चोटी पर चढ़ना टेढ़ी खीर है।
ठन-ठन गोपाल, मुहावरा खोखला सब ऊपरी दिखावा है। भीतर से ठन-ठन गोपाल है । 
ठीकरा फोड़ना, मुहावरा दोष मढ़ना अपनी गलती का ठीकरा मनोहर ने अधीनस्थोंर पर फोड़ दिया।  
डंका बजना, मुहावरा ख्या ति होना भारतियों के बुद्धी का डंका पूरे विश्वर में बजता है।  
डकार जाना, मुहावरा माल पचा जाना कंपनी का पैसा मनोहर अकेले ही डकार गया।
डाढ़ी पेट में होना, मुहावरा छोटी उम्र में ही बहुत ज्ञान होना बच्चाउ है पर इसके डाढ़ी पेट में है। 
डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना, मुहावरा बहुमत से अलग रहना वह सदा अपनी डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाता है। 
डेढ़ बीता कलेजा, मुहावरा अत्य धिक साहस दिखाना भूकंप पीडि़तो की सहायता करने वाले स्व यंसेवक डेढ़ बीता कलेजा करके जाते हैं। 
डोरे डालना, मुहावरा प्रेम में फँसाना यह नड़का उस लड़की पर डोरे डाल रहा है। 
ढाई दिन की बादशाहत, मुहावरा थोड़े दिन की मौज़ बहार वह नहीं समझता कि ढाई दिन की बादशाहत है, फिर वही हालत हो जाएगी। 
ढि़ढोरा पीटना, मुहावरा सब को बताना वह अपने तक बात सीमित न रखकर ढींढोरा पीट रहा है। 
तख्तान उलटना, मुहावरा सरकार बदलना एक फौजी जनरल ने उस देश का तक्ष्ताु उलट दिया। 
तलवा खुजलाना, मुहावरा यात्रा करने को होना मेरे तलवे खुजला रहे हैं, कही जाना पड़ेगा। 
ताक पर धरना/रखना, मुहावरा हटा देना अपनी योजनाताक पर रख दो। यह नहीं चलेगी। 
तार-तार होना, मुहावरा पूरी तरह फट जाना घिसते फटते अब उसकीधोती तार-तार हो गई है। 
तारे गिनना, मुहावरा रात को नींद नहीं आना उस दुखिया ने रात तारे गिनते हुए काट दी। 
तालू से जीभ न लगना, मुहावरा बोलते रहना उस औरत की तो तालू से जीभ ही नहीं लगती । 
तिल का ताड़ करना, मुहावरा छोटी बात को बढ़ा देना मनोहर ने किताब खोने की बात को तिल का ताड़ बना दिया । 
तीन तेरह करना, मुहावरा तितर-बितर करना  नालायक बेटों ने बाप की सारी सम्पलत्ति तीन –तेरह कर दी। 
तीन –पॉंच करना , मुहावरा टाल-मटोल करना यह काम आज ही होना चाहिए, तीन –पॉंच नहीं करना। 
तूती बोलना, मुहावरा रोब जमना सत्ताम के गलियारों में युवा सांसदों की तूती बोलती है। 
तेल की कचौडि़यों पर गवाही देना, मुहावरा सस्तेी में काम करना आप कुल दो सौ रूपये में बच्चे  को ट्यूशन कराना चाहते हैं, तेल की कचौडि़यों पर गवाही कौन देगा। 
तेली का बैल होना, मुहावरा हर समय काम में लगे रहना मैं जब भी आता हूँ देखता हूँ कि तेली के बैल की तरह काम करते रहते हो। 
तेवर चढ़ाना, मुहावरा गुससा होना अजीब मिज़ाज का आदमी है, जब देखों तेवर चढ़ाए रहता है।
त्रिशंकु होना, मुहावरा अधर में लटकना इम न इधर के रहे न उधर के हुए, त्रिशुकु होकर रह गए। 
थूक कर चाटना, मुहावरा वचन से फिरना कभी तो अपनी ज़बान पूरी किया करो, सदा देखा है कि तुम थूक कर चाट लेते हो। 
