सोमवार, 20 अप्रैल 2009

संगणक का कमाल

संगणक का कमाल


वर्ष 2007, माह सितम्बर, दिनांक 15, दिन शनिवार का। तमिल नाडू राज्य में एक छोटे से शहर के निवासी मिस्टर रंग अय्यर, उम्र 65 वर्ष ने दिल्ली के होटल में सुबह के दस बजे नाश्ते में वडा और साम्भर खाने का मन बना लिया। उन्होंने बैरे को कॉल बेल दबाकर बुलाया तथा उसके इलेक्ट्रॉनिक नोटिंग पैड में अपने नाश्ते का ऑर्डर नोट करा दिया, साथ ही बैरे ने उनसे सविनय पुछा महाशय आपके पहचान पत्र का नम्बर क्या है। उन्होंने कहा IN05TN034172 । उसने उसे नोट कर लिया और अन्दर जाकर मास्टर संगणक में पहचान पत्र संख्या फीड करने पर उसे ज्ञात् हुआ कि आठ वर्षपूर्व उनके धमनियों में रक्त प्रवाह कम होने के कारण अपोलो अस्पताल, तामिलनाडू में श्ल्य चिकित्सा कर नमक वर्जित कर दिया था। बैरे ने उन्हें आ कर सूचित किया,"हमारा होटल आपके स्वास्थ को देखते हुऐ आपके द्वारा दिए गये ऑर्डर का नाश्ता नहीं दे सकता।" कुछ समय के बाद श्री रंग अय्यर ने कहा,"कुछ मिठाईयाँ लेकर आओं।" उसने फिर संगणक में देखा उन्हें ब्लड शुगर भी है। उसमें फिर उन्हें सूचित किया कि होटल के द्वारा मिठाईयाँ नहीं दी जा सकती हैं तीसरी बार जब बैरे ने सूचित किया तो श्री रंग अय्यर बिगड़ कर बोल,"यह होटल तुम्हारा कैसे हैं। मैं नाश्ते के लिए बैठा हँू अब खाने का समय भी लगभग हो गया। ठीक है तुम सिर्फ मुझे कॉफी पीला दो।" बैरे ने फिर सूचित किया,"कॉफी में निकोटीन है जो आपके स्वास्थ्य के लिए वर्जित है इसलिए आपको कॉफी नहीं दे सकता। अगर आप उपभोक्ता नियम के अन्तर्गत बारी थी वह बेहद क्रोधीत हो कर बोले,"अगर तुम कुछ दे नहीं सकते तो फिर अपना होटल बन्द कर दो।" होटल का मैनेजर आने से पहले बैरे ने पेट्रोल पुलिस को सूचित कर दिया। पुलिस ने आकर श्री रंग अय्यर से पुछताछ कर जाँच शुरू की। लैप टॉप पर पुलिस ने पाया कि इसके पूर्व श्री रंग अय्यर की न्यायलय ने 17 वर्ष पूर्व रेल्वे के अधिकारियों से दुर्व्यवहार करने पर रूपये 2500/- बतौर जुर्माना वसुला था तथा 28 वर्ष पूर्व एक मॉल में कर्मचारी के साथ बिना वजह उलझने के लिये तीन दिन कैद की सजा सुनाई थी। सब कार्रवाई करते हुए दिन के तीन बजे पुलिस ने श्री रंग अय्यर को न्यायालय में न्यायधीश के सामने पेश कर दिया। न्यायधीश महोदय अपने लैप टॉप पर उनके जीवन में किए गये अपराधों का विवरण देख कर सोचा यह कोई खतरनाक मुजरीम नहीं है। सार्वजनिक जगह पर उपद्रव करने के पुलिस के आरोप को सही मानते हुए एक दिन के जेल की सजा दी तथा पुलिस को यह आदेश दिया कि इनके कैद का समय शाम को पाँच बजे पुरा होने के बाद इन्हें रिहा कर दिया जाए। अभी शाम के चार बजे थे। न्यायालय के आदेश के मुताबित उन्हें शाम के पाँच बजे के बाद मुक्त करना था। पुलिस के पास भी एक घंटा बचा था। श्री रंग अय्यर ने सोचा होटल गए थे नाश्ता खाने, जेल की हवा खाकर आए। तभी प्रभारी पेट्रोल पुलिस ने श्री रंग अय्यर से पूछा,बिना शक्कर, दुध, निंबु की चाय पीयोगे क्या?

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