सोमवार, 20 अप्रैल 2009

गजल

गजल

जिन्दगी के सफर में कभी वो मुकाम नहीं मिला
आदमी कदम-कदम पर मिले,इंसान नहीं मिला
नफरतों के रास्ते मिले,मिली साजिशों की मंजिल
दोस्ती-वफा दफन है जहाँ,वो श्मशान नहीं मिला
झूठ-फरेब के तिनके उछाकर ले जाये दूर तलक
बदली-बदली फिजाओं में ,वो तूफान नहीं मिला
अपनी हर बात को चुपके से रख देता मैं कहीं
क्ूंढा दिल किसी का भी ऐसा ,वीरान नहीं मिला
ताश के पत्तों सी बिखर गई उनकी जिन्दगी कैसे
जलजलों के आगे साबूत कोई,मकान नहीं मिला
कोशिश तो बहोत की हर किसी ने जहां में मगर
जमीं किसी को जो किसी को आसमा नहीं मिला
दिल हो अपना जिसमें दर्द दूसरों का छुपाए हुए
मतलबी जमाने में ऐसा ,दिले-नादान नहीं मिला
"आनंद" की बात पर तुम ऐतबार करके देखो तो
जरूरी नहीं कि जो भी तिला,इंसान नहीं मिला

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