यूनिकोड प्रत्येक अक्षर के लिए एक विशेष नम्बर प्रदान करता है, चाहे कोई भी प्लैटफॉर्म हो,चाहे कोई भी प्रोग्राम हो,चाहे कोई भी भाषा हो।कम्प्यूटर, मूल रूप से, नंबरों से सम्बंध रखते हैं। ये प्रत्येक अक्षर और वर्ण के लिए एक नंबर निर्धारित करके अक्षर और वर्ण संग्रहित करते हैं। यूनिकोड का आविष्कार होने से पहले, ऐसे नंबर देने के लिए सैंकडों विभिन्न संकेत लिपि प्रणालियां थीं। किसी एक संकेत लिपि में पर्याप्त अक्षर नहीं हो सकते हैं : उदाहरण के लिए, यूरोपिय संघ को अकेले ही, अपनी सभी भाषाऒं को कवर करने के लिए अनेक विभिन्न संकेत लिपियों की आवश्यकता होती है। अंग्रेजी जैसी भाषा के लिए भी, सभी अक्षरों, विरामचिन्हों और सामान्य प्रयोग के तकनीकी प्रतिकों हेतु एक ही संकेत लिपि पर्याप्त नहीं थी।
ये संकेत लिपि प्रणालियां परस्पर विरोधी भी हैं। इसीलिए, दो संकेत लिपियां दो विभिन्न अक्षरों के लिए, एक ही नंबर प्रयोग कर सकती हैं, अथवा समान अक्षर के लिए विभिन्न नम्बरों का प्रयोग कर सकती हैं। किसी भी कम्प्यूटर (विशेष रूप से सर्वर) को विभिन्न संकेत लिपियां संभालनी पड़ती है; फिर भी जब दो विभिन्न संकेत लिपियों अथवा प्लैटफॉर्मों के बीच डाटा भेजा जाता है तो उस डाटा के हमेशा खराब होने का जोखिम रहता है।
यूनिकोड से यह सब कुछ बदल रहा है!
यूनिकोड स्टैंडर्ड को ऐपल, एच.पी., आई.बी.एम., जिस्ट सिस्टम, माईक्रोसॉफ्ट, औरेकल, सैप, सन, साईबेस, यूनिसिस जैसी उद्योग की प्रमुख कम्पनियों और कई अन्य ने अपनाया है। यूनिकोड की आवश्यकता आधुनिक मानदंडों, जैसे एक्स.एम.एल., जावा, एकमा स्क्रिप्ट (जावा स्क्रिप्ट), एल.डी.ए.पी., कोर्बा 3.0, डब्ल्यू.एम.एल. के लिए होती है और यह आई.एस.ओ./आई.ई.सी. 10646 को लागू करने का अधिकारिक तरीका है। यह कई संचालन प्रणालियों, सभी आधुनिक ब्राउजरों और कई अन्य उत्पादों में होता है। यूनिकोड स्टैंडर्ड की उत्पति और इसके सहायक उपकरणों की उपलब्धता, हाल ही के अति महत्वपूर्ण विश्वव्यापी सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी रुझानों में से हैं।
यूनिकोड को ग्राहक-सर्वर अथवा बहु-आयामी उपकरणों और वेबसाइटों में शामिल करने से, परंपरागत उपकरणों के प्रयोग की अपेक्षा खर्च में अत्यधिक बचत होती है। यूनिकोड से एक ऐसा अकेला सॉफ्टवेयर उत्पाद अथवा अकेला वेबसाइट मिल जाता है, जिसे री-इंजीनियरिंग के बिना विभिन्न प्लैटफॉर्मों, भाषाओं और देशों में उपयोग किया जा सकता है। इससे डाटा को बिना किसी बाधा के विभिन्न प्रणालियों से होकर ले जाया जा सकता है।
यूनिकोड कन्सॉर्शियम के बारे में
यूनिकोड कन्सॉर्शियम, लाभ न कमाने वाला एक संगठन है जिसकी स्थापना यूनिकोड स्टैंडर्ड, जो आधुनिक सॉफ्टवेयर उत्पादों और मानकों में पाठ की प्रस्तुति को निर्दिष्ट करता है, के विकास, विस्तार और इसके प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। इस कन्सॉर्शियम के सदस्यों में, कम्प्यूटर और सूचना उद्योग में विभिन्न निगम और संगठन शामिल हैं। इस कन्सॉर्शियम का वित्तपोषण पूर्णतः सदस्यों के शुल्क से किया जाता है। यूनिकोड कन्सॉर्शियम में सदस्यता, विश्व में कहीं भी स्थित उन संगठनों और व्यक्तियों के लिए खुली है जो यूनिकोड का समर्थन करते हैं और जो इसके विस्तार और कार्यान्वयन में सहायता करना चाहते हैं।
हिन्दीे एवं युनिकोड
उपरोक्त तथ्यों से युनिकोड की महत्तान स्वूत: स्प ष्टय है। वस्तु्त: आज संसार में विद्यमान समस्त् भाषाएं अपना अस्तित्वड युनिकोड के द्वारा ही बचा सकती हैं। इन भाषाओं में संकलित अत्यतन्तष उपयोगी साहित्यव एवं ज्ञान को युनिकोड स्क्री प्ट में परिवर्तित कर सर्वव्या्पि व कालजयी बना सकते हैं। भारत में भी तथ्यग को ध्या न में रखकर विविध शासकीय,निजी,गैर-शासकीय संगठन व व्यकक्ति भी युनिकोड को लोकप्रिय बनाने तथा उसके प्रचार-प्रसार हेतु प्रयासरत हैं। इसके वे विभिन्ने प्रकार के फ्रीवेयर एवं शेयरवेयर सॉफ्टवेयर बनाकर इन्ट रनेट द्वारा आम लोगों को उपलब्धि करवा रहे हैं । इस दिशा में इण्डिक आई.एम.ई. 1(v5.1), भारा आई.एम.ई., कैफे हिन्दीय, सी.डैक निर्मित सॉफ्टवेयर टूल प्रमुख हैं। इन टूल में से इण्डिक आई.एम.ई. 1(v5.1) तथा भारा आई.एम.ई. सर्वाधिक लोकप्रिय व उपयोगी टूल है । इनमें से इण्डिक आई.एम.ई. 1(v5.1) टूल की कार्यप्रणाली समस्तध राजभाषा प्रेमियों के लाभार्थ प्रस्तुरत है।
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