दमड़ी के तीन होना, मुहावरा सस्ते  होना वह जमाना गया जब दमड़ी के तीन होते थे। 
दमड़ी के लिए चमड़ी उधेड़ना, मुहावरा मामूली से बात के लिए भारी दंड देना एक कलम तोड़ने पर 1000 रू. का जुर्माना। आप तो दमड़ी के लिए चमड़ी उधेड़ रहे हैं। 
दम ीारना, मुहावरा दावा करना वे जो मित्रता का दम भरतें थे, वक्तक पड़ने पर गायब हो गए। 
दॉंत काटी रोटी, मुहावरा घनिष्ठा मित्रता कपिल और संतोष में दॉंत काटी रोटी है। 
टॉंत खट्टे करना, मुहावरा हरा देना भारतीय सैनिकों ने तीनों युद्धों में पाकिस्ताकनियों के दॉंत खट्टे कर दिए।
दॉंत तालू में जमना, मुहावरा बुरे दिन आना करूा तुम्‍हारे दॉंत तालू में जम गए हैं । हमसे इतनी धृष्ट ता से बात करते हो। 
दाई से पेट छिपाना, मुहावरा जानकार से बात छिपाना कहते हो उसे कुछ न बताना, भला दाई से पेट कैसे डिपाऊँ। 
दॉंत पीसकर रह जाना, मुहावरा क्रोध रोक लेना मनोहर ने बहुत सताया पर मैं दॉंत पीसकर रह गया। 
दॉंतो तले उँगली दबाना, मुहावरा आर्श्चाय चकित होना ताजमहल में उत्कीकर्ण कारीगरी को दखते ही लोग दॉंतों तले उँगली दबा बैठे।
दाल जूतियों में बटना, मुहावरा अनबन होना बच्चोंो की लइ़ाई हुई पर पड़ोसियों में दाल जूतियों में बटने लगी। 
दाल न गलना, मुहावरा बस न चलना वरिष्ठग अधिकारियों के सामने मनोहर की दाल न गली। 
दाल में काला होना, मुहावरा शक –शुबह होना दाल में कुछ काला है, तभी तो वह कार्यालय नहीं आ रहा है। 
दिन –दूनी रात चौगुनी होना, मुहावरा बहुत तीव्र गति से वृद्धि हमारा देश दिन–दूनी रात-चौगुनी प्रगति करे यही मेरी ईश्व र से प्रार्थना है।
दिन पहाड़ होना, मुहावरा दिन काटे न कटना आज कुछ भी काम नहीं था, दिन पहाड़ हो गया । 
दिनों का फेर होना, मुहावरा भाग्य  का चक्क र  कल क्याा थे, आज क्या  हो गए। दिनों का फेर है। 
दिमाग आसमान पर चढ़ना, मुहावरा बहुत घमंड होना जब से लाटरी निकली है1 तब से इसका दिमाग आसमान पर चढ़ गया है। 
दिल का गुबार(बुखार) निकालना, मुहावरा दबा भाव प्रकट करना जब भाई ने रूठने का कारणपूछा तो उसने खुलकर अपने दिन का बुबार निकाल दिया। 
दिल के फफोले तोड़ना, मुहावरा कुढ़कर जली-कटी बातें कहना बेचारा रोज़-रोज़ ताने सुनता रहा।आखिर एक दिन दिल के फफोले तोड़ दिए। 
दिल भर आना, मुहावरा शोकाकुल होना मित्र की मौत का समाचार सुनकर उसका दिल भर आया। 
दिल मसोसकर रह जाना, मुहावरा मन में खीझकर रह जाना रमेश ने मेरे सामने मेरी किताब फाड़ डाली और मैं मन मसोसकर रह गया। 
दूज का चॉंद होना, मुहावरा बहुत दिनों बाद दिखाई देना अरे, कहॉं रहे इतने दिन, तुम तो दूज का चॉंद हो गए। 
दुध का धुला/धोया होना, मुहावरा निर्दोष या निष्क/लंक होना सब नेता ऐसे ही हैं, दूध का धुला कोइ्र विरला ही होगा। 
