11 जुलाई, 2006
11 जुलाई मंगल के दिन, ऐसा बरपा कहर।
आर्थिक नगर मुम्बई शहर, अचानक गया ठहर॥
अचानक गया ठहर, निशाचरों ने खूनी खेल रचाया।
दिल की धड़कन लोकल ट्रेनों में, बम विस्फोट कराया॥
रोजी-रोटी कमावन खातिर, घर से निकले लोग।
किसी को क्या खबर, काल का बनना पड़ेगा भोग॥
बनना पड़ेगा भोग, आतंक ने अपना रंग दिखाया।
किसी का बाप किसी का बेटा, काल गाल समाया॥
न जाने कितने अपाहिज हुए, कितने जन परिवार से बिछड़े।
शासन प्रणाली मूक बनी, जुलमी कब तक जायेंगे पकड़े॥
कहे 'मेवाती सारंग', भारत माता कब तक घायल होगी।
सब मिलकर करो मुकाबला, वरना गले पर धार चलेगी॥
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