सोमवार, 20 अप्रैल 2009

भूतों की संस्था

भूतों की संस्था

सभी भूतों ने मिल एक सभा बुलाई।
सभी भूतों पर मोबाईल से खबर भिजवाई॥
बस्ती के बाहर बरगद के नीचे है आना।
अपनी-अपनी समस्या , सभी आकर बताना॥
मध्य रात्रि को सभी भूत चुडै.ल आए।
कुछ नीचे तो , कुछ बरगद पर छाए॥
एक बूढ़ा भूत ऊठ कर बोला भाईयों,
भाईयों हम सब अलग-अलग बठें हुए हैं।
मानवजाति को देखो, आपस में सटे हुए हैं॥
हम सब मिलकर एक संस्था बनाएं।
सरकार के पास एक ज्ञापन भिजवाएं।
आज हर समाज एक संगठन में जुटा हुआ है।
लेकिन भूत समाज ही भिन्न-भिन्न बटा हुआ है॥
सबसे प्रथम एक कार्यकमेटी बनाओं।
एक्टिव कमेटी से ही अपना काम कराओ॥
प्रथम मिलकर अध्यक्ष का चुनाव करो।
अध्यक्ष का नाम सुनते ही भूतों के चहरे लटक गए।
कोई लेट गया ,कोई बैठ गया कितने ही तो सटक गए॥
बुजुर्ग भूत ने एक उपाय बताया सही,
अपने देश में दल बदलू नेता की कमी नहीं॥
अर्ध रात्रि को भूतों का दल आया नेता के घर।
नेता भी खा पीकर सो रहे थे बेखबर॥
एक भूत बोला चलो ले चलो इसे भूतनगर,
यह दल बदलू नेता है इसका इस पर नहीं होगा असर॥
दूसरे ने कहा इसे ले जाना बेकार है।
क्योंकि यह सीट के लिए रहता लाचार है॥
भूतों का सरदार आया बोला तू हम को पिटवाएगा।
धीरे बोल जाग गया तो हमसे ही बूथ लूटवाएगा॥
इंसानों जैसी गलती मत करो।
इस दल बदलू नेता पर विश्र्वास मत करो॥
इंसान तो सोचता नहीं इन पर विश्र्वास करते हैं।
इसे ले जाने की जिद्द छोड़ो क्योंकि यहीं इन्सानों को छलते हैं॥

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