सोमवार, 20 अप्रैल 2009

बीवी का डर

बीवी का डर

जब हम दोनों मिलते थे,
चमन में फूल खिलते थे ।
मीठी बातें होती थी,
काटे नहीं कटते दिन ये रात ऐसे वो कहती थी।
ये सब सुनकर आप सब हो गये होंगे दंग,
क्योंकि तब हम थे बहोत यंग
और तब हमारी शादी नहीं हुई थी ।
अब जब हम दोनों मिलते हैं,
सारे चमन में बम फटते हैं ।
अब काहे के यंग,
आमना-सामना होने पर शुरू हो जाती है जंग।
पहले मुझे देखकर शरम के मारे वो काँपती थी
अब डर के मारे मैं काँपता हॅूं ।
जब हम दोनों मिलते थे,
सारे चमन में फूल खिलते थे ।
पहले मुझे देखकर वो मुस्कुराती थी
अब मुँह सरकाती है ।
जब हम दोनों मिलते थे,
सारे चमन में फूल खिलते थे ।
पहले मैं था उसका यार,
उसको था मुझसे प्यार।
अब हो गया हँू पति,
तो देखती है मुझे गुलाम की भांति ।
जब हम दोनों मिलते थे,
सारे चमन में फूल खिलते थे ।
पहले हम थे Made For Each other,
अब Everything is Made For Her Only।
जब हम दोनों मिलते थे,
सारे चमन में फूल खिलते थे ।
पहले तो इशारों इशारों में काम होता था,
मगर अब टेलीफोन तो छोडो मोबाईल से भी दिल नहीं भरता।
जब हम दोनों मिलते थे, सारे चमन में फूल खिलते थे ।
अंत में देवीयों और सज्जनों,
आप सब से मुझे यही है कहना।
यह बात उससे न जाकर कहना,
क्योंकि मुझे कुछ और साल है जीना,
कुछ और साल है जीना ।

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