सोमवार, 20 अप्रैल 2009

गजल

गजल


जिसका ख्याल रोटी,
उसका सवाल रोटी।
भूखों से ही कराती ,
क्या-क्या कमाल रोटी।
इंसानियत के रिश्ते
करती हलाल रोटी।
वादों का मैं करूँ क्या ,
झाेली में डाल रोटी।
हिन्दु रखे न मुस्लिम,
रखती ख्याल रोटी।

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