मंगलवार, 21 अप्रैल 2009

संरक्षा पर भरोसा करें, भाग्य पर नहीं

संरक्षा पर भरोसा करें, भाग्य पर नहीं

जिंदगी एक सफर है सुहाना, यहाँ कल क्या हो किसने जाना।

इस काव्य पंक्ति का आधार लेकर जीवन को भाग्य के भरोसे पर हम छोड़ नहीं सकते हैं। असिम त्याग, ध्येय, आशावाद से स्वयं संरक्षित कर्तव्य करना ही अमूल्य जीवन का आधार है किन्तु कर्तव्य विमुख होकर पश्चाताप करना मूर्खता है। अत: संरक्षा पर ही भरोसा करें, भाग्य पर नहीं। जीवन का हर क्षण सुख-शांति से बिताना हो तो हर पल अपने कार्यक्षेत्र में कार्य करते समय जहाँ-जहाँ जरूरत है, वहाँ संरक्षा उपकरणों का इस्तेमाल करना होगा। जीवन सुंदर है, इसे सुरक्षित रखने के लिए हमेशा ध्यान दें और संरक्षा पर भरोसा करें, भाग्य पर कदापि नहीं।

कारखानों में काम करनेवाले कर्मचारी मशीन पर काम करते समय हैंड ग्लोज जरूर पहने, जिससे हाथों में चिप्स नहीं जाएँगे और हाथ में, उँगलियों में जख्म नहीं होगा। विद्य.ुत अनुरक्षण से संबंधित कार्य करते समय संरक्षा जूते जरूर पहने। ऊँचाई पर कार्य करते समय सेफ्टी बेल्ट जरूर इस्तेमाल करें जिससे संभावित दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है। वेल्डिंग करनेवाले कर्मचारी सेफ्टी गॉगल जरूर पहने, जिससे अपनी आँखों को हम हमेशा के लिए सुरक्षित रख सकते हैं तथा विश्व की सुंदरता जीवन की संध्या तक देख सकते हैं। अग्निशमन कर्मचारी संरक्षा कवच, संरक्षा वस्त्र, हेल्मेट पहनेंगे तो दुर्घटना को निमंत्रण नहीं मिल सकता है। सुरक्षा में ही समाज तथा जनता की उन्नति तथा देश की प्रगति है। इससे नागरिक हित तथा अपने परिवार के लिए एक अच्छा योगदान होगा। वाहन चालक वाहन चलाते समय सुरक्षा बेल्ट लगाना, मोटर सायकिल चलाते समय हेल्मेट पहनना अनिवार्य है लेकिन इसका उल्लंघन करने से प्राण हानी होने की संभावना सर्वाधिक रहती है।

चरितार्थ के लिए विश्व में अनेक कार्यक्षेत्र उपलब्ध हैं। जैसे रासायनिक तथा विस्फोटक पदार्थ उत्पादित करनेवाली फैक्टरियाँ हैं। यहाँ काम करनेवाले कर्मचारियों की संरक्षा के लिए आवश्यक संरक्षा उपकरण उपलब्ध करवा कर उनके उपयोग का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। संरक्षा संस्थान फैक्ट्ररियों का अविभाज्य अंग है। जिस प्रकार शरीर से आत्मा अलग करने से शरीर का अस्तित्व नष्ट होता है इसी तरह यदि कार्यक्षेत्र में संरक्षा को महत्व नहीं दिया जाए, उपेक्षा की जाए तो कर्मचारियों एवं कार्यस्थलों का भी अस्तित्व नष्ट होने की संभावना बनी रहेगी।

आखिर में पुनश्च: यह कहना चाहता हूँ कि जीवन की अनंत यात्रा सुखमय करने के लिए संरक्षा की ओर जरूर ध्यान दे, सिर्फ भाग्य के भरोसे रहने से जीवन में सफलता नहीं प्राप्त होगी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें