मंगलवार, 21 अप्रैल 2009

प्यारे वीरों जागो

प्यारे वीरों जागो


आह्वान कर रही है जननी दुर्बलताएँ सारी त्यागो।
भारत के भाग्य विधाता बन प्यारे वीरों जागो॥

क्यों अमर कहानी वीरों की तुम ने सारी बिसराई है।
आजाद, सुभाष, भगत सिंह ने जिसे कुर्बानी से सजाई है।
राणा प्रताप और छत्रपति ने क्या करके दिखलाया है।
दैदिप्यमान स्वर्णिम कीर्ति, जर्रे-जर्रे में छाया है।
तुम भी उनके ही वंशज हो, उनके भावों से दिल पागो॥

ऋषियों मुनियों की तपोभूमि ये वसुन्धरा कहलाती है।
देवों ने महिमा गायी है शारदा भी पार न पाती है।
सुन्दर अरण्य पालन उपवन, वाटिका तडाग अपारे हैं।
जो प्रायद्वीप कहलाता है, गिरिराज जहाँ रखवारे हैं।
रक्षक प्रहरी का है संदेश, तुम भी सेवा व्रत को मांगो॥

गीता, रामायण, वेद और उपनिषद जहाँ अति प्यारे हैं।
श्रीराम, कृष्ण, नानक, कबीर, भगवान बुध्द अवतारे हैं।
जहाँ राजयोग और कर्मयोग का बोध कराया जाता है।
वह भारत देश हमारा है, इतिहास हमें बतलाता है।
सदगुरू से आत्म स्वरूप ज्ञान, निष्काम कर्म में फिर लागो॥

जब ज्ञान भक्ति और प्रेम नहीं तो जीवन भी क्या जीवन है।
सम्भलो-सम्भलो है वक्त अभी, यही अपना सच्चा धन है।
असहाय गरीबों को देखो, वे भी तो अपने भाई हैं।
क्या यही हमारी संस्कृति है, क्या कला ने यही सिखाई है।
दु:ख के दलदल से निकाल कर, ममता के धागों से धागो॥

घर का भेदी लंका ढावे, ना द्वेष कभी दिल में लाओ।
एकता में बल है याद रखो, मिलकर कदम बढ़ाओ।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई हम सब भाई-भाई हैं।
भारत माता अपनी ही है, मत समझो यह पराई है।
'लक्खी नारायण' विनय है, देश की उन्नति में लागो।
भारत भाग्य विधाता बन प्यारे वीरों जागो ॥

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