मंगलवार, 16 फ़रवरी 2010

सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी हिन्‍दी से हिन्‍दी शब्दार्थ


सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी हिन्‍दी से हिन्‍दी शब्दार्थ


एब्‍सोल्‍यूट वैल्‍यू  यह विना चिह्न की संख्‍या होती है।
ऐड्रेस  कम्‍प्‍यूटर की मेमोरी में जहॉं पर डाटा को संग्रहति किया जाता है , उस स्‍थान के पते को एड्रेस कहते हैं। इसको एरों के माध्‍यम से प्रदर्शित करते हैं।
एल्‍गोर  यह एक उच्‍च स्‍तरीय प्रोग्रामिंग भाषा है।
एल्‍गोरिथम  किसी समस्‍या के यरणबद्ध हल को कहते हैं।
एल्‍फान्‍यूमेरिक  यह अंकों, अक्षरों तथा विशेष चिह्नों को मिलाकर बनते हैं।
एनालाग कम्‍प्‍यूटर  वह कम्‍प्‍यूटर जो भौतिक मानों जैसे दूरी,वोल्‍टेज आदि की एक दूसरे से लगातार तुलना करत है।
अरिथमैटिक एंड लाजिक यूनिट  यह सी.पू.यू. का एक भाग है जहॉं पर गणितीय एवं तार्किक क्रियाएं होती हैं।
एरे  निश्‍चित प्रारूप में एक समूह का प्रबंधन
आस्‍की  एक सामान्‍य को‍डिंग योजना है।
एसेम्‍बलर  यह एक कम्‍प्‍यूटर प्रोग्राम है जो असेम्‍बली भाषा में लिखे प्रोग्राम का मशीनी भाषा में अनुवाद करता है।
बेसिक  यह एक उच्‍च स्‍तरीय प्रोग्रामिंग भाषा है । इसका विकास प्रो.केमी व प्रो.कुर्र्ट्ज ने किया था।
बैच प्रोसेसिंग  इस विधि में कई प्रोग्राम को एकत्र करके एक साथ प्रोसेस करवाया जाता है।
बिट  बिट एक बाइनरी (0 या 1) संख्‍या को कहते हैं। यह सूचना की सबसे छोटी इकाई है।
ब्राचिंग  कम्‍प्‍यूटर के कंट्रोल का प्रोग्राम में एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान पर स्‍थानांतरण ।
बाबल सार्ट  इस विधि से लगातार युग्‍मों के मानों का आपस में बदलाव किया जाता है।
बफर  यह मेमोरी का वह भाग जहॉं पर अस्‍थायी रूप से छाटा का संग्रह किया जाता है।
बग  प्रोग्राम में उत्‍पन्‍न त्रुटि को कहते हैं।
बॉइट  सामान्‍य: 8 बिट के समूह को बॉइट कहते हैं। इसको एक इकाई मानते है और यह एक चिह्न को प्रदर्शित करता है।
काई  कम्‍प्‍यूटर की सहायता से निर्देश प्राप्‍त करना।
कैल  कंप्‍यूटर की सहायता से सीखना।
सी.पी.यू. (सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट)  यह कंप्‍यूटर सिस्‍टम का मुख्‍य भाग है । यह ए.एल.यू. क्रट्रोल यूनिट तथा मेमोरी यूनिट से मिलकर बना होता है।
करेक्‍टर  सूचनाओं के इनपुट/बाउटपूुट के लिए प्रयोग होने वाला सबसे छोटा तत्‍व जो अंक, अक्षर या विशेष चिह्न हो सकता है।
करेक्‍टरसेट  कंप्‍यूटर में उपलब्‍ध अंकों व विशेष चिह्नों के समूह को कहते हैं।
चिप  सिलिकान का एक छोटा सा टुकड़ा,जिस पर एकीकृत परिपथ बने होते हैं।
कोबोल  यह एक उच्‍च प्रौग्रामिंग भाषा है। इसका उपयोग वाणिज्यिक कार्यों के लिए होता है।
कमांड  यह कम्‍प्‍यूटर को प्रेषित निर्देश का एक भाग है । यह कम्‍प्‍यूटर से कार्य को क्रियान्वित करवाता है।
कंपाइलर  यह एक प्रोग्राम हे ,जो उच्‍च स्‍तरीय भाग में लिखित प्रोग्राम का मशीनी भाषा में अनुवाद करता है।
