सोमवार, 20 अप्रैल 2009

गजल

रूप तुम्हारा चाँद सा प्यारा
आँखे है हंसते कंवल
ओ मेरी जाने गजल,ओ मेरी जाने गजल
छुप गए सारे चाँद तारे, रूख से हटाया जब आँचल
ओ मेरी जाने गजल ,ओ मेरी जाने गजल

लम्हा, लम्हा शाम को जब दर्द ने ली अंगड़ाइयाँ
गम के छेड़े साज पर जब ,बजने लगी शहनाइयाँ
रात की तारिकियों में मुस्कुराती तन्हाइयाँ
फिर तस्व्वूर ने तुम्हारे दी मेरी दुनिया बदल
ओ मेरी जाने गजल ,ओ मेरी जाने गजल

रास्ते अंजान और वो मंजिलों की दूरियाँ
धुप से जलते सफर में चलने की मजबूरियाँ
लड़खड़ाती सांस पर वो दश्त की वीरानियाँ
फिर तसव्वूर ने तुम्हारे दी मेरी दूनियाँ बदल
ओ मेरी जाने गजल ,ओ मेरी जाने गजल

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