सोमवार, 20 अप्रैल 2009

करगिल आपदा

एक :
क्यों कर-
करगिल और द्रास,
में उत्पात का आभास ,
न हुआ,
दिल्ली के दरबारियों को,
लश्करी गुप्तचरों को,
सीमा सुरक्षा बल,
और
खुफिया विभाग को-
कौन देगा जवाब ?
किस तरह-
हिम पर्वतीय-दरारों से,
कंदराओं में गुफाओं में ,
ऊँचे पर्वत शिखरों पर
घुस बैठ सके-
घुसपैठिये-
जो पड़ी भनक न कानोंकान,
पर राग आलापें-
"मेरा भारत महान"
कौन देगा जवाब ?
किस तरह की चौकसी,
कैसा यह चौकन्नपन ?
किस तरह की तैयारी,
कैसी यह व्यवस्था सारी ?
जो-
न - उपयुक्त अस्त्र-शस्त्र ,
न-उन्नत -कल -काठी,
न- समुचित उपकरण,
नही सुलभ वस्त्रादि।
फौजी दस्तों की लाचारी,
हिन्द की सेंना बेचारी।
कौन देगा हिसाब ?

दो:
हिन्द की सेना -रणबाँकुरी,
लड़ रही दुश्मन से जंग बड़ी भारी,
प्रकृति प्रकोप से घिरी -घिरी ।
विषम प्राकृतिक आपदायें ,
दुश्मनी चाल विपदाऐं,
वो ऊँचाइयाँ ,वो शीत जबर,
वो हिम सैलाब ,वो तुफानी डगर ,
हर अढ़चन को झेलती,
हर बाधा को तोड़ती ,
हिन्द की सेना बढ़ती जाये,
शत्रू को खदेड़ती -
तिरंगा ऊँचा फैहराती।
तीन:
बटालिक के पहाड़ों में ,
जब गँजी हिन्द की आयुधी आवाज ,
टिक न सका ,दुश्मन का साज।
मुक्त हुए करगिल और द्रास,
मुक्त हुए शीष और पचास।
हुआ मुक्त जब टाईगर हिल
दहल गया - दुश्मन का दिल ।
फेंक सरंजाम - छोड़ा मुश्कोह,
भागा तब वह "पाकी" गिरोह।
चार :
सिद्घ हुआ यह बारंबार,
"रक्षा" के तुम दारोमदार।
हिन्द के निर्भय जवान,
तेरी निष्ठा,तेरा बलिदान ।
देश की खतिर, तू कुर्बान,
तू है देश की असली शान।
सहज,सुलभ और त्याग महान
रणबाँकुरों की पहचान ।
लियें हाथ में आयुधी कमान,
रखें सुरक्षित सरहद सौपान।
देश कृतज्ञ और गाए गुणगान,
जय भारत ,जय हिन्दुस्तान।
जय,जय भारत के वीर जवान।

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