वर्तमान युग में जेरॅाक्स मशीन का महत्व दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है किन्तु इसकी कार्य-प्रणाली के बारे में अब भी लोगों को अधिक जानकारी नहीं है। जेरॉक्स मशीन की उपयोगिता को देखते हुए अधिकांश प्रशासनिक एवं शैक्षणिक संस्थानों ने इसे अपने कर्यालय का अभिन्न अंग बना लिया है।
जेरॉक्स मशीन की अवधारण :- आपने गुब्बारे तथा स्वेटर के घर्षण से उत्पन्न स्थैतिक विद्युतीय(स्टैटिक इलेक्ट्रिसिटी) प्रभाव का अवश्य ही अनुभव किया होगा। स्थैतिक विद्युत के प्रभाव से गुब्बारा कागज के छोटे-छोटे टूकडों को बड़ी सहजता से अपनी ओर आकर्षित कर लेता है । इसी अवधारणा पर जेरॉक्स मशीन भी कार्य करती है । जेरॉक्स मशीन में विशेष प्रकार का फोटोरिसेप्टर ड्रम लगा रहता है जो गुब्बारे की भाँति ही कार्य करता है ।
जेरॉक्स मशीन एवं उसके सहायक यंत्र:-
जेरॉक्स मशीन की कार्यप्रणाली को जानने से पूर्व उसके भीतर लगे महत्वपूर्ण यंत्र जैसे फोटोरिसेप्टर ड्रम, कॉरोना वायर्स, लैम्प, लेन्स, टोनर तथा फ्यूजर आदि के बारे में जानना अति आवश्यक है। उक्त से संबंधित जानकारियाँ निम्नवत प्रस्तुत हैं :-
क) फोटोरिसेप्टर ड्रम :- फोटोरिसेप्टर ड्रम मूलत: धातु का एक रोलर होता है जिस पर प्रकाश संवाहक साकग्री (फोटोकन्डक्टिव मटेरियल) का आवरण चढ़ा हुआ होता है । यह आवरण सिल ीनियम, जिरेनियम एवं सिलिकॉन जैसे अर्ध चालक (सेमी कन्डक्टर) पदार्थों से निर्मित होता है । उक्त प्रकाश संवाहक आवरण की विशेषता होती है कि पकाश के अभाव में यह आवरण विद्युत रोधक की भूमिका निभाता है परिणामस्वरुप एक परमाणु (ऐटम) से अन्य परमाणु तक विद्युदणु (इलेक्ट्रोन) का प्रभाव बाधित हो जाता है; परन्तु जब यही कन्डक्टिव आवर?ण प्रकाश के सम्पर्क में आता है तो फोटॉन्स स्वत: ही चार्ज होकर विद्युद?णु (इलेक्ट्रोन) उत्सर्जित करने लगते हैं । यहीं उत्सर्जित किए गए विद्युदणु (इलेक्ट्रोन) फोटोरिसेप्टर ड्रम पर विद्यमान (पॉजिटिव) चार्ज कोटिंग को निष्प्रभावित (न्यूट्रल) कर इमेज तैयार करते हैं।
ख) कॉरोना वायर :- जेरॉक्स मशीन ठीक तरह से कार्य करे इसलिए यह अति आवश्यक है कि फोटोरिसेप्टर ड्रम तथा जेरॉक्स पेपर दोनों पर पॉजिटिव चार्ज बना रहे । यह कार्य उच्च विद्युतीय क्षमता वाले कॉरोना वायर्स द्वारा निष्पादित किए जाते हैं । एक कॉरोना वायर फाटोरिसेप्टर ड्रम के समानांतर लगा रहता है । तथा उक्त ड्रम की सतह को धनात्मक (पॉजिटिव) आयन से चार्ज करता है तथा दूसरा वायर मशीन के अन्दर रखे गए पेपर को चार्ज करता है ।