कम्‍प्‍यूटर  कम्‍प्‍यूटर एक इलेक्‍टॉनिक मशीन है , जिसमें डाटा का इनपुट,संग्रहण एवं गणनकार्य होता हे तथा परिणाम के आउटपुट को इच्छित रूप में प्राप्‍त किया जा सकता है।
कंडीशनल ब्रांच  कंप्‍यूटर के कंट्रोल का प्रोगाम के एक भाग से दूसरे भाग में किसी निश्‍चित दशा में स्‍थानांतरण।
काउंटर  एक चरण की किसी प्रतिक्रया को बार-बार दोहराये जाने की गिनती करता है।
कंट्रोल यूनिट  यह सी.पी.यू. का एक भाग है जो निर्देशों के निर्धारण,अनुवाद तथा एक्‍जीक्‍यूशन को नियंत्रित करता है।
करसर  एक छोटी आकृति को चमकीला वर्ग है जो स्‍क्रीन पर किसी चिह्न की स्थिति को स्‍पष्‍ट करता है।
डाटा  यह वह इनपुट है जो कंप्‍यूटर में गणना व प्रोसेसिंग के लिए प्रयुक्‍त होते हैं।
डाटा बेस  डाटा फाइल के संगठित समूह को कहते हैं,जिसमें निश्चित विषय से संबंधित सूचनायें होती हैं।
डाटा प्रोसेसिंग  सूचनाओं को इनपुट करना,शॉर्टिंग करना तथा गणना कार्य को डाटा प्रोसेसिंग कहते हैं।
डिबगिंग  किसी प्रोग्राम या कम्‍प्‍यूटर में त्रुटियॉं ज्ञात करना तथा उसका निवारण करना डिबगिंग कहलाता है।
डिजिटल कंप्‍यूटर  वह कंप्‍यूटर जो अंकीय गणना को कर सके।
डायरेक्‍ट एक्‍सेज  किसी भी फाइल मे उपस्थित विशेष रिकार्ड को सीधे पढ़ने की प्रक्रिया।
डिस्‍क  एक समतल,वृत्‍तीय मैग्‍नेटिक डिवाइस, जिस पर सूचनाओं को लिखा व संग्रहित किया जा सकता है।
एडिटर  एक प्रोग्राम जो उपयोगकर्ता के प्रोग्राम को संपादित करने में सहायता देता है।
एनियक  पहला पूर्ण इलेक्‍ट्रॉनिक कंप्‍यूटर।
एरर मैसेज  कंप्‍यूटर द्वारा प्रोग्राम एक्‍जीक्‍यूशन के दौरान प्राप्‍त त्रुटियॉं को दर्शाना।
एक्‍जीक्‍यूशन  प्रोग्राम में दिए गए निर्देशों का कम्‍प्‍यूटर द्वारा अनुपालन।
एक्‍सपोनसिएशन  मान को घातों द्वारा व्‍यक्‍त करना।
फाइल  किसी रिकार्ड या प्रोग्राम का संगठित समूह।
फर्मवेयर  रॉम में संग्रहित सॉफ्टवेयर।
फिल्‍प- फ्लाप  द्विस्थितिक परिपथ जो दो संभव स्थितयों (0 या 1) में से एक को ग्रहण करता है।
फ्लापी डिस्‍क  एक लचीली प्‍लास्टिक से निर्मित वृत्‍तीय मैग्‍नेटिक डिस्‍क जिसके ऊपर मैग्‍नेटिक पदार्थ का लेप होता है।
फ्लोचार्ट  किसी समस्‍या के समाधान का क्रमबद्ध रेखांकन।
फोरट्रान  यह आई.बी.एम. द्वारा विकसित एक उच्‍च स्‍तरीय भाषा है जिसका वैज्ञानिक क्षेत्र में प्रयोग होता है।
गेट  एक ऐसा इलेक्‍टॉनिक स्विच जिसमें एक या एक से अधिक इनपुट होते है परन्‍तु आउटपुट केवल एक ही होता है।
ग्राफिक्‍स  सूचनाओं का चित्रात्‍मक प्रदर्शन
हार्डकापी  सूचनाओं का स्‍थायी संकलन,सामान्‍यत: कागज पर ।
हार्डवेयर  कंप्‍यूटर के भौतिक भाग । जिनमें सी.पी.यू.,इनपुट,आउटपुट तथा दूसरी इकाईयॉं शामिल हैं।
हाई लेवल लैंग्‍वेज  उच्‍च स्‍तरीय प्रोग्रामिंग भाषा जिसे मानव आसानी से समझ एवं उपयोग में ला सकता है।
हाइब्रिड कंप्‍यूटर  वह कंप्‍यूटर जिसमें डिजिटल व एनलॉग दोनों कंप्‍यूटरों की विशेषताऍं सम्मिलित हों।
आई.बी.एम.  यह कंप्‍यूटर का निर्माण करने वाली एक कम्‍पनी है।