दूध का दूध और पानी का पानी करना, मुहावरा उचित निर्णय करना पंचों ने हरि के मामले में दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया। 
दूध के दॉंत न टूटना, मुहावरा ज्ञान और अनुभव न होना बिलकुल बच्चाभ है , अभी दूध के दॉंत नहीं टूटे हैं। 
दूर की कौड़ी लाना, मुहावरा दूर की सोच लेना एयसका सुझाव सब को पंसद आया। कहने लगे पह कैसे दूर की कौड़ी ले आया। 
देवता कूच कमर जाना, मुहावरा घबरा जाना मालिक ने डॉंटा-फटकारा तो नौकर के देवता कूच कर गए।
दो टूक बात कहना, मुहावरा थोड़े में साफ-साफ कहना मकान किराये के संबंध में मैंने उससे दो टूक बात कह दी। 
दो दिन का मेहमान, मुहावरा जल्दीन मरनेवाला मरीज़ की हालत खराब है, बस दो दिन का मेहमान है। 
दो नावों पर पैर रखना, मुहावरा दोनों तरफ रहना दो नावों पर पैर रख्नेल वाला कभी सफल नहीं हो सकता है। 
धज्जियॉं उड़ाना, मुहावरा दुर्गति करना सैनिकों ने दुश्म न के टैंकों की धज्जियॉं उड़ा दी। 
धूप में बाल सफेद करना, मुहावरा अनुभवहीन होना मैं यह सब कुछ कर लूँगा , कोई धूप में बाल सफेद नहीं किया हूँ। 
नकेल हाथ में होना, मुहावरा बस में होना आपका काम अवश्यो हो जाएगा। एसकी नकेल मेरे हाथों में है। 
नब्ज  पहचानाना, मुहावरा स्वजभाव जानना मैं उसकी नब्ज़न पहचानता हूँ। देख लेना वह तुम्हाकरा काम करेगा नहीं।
नमक मिर्च लगाना, मुहावरा बढ़ा-चढ़ाकर कहना ज़रा सी बात थी । लड़की ने नमक मिर्च लगकर उसकी शिकायत कर दी। 
नस-नस फड़क उठना, मुहावरा बहुत उत्सातहित होना देश गान सुनकर जवानों की नस5नस फड़क उठती है। 
नस पहचानना, मुहावरा अच्छीा तरह जानना मेरे समाने मत बनो। मैं तुम्हाुरी नस पहचानता हूँ। 
नहले पर दहला मारना, मुहावरा करारा जवाब देना क्याा याद करेगा, मैंने उसके नहले पर देहला मार दिया। 
नाक कटना, मुहावरा बदनामी होना शर्त हार गए तो नाक कट जाएगी। 
नाक का बाल होना  बहुत प्यालरा होना आजकल देल मंत्री प्रधान मंत्री की नाक का बाल बने हुए हैं। 
नाक चोटी काटकर हाथ में देना, मुहावरा दुर्दशा करना उसने गालियॉं दी तो इसने उसकी नाक चोटी काट कर हाथ में दी। 
नाक भौं चढ़ाना, मुहावरा घृणा या असंतोष प्रकट करना दहेज देख्कंर समधिन नाक –भौं चढ़ाने लगी। 
नाक में नकेल डालना, मुहावरा वश में करना पत्नीं ने उसकी नाक में नकेल डाल रखी है जो चाहती है मनवा लेती है। 
नाक रगड़ना, मुहावरा गिड़गिड़ाना उसने साहब के आगे नाक रगड़ी, मिन्नै की, पर वे नहीं माने। 
नाकों चने चबवाना, मुहावरा बहुत तंग करना उसकी पत्नीच उसे नाकों चने चबवाती है। 
नाच नचाना, मुहावरा मनचाही करवाना उसकी पत्नीा पति को खूब नाच नचाती है। 
नानी मर जाना, मुहावरा होश न रहना जब थानेदार हंटर लिए आता है तब हवालात में पड़े अपराधी की नानी मर जाती है। 
नाव में धूल उड़ाना, मुहावरा व्य र्थ बदनाम करना उसके बारे में सब जानते हैं, तुम बेकार नाव में धूल उड़ाते हो। 