ग) लैम्प एवं लेन्स :- यह सर्वविदित है कि जरॉक्स या फोटोकापी करने के लिए अत्यधिक शक्तिशाली प्रकाश स्रोत की आवश्यकता होती है । अत:इस हेतु जेरॉक्स मशीन में "इन्कैन्डेसेन्ट" या "फ्लूरेसेन्ट" बल्ब दस्तावेज पर प्रकाश डालता है जिसे लैम्प से संबध्द एक "मिरर" एसेम्बल कर लेन्स द्वारा, घूमते हुए फोटोरिसेप्टर ड्रम पर परावर्तित कर देता है । लेन्स तथा ड्रम की दूरी को परिवर्तित कर मूल दस्तावेज की जेराक्स प्रति को आवश्यकतानुसार ऑपरेटर बड़े. तथा छोटे आकार में तैयार कर सकता है ।
घ) टोनर :- अधिकतर लोग टोनर को नमी रहित स्याही के रू? प में जानते हैं किन्तु वास्तव में टोनर स्याही न होकर अत्यन्त उत्कृष्ट किस्म का नेगेटिवली चार्ज प्लास्टिक आधारित पाउडर होता है।
ड़) फ्यूजर :- "फ्यूजर" टोनर तथा ड्रम से जेरॉक्स प्रति पर उभारे ग?ए इमेज को परिष्कृत रूप प्रदान करने का कार्य करता है।
फ्यूजर मूलत: दो कार्य करता है । सर्वप्रथम, ड्रम से जेरॉक्स पेपर पर स्थानांरित हुए टोनर कणों का पिघलाकर इस तरह कोमलता से प्रेस करता है कि टोनर के कण जेरॉक्स पेपर के रेशों (फाइबर) में समा जाएं ।
दूसरा,पिघले हुए टोनर अर्थात काले रंग के नमी रहित पाउडर को जेरॅाक्स पेपर या दोनों को स्वयं से चिपकने से बचाता है; ऐसा इसलिए सम्भव हो पाता है क्यांकि रोलर पर टेफ्लॉन अवारण कोटिंग चढ़ा होता है ।
जेरॉक्स मशीन की कार्यप्रणाली :- जेरॉक्स मशीन की कार्यप्रणाली एक साथ होनेवाली कई जटिल क्रियाओं का सम्मिश्रण है जिसे संक्षेप में निम्नवत प्रस्तुत किया जाता है :-
फोटोरिसेप्टिव ड्रम से जेरॉक्स किए जानेवाले पेपर पर इमेज निर्मित होने की क्रिया बहुत रोचक है। इस प्रक्रिया के अन्तर्गत जब जेरॉक्स हेतु मशीन में दस्तावेज नियत स्थान पर रखने के पश्चात मशीन में जेरॉक्स पेपर प्रविष्ट किया जाता है तो मशीन स्थित लैम्प एवं लेन्स से निकली शक्तिशाली प्रकाश किर??णें दस्तावेज को प्रदीप्त कर देती हैं।
दस्तावेज के कोरे क्षेत्र पर पड़ने वाली प्रकाश किरणें परावर्तित होकर मशीन में लगे फोटोरिसेप्टर ड्रम से टकराती हैं परिणामस्वरुप दस्तावेज के इमेज अनुसार ड्रम की सतह पर वि.द्यमान पॉजिटिव चार्ज निष्प्रभावित (न्यूट्रल) हो जाता है : जबकि दस्तावेज के ऐसे स्थान जो कोरे नहीं होते हैं अर्थात जिन पर कुछ लिखा या छपा हुआ होता है वे लैम्प व लेन्स द्वारा उत्सर्जित किरणों को अवशेषित कर लेती हैं तथा दस्तावेज के इमेज अनुसार ड्रम पर वि.द्यमान पॉजिटिव चार्ज को प्रभावित नहीं होने देती हैं । फोटोरिसेप्टिव ड्रम पर मौजूद यही पॉजिटिव चार्ज निगेटिवली चार्जड टोनर को अपनी ओर आकर्षित कर इमेज को जेरॉक्स पेपर पर उभार देती हैं ।
इस प्रक्रिया के आखिरी चरण में फ्यूजर जेरॉक्स पेपर पर उकेरे गए इमेज पर विद्यमान टोनर कणों को पिघलाकर इस कोमलता से प्रेस करता है कि वह जेरॉक्स पेपर के रेशों (फाइबर) में समा जाते हैं।
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