आई.सी.  एकीकृत परिपथ ट्रांजिस्‍टरों का समूहन चिप कहते हैं।
इंफारमेशन  डाटा का अर्थपूर्ण प्रारूप जो डाटा की क्रिया के परिणामस्‍वरूप प्राप्‍त होता है।
इंफार्मेशन प्रोसेसिंग  अर्थपूर्ण परिणाम प्राप्ति हेतु डाटा की क्रिया।
इनिशियलाइजेशन  वह क्रिया जो प्रोग्राम के प्रारंभ के चरणों का प्रारंभिक मान निर्धारित करती है।
इनपुट  कंप्‍यूटर को निर्देश व डाटा देना।
इनपुट डिवाइस  वह उपकरण जिनके द्वारा कंप्‍यूटर की मेमोरी में डाटा और निर्देशों को प्रेषित किया जाता है।
इंसट्क्‍शन  एक क्रिया जिके निर्देशानुसार कंप्‍यूटर कार्य करता है।
इंट्रैक्‍शन  कंप्‍यूटर और उपयोगकर्ता के मध्‍य द्विमार्गीय सम्‍पर्क।
इंटरफेस  यह हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर को एक सिस्‍टम से दूसरे सिस्‍टम में जोड़ता है।
इंटरप्रीटर  यह उच्‍चस्‍तरीय भाषा में लिखे गए प्राग्राम को एक्‍जीक्‍यूशन के दौरान स्‍टेटमेन्‍ट के आधार पर मशीन कोड में अनुवादित करते हैं।
जंपिंग  यह ब्रांचिंग की तरह है ।
के.बी.  यह 1024 बाइट को परिलक्षित करता है।
की-बोर्ड  एक बोर्ड जिसमें सभी चिह्न अंकित होते हैं।
की वर्ड  वह सार्थक शब्‍द जो शीर्ष रूप में कार्य करे।
लार्ज स्‍केल इंटीग्रेशन  इस तकनीक से 1000 से अधिक डायोड या ट्रांजिस्‍टरकी रचना एक चिप पर कर सकते हैं।
लाइब्रेरी  प्रोग्राम व उपप्रोग्राम का समूह जिसकी उपयोगकर्ता को बारम्‍बार आवश्‍यकता पड़ती है।
लाइन नम्‍बर  धनात्‍मक पूर्णांग जो बेसिक भाषा में एक स्‍टेटमेन्‍ट को दर्शाता है।
लाइन प्रिन्‍टर  वह प्रिन्‍टर जो पूरी लाइन को एक साथ प्रिन्‍ट करे।
लोकेशन  मेमोरी में वह स्‍थान जहॉं एक इकाई सूचना को संग्रहित किया गया है।
लूप  निर्देशों के समूह को बार-बार दोहराना।
लो-लेविल लैंग्‍वेज  मशीन पर अधारित (निम्‍नस्‍तरीय भाषाऍं) भाषा है।
मशीन लैंग्‍वेज (कोड)  मशीन निर्देशों के समूह को कहते हैं जिसे कम्‍प्‍यूटर समझ सकता है । यह कम्‍प्‍यूटर की भाषा होती है। किसी भी उच्‍च स्‍तरीय भाषा में दिए गए निर्देशों को इसमें अनुवादित होना होता है।
कोड (मशीन लैंग्‍वेज)  मशीन निर्देशों के समूह को कहते हैं जिसे कम्‍प्‍यूटर समझ सकता है । यह कम्‍प्‍यूटर की भाषा होती है। किसी भी उच्‍च स्‍तरीय भाषा में दिए गए निर्देशों को इसमें अनुवादित होना होता है।
मैग्‍नेटिक कोर  आंतरिक संग्राहक जो कि चुंबकीय पदार्थ के छोटे छल्‍लों की एरें से निर्मित होता है।
मैग्‍नेटिक डिस्‍क  द्वितीय संग्राहक है जो कि चुंबकीय पदार्थ से लेपित वृत्‍तीय डिस्‍क से निर्मित होता है। इसमें डाटा को संग्रहित किया जाता है।
मैग्‍नेटिक टैप  द्वितीय संग्राहक है जो कि चुंबकीय पदार्थ से लेपित टेप से बना होता है।
मेनफ्रेम कंप्‍यूटर  एक बड़ा कंप्‍यूटर जिसमें व्‍यापक सुविधाऍं व क्षमताऍं होती हैं।
एम.बी.  1024 किलोबाइट मिलकर एक मेगाबाइट बनाती है।
मीडियम स्‍केल इंटीग्रेशन  इस तकनीकी के द्वारा चिप पर 100 से 1000 तक ट्रांजिस्‍टरों की रचना कर सकते हैं।
