फैक्स मशीन की कार्यप्रणाली
फैक्स मशीन को टेलीफैक्स के रूप में भी जाना जाता है । इसके माध्यसम से आप हुबहु पाठ्य सामग्री , छायावित्रों तथा चित्रों आदि को प्रेषित तथा प्राप्त कर सकते हैं। चूँकि यह प्रौद्योगिकी दूरभाष नेटवर्क का प्रयोग करती है अत: मुद्रित दस्तातवेज को नेटवर्क में विद्यमान किसी भी दूरस्थग फैक्सव मशीन को प्रेषित किया जा सकता है। यद्यपि इन्टररनेट आधारित दूर संचार वर्तमान समय में लोकप्रिय होते जा रहे हैं तथापि आज भी कार्यालयों में अति महत्वपूर्ण दस्ता वेजों को सम्प्रेपषित करने हेतु फैक्सप मशीन का प्रयोग होता है।
फैक्सा मशीन में विद्यमान प्रमुख घटक निम्नानुसार हैं :-
• इमेज सेन्सर लेन्स (छवि संवेदक लेन्स) जो सामग्री को स्कैमन करने हेतु प्रकाश का प्रयोग करता है।
• एक घुमता हुआ प्लेरट (ड्रम के आकार का) जहॉं स्कैन की जानेवाली सामग्री को रखा जाता है।
• फैक्सम मॉडम जो स्कैटन किए गए डेटा को मूल फार्मेट से डिजिटल फार्मेट अथवा डिजिटल फार्मैट से मूल फार्केट में रूपान्तिरित करता है।
• डेटा सम्प्रेषण हेतु दूरभाष लाइन।
• प्रिन्ट्र जो कि प्रिन्टद आउट देने का कार्य करता है
इमेज सेन्सटर (छवि संवेदक) दस्ता वेज में विद्यमान संपूर्ण काले तथा सफेट बिन्दु ओं पर प्रकाश (फोकस) डालता है। सामग्री पर प्रकाश (फोकस) डालने की क्षमता को प्रति इंच विद्यमान पिक्ससल के रूप में जाना जाता है । पिक्सटल दर जितना अधिक होगा, प्रिन्टत आउट उतना ही उच्चत कोटि का होगा। इमेज सेन्स र (छवि संवेदक) मशीन में ऐसे चलयमान स्थानन पर स्थातपित होता है जो कि मुद्रित दस्तासवेज के ऊपर आ जा सकने में सक्षम होते हैं।
पुराने मशीन जिनमें ड्रम विद्यमान होता है में, मुद्रित दस्ताथवेज को ड्रम के ऊपर संवेदक (सेन्सार) की ओर मुख कर रखा जाता है। आधुनिक फैक्सत मशीन (ग्रुप3 एवं 4 की मशीनों) में ड्रम नहीं होता है । उसके स्थान पर इन मशीनों में पेपर फीड तकनीकी का प्रयोग होता है। फैक्सा सामग्री की प्राप्ति के दौरान एक पेन जैसा उपकरण पेपर पर पाठ्य अथवा छवि छापता जाता है।
फैक्सउ मॉडम सामग्री के सम्प्रे षण अथवा प्राप्ति के आधार पर इन्कोवड तथा डिकोड दोनों ही करने में सक्षम होता है । फैक्सम मशीन प्राप्तर अथवा प्रेषित दस्ता वेज में विद्यमान काले और सफेद बिन्दुंओं के आधार पर विशिष्ट फ्रीक्वेंकसी आबंटित करता है और यह डिजिटल सूचना दूरभाष लाइनों पर सम्प्रे षित कर दी जाती हैं। फैक्सश मशीनें दूरभाष लाइनों पर सम्प्रे षित ऑंकड़े की मात्रा को कम करने हेतु विविघ संपीड़क (कम्प्रे शन तकनीकी) का भी प्रयोग करती हैं।
पुरानी फैक्स) मशीनें तापीय (थर्मल) प्रिन्टारों का उपयोग करती हैं जो कि काफी सस्तीर एवं लम्बे) समय तक चलने वाली होती थीं। आधुनिक फैक्सत मशीनें लेजर प्रिन्ट्रों का उपयोग करती हैं जो अत्यंित उच्चस कोटि का प्रिन्टल आउट देती हैं। प्राय: अधिकांश फैक्स् मशीनें श्वेोत-श्याम (ब्लैबक-वाइट) प्रिन्टष देती हैं परन्तु ITU-T30e मानक आधारित रंगीन फैक्सं मशीनें इंकजेट प्रिन्टकर का प्रयोग कर कलर प्रिन्टे आउट उपलब्धश करा सकती हैं।
स्कैरनिंग प्रक्रिया
ए 4 आकार के पृष्ठि के लिए प्रति लाइन 1728 पिक्स्ल रेज्यू लेशन तथा प्रति पृष्ठ 1145 लाइन अनुसार स्कैसनिंग की जाती है। छवि संवेदक द्वारा यह किसी एक पृष्ठ पर स्कैून किए जाने वाले 2 लाख बिट के बराबर डेटा होती है। आधुनिक फैक्स मशीनों में दस्तारवेज को प्रकाशमान करने के लिए प्रकाश स्रोत के रूप में फ्लोरेसेन्टै ट्यूब होती हैं जबकि इसकी छवि संवेदक (फोटो सेन्सेर) एक समय में एक ही लाइनें स्कै्न करती हैं।
संपीड़क (कम्प्रेकशन तकनीकी)
फैक्सं मशीनें भिन्ने-भिन्नक संपीड़क (कम्प्रे शन) तकनीकी का प्रयोग डेटा की मात्रा को कम करके प्रेषित करती हैं जो कि निम्नाीनुसार हैं:-
• मोडिफाइड हफ्फमैन (MH)
• मोडिफाइड रीड (MR)
• मोडिफाइड मोडिफाइड (MMR)
• मताषुशिता वाइटलाइन स्किप
यह संपीड़क (कम्प्रे)शन) तकनीकी समान रंगों के बिन्दुओं श्वेएत या श्यागम (ब्लैमक - वाइट) को आकर्षित करती हैं तथा उन्हें इतना कम्प्रे श कर देती है कि डेटा को तीव्रतर गति से प्रेषित किया जाना सुनिश्चित हो सके ।
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