निन्याानबे के फेर में पड़ना, मुहावरा पैसा जोड़ने के चक्केर में पड़ना हाय पैसा, हाय पैसा करते आम लोग आजकल निन्यावनबे के फेर में पड़े हैं। 
नीचा दिखाना, मुहावरा हराना  तुम हमारे उम्मीादवार को कभी नीचा नहीं दिखा सकते हो। 
नीला-पीला होना, मुहावरा गुस्साा होना ज़रा सी गलती पर वहनोकर पर नीला-पीला हो गया। 
नौ दो ग्यातरह होना, मुहावरा भाग जाना लोगों को देखते-देखते वह नौ दो ग्याारह हो गया। 
पंख न मारना, मुहावरा पहुँच न होना वहॉं कोई नहीं जा सकता। चिडि़या तक पंख नहीं मार सकती है। 
पगड़ी उछालना, मुहावरा बेइज्जउत करना किसी की पगड़ी उछालोगे तो पिट जाओगे। 
पगड़ी बदलना, मुहावरा पक्की  मित्रता होना देवरात और बलदेव ने पगड़ी बदली। 
पगड़ी रखना, मुहावरा इज्जीत बचाना इस समय मेरी पगड़ी रखलो नहीं तो मैं कही का भी नहीं रहूँगा ।
पटरी बैठना, मुहावरा मन मिलना/अच्छेो संबंध होना वह स्वाार्थी आदमी है। किसी से उसकी पटरी नहीं बैठती है। 
पट्टी पढ़ाना, मुहावरा बुरी सलाह देना बहू, अब मूँह पर जवाब देने लगी है , किसी ने पट्टी पढ़ा दी है। 
पत्तास काटना, मुहावरा संबंध समाप्तत कर देना इस सभा से उसका पत्तात ही काट दिया गया है। 
पत्थभर की लकीर होना, मुहावरा बात पक्की  होना मैं जो वचन दे रहा हूँ उसे पत्थ र की लकीर समझो। 
परछाई न पड़ना, मुहावरा पहुँच न हो सकना इस किले में किसी की परछाई तक नहरं पड1 सकती है। 
पनक पाँवड़े बिछाना, मुहावरा  आदर से स्वा गत करना बरात की प्रतीक्षा में वे लोग पलक पॉंवड़े बिछाए खड़े थे। 
पलक लगना, मुहावरा नींद आ जाना दोपहर में खाने के बाद थोड़ी पलक लग जाती है। 
पल्ला पकड़ना, मुहावरा सहारा लेना अब तो पल्लाा पकड़ लिया है । काम बन जाएगा। 
पसीना-पसीना होना 1 बहुत थक जाना 2 शर्मिंदा होना 1 बैठक की सफाईकरते –करते पसीना-पसीना होगया हूँ।             2 मॉं ने लड़के को मिठाई चुराते डॉंटा तो वह पसीना-पसीना हो गया।
पहाड़ टूट पड़ना, मुहावरा भारी विप्त्ति  आ जाना मिल में आग लग गई , यह सुनकर सेठजी पर मानो पहाड़ टूट पड़ा।
पहाड़ से टक्क र लेना , मुहावरा बुहत भारी आदमी से मुकाबला करना चुनाव में रामदेव सेठ घनश्याम दास के विरूद्ध खड़ा है ,पहाड़ से टक्क र लेने के लिए। 
पॉंचों उँगलियॉं घी में, मुहावरा लाभ ही लाभ होना आजकल शेयर दलालों की पॉंचों उँगलियॉं घी में हैं।
पाँव उखड़ना, मुहावरा हार कर भाग जाना 1971 के युद्ध में भारतीय सेनाओं के प्रवेश करने केसाथ ही पाकिस्ता नी सैनिकों के पैर उखड़ गए। 
पॉंव फूँक-फूँक कर रखना, मुहावरा सावधानी से कार्य करना व्याापार हो चाहे उद्योग पॉंव फूँक-फूँक कर रखना चाहिए। 
पानी का बुल –बुला होना , मुहावरा क्षणभगुर होना आदमी बुलबुला है पानी का। 
पानी –पी-पी कर कोसना, मुहावरा गालियॉं बकते जाना जरा सा बिगाड़ हो गया पर लाला पौकरों को पानी पी5पी कर कोसता रहा। 