माइक्रो कंप्‍यूटर  एक छोटा कंप्‍यूटर जो माइक्रो प्रोसेसर आधारित होता है।
माइक्रो प्रोसेसर  एक छेटा चिप जिस पर ए.एल.यू. एवं सी.पी.यू. दोनों होते हैं।
मिनी कंप्‍यूटर  एक माध्‍यम आकार का कंप्‍यूटर जो माइक्रो कंप्‍यूटर से बड़ा व अधिक गतिशील परन्‍तु मेन फ्रेम से ठोटा तथा कम गतिशील होता है।
मेनमोनिक  किसी आइटम के क्लिएट नाम को एक आसान नाम से प्रदर्शित करना।
निबिल  चार बिट का समूह।
आब्‍जेक्‍ट प्रोग्राम  सोर्स प्रोग्राम का मशीनी भाषा में अनूदित प्रोग्राम।
ऑफ लाइन ऑपरेशन  बिना सी.पी.यू. के उपयोग के यंत्रों की क्रियाऍं।
ऑन लाइन ऑपरेशन  वह क्रियाऍं जिनका नियंत्रण सी.पी.यू.के द्वारा होता है।
ऑपरेटिंग सिस्‍टम  प्रोग्राम का वह समूह जो कि कंप्‍यूटर के विभिन्‍न साधनों व एप्‍पलीकेशन प्रोग्राम को नियंत्रित करता है। यह सामान्‍य: निर्माता के द्वारा विकसित किया जाता है और हार्डवेयर के साथ दिया जाता है।
आउटपुट  कंप्‍यूटर से प्राप्‍त सूचनाऍं।
आउटपुट डिवाइस  वह उपकरण जो कंप्‍यूटर से प्राप्‍त सूचनाओं को दर्शाते हैं या उन्‍हें संग्रहित करते हैं।
पै‍केज  पूर्ण प्रोग्राम जो प्रयोग हेतु तैयार हो।
पेरिफेरल  इनपुट/आउटपुट उपवकरण जो कंप्‍यूटर से जुड़े हों।
पर्सनल कंप्‍यूटर  एक माइक्रो कंप्‍यूटर जो एक व्‍यक्ति के प्रयोग हेतु निर्मित होता है।
प्‍लाटर  वह उपकरण जिसका उपयोग ग्राफ तैयार करने में होता है।
प्‍वाइंटर  एक एड्रेस जो मेमोरी में विशिष्‍ट स्थिति खोजने के लिए प्रयुक्‍त होता है।
प्रिंटर  एक आउटपुट उपकरण जो सूचनाओं को कागज़ पर प्रिन्‍ट करता है।
प्रिन्‍ट आउट  प्रिन्‍टर के द्वारा कागज़ पर प्राप्‍त सूचनाऍं।
प्रोग्राम  कंप्‍यूटर के लिए प्राग्रामिंग भाषा में लिखित निर्देशों का समूह जिनके आधार पर कंप्‍यूटर कार्य करता है।
प्रोग्रामिंग लैंग्‍वेज  चिह्नों का स्‍पष्‍ट समूह जिसके अपने अलग व्‍याकरण तथा नियम होते हैं, जिनका प्रयोग कंप्‍यूटर के लिए प्रोग्राम लिखने में किया जाता है।
प्राम्‍प्‍ट  स्‍क्रीन पर उनस्थित एक चिह्न जो उपयोगकर्ता को और इनपुट करने का संकेत देता है।
रैंडम ऐक्‍सेस  संग्राहक स्‍थान से डाटा के सीधे आदान-प्रदान करने की विधि ।
रैंडम ऐक्‍सेस मेमोरी  इस मेमोरी पर सीधेडाटा को लिखा जा सकता या पढ़ा जा सकता है।
रीड ओनली मेमोरी  इस मेमोरी में संग्रहित सूचनाओं को मात्र पढ़ा जा सकता है। इस पर सूचनाओं को सग्रहित नहीं किया जा सकता है।
सेकंडरी मेमोरी  चुंबकीय माध्‍यम जैसे फ्लापीडिस्‍क,टेप व सी.डी. जिन पर सूचनाओं को लम्‍बे समय तक संग्रहित रखा जा सकता है।
सिक्‍वेंशियल एसेस  क्रम से सूचनाओं को प्रोसेस करने की विधि।
स्‍माल स्‍केल इंटीग्रेशन  वह तकनीक जिसके द्वारा एक चिप पर 100 ट्रॉंजिस्‍टरों की रचना की जा सकती है।
सॉफ्टवेयर  कंप्‍यूटर प्रोग्राम का समूह।
सोर्स प्रोग्राम  उच्‍च स्‍तरीय भाषा में लिखा गया प्रोग्राम।
स्ट्रिंग  वर्णों का समूह।
सबरूटीन  क्रम मं लिखे गए निर्देशों का समूह जो कोई विशिष्‍ट क्रिया कर रहे हैं, आवश्‍यकतानुसार तुख्‍य प्रोग्राम में उपयोग किया जाता है।
