सोमवार, 20 अप्रैल 2009

सूचना प्रौद्योगिकी तथा हिन्दी कम्प्यूटरीकरण


सूचना प्रौद्योगिकी तथा हिन्दी कम्प्यूटरीकरण


सर्वविदित है कि हिन्दी विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक भाषाओं में से एक है तथा इसका संस्कृत भाषा जिसे प्रोग्रामिंग का आधार माना जा रहा है, अत्यन्त घनिष्ठ संबंध है। वस्तुत: संस्कृत एवं हिन्दी की लिपि एक है और गणित विषय की भांँति दोनों भाषाओं में तार्किक तत्व विद्यमान है शायद यही कारण है कि कम्प्यूटर विशेषज्ञों का यह कथन कि "प्रोग्रामिंग के क्षेत्र में भारतीयों का कोई सानी नहीं और भविष्य में भारत सॅाफ्टवेयर निर्माण में आशातित प्रगति करेगा क्योंकि यहाँ के प्रोग्रामरों को अत्यंन्त वैज्ञानिक एवं तार्किक भाषा हिन्दी व संस्कृत का ज्ञान है " सटिक प्रतीत होता है।
कम्प्यूटर तकनीकी के प्रति रूचि :- इतिहास गवाह है कि मनुष्य सदैव ही आरम्भ में नई तकनीकी को आत्मसात करने में झिझक का अनुभव करता रहा है किन्तु जब उसे नविन तकनीकी के सहज प्रयोग व अन्य लाभों का अनुभव हुआ तो उसने न केवल उसे आत्मसात ही किया बल्कि उसे और भी विकसित करने हेतु नवीन प्रयोग भी किए। अत: हिन्दी के प्रचार-प्रसार हेतु न केवल नवीन तकनीकी को हमें सहर्ष रूप से स्वीकार करना पडे.गा बल्कि उसके सहज प्रचालन हेतु संबंधित कार्मिको को प्रशिक्षित कर उनमें रूचि एवं जिज्ञासा का भाव उत्पन्न करने के लिए वातावरण भी तैयार करना होगा।
हिन्दी कम्प्यूटर प्रचालन प्रशिक्षण :- नई तकनीकी अर्थात कम्प्यूटर का द्विभाषीकरण तब तक सफल नहीं माना जा सकेगा जब तक सर्वसामान्य हिन्दी कम्प्यूटर के प्रयोग में सहज अनुभव न कर पाएं। अत: यह अत्यन्त आवश्यक है कि ऐसे हिन्दी कम्प्यूटर प्रचालन प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को तैयार किया जाए जो प्रशिक्षणार्थियों में कम्प्यूटरीकरण के प्रति रूचि व जिज्ञासा के भाव को उत्पन्न कर सकने में सफल हों। बाजार में हिन्दी भाषा में उपलब्ध कम्प्यूटर आपरेटिंग पुस्तकों का प्रयोग किया जा सकता है किन्तु इसकी भी सीमाएं हैं। ऐसी अधिकांश पुस्तकों की भाषा शैली पांडित्यपूर्ण होती है तथा विवरण अत्यन्त संक्षिप्त जो कि औसत बुद्वि वाले व्यक्ति या प्रथम बार ही कम्प्यूटर का प्रयोग करने वाले प्रशिक्षाणार्थियों की समझ से बाहर होती है। ऐसी स्थिति में यही श्रेयकर होगा कि पाठ्यक्रम निदेशक अथवा आयोजक स्वयं ही सामान्य एवं सहज भाषा शैली में चित्र सहित हिन्दी कम्प्यूटर आपरेटिंग से संबंधित विस्तृत पाठ्यक्रम तैयार करें।
हिन्दी कम्प्यूटरीकरण में भारत सरकार, गृह मंत्रालय राजभाषा विभाग व शासकीय संस्थाओं की भूमिका में नीतिगत परिवर्तन :- हिन्दी की प्रगति में भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग तथा अन्य शासकीय संस्थानों की अहम भूमिका है क्योंकि निजी संस्थानों के विपरित प्रत्येक शासकीय संस्थान में राजभाषा अनुभाग स्थापित किए गए हैं जो राजभाषा प्रचार-प्रसार के प्रति उत्तरदायी हैं। भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग को अब अपने पाठ्यक्रमों में समय के साथ बदलाव लाना चाहिए। आज मात्र "ग" क्षेत्र के लोगों को ही प्राज्ञ प्रशिक्षण हेतु पात्र घोषित कर वेतनवृद्घि दिए जाने का प्रावधान रखना चाहिए चूॅकि देश के अन्य हिस्सों में राजभाषा हिन्दी ने पूर्ण रूप से लोकप्रियता अर्जित कर ली है तथा इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग भलि-भाँति हिन्दी बोलने ,समझने व लिखने में सक्षम हो गए हैं इसलिए हिन्दी एवं सह हिन्दी भाषी क्षेत्रों में प्रबोध , प्रवीण तथा प्राज्ञ पाठ्यक्रम चलाना न्यायसंगत प्रतीत नहीं होता है। इस नीति के कार्यान्वयन से