मंगलवार, 21 अप्रैल 2009

राष्ट्र सेवा के लिए वर्दी की आवश्यकता नहीं

राष्ट्र सेवा के लिए वर्दी की आवश्यकता नहीं

दिनांक 26/11/2008 को जब आतंकवादी निरीह एवं मासूम लोगों पर कहर बरपाने के उद्देश्य से ओबेराय के ट्रीडेन्ट होटल में गोलियाँ चलाते घुस रहे थे तब वहाँ मौजूद दो बावर्चियों ने अपनी वीरता से यह दिखला दिया कि राष्ट्र सेवा के लिए वर्दी पहनने की आवश्यकता नहीं होती और न ही आतंकवादियों से लड़ना मात्र सुरक्षाबलों का ही कार्य है वरन आम व्यक्ति सामान्य सूझबूझ एवं जागरूकता से यह कार्य कर सकता है।
उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन श्री राहुल पारकर तथा श्री श्रीपाद जामदार ओबेराय के ट्रीडेन्ट होटल के कर्मचारी प्रतिदिन की तरह किचन में व्यस्त थे। उस समय हॉटेल के हॉल में लभभग 150 विदेशी मेहमान मौजूद थे। इसी समय आतंकवादियों ने होटल में गोलीबारी करते हुए प्रवेश किया तथा गोलीबारी की आवाज सुनते ही हॉल में अफरातफरी मच गई। उस समय श्री राहुल पारकर तथा श्री श्रीपाद जामदार ने खतरे को भाँपते हुए किचन से निकल कर निडरता से तत्काल हॉल के दरवाजे को अन्दर से धकेल दिया तथा हाथ में मौजूद फ्राइंग पैन को कुंडी में लगा दिया जिससे दरवाजा बंद हो गया परिणामस्वरूप आतकंवादी अतिथिगृह में प्रवेश नहीं कर पाए।
इस दौरान उक्त कार्मिकों ने हॉल की लाइट तथा गैस सप्लाई को बंद कर अतिथियों को पिछले दरवाजे से सुरक्षित स्थान पर सकुशल ले जाने का अनुकरणीय कार्य किया।
इस सराहनीय कार्य से मात्र हॉल में विद्यमान विदेशी सैलानियों की जान ही नहीं बची बल्कि विख्यात औबेराय होटेल तथा देश की प्रतिष्ठा बनी रही।

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