सुपर कंप्‍यूटर  नवीनतम कंप्‍यूअर जो अति क्षमतावान है।
टर्मिनल  कंप्‍यूटर से जुड़ा एक उपकरण जिसका उपयोग डाटा को इनपुट करने व परिणाम का आउटपुट ज्ञात करने में होता है।
टाइम शेयरिंग  एक कार्यविधि जिसमें कई प्रयोगकर्ता एक कंप्‍यूटर को एक साथ प्रयोग करते हैं।
ट्रॉंसनेटर  एक प्रोग्राम के उच्‍चस्‍तरीय या भाषा में लिखे प्रोग्राम को मशीनी भाषा में अनूदित करता है।
वेरी लार्ज स्‍केल इंटीग्रेशन  वह तकनीकी जिसमें एक चिप पर 100,000 ट्रॉंजिस्‍टरों की रचना की जा सके।
विजुअल डिस्‍पले यूनिट  यह कैथोड रे ट्यूब से बनी होती है। इसमें इनपुट डाटा वा आउटपुट डाटा को प्रदर्शित किया जाता है।
वर्ड प्रोसेसिंग  कंप्‍यूटर का प्रयोग करके किसी लेख को लिखना,संपादित करना।
वर्ड प्रोसेसर  वर्ड प्रोसेसिंग के काम आने वाला सॉफ्टवेयर।
ऐक्‍सेस प्रोवाइडर  वे कंपनियॉं जो इंटरनेट कनेक्‍शन उपलब्‍ध कराती हैं। जैसे विदेश संचार निगम लिमिटेड, महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड ,सत्‍यम मंत्री आदि।
एकाउन्‍ट  कोई प्रयोगकर्ता एक निश्चित शुल्‍क चुका कर आई.एस.पी. से एक एकाउन्‍ट प्राप्‍त कर सकता है,जिससे वह नेटवर्क और मेलबॉक्‍स सेवाओं का प्रयोग कर सकता है।
अटैचमेंट  बाइनरी फाइल जो कि ई.-मेल के साथ भेजी जाती है।
बैकबोन  एक बड़ी प्रसारण लाइन जो अपने साथ तुड़ी अनेक छोटी-छोटी प्रसारण लाइनों से सूचनाऍं एकत्र कर के संचारित करती है। अभी तक भारत में इंटरनेट बैकबोन की स्‍थापना नहीं हुई है। दूरसंचार विभाग द्वारा राष्‍ट्रीय इंटरनेट बैकबोन की स्‍थापना की योजना बनायी गयी है। इसमें देश के 549 क्रेन्द्रों को जोड़ा जाएगा।
बैंडविथ  यह तकनीकी शब्‍द किसी संचार माध्‍यम की सूचना वहन करने की क्षमता दर्शाता है । डिजिटल युक्तियॉं के संदर्भ में बैंडविथ का अर्थ है किसी निश्चित अवधि के दौरान संचारित की गई सूचना अथवा डाटा की मात्रा (बिट्स) यानी बैंडविथ जितनी अधिक होगी, उतनी ही अधिक सूचनाओं का आदान-प्रदान संभव होना।
ब्रॉडबैंड  सूचनाओं के संचारण की आधुनिक तकनीक, जिसमें मात्र एक केबल या तार के जरिए कई चैनलों को एक साथ प्रसारित किया जा सकता है। इसका सबसे लोकप्रिय उदाहरण केबल टी.वी.है। इसमें डाटा संचार की रफ्तार64 के.बी.पी.एस. से अधिक होती है।
चैट  की-बोर्ड और मॉनिटर का प्रयोग करके किए गये वार्तालाप के लिए प्रयुक्‍त शब्‍द इस तरह के वार्तालाप में लिए दोनों कंप्‍यूटरों को एक ही समय ऑनलाइन होना होता है।
डायल अप नेटवर्किंग  विंडोत का एक माड्यूल तो कि पी.सी. को अन्‍य नेटवर्क में मोडेम या आई.एस.डी.एन. कार्ड की सहायता से संयुक्‍त करते हैं। यह विंडोज 95 को इंटरनेट से भी जोड़ता है।
डिजिटल सब्‍सक्राइबर लाइन  इसके अंतर्गत कंप्‍यूटर को टेलीफोन के सामान्‍य तांबे के तार द्वारा टेलीफोन एक्‍सचेंज से जोड़ दिया जाता है। इसके साथ ही डी.एस.एल.मॉडेम जोड़ने से कंप्‍यूटर पर चौबीसों घंटे इंटरनेट सुविधा हासिल की जा सकती है। इस तरह टेलीफोन लाइन बातचीत के लिए मुक्‍त रहती है। मोडेम और स्‍थापना शुलक को शामिल करने पर भारत में डी.एस.एल.की लागत लगभग 30,000 आती है।