जो धनराशि बचेगी उसका प्रयोग हिन्दी कम्प्यूटर प्रचालन प्रशिक्षण हेतु पाठ्यक्रम तैयार करने तथा हिन्दी कम्प्यूटर प्रचालन प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाने हे तु किया जा सकता है। तद्नुसार राजभाषा अनुभाग के क्रियाकलापों में भी परिवर्तन कर उन्हें मुख्यत: हिन्दी में कम्प्यूटर पाठ्यक्रम तैयार करने तथा हिन्दी कम्प्यूटर प्रचालन प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाने हेतु प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इसमें राजभाषा विभाग ,नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति तथा केन्द्र सरकार के संस्थान, अर्ध सरकारी कार्यालय, भारत सरकार के उपक्रम, आयुध निर्माणियाँ, आयुध निर्माणियाँ शिक्षण संस्थान,सी.एम.सी. लिमिटेड तथा विभिन्न शासकीय संस्थानों द्वारा समन्वित प्रयास किया जाना चाहिए।
हिन्दी सामग्री अपलोड करने की सुविधा प्रदान करना :- इंटरनेट में हिन्दी वेब साइट रहने के बावजूद अब भी हिन्दी में कोई बहुत ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है तथापि इस दिशा में विभिन्न भारतीय सॉफ्‌टवेयर कम्पनियों,राजभाषा सेवी वर्क ग्रुप ने अपने वेब साइट पर हिन्दी में सामग्री अपलोड की है और इसके सतत्‌ विकास एवं वृद्घि के लिए आम लोगों से भी विविध विषय पर लिखित /रचित मौलिक स्तरीय लेखन सामग्री उनके वेब साइट पर अपलोड करने की अपील की है । उदाहरण के लिए http://www.mediawiki.org वेब साइट पर हिन्दी से संबंधित विविध विषयों पर लिखित स्तरीय लेख आदि सामग्री अपलोड किए जाने की स्वतंत्रता है। इसी प्रकार प्रत्येक संस्थान को अपनी वेबसाइट पर संस्थान के कार्मिकों द्वारा तैयार स्तरीय सामग्री को अपलोड करवाने की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए। इसके अन्तर्गत संबंधित संस्थान/मंत्रालय में प्रयुक्त विविध तकनीकी एवं अभियांत्रिक परिभाषिक शब्दों के अर्थ कार्यालयीन शब्दार्थों व तकनीकी लेख को समाहित किया जा सकता है। ऐसा होने पर निश्चय ही इंटरनेट पर हिन्दी के भंडार में वृद्घि होगी तथा जिससे समस्त मानव जाति लाभान्वित होगी।
सर्वविदित है कि वर्तमान युग विज्ञापन का युग है जिस प्रकार नए उत्पाद को लोकप्रिय बनाने के लिए प्रचार-प्रसार माध्यमों पर उनका विज्ञापन किया जाता है। उसी प्रकार सॉफ्टवेयर फर्म अपने नवीन उत्पादों को लोकप्रिय बनाने के लक्ष्य को हासिल करने हेतु उपभोक्ताओं को निश्चित समयावधि तक अपने साफ्टवेयरों का प्रयोग करने की अनुमति प्रदान करती हैं। ऐसे सॉफ्टवयरों को "शेयरवेयर" श्रेणी में रखा जाता है। इसी प्रकार साफ्टवेयर फर्म उपभोक्ता को अपने द्वारा तैयार सॉफ्टवेयरों को पूर्ण रूप से नि:शुल्क प्रयोग करने की सुविधा भी प्रदान करती हैं। "शेयरवेयर" तथा "फ्रिवेयर" श्रेणी के सॉफ्टवेयर और फॉन्ट इंटरनेट से डाउनलोड कर उनका प्रयोग किया जा सकता है। ओपन ऑफिस, रूपान्तर सॉफ्टवेयर फ्रिवेयर तथा आई.एस.एम. सॉफ्टवेयर शेयरवेयर श्रेणी के साफॅ्‌टवेयर हैं ,जिन्हें क्रमश: http://www.openoffice.org व http://tdil.gov.in से डाउनलोड कर प्रयोग में लाया जा सकता है। उपरोक्त श्रेणी के ऐसे कई और सॉफ्टवेयर या पूरक सॉफ्टवेयर ,फॉन्ट इंटरनेट पर उपलब्ध है। इन पर हिन्दी में पाठ्यसामग्री एवं प्रचालन पुस्तिका बनाकर प्रशिक्षाणथियों को प्रशिक्षित करने से निश्चय ही राजभाषा के प्रचार - प्रसार में अपेक्षित गति से प्रगति संभव हो सकेगी ।
