मंगलवार, 21 अप्रैल 2009

कम्प्यूटरजनित बीमारियाँ

कम्प्यूटरजनित बीमारियाँ

कम्प्यूटर का इस्तेमाल विगत कुछ व र्षों से बहुत बढ़ गया है । कार्य स्थलों पर तो कम्प्यूटर के बिना काम करना असंभव हो गया है। अब तो युवाएँ और बच्चे मौज करने के लिए, खेलने के लिए कम्प्यूटर का इस्तेमाल करने लगे हैं । चैटिंग, नेट सर्फिंग, गेम्स में डूबे बच्चों और युवाओं को इस बात का भी होश नहीं रहता कि वे कितनी देर और किस स्थिति में कम्प्यूटर के सामने बैठे हैं । नतीजा कमर, पीठ, कुहनियों की जकड़न और कमजोर नजर । इसलिए कहते हैं कि जहाँ कम्प्यूटर अपने साथ फायदे लाया है वहीं उसके सामने गलत मुद्रा में बैठकर काम करने वालों में कम्प्यूटरजनित बीमारियों को प्रकोप भी बढ़ रहा है। लोग इन बीमारियों की चपेट में आते जा रहे हैं लेकिन कम्प्यूटर का दायरा इतना व्यापक व महत्वपूर्ण है कि इसके इस्तेमाल से बचा नहीं जा सकता है। अगर आप को अपने कैरियर में अभी बहुत आगे तक जाना है तो यह जरूरी है कि आप अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और कम्प्यूटरजनित बीमारियों के बारे में जागरूक रहें और इनसे बचने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं ।
हम में से ज्यादातर लोगों को यह पता ही नहीं होता कि हमारे बार-बार होते पीठ के दर्द का कारण क्या है या आँखों में पानी आना, बाहों के दर्द के कारण की वजह कोई और नहीं, हमारे दफ्तर और घर का प्रिय साथी 'कम्प्यूटर' है । खास बात तो यह है कि अधिकांश मामलों में इन रोगों के मरीज तब तक अपनी तकलीफ को गंभीरता से नहीं लेते जब तक स्थिति और गंभीर न हो जाए । कम्प्यूटर का इस्तेमाल करने वालों में कम्प्यूटरजनित बीमारियों अर्थात 'सी.आर.आई' कितनी घातक हो सकती है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह व्यक्ति झुक कर अपने जूतों की लैस भी नहीं बांध पाता है । आई.टी. प्रोफेशनलों व इसका ज्यादा इस्तेमाल करने वालों में 'सी.आर.आई' के लक्षण अब धीरे-धीरे गम्भीर रूप लेते जा रहे हैं। जहाँ ये अपनी दिनचर्या का ज्यादातर समय कम्प्यूटर के सामने बिताते हैं परंतु अपने बैठने की मुद्रा पर कोई ध्यान नहीं देते हैं। इसकी वजह होती हैं सी.आर.आई.; मतलब 'कम्प्यूटर रिलेटेड इन्जरि' और इसकी मुख्य वजह है कम्प्यूटर के सामने गलत मुद्रा में बैठकर काम करना । इससे बचने के लिए जागरूकता जरूरी है इसके अलावा हम कुछ निम्न बातों का ध्यान रखें तो इससे बचा जा सकता है ।
कम्प्यूटर का मॉनिटर इतनी दूरी पर रखें कि उसकी चमक आपकी आँखें पर प्रभाव नहीं डाल पाए । मॉनिटर को लगातार देखने की बजाए पलके झपकाएँ । मॉनिटर को लगातार देखने के कारण उसकी चमक से आँखें शुष्क हो जाती हैं । आपकी कुर्सी आरामदेह होनी चाहिए तथा लंबाई के हिसाब से वह मेज के अनुरूप ऊपर नीचे हो सके। पैर फर्श पर टिके रहने चाहिए और घुटने 90 डिग्री के कोण पर मुडे. होने चाहिए । टाइपिंग के वक्त कलाई सीधी व कहीं पर भी मुड.ी नहीं होनी चाहिए । की-बोर्ड आपके शरीर के निकट होना चाहिए व की-बोर्ड की ट्रे बहुत नीचे नहीं होनी चाहिए । घर में जमीन पर कम्प्यूटर रखकर उसे लेटकर इस्तेमाल में न लाएं । थोड़ी-थोड़ी देर में स्थिति बदलते रहें और थोड़ी अन्तराल के बाद उठें। कुर्सी पर सीधे बैठें, पसर कर नहीं तथा संभव हो तो बिना हैंडिल वाली कुर्सी का प्रयोग करें । गर्दन, बाँह, कलाई व आँख संबंधी व्यायाम नियमित रूप से करें । कुछ व्यायाम तो आप अपने ऑफिस में कुर्सी पर बैठे ही कर सकते हैं । सी.आर.आई. के लक्षण दिखने पर विशेषज्ञ डॉक्टर द्वारा शारीरिक जाँच करवाएँ । बैठने के तरीके को सुधारकर, बीच-बीच में कुछ आराम करके और उपचार के बाद योग को दैनिक जीवन में उपयोग में लाकर सी.आर.आई. से बचा जा सक ता है ।

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