डी.एन.एस.सर्वर  इंटरनेट से संलग्‍न हर कम्‍प्‍यूटर के पास एक विशेष आई.पी.एड्रेस होता है जिसमें चार संख्‍याऍं होती हैं। जैसे 123,123,123,123 । चूँकि इन संख्‍याओं को याद रखना मुश्किल होता है, इंटरनेट यूजर किसी विशेष कम्‍प्‍यूटर तक पहुँचने के लिए WWW.microsoft.com जैसे एक डिस्क्रिप्‍शन का प्रयोग करते हैं।
डाउललोड  फॉइलों के ऑनलाइन सिस्‍टम या मेलबॉक्‍स के पीसी पर स्‍थानानतरण के लिए प्रयुक्‍त पी.सी. की प्रक्रिया को डाउनलोड कहते हैं।
ई- मेल  इलेक्‍ट्रॉनिक मेल का लघुरूप। यह इंटरनेट के संदर्भ में बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है। ये इलेक्‍ट्रॉनिक पत्र टेक्‍स्‍ट,ग्राफिक्‍स या किसी दूसरे प्रकार के इलेक्‍ट्रोनिक्‍स संप्रेषण हेतु संदेश होते हैं (जैसे ऑन लाइन सर्विस,इंटरनेट या कम्‍पनी नेटवर्क)। इसके लिए दो प्रयोगकर्ताओं को नेटवर्क से एक ही समय में जुड़ा रहना जरूरी नहीं है। प्रेषक को केवल प्रेष्‍य का ई-मेल का पता मालूम होना खहिए औरव ह अपना संदेश पोस्‍टबॉक्‍स के द्वारा भेज सकता है।
ई-मेल एड्रेस  परम्‍परागत डाक पतों के तर्ज पर आनलाइन सेवाओं मेल बॉक्‍स या इंटरनेट के प्रयोगकर्ता एक एड्रेस प्राप्‍त करते है जिस पर काई संदेश भेज सकता है, यह ई-मेल एड्रेस, एड्रेसी के कम्‍प्‍यूटर को नहीं वरन् ऑनलाइन सेवा या प्रोवाइडर को इंगितकरता है।
फाइल ट्रॉन्‍सफर प्रोटोकॉल  यह किसी नेटवर्क में फाइलों के स्‍थानांतरण के लिए आवश्‍यक प्रोटोकॉल होता है । यह एक विधि है जो कि स्‍थानान्‍तरित हो रहे डाटा ब्‍लाकों की परीक्षा हेतु संख्‍या गिनकर उसे स्‍थानान्‍तरण के बाद उसके योग से मिलाता है और जरूरत पड़ने पर इसे दोबारा भी भेज देता है।
एफ.टी.पी.सर्वर  एफ.टी.पी. या फाइल ट्रॉन्‍सफर प्रोटोकॉल सर्वर ऐसे इंटरनेट कम्‍प्‍यूटर होते हैं जो इस प्रोटोकॉल का प्रयोग करके इंटरनेट यूजर को डाउनलोड करने करने के लिए डाटा उपलब्‍ध कराते हैं। सर्वप्रथम उसे एफ.टी.पी.सर्वर में लॉंग-इन करना पड़ता है। जहॉं एक्‍सेस राइटों को अलग-अलग डायरेक्ट्रियों में परिभाषित किया जाता है एक प्रयोगकर्ता कई एफ.टी.पी. सर्वरों में एनॉनिमस या अज्ञात यूजर आई.डी. का प्रयोग कर अपना ई-मेल एड्रेस का पासवर्ड बनाकर प्रयोग कर सकता है।
गोफर  गोफर इंटरनेट की विशेष सेवा को कहा जाता है1 यह गो और फॉर के संयोजनसे उत्‍पन्‍न शब्‍द है। गोफर एक मेन्‍यू से नियंत्रण होने वाला बर्ड डाटा का नियंत्रण करने का मेन्‍यू डिवेन प्रोग्राम है। जिसमे हर किसी के इंटरनेट एड्रेस को जानने की जरूरत नहीं होती । गोफर की सहायता से आप FTP के द्वारा अन्‍य फाइलें भी लोड कर सकते है और डाटाबेसों से WAIS के द्वारा क्‍वेरी कर सकते हैं। हालांकि गोफर को अब इंटेलिजेंट सर्च प्रणाली द्वारा जैसे Lycos या Yahoo से WWW में प्रतिस्‍थापित कर दिया जाता है।
