चुनाव का करिश्मा
लोकसभा का देश में , चल रहा आज चुनाव ।
चुनाव के माहौल में, नेतन के बदल गए स्वभाव।।
बदल गए स्वभाव , नेता गली-गली में घुमे।
वोट के खातिर , नेता मतदाता के पद चूमें।।
बाल मेवाती कहे, करूणा के बन गए मूरत ।
जीत के आने पर , इनकी नहीं दिखेगी सूरत।।
पी.एम. महोदय की सीट पर, सबकी टिकी नजर ।
देश, गरीबी, जनता की , इनको नहीं फिकर ।।
इनको नहीं फिकर, कोई मंदिर की बात उठावे।
अन्न, जल , कपड़ा मिलें न सबको, विकास की ताल बजावे।।
बाल मेवाती कहे , शहर-शहर में करते रैली ।
सभी पार्टी आज देश की , अस्मिता से खेली ।।
लोकतंत्र का देश में , हो रहा बुरा हाल।
जीतने के बाद नेता, चले बेढंगी चाल ।।
चले बेढंगी चाल, संसद की गरीमा खोते ।
इनका नाटक देख,भगवान सुबक-सुबक के रोते।।
बाल मेवाती कहे, अब जनता समझ गई है।
हमाम में सब नंगे हैं, सबको परख गई है।।
चुनाव के दौरान , नेता बोले मिठे बोल ।
एक-दूजे की खोलते, खड़े मंच पर पोल।।
खड़े मंच पर पोल,शब्दों के तीर छोड़ें।
अपने पापों की मटकी, दूजे के सिर फोड़ें।।
बाल मेवाती कहें,जीत के बाद करते हैं चिन्तन।
सरकार बनाने के खातीर, करते हैं गठबंधन।।
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