पानी फेर देना, मुहावरा बिगाड़ देना तुम्ने  तो मेरी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। 
पापड़ बेलना, मुहावरा बेकार जीवन बीताना दो साल दिल्लीत में रहे कुछ भी नहीं सीखा। क्याि पापड़ बेलते रहे। 
पुट्टे पर हाथ न रखने देना, मुहावरा पास न फटकने देना घोड़े को कैसे सिधाया जा । यह तो पुट्टे पर हाथ ही नहीं रखने देता है। 
पेट काटना, मुहावरा अपने ऊपर थेड़ा खर्च करना अपना पेट काट कर बाप ने बेटे को बी.ए. तक शिक्षा दिलवाई।  
पेट का हल्का , मुहावरा बात को अपने तक न रख सकनेवाला उसे यह यह भेद न बताना। वह पेट का हल्काह है। 
पेट पर पट्टी वॉंधना, मुहावरा भूखा रह जाना बेचारे के पास खाने को कुछ नहीं था। पेट पर पट्टी बॉंधकर सो रहा है। 
पेट में चूहे दौड़ना, मुहावरा भूख लगना कुछ खाने को दो। पेट में चूहे दौड़ रहे हैं। 
पैरों तले जुमीन खिसकना/निकलना/सरकना , मुहावरा होश उड़ जाना रँगे हाथ पकड़े जाने पर मनोहर के पैरों तले ज़मीन खिरक गई।
पैरों पर खड़ा होना, मुहावरा स्वांवलम्बीप होना बाप को संतोष है कि बेटा पैरों पर खड़ा हो गया। 
पैरों में मेहंदी लगाकर बैठना, मुहावरा कहीं जा न सकना कहीं जाते –वाते नहीं । क्याा पैरों में मेहन्दीस लगाकर बैठे रहते हो। 
पौ बारह होना, मुहावरा खूब लाभ होना सुना है कि उसकी शादी बड़े अमीर घर में होनवाली है। अब तो उसके पौ बारह हैं।
प्राणों पर आ बनना, मुहावरा संकट में पड़ना डाकू फाटक तोड़कर अन्द र घुस रहे हैं। अब तो प्राणों पर आ बनी है।
प्राणों पर खेलना, मुहावरा प्राणों की बाजी लगा देना हमारे जवान प्राणों पर खेलकर शुत्रसेना पर टूट पड़े। 
फट पड़ना, मुहावरा एक दम गुस्से, में हो जाना बापू कई दिनों से नाराज था। आज न जाने क्याट हुआ कि फट पड़ा।
फावड़ा चलाना, मुहावरा मेहनत का काम करना थक कैसे गए । क्या  फावड़ा चलाते रहे हो। 
फूलकर कुपपा होना, मुहावरा बहुत खुश या नाराज होना वह कुछ भी कहता है जो यह फूलकर कुप्पाे हो जाती है। 
फूल झाड़ना, मुहावरा प्रिय वचन बोलना महापुरूषों के मुख से हमेशा फूल ही झड़ते हैं। 
बंदर घुड़की / भभकी, मुहावरा प्रभावहीन धमकी  तुम्ावहीरी बंदर घुड़की की हम परवाह नहीं करते हैं। 
बखिया उधेड़ना, मुहावरा भेद खोलना तुम मेरे साथ मत उलझा करो नहीं तो तुम्हापरा बखिया उधेड़ कर रख दूँगा। 
बच्चोंर का खेल , मुहावरा सरल काम दिलली जैसे शहर में बस चलना कोई बच्चोंु का खेल नहीं है। 
बछिया का ताऊ, मुहावरा मूर्ख कुछ समझते भी हो या नहीं बिलकुल बछिया के ताऊ हो। 
बट्टा लगना, मुहावरा कलंक लगना ऐसा काम मत करो जिससे बाप दादा के नाम पर बट्टा लगे। 
बड़े घर की हवा खाना, मुहावरा जेल जाना बाज आ जाओ नहीं तो बड़ेू घर की हवा खाओगे तो अक्लग आ जाएगी।
बत्ती सी खिलना, मुहावरा हँसी आना बच्चेआ की तोतली भाषा सुनकर माँ की बत्तीगसी खिल जाती है। 