हैकर  इसके अंतर्गत किसी अन्‍य के पी.सी. अथवा वेबसाइट से जानकारियॉं अवैध विधि से प्राप्‍त किया जाता है अथवा उनके वेबसाइट या कम्‍प्‍यूटर के प्रोग्राम को कार्य करने से बाधित किया जाता हैं।
होमपेज  WWWमें किसी कंपनी का प्रथम पृष्‍ठ होमपेज कहलाता है। नियमानुसार होमपेज पूरे बेवसाइट की सूची रखने की शर्त पूरी करता है । व्‍यक्तिगत WWW पेज जिसमें उनकी सूचियॉं प्रस्‍तुत करते हैं या व्‍यवसाय संबंधी वेबसाइटों को भी होमपेज कहा जाता है अगर किसी सर्वर में कई एच.टी.एम. पेज है तो INDEX HTM नामक फाइल होम पेज कहलाता है।
इंटरनेट  यह इंटरनेशनल नेटवर्क का लघु रूप है। यह अंतर्राष्‍ट्रीय नेटवर्क एक वृहद एवं विशाल नेटवर्क होता है जिसके अन्‍तर्गत कई स्‍थानीय नेटवर्क होते हैं।
इंटीग्रेटेड सर्विसेज डिजिटल नेटवर्क  इसके अन्‍तर्गत डिजिटल सूचना को सामान्‍य टेलीफोन नेटवर्क पर 28 के.पी.बी.पी.एस. की रफ्तार पर प्रेषित किया जा सकता है। इसमें डाटा,विडियो और आवाज का एक साथ प्रसारण संभव है । भारत में महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड और विदेश संचार निगम लिमिटेड द्वारा आई.एस.डी.एन. सुविधा उपलब्‍ध करायी जा रही है।
के.पी.बी.एस.,एम.वी.पी.एस.और जी.बी.पी.एस.  ये इकाइयॉं डिजिटल माध्‍यम मं संचार की गति दर्शाती है। इनका अर्थ किलोबिट्स प्रतिसेकण्‍ड,मेगाबिट्स प्रतिसेकण्‍ड व गीगाबिट्स प्रतिसेकण्‍ड (किलो एक हजार, मेगा- दस लाख और गीगा एक अरब) होता है।
लीज्‍ड लाइन  किन्‍हीं दो स्‍थानों के बीच स्‍थायी टेलीफोन कनेक्‍शन को लीज्‍ड लाइन कहा जाता है। लीज्‍ड लाइन की विशेषता यह है कि यह हमेशा सक्रिय रहती है। भारत में व्‍यावसायिक क्षेत्र में लीज्‍ड लाइन लेने का प्रचलन है।
लिंक  यह एक दूसरे इंफॉरमेशन सेन्‍टर काक्रॉस रेफरेन्‍स होती है जो कि WWW में रिसोर्स पेज के रूप में होता है । यह किसी रंगीन आलेख या गाफिक के रूप में दिखता है।
ऑपटिकल फाइबर  कॉच से बना पतला तार जिसमें मात्र चंद सेकंडों में सूचनाओ का विशाल प्रभाव संभव है। इसमें डाटा का संचारण प्रकाश के रूप में होता है। सूचना संचारण की गति प्रकाश की गति की लगभग 60 प्रतिशत होती है यानी 179,876 किलोमिटर प्रति सेकण्‍ड।
पी.पी.पी.  इसका विस्‍तार है पॉंइन्‍ट टू पॉइन्‍ट प्रोटोकॉल इसे 1991 में इंटरनेट इंजीनियरिंग टास्‍क फोर्स द्वारा परिभाषित किया गया था। यह SLIP के समरूप होता है तथा अपने आप में एक ऐसा ट्रॉंस्मिशन प्रोटोकॉल होता है जिससे कोई इंटरनेट पर टेलीफोन लाइन के द्वारा डायल कर सकता है। यह प्रोटोकॉल प्रयोगकर्ता के कम्‍प्‍यूटर और सर्विस प्रोवाइडर के पॉप कम्‍प्‍यूटर में संबंध स्‍थापित करता है।
पुशनेट  इसकी सहायता से आपका संदेश इलेक्‍ट्रॉनिक बुलेटिन बोर्ड पर भेजा जा सकता है जहॉं उसे कोई भी व्‍यक्ति देख सकता है। पुशनेट सुविधा देने के लिए इंटरनेट का होना आवश्‍यक नहीं है।