भ्रमण बनाम व्यावहारिक प्रशिक्षण :- राजभाषा प्रचार-प्रसार के क्षेत्र में कार्यरत अधिकांश गैर-सरकारी संस्थान तथा पुस्तक के प्रकाशकों द्वारा समय-समय पर राजभाषा संगोष्ठियाँ एवं कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं। जिनमें राजभाषा कार्मिकों को आमंत्रित किया जाता है। इन कार्यशालाओं एवं संगोष्ठियों का प्रस्तावित पाठ्यक्रम तो अत्यंत आकर्षक प्रतीत होता है किंतु वास्तव में शैक्षणिक भ्रमण का कार्य शिक्षण क्रियाकलाप पर भारी पड़ता है । ऐसा देखने में आता है कि प्रस्तावित पाठ ्यक्रम के पठन-पाठन के प्रति न तो प्रशिक्षणाथियों और नही आयोजकों में कोई रूचि होती है। वस्तुत: भ्रमण पर व्यय धनराशि का यदि आधा भाग भी संग्रहित कर उपस्थित प्रतिभागियों को राजभाषा हिन्दी से संबद्घ नवीन सॉफ्टवेयरों तथा उक्त के प्रचालन विधि से अवगत कराये जाने के लिए किया जाए तो निश्चय ही संगोष्ठी तथा कार्यशाला के आयोजन का उद्देश्य बहुत हद तक सफल हो पायेगा। इसके लिए विभिन्न सॉफ्टवेयर फर्मों के प्रतिनिधियों को उनके द्वारा तैयार हिन्दी एवं भारतीय भाषाओं से संबंधित सॉफ्टवेयर का डेमो देने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है तथा इसके लिए अधिकांश सॉफट्वेयर कम्पनियाँ सहर्ष ही तैयार हो जायेगी क्यांेंकि एक ही मंच पर बड.ी संख्या में राजभाषा कर्मियों की उपस्थिति से उनके द्वारा निर्मित सॉफ्टवेयरों का विज्ञापन भी हो जायेगा।
सी-डैक की भूमिका :- राजभाषा हिन्दी को लोकप्रिय करने के उद््‌देश्य से सरकार द्वारा सी-डैक वर्क ग्रुप का गठन एक ईमानदार कोशिश है। सी-डैक दिनों-दिन हिन्दी एवं भारतीय भाषाओं के लिए नवीन सॉफट्वेयरों का निर्माण कर रही है। जो सहज उपलब्ध एवं प्रचालन में सुलभ हैं। लिप आफिस तथा आई - लिप सॉफ्‌टवेयर इनके उदाहरण है। हिन्दी सॉफ्‌टवेयर के क्षेत्र में सी- डैक ने लम्बी दूरी तय कर ली है किन्तु यह भी सत्य है कि अभी इस दिशा में तीव्र गति से और भी लम्बी दूरी तय की जानी है। अब भी सी-डैक निर्मित सॉफ्टवेयरों की कीमतें बहुत अधिक हैं उदाहरण के तौर पर आई.एस.एम.2005, आई.एस.एम.पब्लिशर व आई.एस.एम. चित्रांकन को ही लीजिए। इन बहुभाषी सॉफटवेयरों का मूल्य लगभग रूपए 8000/- है । प्रश्न यह उठता है कि क्या औसत आय वाला सामान्य व्यक्ति रूपये 8000/- का सॉफ्‌टवेयर खरीद सकता है ? निश्चय ही नहीं। अत: अब समय आ गया है कि सी- डैक सहित समस्त सॉफ्टवेयर कम्पनियों को अपने सॉफ्टवेयरों की कीमतें आम व्यक्ति के पहुँच के भीतर रखनी होगी। इसके लिए सरकार को चाहिए कि वह सी-डैक तथा अन्य सॉफ्टवेयर कम्पनियों को सब्सिडी प्रदान करे अथवा उद्योगों के विकास हेतु कर माफ किए जाने के तर्ज पर सॉफ्टवेयर कम्पनियों पर लागू कर को भी माफ करे।
संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय,भारत सरकार की भूमिका :- यह अत्यंत हर्ष की बात है कि भारत सरकार राजभाषा विभाग हिन्दी के प्रचार-प्रसार हेतु दृढ.ता से कार्य कर रही है। इस दिशा में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने हिन्दी सॉफ्‌टवेयर उपकरण की निशुल्क सी.डी. सामान्यजन को वितरित करने का बीड़ा उठाया है। इस सॉफ्टवेयर उपकरण को पूर्वोक्त मंत्रालय के साइड से भी डाउनलोड किए जाने की व्यवस्था भी है। इसी तरह सी.डी.ए.सी. के एप्लाइड ए.आई.ग्रुप द्वारा राजभाषा विभाग के सहयोग से कम्प्यूटर साधित अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद सॉफ्टवेयर च्मंत्र-राजभाषाछ जो कि वित्तीय एवं प्रशासनिक क्षेत्रों से संबंधित अधिसूचनाओं तथा आदेशों को अंग्रेजी से हिन्दी में अनूदित करने में सक्षम हैं की सी.डी. का नि:शुल्क वितरण किया जाना आशावादी कदम है। यद्यपि इन सॉफ्‌टवेयर में कुछ विसंगतियाँ भी हैं तथापि राजभाषा हिन्दी के प्रचार - प्रसार में उपरोक्त सॉफ्टवेयरों का वितरण हिन्दी की प्रगति में मिल का पत्थर साबित होगा।

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