बत्तीआसी बंद होना, मुहावरा चुप हो जाना मैंने दो सुनाई तो उसकी बत्तेहसी बंद हो गई। 
बरस पड़ना, मुहावरा अति क्रुद्ध होकर डॉटना चाय का प्या ला उलट गया जो साहब नौकर पर बरस पड़े। 
बल्लियों / बासों उछलना, मुहावरा बहुत खुश होना प्रतियोगिता में द्वितीय आने पर वह बल्लियों उछलने लगा। 
बाऍं हाथ का खेल , मुहावरा अति सरल कार्य  कविता करना तो उसके बाऍं हाथ का खेल है। 
बाछें खिल जाना, मुहावरा अत्यंन्तक प्रसनन होना पास होने की खबर आई तो लड़के की बाछें खिल गई। 
बाज़ार गर्म होना, मुहावरा तेजी होना आजकल अफवाहों का बाजार गर्म है।  
बात का धनी होना, मुहावरा वचन का पकका होना राजा हरिशचन्द्रा बात के धनी थे। 
बात की बाम में, मुहावरा तुरंत बात की बात में वह झगड़े पर उतर आया। 
बात तक न पूछना, मुहावरा आदर न करना मैं उसके घर गया पर उसने बात तक न पूछी। 
बाल की खाल उतारना, मुहावरा अनावश्यखक विवाद करना कुछ लोग हर बात में बाल की खाल दतारते हैं। 
बाल बॉंका न कर सकना, मुहावरा कुछ भी हानि न पहँचा सकना ईश्वभर के भक्तन का कोई बाल भी बॉंका नहीं कर सकता है। 
बालू से तेल निकालना, मुहावरा असम्भसव को सम्भनव करना उस कंजूस से दान करवाना बालू से तेल निकलवाने के सामान है। 
बासी कढी में उबाल आना, मुहावरा अचित समय पश्चाबत इच्छाे जागना बुड्ढे को शादि करने का शौक चर्राया है , यानी बासी कढ़ी में उबाल आया है। 
बिलली के गले में घंटी बॉंधना, मुहावरा अपने को संकट में डालना प्रधानाचार्य से जाकर कोई नहीं कहेगा सही है बिल्लीा के गले में घंटी कौन बॉंधेगा। 
बेपेंदी का लोटा, मुहावरा ढुलमुल कोशिश / अस्थिर विचारों वाला कुछ यूनियन लीडर बेपेंदी के लोटे होते हैं।
बेसिर पैर की हॉंकना, मुहावरा ऊल जलूल बातें करना बेसिर पैर की मत हॉंको । इस आरोप को सिद्ध करने के लिए तुम्हासरे पास क्यार प्रमाण है। 
भगीरथ प्रयत्नम , मुहावरा भारी कोशिश  उसको मनाने के लिए हमें भगीरथ प्रयत्नम करना पड़ा। 
भाड़ झोकना, मुहावरा समय व्यकर्थ खोना दो साल दिल्ली  में रहे कुछ भी नहीं सीखा। क्या़ वहॉं भाड़ झोकते रहे।
भाड़े का टट्टू , मुहावरा पैसे लेकर ही काम करनेवाला भाड़े का टट्टू है पैसा दो तो काम करेगा नहीं तो वह देखेगा भी नहीं।
भिड़ के छत्तेू को छेड़ना, मुहावरा चिड़चिड़े आदमी को चिढाना उस क्रोधी आदमी को तुमने क्या  कह दिया कि गालियॉं बके जा रहा है। अरे भिड़ के छत्तेन को नहीं छेड़ना चाहिए।   
भीगी बिल्ली़ बनना, मुहावरा सहम जाना प्रधानाचार्य के सामने बड़े –बड़े उपद्रवी लड़के भी भीगी बन जाते हैं। 
भेडि़या धसान, मुहावरा अंधानुकरण गॉंव के लोगों में भेडिया धसान के बहुत उदाहरण मिलते हैं।
भैंस के आगे बीन बजाना, मुहावरा नासमझ आदमी को उपदेश देना गँवार आदमी को उपनिषदों की बातें बताना भैंस के आगे बीन बजाना है।