शैल एकाउन्‍ट  यह ऑपरेटिंग सिस्‍टम पर एक कम्‍प्‍यूटर को दूसरे कम्‍प्‍यूटर से संबंध स्‍थापित करने के अधिकतर को परिभाषित करने के लिए निर्मित किया जाता है। शैल एकाउन्‍ट केवल SYSOP अर्थात सिस्‍टम ऑपरेटर और उसके कम्रचारियो को दिया जाता है। शैल एकाउन्‍ट इंटरनेट तक एक एक्‍सेस है जिसमें प्रयोगकर्ता को SLIP या PPP से काई सीधा आई.पी. लिंक नहीं होता है बल्कि यह टर्मिनल प्रोग्राम का प्रयोग करके प्रोवाइडर के युनिक्‍स पर लॉग – ऑन होता है1
सोनेट  यह सिनक्रोनस ऑप्टिकल नेटवर्क का संक्षिप्‍त रूप है। इसे फाइबर आ‍ॅप्टिक संचारण प्राणालियों को जोड़ने का मानक बनाया गया है। यह अन्‍तर्राष्‍ट्रीय एस.डी.एच. के तुल्‍य है।
टी.सी.पी./आई.पी.  ट्रॉंस्मिशन कन्‍ट्रोल प्रोटोकॉल /इंटरनेट प्रोटोकॉल । यह 1970 के दशक में विकसित नेटवर्क प्रोटोकॉलो का एक समूह है। इंटरनेट पर डाटा ट्रैफिक की तकनीकी नीब तैयार करता है।
टेलनेट  यह एक ऐसी इंटरनेट सेवा है जिसकी सहायता से प्रयोगकर्ता सर्वर में लॉग कर कुछ कमाण्‍डों का प्रयोग कर रिमोट कन्‍ट्रोल करता है। टेलनेट कनेक्‍शन की सहायता से अनुकूल प्रोग्राम द्वारा‍ किसी टर्मिनल विन्‍डों में डायल किए गए कम्‍प्‍यूटर का आउटपूट पूरी स्‍क्रीन पर प्राप्‍त किया जाता है।
अपलोड  डाएनलोड का विपरीत एवं फाइल को मूल बॉक्‍स में या ऑन लाइन सेवा पर स्‍थानांनतरण की प्रक्रिया।
यूजनेट  यूजनेट एक ऐसी सुविधा है जिसकी सहायता से नेटवर्क में निहित सूचनाओं के भंडार को किसी विषय पर आधारित समूह में बॉंटा जा सकता है तथा एक विषय पर रूचि रखने वाले व्‍यक्ति सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकते हैं।
यूजर नेम  यूजर आई.डी. जो ऑन लाइन सेवा, मेल बॉक्‍स या इंटरनेट के सदस्‍यों को पहचानता है। इन्‍टरनेट में E-mail address भी होता है। यूजर नेम , पासवर्ड और एक्‍सेस राइटों का संकलन एकाउन्‍ट कहलाता है।
वेब ब्राउजर  यह एक ग्राफिक्‍स यूजर इंटरफेस वाला एप्पिलिकेशन प्रोग्राम है जो कि वर्ल्‍ड वेब में मात्र माउस के क्लिक से नेविगेशन संभव करता है। आज प्रचलित ब्राउजर है मोजेक,नेटस्‍केप नेविगेटर और माइक्रोसाफ्ट एक्‍सप्‍लोरर जिसके द्वारा कोई भी इंटरनेट का पूर्णतया: उपयोग कर सकता है।
वाइड बैंड  यह एक संचार स्‍थानांतरण प्रणाली है जिसका बैंडविड्थ टेलीफोन प्रणाली से तीव्रतर होता है। इसके साथ की परिपथ प्रणाली की संचार स्‍थानांतरण गति कम से कम 1 एम.एच.जेड. की होती है।
डब्‍ल्‍यू. डब्‍ल्‍यू. डब्‍ल्‍यू.  वर्ल्‍ड वाइड वेब। यह एक तरह का सब नेटवर्क होता है कि WWW सर्वरों द्वारा जो एक एच.टी.एम.एल. फार्मेट में डाटा बनाता है। पूर्व के पूर्णतया: टेक्‍स्‍ट प्रेजेन्‍टेशन के विपरीत WWW टेक्‍स्‍ट इंफार्मेशन, ग्राफिक्‍स, साउण्‍ड,एनिमेशन एवं वीडियो को स्‍थानांतरित करता है।
याहू  वेब डायरेक्‍ट्री का सर्च संबंधी कार्य के लिए WWW प्रथम पृष्‍ठ। याहू में 40,000 संकलित संबंधों में से विषय के हिसाब से खोजबिन करने की सुविधा होती है। इनमें स्‍वयं परिभाषित की-वर्डों कीसहायता से सर्च करने की सुविधा भी समाहित है। आप याहू को इंटरनेट पर htpp://www.yahoo.com से एक्‍सेस कर सकते हैं।

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